रोबो, अब आम उद्योजक के लिए

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    04-अप्रैल-2019   
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TAL ने भारतवासियों के लिए भारत में बनाया गया पहला स्वदेशी रोबो ‘टाटा ब्रैबो’ बाजार में लाया है। यहाँ के उद्योजकों की जरूरतों के विचार से बनाए गए इस रोबो की संकल्पना बिल्कुल अलग और अभिनव है।
Robotic arm concept diagram

Robo, Now for the Common Entrepreneur 
 
‘रोबो’ शब्द सुनते ही नजरों के सामने विशाल कंपनियों में रही बड़ी असेम्ब्ली लाईन और उस पर कम से कम मानवीय हस्तक्षेप से हो रहे कार्य आ जाते हैं। उसी तरह, ये काम करने वाले, विदेश से आयात हुए, रोबो भी दिखने लगते हैं।
 
‘ब्रैबो’: रोबोटिक आर्म
भारतीय उद्योग की जरूरतें ध्यान में रखते हुए टाटा उद्योग समूह के ‘TAL’ ने स्वदेशी बनावट के रोबो का निर्माण शुरु किया है। पिछले तीन वर्ष ‘TAL’ की टीम ने लगातार प्रयास के साथ कुछ प्रकार के रोबो बनाए हैं और बाजार में पेश किए हैं। हमारे रोबोटिक आर्म को ‘ब्रैबो’ नाम दिया गया है। रोबोटिक आर्म का संचलन समझने के लिए हम मानवीय हाथ की मिसाल लेते हैं। जब हम हाथ से कोई चीज हिलाते हैं तो शरीर के पांच अंग कार्यान्वित होते हैं, कमर, कंधा, कोहनी, कलाई और उंगलियां। इस रोबो में 5 जॉइंट तथा 5 अक्ष हैं। हर एक अंग के लिए एक अक्ष (कलाई के संचलन के लिए दो) तथा उंगलियों के लिए, विभिन्न प्रकार के पुर्जे संभलने हेतु, अलग अलग किस्म के ग्रिपर होते हैं। अक्ष के संचलन के लिए मोटर का प्रयोग होता है। दो जॉइंट के मेल के लिए ऐल्युमिनियम की कास्टिंग इस्तेमाल की गई हैं और जॉइंट की मोटर की गोलाकार हलचल, संबंधी अक्ष तक ले जाने हेतु, बेल्ट लगाए गए हैं। हर अक्ष के संचलन के लिए एक मोटर है। इन मोटर को चहीती मात्रा में, चहीती गति से, घुमा सकते हैं। हर जॉइंट भिन्न तरीके से हिलाना पूरे संचलन का मात्र एक हिस्सा है। पांचों जॉइंट जब इकट्ठा काम करते हैं तभी हमें इच्छित संचलन मिलता है। रोबो का मस्तिष्क अर्थात कंट्रोलर निर्णय करता है कि पांचों मोटर किस तरह से घूमनी चाहिए। आर्म कहाँ है और वह कहाँ होना चाहिए यह जानने हेतु भीतर सेन्सर होते हैं।
 
पांचों मोटर को एक ही समय पर कंट्रोलर से संदेश (सिग्नल) जाते हैं। किसी विशिष्ट संचलन (जैसे कि कोई चीज एक जगह से उठा कर अन्य जगह रखना) के लिए पांचों जॉइंट के बारे में एकसाथ सोच कर, कंट्रोलर में प्रोग्राम किया होता है कि हर जॉइंट उसके अक्ष पर कितने अंशों में घूमना चाहिए ताकि प्रत्याशित संचलन हो। उसे बस इच्छित वैल्यू दी जाने पर हर जॉइंट अपनेआप सीधी रेखा में आगे पीछे चलता है या फिर चहीते कोण में सरकता है अथवा गोल घूम सकता है।
 
इस वक्त इस्तेमाल हो रहे रोबो महाकाय होने के कारण उनकी कीमत भी ज्यादा है। इसीलिए रोबो के संदर्भ में ‘TAL’ ने बड़े रोबो (100 किग्रा. या उससे अधिक) को ध्यान में ना लेते हुए छोटे रोबो का विचार किया है। इससे कम भार का कार्य करने वाले लघु, मध्यम उद्योगों को लाभ होगा।

रोबो की कार्यक्षमता
इस रोबो का प्रयोग मूलतः उत्पादकता तथा उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु किया जाता है। एक ऑपरेटर, बिना ज्यादा तकलीफ लिए, 10 किग्रा. तक भार की सामग्री का संचलन कर सकता है। जहाँ पर कार्यवस्तुओं का ज्यादातर संचलन हाथों से होता है, वहाँ उनका वजन सामान्यतः 10 किग्रा. से कम ही होता है। फिलहाल हमने तय किया है कि 10 किग्रा. या उससे कम लोड के कार्य करने वाले रोबो ही बनाए जाए, जो ऐसे उद्योजकों के लिए उपयोगी होंगे ।
 
2014 में इस तरह के रोबो विकसित करना आरंभ हुआ। रोबो के प्रकार उसकी भारवहन क्षमता, वह संभाल सकने वाले अक्ष तथा उसे दिए हुए किग्रा. इन बातों पर निर्भर होते हैं। अचूक कार्य के लिए रोबो 4-5 अक्षीय होना जरूरी है। असल में 4 अक्षीय रोबो कई जगहों पर कुछ निश्चित कार्यों के लिए इस्तेमाल होते हैं। परंतु ‘TAL’ ने 5 अक्षीय रोबो को प्रधानता दी ताकि यह रोबो एक कार्य के बाद अन्य कार्य के लिए भी इस्तेमाल हो सके। इसमें केवल स्टेपर मोटर, कुछ बेल्ट एवं पी.सी.बी. युक्त ऑपरेटिंग सिस्टम ये तीन पुर्जे बाहर से आयात किए हुए हैं। बाकी सारे पुर्जे भारत में ही बनाए गए हैं।
 
शुरुआत में कुछ मानदंड (बेंचमार्क) नजरों में रखते हुए रोबो की संरचना विकसित की गई। उसका नियंत्रक भी भारत में ही बनाया गया। आरंभ में नियंत्रक का काम बाहर की एक कंपनी को दिया गया था। रोबो के हाथ बन गए, मगर नियंत्रक अब भी बाकी था। आखिर में वह नियंत्रक मिल गया। उसमें काफी कमियां नजर आई। इस नियंत्रक का प्रयोग करते हुए रोबो का ग्रिपर पूरा गोलाकार संचलन नहीं कर पा रहा था। वह नियंत्रक अन्य पुर्जों के साथ संवाद भी नहीं कर सकता था। इसलिए ‘TAL’ ने खुद ही नियंत्रक बनाने का सोचा। इसके खातिर रोबो के अन्य हिस्सों से अनुकूल (कॉन्फिगर किए हुए) पी.सी.बी. (कुछ विशेष घटकों के साथ) बाहर से मंगवाए गए। उन पर हमने खुद की विशेष प्रक्रियाएं की। खुद कोडिंग किया। उसके अनुसार नियंत्रक बनाए गए। अभी के लिए अंग्रेजी भाषा में आदेश स्वीकार करने वाला नियंत्रक बनाया गया है। आगे जा कर अन्य प्रादेशिक भाषाओं (मराठी, तमिळ, हिंदी आदि) में भी आदेश स्वीकार करने के लिए भी उसकी संरचना की जाएगी। विभिन्न प्रकार के ग्रिपर का डिजाइनिंग कुछ साफ्टवेयर के साथ टाटा में ही किया गया। ‘टाटा एलेक्सी’ ने इस रोबो का स्टाइलिंग एवं डिजाइनिंग किया, तो ‘टैको’ ने उसका एस.एम.सी. कवर बनाया। अन्य पुर्जों के लिए वेंडर ढूँढ़ कर उन्हें बनाना पड़ा।
Vision Robo
 
रोबो बनाते समय आई समस्याएं
कई जगहों पर ज्यादातर 100 किग्रा. या इससे अधिक भार के लिए रोबो का प्रयोग करते हैं। किंतु हम 10 किग्रा. और उससे कम भार के लिए रोबो बनाना चाहते थे। कंपनी के लिए यह काफी बड़ी चुनौती थी। इसलिए हमने तय लिया कि हर अक्ष के संचलन के लिए, सामान्य रूप में इस्तेमाल होने वाली सर्वो मोटर की जगह, स्टेपर मोटर का प्रयोग करें। कार में जिस प्रकार के बेल्ट का प्रयोग होता है, उसी प्रकार के बेल्ट, मोटर से संबंधी अक्ष तक गति पहुंचाने यानि पावर ट्रान्समिशन के लिए इस्तेमाल किए। इस कारण बीच की गियर ट्रान्समिशन की पूरी विधी टाली गई। इसलिए और भी कम खर्चे में यह कार्य हो पाया। आरंभ में चहीती अचूकता के मशीन कंपोनंट विकसित करने में समस्याएं आई। उसके लिए जरूरी कटर विकसित करने में दिक्कतें थी। कास्टिंग बनाना भी एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इन सब से पार हो कर, दो साल की अवधि में, यह रोबो बाजार में लाया गया। इसके लिए अभी तक कुल 10 करोड़ रुपयों तक खर्चा हुआ है।

silant filling robo
 
रोबो का महत्व रखने वाले उद्योग
ब्रैबो रोबो सभी किस्म के उद्योगों में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रधानता से ऑटोमोबाईल, ऑटो ऐन्सिलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, लॉजिस्टिक्स, फार्मास्युटिकल, फूड एवं पैकेजिंग, प्लास्टिक उद्योग आदि में इस रोबो का प्रयोग होता है। इस रोबो का उपयोग वेल्डिंग, हैंडलिंग, मशीन टेंडिग, असेम्ब्लिंग, मोल्डिंग, विजन एवं इन्स्पेक्शन में हो सकता है। हमें लगता है कि जहाँ पर अचूकता की तुलना में पुनरावर्तन अधिक महत्वपूर्ण है वहाँ ऑपरेटर का काम रोबो द्वारा होना चाहिए। यह रोबो प्रत्याशित अचूकता की सर्वोच्च पुनरावर्तनीयता का उत्पाद दे पाएगा।
 
मशीन टेंडिंग, प्रेस टेंडिंग में इस तरह के रोबो का काफी महत्व है। क्योंकि ऐसे कार्य करते समय ऑपरेटर से दुर्घटना होना संभव है। पुर्जा अगर ठीक से ना रखा जाए तो वह खराब होना भी मुमकिन है। इसलिए रोबो का मशीन के साथ मेल कर के उससे ऐसे काम करवाना सही है। लघु उद्योगों द्वारा हर साल विभिन्न किस्म के लगभग 5 हजार उत्पाद बनाए जाते हैं। उनके खातिर इस प्रकार के रोबो की जरूरत महसूस हो सकती है। इसी कारण ‘TAL’ मैन्युफैक्चरिंग चाहते हैं कि 3 लाख रुपये (2 किग्रा.) से ले कर 6 लाख रुपयों (10 किग्रा.) तक के ऐसे रोबो उपलब्ध कराए जाए जो सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम आकार के उद्योग खरीद सके।

Press Trading robo 
 
सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों का सालाना व्यवहार (टर्नओवर) लगभग 9 लाख करोड़ रुपये है। आने वाले कुछ सालों में यह टर्नओवर दुगुना होने की संभावना है, जिसमें ‘स्वचालन’ का काफी महत्वपूर्ण योगदान होगा। इसीलिए ‘TAL’ मैन्युफैक्चरिंग इन रोबों के माध्यम से सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम आकार के उद्योग समूहों को स्वचालन पद्धति में प्रवेश करने का अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। ये रोबो की ‘लाईफ साइकिल’ की पूरी जांच की गई है। इसका मतलब है कि तीन महीने, 24x7, एक निश्चित कार्य पर किसी पूर्वनिश्चित प्रणाली के अनुसार ये रोबो काम करते रहते हैं। कुछ रोबो तो हमने टाटा की उत्पादन विधी में ही शामिल कर दिए हैं जैसे कि गियर पंप के लिए, टाटा ग्रीन बैटरीज में, कुछ फिलिंग ऐप्लिकेशन में; ऐसे विभिन्न काम करने वाले रोबो हम ‘TAL’ में डेमो के रूप में लोगों को दिखा रहें हैं। इससे ग्राहक प्रत्यक्ष देख पाएंगे कि यह रोबो अलग अलग काम किस तरह करते हैं (जैसे कि प्रेस टेंडिंग)। भारत में कई इंजीनीयरिंग कॉलेज हैं जहाँ पर अब ‘बी.ई. रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन’ एक नया विषय पेश हो रहा है। उनमें से कुछ इंजीनीयरिंग कॉलेजों के लिए रोबोटिक पाठ्यक्रम बनाने और प्रशिक्षण में ‘TAL’ सहायता करते हैं। पाठ्यक्रम में ही ये विषय मौजूद होने से छात्रों को फील्ड में काम करते समय बहुत ही कम समस्या आती है। इस समय रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन तकनीक की काफी मांग है। इंटरनैशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के अनुसार देखा जाए तो यह क्षेत्र विेश भर में 15% तक बढ़ा है। भारत में यह वृद्धि 20% तक पहुंचने की संभावना है। अभी कोरिया, जर्मनी, अमरीका और चीन जैसी राष्ट्रों में औद्योगिक रोबो का उपयोग अधिक होता है। भारत में इसका प्रयोग भले ही कम हो, लेकिन अंदाजा यह है कि आने वाले समय में रोबो के इस्तेमाल में यकीनन वृद्धि होगी।
 
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यांत्रिकी अभियांत्रिकी की पदवी हासिल करने के बाद 1991 में अमित भिंगुर्डेजी ने टाटा मोटर्स कंपनी में काम करना शुरु किया। आम उद्योजक के निवेश क्षमता के अनुसार रोबो बनाने के जुनून के साथ आप 2014 से ‘TAL मैन्युफैक्चरिंग सोल्युशन्स प्रा. लि.’ के सी.ओ.ओ. रह चुके हैं।
 
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