सी.एन.सी. लेथ की समस्याएँ

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    02-दिसंबर-2018   
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प्रस्तुत लेखमाला के पूर्व लेख में ‘इमर्जन्सी सिग्नल देकर मशीन बंद होना’ इस समस्या के बारे में चर्चा की गई थी। इस लेख में ‘मशीन शुरू ही न होना’ और ‘लुब्रिकंट तेल का स्तर संतोषजनक नहीं होना’ इन समस्याओं की जानकारी हम लेने वाले हैं।

CNC Lathe
 
समस्या : मशीन शुरू ही न होना
इस समस्या के बारे में ग्राहक फोन करके बताते हैं कि स्क्रीन पर कुछ नहीं दिख रहा है या मशीन शुरू ही नहीं हो रही है। इस स्थिति में निम्नलिखित कारणों में से कोई एक कारण हो सकता है
1. स्टेबिलाइजर से बिजली नहीं मिल रही है।
2. बिजली के जोड़ (कनेक्शन) ढ़ीले हो सकते हैं (चित्र क्र. 2)।

Figure 2
 
3. मशीन को 24V दबाव की बिजली नहीं मिल रही है (चित्र क्र. 3)।

Figure 3
 
बिजली वितरण विभाग से होनेवाली विद्युत आपूर्ति प्राय: AC स्वरूप में होती है। इस 230V AC प्रवाह को हम 24V DC में परिवर्तित करते हैं और मशीन को 24V का भरण मिलता है। अगर इसमें कुछ गड़बड़ी हो गई तो स्क्रीन शुरू नहीं होता है। इसके सभी इलेक्ट्रॉनिक भाग 24V या 5V के दबाव पर कार्य करते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए जोड़ में ढ़ीलापन हो तो उसे जाँचकर तुरंत सुधारना आवश्यक है। साथ ही, समय समय पर बिजली के दबाव पर ध्यान देना जरूरी है। खास कर के जो वायरें जमीन पर पड़ी होती हैं और स्टेबिलाइजर से जुड़ी होती हैं, वें पैर की ठोकर से या बार बार हाथ लगने से जोड़ से निकलने की संभावना होती है, जिसके कारण स्क्रीन शुरू नहीं होता है। यह समस्या केवल इलेक्ट्रिकल खराबी के कारण निर्माण होती है, किसी भी प्रकार के यांत्रिकी (मेकैनिकल) खराबी की संभावना यहाँ नहीं होती है (तालिका क्र.1)।

Table No. 1
 
समस्या : लुब्रिकंट तेल का स्तर हमेशा घटा हुआ दिखाया जाना
जिस स्थान पर धातु का घर्षण होता है वहाँ लुब्रिकेशन अत्यावश्यक होता है। ‘जहाँ घर्षण, वहाँ स्नेहन’ यह सूत्र ध्यान में रखना जरूरी है। लुब्रिकेंट के उपयोग से निम्नलिखित लाभ हैं
1. मशीन के भागों का नुकसान कम होता है और उसकी आयु बढ़ती है।
2. कुल तापमान कम रहता है।
3. दो भागों की गिरफ्त (सीज) टाल सकते हैं। मशीन बंद नहीं होती है।
4. मशीन के भागों पर जंग नहीं लगती।

Lubricant level and float
 
लुब्रिकेंट का स्तर जरूरत से थोड़ा ज्यादा रखने से किसी भी भाग पर जंग नहीं लगती और वे काम भी आसानी से करते हैं। विशेषत: X, Y और Z अक्ष तथा टेलस्टॉक के हिस्सों में भी थोड़ी ज्यादा ही मात्रा में लुब्रिकंट के तेल की आपूर्ति होनी चाहिए। लेकिन चक के लिए ग्रीस का ही उपयोग करते हैं। अर्थात उसका लुब्रिकंट प्रणाली से कोई संबंध नहीं होता है। यह लुब्रिकंट प्रणाली स्वचालित चक्रीय विधि (साइक्लिक मोड) से काम करती है। इसके लिए कर्मचारी को कुछ भी नहीं करना पड़ता है। यह प्रणाली प्राय: 20-25 मिनट के बाद लुब्रिकंट की आपूर्ति करती है। लुब्रिकंट के कार्ट्रिज के द्वारा 1 या 2 जगह गाईडवे को लुब्रिकंट आपूर्त किया जाता है। मशीन शुरू हो जाने के 20-25 मिनट बाद लुब्रिकंट की आपूर्ति अपनेआप शुरू हो जाती है। इसलिए 3 लिटर क्षमता की टंकी दी जाती है। लुब्रिकंट की आपूर्ति निरंतर (24X7) आवश्यक होती है क्योंकि वह उसी तरह इस्तेमाल किया भी जाता है। ऐसी स्थिति में वह 7-10 दिनों के लिए पर्याप्त होता है। लुब्रिकंट का स्तर कम हो जाने पर अलार्म बजता है और इस प्रकार लुब्रिकंट का स्तर पूर्वनिश्चित स्तर से कम होने की चेतावनी मिलती है। इस प्रकार का अलार्म बजने पर लुब्रिकंट सही स्तर (टॉप अप) तक टंकी में ड़ालना चाहिए। जब लुब्रिकंट का स्तर कम हो जाता है तब मशीन की स्वचालित चक्रीय विधि शुरू नहीं होती है। मशीन की चक्रीय विधि शुरू न होने पर यह समझना आसान होता है कि लुब्रिकंट का स्तर कम है, फिर भी ग्राहक हमारे पास उपाय पूछने आते हैं। जब उनको इस बात से अवगत कराया जाता है तब अगली बार ऐसी समस्या वे खुद सुलझाते हैं और समय व्यर्थ नहीं जाता है।
 
लुब्रिकंट टंकी के मामले में भी कुछ नियम और निर्देशों का पालन करना जरूरी है। जैसे, टंकी हर 6 महीनों बाद साफ करना आवश्यक है अन्यथा कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। टंकी की देखभाल सही और योग्य रूप से करनी चाहिए। उसपर हमेशा ठीक से ढ़क्कन लगाना चाहिए, अन्यथा उसमें कचरा/धूल आदि गिर कर लुब्रिकंट खराब हो सकता है। कुछ समय के बाद यह कचरा टंकी के तल में कीचड़ के रूप में जमा होता जाता है। इसके बाद लुब्रिकंट का स्तर कम हो जाने से अलार्म बजने पर कर्मचारी टंकी में लुब्रिकंट ड़ालेगा। फिर भी तैरनेवाला फ्लोट शायद टंकी के कीचड़ में फँसने की वजह से अलार्म बंद नहीं होगा। इस प्रकार की समस्याओं में मेकैनिकल हिस्सा हो सकता है, यानि फ्लोट खराब या दोषपूर्ण होना। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है क्योंकि फ्लोट की आयु करीबन 10 साल तक होती है। इलेक्ट्रिकल दोष अर्थात वायर खराब हो सकती है या जोड़ ढ़ीला हो सकता है (तालिका क्र. 2)।

Table 2
 
अब एक महत्वपूर्ण बात पर सोचेंगे। लुब्रिकंट टंकी की क्षमता 3 लिटर होती है। 10 से 15 दिनों में टंकी फिर से भरनी पड़ती है। इसलिए सर्वो 32 ग्रेड लुब्रिकंट तेल की सिफारिश की जाती है। देखते हैं कि अनजाने में या अज्ञानवश कर्मचारी ने कोई अन्य तेल ड़ालने पर कौन सी स्थिति पैदा होती है।
 
हर प्रकार के लुब्रिकंट का चिपचिपापन (विस्कोसिटी) अलग अलग होता है इसलिए हर एक लुब्रिकंट की कार्यक्षमता भी भिन्न होती है। इस प्रकार अलग लुब्रिकंट ड़ालने से कभी कभी अलार्म बंद होता है लेकिन मशीन शुरू ही रहती है। यह बहुत गंभीर समस्या है क्योंकि ये भाग बिना घर्षण के काम नहीं करते। सामान्यतः 7 से 8 दिनों के बाद लुब्रिकंट के कार्ट्रिज बेकार हो जाते हैं और ठीक से लुब्रिकैशन न होने के कारण आवाज आती है और जंग भी चढ़ सकता है। लुब्रिकंट की श्रेणी जानने के लिए टंकी में सेन्सर की कोई व्यवस्था नहीं होती है। इसलिए योग्य लुब्रिकंट का इस्तेमाल महत्वपूर्ण होता है।
 
अयोग्य लुब्रिकंट के प्रयोग से निम्नलिखित समस्याएँ आती हैं
1. कार्यवस्तु पर टेपर आने से उसके नाप में अंतर आना।
2. मशीन में से आवाज आना।
3. मशीन के भागों पर जंग चढ़ना।
 
इसलिए लुब्रिकंट का स्तर सही रखना और वह कम हो जाने पर सही लुब्रिकंट ड़ाल कर मशीन कार्यरत रखना महत्वपूर्ण है। यह जानकारी देने वाला बोर्ड मशीन पर लगाया गया तो निश्चित रूप से लाभ होता है। इसी प्रकार से लुब्रिकंट की जानकारी एवं समयसारिणी की जानकारी दर्ज करने से भी लाभ होता है। इसके कारण किसने, कब तथा कितनी मात्रा में लुब्रिकंट ड़ाला है यह सारी जानकारी मिलती है। इसलिए समस्या पैदा होने पर निर्णय करना आसान होता है। साथ ही प्रतिबंधात्मक उपाय करते समय भी इसका लाभ होता है।
 
 
0 9890623247
नारायण मूर्ती ‘माइक्रोमैटिक मशीन टूल्स प्रा.लि.’ के सर्विस मैनेजर हैं। आपको मशीन मेंटेनन्स में दीर्घ अनुभव है।
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