सी.एन.सी. टर्निंग सेंटर

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    03-अप्रैल-2019   
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CNC turning center
 
सी.एन.सी टर्निंग सेंटर का उपयोग कई जगहों पर किया जाता है। पुराने जमाने में जो लेथ मैन्युअली चलते थे, उन्हींका नया रूप है सी.एन.सी. टर्निंग सेंटर। उसमें चक, टूलपोस्ट, टेलस्टॉक इन तीन महत्वपूर्ण पुर्जों  का चलन मोटर द्वारा किया जाता है। संगणक मे जतन (सेव) किए हुए या नए बनाए हुए प्रोग्रैम द्वारा उसका नियंत्रण किया जाता है। साथ ही उसमें टूल टरेट और अन्य कई ऐक्सेसरीज लगाने से उसका स्वरूप सर्वसमावेशी हुआ है, जिससे कई यंत्रण क्रिया करना संभव हो गया है। इसीको प्रचलित भाषा में सी.एन.सी. टर्निंग सेंटर कहा जाता है।
 
सी.एन.सी. टर्निंग सेंटर का कार्य
धातुकार्य करने के लिए सी.एन.सी. टर्निंग सेंटर का उपयोग होता है। इस मशीन के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए यंत्रण कार्य (मशीनिंग ऑपरेशन) ठीक से समझ लेना जरूरी है।

Figure - 1
 
सी.एन.सी. मशीन में स्पिंडल चक को घुमाना, टूल को आगे पीछे तथा उपर नीचे सरकाना आदि काम प्रोग्रैमिंग आज्ञावली द्वारा किए जाते हैं (चित्र क्र. 1 और 2)। ड्रॉइंग पढ़ कर प्रोग्रैमर निश्चित कोड की सहायता से प्रोग्रैम लिखते हैं। उस प्रोग्रैम के अनुसार मशीन में चलन होते हैं।

Figure - 2
 
सी.एन.सी. टर्निंग सेंटर में काम करते समय यहाँ दिए हुए तीन मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं
1. प्रोग्रैमिंग
2. सेटअप
3. ऑपरेशन
 
तीन टर्निंग ऐेप्लिकेशन
1. चकिंग वर्क
2. शाफ्ट वर्क
3. बार वर्क
इनमें काफी हद तक लचीलापन पा सकते हैं।

Figure - 3 : CNC Lathe's Creation
 
सी.एन.सी. लेथ के लिए आदर्श कार्यप्रणाली
सी.एन.सी. लेथ मशीन का कार्य अच्छे तरीके से होने के लिए आदर्श कार्यप्रणाली का स्वीकार करना जरूरी है। आदर्श कार्यप्रणाली का अर्थ है अनुभवों के आधार पर तैयार की गई आज्ञावली शृंखला। इस शृंखला के इस्तेमाल से सी.एन.सी. मशीन सही प्रकार से चलाए जा सकते हैं। अगर ऑपरेटर सफाई की ओर जागरूकता से ध्यान देता हो, तेज टूल का उपयोग करता हो, तैयार किए जाने वाले पुर्जे ड्रॉइंग के अनुसार बन रहे हैं इस बात की जांच पड़ताल कर के मशीन पर काम करता हो तो संभवतः सी.एन.सी. मशीन के कार्य में कोई बाधा नहीं आती है। सी.एन.सी. लेथ मशीन अच्छी स्थिति में लंबे समय तक चले, अच्छी गुणवत्ता का उत्पादन दे और काम के समय का नुकसान ना हो, इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे देखते हैं
 
1. वार्म अप : ज्यादातर कंपनियों मे दूसरी शिफ्ट के बाद मशीन बंद किया जाता है या बिजली खंडित होने से मशीन बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति में मशीन फिर से शुरू करते समय उसे वार्म अप यानि थोड़ा गर्म करना आवश्यक होता है। वार्म अप क्रिया में पहले स्पिंडल दोनों तरफ (फॉर्वर्ड और रिवर्स) एक से डेढ़ मिनट चलाना आवश्यक है। उसी प्रकार टूल पोस्ट/टरेट के भी सारे चलन करने चाहिए। इससे स्नेहक तेल सभी आवश्यक जगह फैलता है।
2. काम के लिए आवश्यक टूल, कार्यवस्तु, मटीरीयल तैयार रखना।
3. चक जॉ तथा टूलिंग तैयार रखना। यह सब पूर्वनिश्चित योजना के अनुसार होना चाहिए।
4. कार्यवस्तु चक में ठीक से कस कर पकड़ी होने की जांच करना। कार्यवस्तु चक में अंतर्गत या बाह्य पद्धति से कसी जा सकती है। अमल में होने वाली पद्धति के अनुसार चक जॉ का चयन करना होगा।
5. कार्यवस्तु कसने के बाद चक को घुमा कर यह जांच लें कि कार्यवस्तु कहीं भी टकरा नहीं रही है।
6. कटिंग टूल संदर्भ बिंदु (रेफरन्स पॉइंट) पर होने की जांच करना।
7. मशीन शुरु करने से पहले देखें कि क्या टेलस्टॉक हैड्रोलिक प्रणाली द्वारा ठीक से क्लैम्प हुआ है तथा क्या टूल ठीक से क्लैम्प हुए हैं? क्या कार्यवस्तु और टूल के स्थान के बीच में आवश्यक जगह (स्पेस) है?
8. यह भी जांचें कि कार्यवस्तु टर्निंग के लिए बनाया प्रोग्रैम उसी कार्यवस्तु के लिए बनाया गया है। सामान्यतः कार्यवस्तु का नाम या पुर्जों का अनुक्रमांक प्रोग्रैम पर दर्ज करने की प्रथा है।
9. मशीन के उपर गार्ड/कवर ठीक से लगाए होने की जांच करना।
10. प्रोग्रैम चुनने के बाद कर्सर शुरुआती बिंदु पर लाना।
11. मशीन के सेटिंग बदले हों, तो वें दर्ज करना।
12. ओशस्त करना कि पुर्जे पर किया जा रहा यंत्रण ड्रॉइंग के अनुसार है ।
13. तैयार होने वाले पुर्जे की गुणवत्ता और अचूकता उचित होने की जांच करना।
14. काम पूरा होने पर मशीन साफ करना, बिजली का सप्लाई बंद करना आदि बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
 
 
0 8625975219
सतीश जोशीजी सी.एन.सी. मशीनिंग में के विशेषज्ञ हैं। आप कई कंपनीयों के सलाहगार रहे हैं। विभिन्न महाविद्यालयों में अध्यापन करते हुए, सी.एन.सी. लेथ मशीन विषय पर आप की किताब भी प्रकाशित हुई है। आप ने संगणक के बारे में मराठी एवं अंग्रेजी भाषाओं में किताबें लिखी हैं।
 
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