बॉल स्क्रू

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    01-मई-2019   
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Ball screw
 
लीड स्क्रू और बॉल स्क्रू
 
पारंपरिक मशीन में अक्षीय गतिशीलता पाने के लिए लीड स्क्रू का इस्तेमाल किया जाता है। सी.एन.सी. मशीन में इस काम के लिए बॉल स्क्रू का उपयोग किया जाता है। बुश बेरिंग और बॉल बेरिंग में जो फर्क होता है, ठीक वही फर्क लीड स्क्रू और बॉल स्क्रू में होता है।
 
Sliding friction
 
लीड स्क्रू-नट की बनावट में सरकता घर्षण (स्लाइडिंग फ्रिक्शन) होता है, जब कि बॉल स्क्रू-नट यंत्रावली में बेलनी घर्षण (रोलिंग फ्रिक्शन) होता है। इसी वजह से लीड स्क्रू का इस्तेमाल कर के किसी भार को हिलाने के लिए जितने बल की जरूरत होती है, उसके सिर्फ तीसरे हिस्से का बल, बॉल स्क्रू के इस्तेमाल से आवश्यक होगा। लीड स्क्रू की कार्यक्षमता 30% हो तो, बेलनी घर्षण के कारण बॉल स्क्रू-नट की कार्यक्षमता 90% होती है। अधिक कार्यक्षमता के कारण बॉल स्क्रू-नट की जोड़ी का कार्य उल्टी-सीधी दोनों दिशाओं में हो सकता है (इसे रिवर्सिबल ड्राइव कहते हैं)। स्क्रू को घूमाने से नट अक्षीय दिशा की ओर धकेला जाता है, उसी प्रकार नट को धकेलने से स्क्रू पर भ्रमण बल तैयार हो कर वह घूम सकता है। सी.एन.सी. मशीन में, स्क्रू पर सर्वो मोटर का पूरा नियंत्रण होने के कारण स्क्रू अचानक घूम नहीं सकता। पारंपरिक मशीन में यह प्रबंध नहीं होता है, इसलिए उसमें बॉल स्क्रू का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
 
Roaling Fricture
 
बॉल नट की रचना
गोली वापसी का बाहरी मार्ग
 
Ball nut (external route of bullet return)
 
देखा जाए तो बॉल स्क्रू की रचना बॉल बेरिंग की तरह ही होती है। बॉल बेरिंग में अंदर और बाहर के गोलाकार मार्ग पर गोलियां बार बार घूमती रहती हैं। बॉल स्क्रू घूमते समय स्क्रू के उपर के सर्पिलाकार मार्ग में गोलियां परिवलन करते आगे बढ़ती हैं। अगर उनको नहीं रोका गया तो वे नट के बाहर निकल सकती हैं। इसके लिए नट में एक नली लगा कर, नली के विशिष्ट आकार के मुहाने के मार्ग द्वारा एक स्थान पर से गोलियों को उठाया जाता है और नली के उसी आकार के दूसरे सिरे से उनको मूल स्थान पर वापस छोड़ा जाता है। नट की रचना के अनुसार एक, दो या ज्यादा फेरे लगा कर गोलियां फिर से अपने मूल स्थान पर वापस आ जाती हैं और स्क्रू पर फिर से घूमना शुरु करती हैं। इस प्रकार, बॉल की नट के ऊपर होने वाली यात्रा का एक चक्कर पूरा होता है। नट की रचना के अनुसार एक से ज्यादा चक्कर हो सकते हैं। वापसी मार्ग की नली बाहर से लगाई जाती है और उसका कुछ हिस्सा नट के बाहरी व्यास के बाहर आ सकता है। इसलिए इस रचना को ‘गोली वापसी का बाहरी मार्ग’ कहा जाता है।

गोली वापसी का अंदरूनी मार्ग
 
Inner route of bullet return
 
गोली वापसी के अंदरूनी मार्ग की रचना नट के बाहर के व्यास के अंदर बिठाई जाती है। ‘एक फेरा भ्रमण मार्ग’ यह इसी प्रकार की रचना है। इस प्रणाली में ‘दिशा बदलाव चाबी’ का इस्तेमाल कर के गोली थ्रेड के माथे के उपर से बगल वाले थ्रेड में वापस भेजी जाती है। इस प्रकार गोलियां 3600 के गोलाकार में बार बार घूमती रहती हैं। भार क्षमता बढ़ाने के लिए एक ही नट में इस प्रकार के कई ‘एक फेरा भ्रमण मार्ग’ लगा सकते हैं। ‘इन्स्टिट्युट ऑफ अप्लाइड रिसर्च’ (आइ.ए.आर.) से संबंधी पाठ में (पृष्ठ क्र. 16) इस दिशा बदलाव चाबी की नई रचना के बारे में बताया गया है।

अक्षीय ‘खेल’
ऐक्सियल प्ले’ या ‘बैकलैश’
 
सामान्य रचना की बॉल स्क्रू-नट जोड़ी में थोड़ा ढ़ीलापन होता है। नट बिना घुमाए, स्क्रू पकड़ कर आगे पीछे करने की कोशिश की गई तो वह थोड़ा सा हिल सकता है, जिसे अंग्रेजी में ‘बैकलैश’ कहते हैं।

Fig - 5 
 
बॉल स्क्रू और नट का आपसी संपर्क नट में घूमने वाली गोलियों के माध्यम से होता है। चित्र क्र. 5 में स्क्रू एवं नट के बीच बनाए गए सर्पिलाकार गोलीमार्ग का छेद दिखाया गया है। गोलीमार्ग ‘गोथिक आर्क’ की रूपरेखा जैसा होता है और अक्षीय दबाव से गोली का ‘संपर्क कोण’ (कांटैक्ट ऐंगल) 400 से 500 के बाहर न जाए यह सावधानी, मार्ग की रूपरेखा बनाते समय, बरतना आवश्यक है।
 
पूर्वभार (प्रीलोड)
 
ढ़ीले जोड़ का बॉल स्क्रू सामान्य कामों के लिए पर्याप्त होता है। लेकिन सी.एन.सी. मशीन में उपयोग किया गया बॉल स्क्रू नापने के काम में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए बॉल स्क्रू-नट जोड़ी में बैकलैश होना योग्य नहीं है। 6 मिमी. पिच के बॉल स्क्रू को 1800 घुमा देने पर मशीन की स्लाइड ठीक 3 मिमी. आगे जाएगी। बॉल स्क्रू को 1800 घुमाने पर स्लाइड ठीक 3 मिमी. ही वापस आएगी। 1 माइक्रोन का भी फर्क नहीं आएगा, यह भरोसा पाने हेतु बॉल स्क्रू-नट जोड़ी पूर्वभारित (प्रीलोडेड) होनी चाहिए। पूर्वभार होने से बॉल स्क्रू जोड़ की दृढ़ता (रिजिडिटी) भी बढ़ जाती है।
 
पूर्वभारित करने के लिए बॉल स्क्रू तथा दो नट की जोड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता है। दो नट के बीच में योग्य मोटाई का वॉशर लगा कर मनचाहा पूर्वभार दे सकते हैं (चित्र क्र. 6)।
 
Fig - 6
 
संभव हो तो स्प्रिंग का इस्तेमाल कर के भी पूर्वभार मिल सकता है। लेकिन पूर्वभार जरूरत से ज्यादा नहीं देना चाहिए, नहीं तो बॉल स्क्रू पर घर्षण बल बढ़ कर नट गरम हो कर उसकी आयु घट सकती है।
 
पूर्वभार सिर्फ बेलनी घर्षण का इस्तेमाल करने वाले बॉल स्क्रू-नट में ही दे सकते हैं। लीड स्क्रू प्रणाली में पूर्वभारित नट का प्रयोग नहीं कर सकते, क्योंकि सरकन घर्षण के कारण स्क्रू के थ्रेड के चारों ओर आवश्यकता से ज्यादा ‘ब्रेक’ लगता है। ब्रेक की यह मात्रा बेलनी घर्षण से तीन गुना ज्यादा होती है। जिसके कारण सी.एन.सी. मशीन में सामान्य लीड स्क्रू का इस्तेमाल करना नामुमकिन हो जाता है।
 
बॉल नट की गोलियां

बॉल स्क्रू में सामान्य रूप से अइचअ ग्रेड 25, या अधिक अचूकता के लिए ग्रेड 10, गोलियों का उपयोग किया जाता है। ग्रेड 10 की गोलियों की गोलाई (स्फेरिसिटी) 0.25 माइक्रोन से कम होनी चाहिए और एक गुट की सारी गोलियों का व्यास +/-0.6 माइक्रोन टॉलरन्स में होना चाहिए। बॉल नट की गोलियों के व्यास में ज्यादा फर्क होगा, तो ज्यादा व्यास वाली गोलियों पर ज्यादा भार आ कर उनकी आयु घट जाएगी। फलस्वरूप बॉल नट जल्दी खराब हो जाएगा। 25 या 10 ग्रेड की गोलियों का उत्पादन अब तक भारत में नहीं होता है, उनकी आयात करनी पड़ती है।
 
 
0 9359104060
अशोक साठेजी, ‘प्रगति ऑटोमेशन प्रा. लि.’ के अध्यक्ष तथा ‘एस (ACE) माइक्रोमॅटिक ग्रुप’ के संस्थापक संचालक रहें है। मशीन टूल डिजाइन में आपका प्रदीर्घ तजुर्बा है।
 
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