संपादकीय

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    01-मई-2019   
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Editorial
 
 
2018-19 का वित्तवर्ष खत्म होने के बाद अब नए वित्तवर्ष की उत्पादन नीतियां, वित्तीय आय-व्यय एवं अन्य नियोजनों को अंतिम रूप देने में हमारी व्यस्तता होगी। 2019-20 वित्तवर्ष में प्रवेश करते ही देश में चुनाव का माहौल जारी है। शायद इसीलिए नए वित्तवर्ष के सम्भावित रूप की चर्चा विभिन्न माध्यमों पर हो रही है।
 
केंद्रीय सांख्यिकी संस्था (सी.एस.ओ.) द्वारा बताए गए आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2018 में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि का दर 2.6% रहा, जो जनवरी 2019 के अंत तक 1.7% तक घटा। दूसरी ओर, ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी’ की जानकारी के अनुसार, भारतीय वित्तव्यवस्था में किए जाने वाले निवेश की मात्रा दिसंबर 2018 के अंत पर पिछले 14 सालों के अधोबिंदु पर रही। वित्तव्यवस्था सक्षम बनाने वाले कोयला, क्रूड ऑयल, प्राकृतिक वायु, रिफाइनरी, स्टील, सीमेंट, बिजली जैसे प्रधान क्षेत्रों का वृद्धि दर 1.8% तक गिरा है।
 
मशीन टूल उद्योग का मुख्य आधार होने वाले वाहन उद्योग की 2018-19 वित्त वर्ष की स्थिति पिछले साल की (2017-18)  की तुलना में सकारात्मक है। व्यावसायिक वाहनों की कुल उत्पादन में 17.55% बढ़ोतरी दर्ज हुई है और निर्यात में 14.50% की वृद्धी हुई है (स्रोत : SIAM)। अप्रैल से जून 2019 के तीन महीनों में वाहनों की माहवार बिक्री कैसी रहेगी इस बात पर उत्पादकों का ध्यान लगा हुआ है। पिछले 2 साल मशीन टूल उद्योग के लिए लाभदायी साबित हुए। विशेषज्ञों के अनुसार इसके उत्प्रेरक थे भारी वाहन निर्माण और पुर्जों की निर्यात में देखी गई बढ़त। यह बढ़त बनी रहे या ना रहे, उत्पादकों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही लागत घटाने पर ध्यान देना जरूरी होता है।
 
कम खर्चे में दर्जेदार निर्माण हासिल करने हेतु उद्यमियों ने नवीनतम तंत्रज्ञान जानना जरूरी है। इसीलिए हम ‘धातुकार्य’ में विभिन्न पाठों के रूप में कई विकल्प पेश करते हैं। सी.एन.सी. मशीन में अक्षीय गति पाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बॉल स्क्रू की रचना दर्शाने वाला लेख इस अंक के स्वचालन विभाग में है, जिससे आप बॉल स्क्रू के निर्माण से जुड़ी चुनौतियों तथा किए गए अनुसंधान के बारे में भी जानेंगे। छोटे आकार के पुर्जों के प्रभावी संचालन हेतु अपनाए गए वाइब्रेटरी बाउल फीडर स्वचालन की जानकारी भी यहाँ दी गई है। टूल के पुनःप्रयोग के लिए उस पर की जाने वाली रीग्राइंडिंग तथा रीकंडिशनिंग विधियों का विवरण आप को यकीनन पसंद आएगा। आयात किए जाने वाले टंग्स्टन कार्बाइड स्लिप गेज का भारतीय विकल्प विकसित करने वाली कंपनी की यात्रा आपको प्रेरणादायी होगी। क्लाउड तंत्र की सहायता से निर्माण की कार्यक्षमता का रोजाना परीक्षण किस तरह आसान बनाया जा सकता है यह बताने वाला लेख भी इस अंक में है। उपसाधन विभाग में आप ऑयललेस बुश की विकास प्रक्रिया तथा पॉलिगॉन टर्निंग अटैचमेंट के बारे में पढ़ेंगे। इनके अलावा जिग्स और फिक्श्चर, मशीन मेंटेनन्स, टूलिंग में सुधार, सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग, कम खर्चे में स्वचालन जैसी नियमित लेखमालाएं आप के लिए उपयोगी साबित होगी।
 
 
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दीपक देवधर
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