कई बार देखा जाता है कि डिजाइन किए हुए पुर्जे टेढ़े मेढ़े आकार के या भारी वजन के होते हैं। ऐसी स्थिति में उत्पादन/अभियांत्रिकी कार्यसमूह के लिए, डिजाइन के अनुसार अंतिम आकार बनाने की बड़ी चुनौती होती है। इसलिए असेम्ब्ली के विचार से महत्वपूर्ण होने वाले क्षेत्र में यंत्रण के लिए, डिजाइनर कम हाशिया रखते हैं और बाकी का पुर्जा आवश्यकता के अनुसार कास्टिंग या फोर्जिंग विधि द्वारा बनवाते हैं।
टेढ़े मेढ़े आकार के विशाल पुर्जों का यंत्रण करने वाली एक फैक्टरी से ट्रैक्टर, भारी ऑटोमोटिव एवं रेलमार्ग के उद्योग क्षेत्रों में अपने उत्पाद सप्लाइ किए जाते हैं। रेल में इस्तेमाल होने वाले एक ब्रैकेट का हॉरिजाँटल मशीनिंग सेंटर (एच.एम.सी.) पर यंत्रण करने की मांग हमने पाई। फिक्श्चर का सेटअप उतना दृढ़ नहीं था जितना प्रत्याशित था। चूंकि इस काम में पहले ही काफी खर्चा हो चुका था, ग्राहक उसमें और पैसा निवेश करने के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं था। इन्सर्ट बार बार टूटने की गंभीर समस्या थी। इस कारण कभी कभी कटर की बॉडी को भी हानि पहुंचती थी। पुर्जे के आकार के कारण लंबे ओवरहैंग वाले टूल से यंत्रण करना आवश्यक था, जिससे टूल संबंधी समस्याएं निर्माण हो रही थीं।
इसके बारे में ग्राहक की अपेक्षाएं थी कि
• टूल प्रबंधन (टूलिंग) का खर्चा 30% कम होना चाहिए।
• टूल की आयु 30% बढ़नी चाहिए।
• हर एक पुर्जे का खर्चा 10 रुपये कम होना चाहिए।
एच.एम.सी. पर बनाया जाने वाला पुर्जा चित्र क्र. 1 में दिखाया है। पुर्जे का मटीरीयल ग्रे कास्ट आयर्न है।
एच.एम.सी. पर उस समय जिस तरीके से यंत्रण किया जा रहा था, उसमें टूल का ओवरहैंग गेज प्लेन से 200 मिमी. था। पूरा सेटअप एवं मशीन की स्थिति देख कर हमने चार कोने वाले इन्सर्ट टूल का सुझाव दिया।
चार कोने वाले इन्सर्ट की विशेषताएं
1. चौड़ी किनार वाले 4 कोने
2. इसका हैलिक्स और रेक कोण बड़ा होने के कारण यह कम दृढ़ता या कमजोर सेटअप के लिए उचित है और इससे परिशुद्ध कटिंग मिलती है।
3. 900 का ऐप्रोच कोण पतली दीवार वाले पुर्जों के लिए इस्तेमाल हो सकता है।
4. अधिक कटिंग बल में अच्छी पकड़ पाने हेतु दृढ़ क्लैम्पिंग स्क्रू।
यंत्रण के नए तरीके से ग्राहक को मिले लाभ
• अभी प्रयोग होने वाली 3 कटिंग छोरों के बजाय 4 कोने वाला इन्सर्ट मिला।
• एक कटर में इन्सर्ट की संख्या पांच होने से पूंजिनिवेश घट गया।
• हरएक इन्सर्ट समूह टूल की आयु 48% से बढ़ी।
• प्रति पुर्जा खर्चे में 13 रुपये की बचत हुई।
• आवर्तन काल 11% से कम हुआ।
शुरुआती चर्चानुसार ग्राहक जिस तरह के सुधार चाहता था वे उसे मिल गए।
कार्य का अच्छे से परीक्षण करते हुए सही टूल एवं ग्रेड का चयन, मशीन की दृढ़ता, सेटअप या फिक्श्चर की दृढ़ता आदि चीजों का कुल परिणाम हमेशा ही लाभदायी होता है। अन्य कार्यों में इन तरीकों को अपनाने का हमारा आत्मविेशास भी ऐसे अनुभव से बढ़ जाता है।
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विजेंद्र पुरोहितजी ‘ड्युराकार्ब इंडिया’ कंपनी में तकनीकी सहायता विभाग के प्रमुख हैं। आप को मशीन टूल एवं कटिंग टूल डिजाइन में 20 सालों का अनुभव है।