सी.एन.सी. यंत्रण का 13-14 सालों का अनुभव पाने के बाद, 2012 में, मैंने खुद का उद्योग शुरु किया। एक सिंगल सी.एन.सी. टर्निंग मशीन खरीद कर शुरुआत की और इस क्षेत्र में रही प्रतिस्पर्धा ध्यान में रखते हुए, अन्य सप्लायरों की तुलना में अपने पास कुछ ऐसा सेटअप होना चाहिए जो बाजार में मौजूद ना हो, इस प्रधान उद्देश्य से मैंने काम शुरु किया। इस हेतु पहले सी.एन.सी. लेथ मशीन एवं बाद में वी.एम.सी. मशीन खरीदी। उसी दौरान सोचना शुरु किया कि अपने मशीन शॉप की क्षमता बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है।
किसी कार्यवस्तु की 2 या 3 सतहों पर, 3 अक्ष की वी.एम.सी. मशीन से, यंत्रण करने के लिए 2 या 3 सेटअप आवश्यक होते हैं। इस समस्या के समाधान हेतु दो विकल्प होते हैं, वी.एम.सी. के साथ ही अतिरिक्त चौथा अक्ष (C अक्ष) खरीदना या छोटी एच.एम.सी. मशीन इस्तेमाल करना। परंतु दोनों विकल्प खर्चीले हैं। चौथा अक्ष एच.एम.सी. से अधिक किफायती है। उसकी इंडेक्सिंग की अचूकता +/- 20 सेकंड जितनी पाई जाती है। 100 मिमी. की त्रिज्या पर यह अंतर +/- 0.03 मिमी. तक पाया जाता है। जहाँ कोणीय संबंध (ऐंग्युलर रिलेशन) या समकेंद्रीयता (कॉन्सेन्ट्रिसिटी) हमारे लिए महत्वपूर्ण ना हो वहाँ पर हम चौथे अक्ष का प्रयोग कर सकते हैं। इस किस्म का पुर्जा जब हमारे पास आ पहुँचा तब ‘प्रगति’ द्वारा विकसित इंडेक्सिंग टरेट का विकल्प हमारी नजर में आया। हमें पता चला कि इसका इस्तेमाल करते हुए टेबल के 8, 12 जैसे कोणीय हिस्सों (ऐंग्युलर डिविजन) के लिए, 45ॅ या 30ॅ में पुर्जा घुमा कर यंत्रण किया जा सकता है।
3 अक्ष की वी.एम.सी. मशीन पर किसी पुर्जे के पृष्ठ का यंत्रण करने हेतु 3 से 4 विभिन्न सेटअप में काम करने के बजाय टरेट एवं फिक्श्चर का इस्तेमाल कर के चहेते इंडेक्सिंग कोण यदि पाए गए तो ज्यादा से ज्यादा 1 या 2 सेटअप में अधिकांश कार्य पूरा होता है।
एक मिसाल की मदद से हम देखेंगे कि इंडेक्सिंग टरेट का प्रयोग करते हुए पुर्जे का यंत्रण किस प्रकार किया गया है। चित्र क्र. 1 में दर्शाए गए पुर्जे का यंत्रण 6 दिशाओं से करना है। जैसे कि चित्र क्र. 2 एवं 3 में दिखाया गया है, पुर्जा इंडेक्सिंग टरेट पर बिठा कर एक ही सेटअप में चार दिशाओं से यंत्रण करना मुमकिन है। उसकी बाकी दिशाओं से यंत्रण करने के लिए रही प्रणाली, चित्र क्र. 4 में दर्शाई गई है।
चौथे (C) अक्ष के लिए 4 से 4.50 लक्ष रुपये खर्चा है। जब निरंतर घूमते हुए अक्ष की जरूरत हो अथवा 300, 450 के गुणज कोण के सिवा अन्य किसी कोण में काम करना हो, तो चौथा अक्ष आवश्यक है। किंतु 4, 8 या 12 की स्थितियों में (पोजिशन) टरेट घुमाते हुए काम करना हो तो टरेट अधिक किफायती है।
इंडेक्सिंग टरेट के लिए कंपनी द्वारा हमें +/- 6 सेकंड जितनी अचूकता की गारंटी दी गई है। 225 मिमी. की आरीय (रेडियल) दूरी पर दो छिद्र बनाने हो तो, 50 माइक्रॉन तक की सटीकता पाई जाती है, जो पर्याप्त है। AMS द्वारा हमने इसका इंटरफेसिंग करवाया है (प्रोग्रामिंग में B एवं जो संख्या हो वह ड़ालनी पड़ती है)। इससे अलग पावरपैक खरीदने की आवश्यकता नहीं होती।
इन दिनों बाजार में दो किस्म के टरेट हैं, हैड्रॉलिक एवं इलेक्ट्रिकल। वी.एम.सी. में हैड्रॉलिक पावरपैक नहीं होता। इस कारण इलेक्ट्रिकल टरेट सुविधाजनक साबित होता है।
कार्य अवधि घटाना हमेशा ही चुनौतीपूर्ण होता है। टूलिंग का प्रयोग किस तरह करें आदी बातों संबंधी प्रोसेस प्लानिंग हम अपनी पद्धति से करते हैं। कोई कंपोनंट प्राप्त होने पर उसकी ड्राईंग देख कर उसे किस तरह बनाया जाए, साथ ही कम से कम सेटअप में भरोसेमंद प्रक्रिया कैसे जारी रखी जाए, इस दृष्टि से कार्यविधि निश्चित की जाती है। हमारा अनुभव कहता है कि ऐसी स्थितियों में वी.एम.सी. पर रहे सेटअप कम करने हेतु चौथे अक्ष का मशीन हमेशा उपयुक्त रहता है। कुछ जरूरी कार्य में C अक्ष अनिवार्य होता है। परंतु, हमने यह भी जाना है कि फैक्टरी में यदि विभिन्न अक्षों वाली मशीन जैसे कि C अक्ष, इंडेक्सर और इंडेक्सिंग टरेट आदि मौजूद हों तो वी.एम.सी. की बहुउद्देशीयता (फ्लेक्जिबिलिटी) बढ़ सकती है।
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निलेश टोणमारेजी यांत्रिकी अभियंता हैं और सी.एन.सी. यंत्रण के क्षेत्र में 18 साल से अधिक अनुभव रखते हैं। प्रिसिजन मशीन पार्ट का निर्माण करने वाली प्राईम इंडस्ट्रीज कंपनी के आप संचालक हैं।