पिछले लेख में हमने जिग एवं फिक्श्चर में हमेशा प्रयोग होने वाले हिस्सों के बारे में जानकारी पाई। इस लेख में ऐसे और महत्वपूर्ण हिस्से देखेंगे जो प्रायः इस्तेमाल होते हैं। हमेशा इस्तेमाल किए जाने वाले घटकों का मानकीकरण करने से होने वाले लाभ आगे दिए हैं।
1. डिजाइन करने में विशिष्ट समन्वय और अनुशासन आता है। नए इंजीनीयर को भी आरेखन करना आसान हो जाता है। परंतु मानकीकरण में लापरवाही हो तो एक ही हिस्से का आरेखन, अलग अलग व्यक्तियों द्वारा, भिन्न तरह से किया जाता है। इस बढ़ती भिन्नता के कारण पुर्जों की भंड़ारण सूची (इन्वेंटरी) बढ़ती है। साथ ही, आरेखन हेतु अधिक समय जरूरी होता है और खर्चा भी ज्यादा होता है।
2. मानकीकृत पुर्जे एकसाथ बड़ी मात्रा में बना कर भंड़ार में रख सकते हैं। बड़ी मात्रा में पुर्जे बनाने से वे सस्ते में मिलते हैं और जब चाहे पाए जा सकते हैं।
3. इससे देखभाल की गुणवत्ता बढ़ती है। खराब हुए हिस्से तुरंत बदल सकते हैं, इसलिए देखभाल जल्द कर पाते हैं और देखभाल का खर्चा एवं आवश्यक समय भी कम होता है।
हमेशा इस्तेमाल होने वाले पुर्जे
स्प्रिंग प्लंजर
जैक (आधार का उपर नीचे होने वाला हिस्सा)
आइ बोल्ट लिफ्टर
टॉमी स्क्रू एवं थ्रस्ट पैड
स्क्रू और पाम ग्रिप
नर्ल नॉब/नट
पक्के आधार : कास्टिंग और फोर्जिंग हेतु
हार्ड बटन
स्प्रिंग प्लंजर
इसका प्रयोग विभिन्न जगहों पर तथा विभिन्न हेतुओं के लिए किया जाता है, जैसे कि
1. पुर्जा लोकेट करना
2. पुर्जा सरकाना
3. पुर्जा सरका कर बाहर निकालना
4. खांचे (V ग्रूव, डिंपल) में अटकाना
चित्र क्र. 1 अ में पिन टाइप स्प्रिंग प्लंजर दर्शाया गया है। पिछली ओर सेट स्क्रू 1 अंक से दिखाया गया है। यह स्क्रू आगे पीछे सरकाते हुए पिन का बल कम या ज्यादा किया जा सकता है।
M8 के प्लंजर से 7 से 29 N का बल मिलता है और वह पिन 3 मिमी. तक आगे पीछे हो सकती है।
M16 के प्लंजर से 45 से 100 N का बल मिलता है और वह पिन 5 मिमी. तक आगे पीछे हो सकती है।
चित्र क्र. 1 ब में बॉल टाइप प्लंजर दिखाया गया है। इस किस्म के प्लंजर में स्प्रिंग से बॉल पर निर्माण होने वाला बल बदला नहीं जा सकता है।
चित्र क्र. 2 से आप समझ पाएंगे कि यह प्लंजर किस तरह से बिठाया जाता है और कार्य करता है। प्लंजर का बॉल दो ग्रूव में फंस जाने से शाफ्ट आगे पीछे हिलता है, लेकिन निश्चित जगह पर आने पर वह रुक जाता है। ऑपरेटर को इसका अंदाजा आ जाता है। मोटर के गिअर बॉक्स में भी इसी तरह के जोड़ किए होते हैं।
असेम्ब्ली फिक्श्चर में बुश प्रेस करते समय बुश पाइलट डायमीटर पर पकड़ कर रखने के लिए भी इस किस्म के प्लंजर का प्रयोग किया जाता है।
जैक : ऊपर नीचे होने वाला आधार
इसका उपयोग जिग और फिक्श्चर में बड़ी मात्रा में किया जाता है। इसका आरेखन अलग अलग तरीकों से कर सकते हैं। उन्ही में से एक प्रातिनिधिक प्रकार दर्शाया गया है। देखते हैं कि वह सैद्धांतिक रूप से किस तरह काम करता है।
चित्र क्र. 3 अ में ऊपर नीचे होने वाले आधार का एक प्रकार दिखाया गया है, जो हमेशा इस्तेमाल होता है। जब 5 नंबर का स्क्रू ढ़ीला किया जाता है, तब 1 नंबर से दर्शाए हुए स्प्रिंग के बल के कारण 2 नंबर पर रही आगे पीछे होने वाली पिन, दाईं तरफ सरकाई जाती है। इससे 7 नंबर पर रही आधार की पिन नीचे आती है। जब कार्यवस्तु फिक्श्चर पर पक्के सहारे पर रखी जाती है तब 7 नंबर पर रही आधार देने वाली पिन नीचे ही होती है। जब 5 नंबर स्क्रू से 2 नंबर की पिन आगे धकेली जाती है, तब स्प्रिंग दब जाती है तथा 7 नंबर की सहारा देने वाली पिन ऊपर आ कर कार्यवस्तु को स्पर्श करती है और उसे आधार देती है। यही उसका कार्य है। चित्र क्र. 3 ब देखिए। 6 नंबर का डॉग पॉइंट स्क्रू 2 नंबर की आगे पीछे हिलने वाली पिन के खांचे में फंस कर बैठता है, जिसके कारण यह पिन खुद के चारों ओर घूम नहीं सकती और इस वजह से 7 नंबर की सहारा देने वाली पिन ठीक से ऊपर तथा नीचे सरकती है। 2 नंबर की पिन घूमेगी तो सहारा देने वाली पिन ठीक तरह से ऊपर नीचे हिल नहीं पाएगी। कई बार यंत्रण करते वक्त टूल के बल से कार्यवस्तु दबती है या टेढ़ी मेढ़ी होती है। इस समय उसे सहारा दिया जाने से कार्यवस्तु का यंत्रण अच्छा होता है।
चित्र क्र. 4 अ और 4 ब में इस तरह के कुछ और डिजाइन दिखाए गए हैं। उनका अध्ययन जरूर करें। हम अपनी आवश्यकता के हिसाब से चहीता आरेखन कर सकते हैं। किंतु यदि हम इसका मानकीकरण करें तो, जैसे कि ऊपर लिखा गया है, निश्चित रूप से लाभ ही होगा।
आइ बोल्ट लिफ्टर
इस तरह के लिफ्टर का प्रयोग मध्यम आकार के जिग एवं फिक्श्चर उठाने के लिए होता है।
सुरक्षा के बारे में सोचें तो भारी वस्तु के वहन के दौरान उचित सावधानी ना बरतने पर गंभीर खतरा रहता है। इसीलिए सही लिफ्टर का प्रयोग करने के लिए कर्मचारी एवं व्यवस्थापन दोनों आग्रही रहें। अन्यथा अनचाही स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
चित्र क्र. 5 अ में इस प्रकार का आइ बोल्ट लिफ्टर दर्शाया है। यह लिफ्टर फोर्जिंग विधि से बनाया होता है। हर एक लिफ्टर पर लिखा होता है कि वह कितना वजन उठा सकता है।
उदाहरण के तौर पर, M10 का लिफ्टर 230 किग्रै. भार उठा सकता है तथा M24 का लिफ्टर 2000 किग्रै. भार उठा सकता है। जितने भार के लिए उसकी सिफारिश की हो उससे अधिक भार उठाना गुनाह के समान ही है।
चित्र क्र. 5 ब में लिफ्टर का उपयोग दर्शाया है। साल में एक बार इन सब साधनों की मान्य संस्थाओं द्वारा जांच करना और वह प्रमाणपत्र अपने पास रखना आवश्यक है। जांच की तारीख गुजर गई हो तो वह साधन इस्तेमाल ना करें। इस नियम की उपेक्षा करते हुए इस्तेमाल करेंगे तो परिणामों का सामना करना होगा।
टॉमी स्क्रू एवं थ्रस्ट पैड (चित्र क्र. 6अ, 6ब)
इसमें विभिन्न हिस्सों का जोड़ किया होता है, वे हैं टॉमी (एक छोटा डंड़ा), खास बनाया स्क्रू और थ्रस्ट पैड। थ्रस्ट पैड को स्क्रू पर पिन या सरक्लिप की मदद से बिठाया होता है और वह स्क्रू पर मुक्त संचलन करता है। इसी कारण कार्यवस्तु प्रभावशाली तरह से कस कर पकड़ी जाती है।
इस तरह, विभिन्न स्क्रू के आकार के (d1) एवं विभिन्न लंबाई के (I5) पुर्जे बना कर रखे जा सकते हैं और जरूरत के मुताबिक उन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं। यह स्क्रू हाथ से चलाए जाने के कारण कार्यवस्तु मर्यादित बल से पकड़ी जा सकती है।
स्क्रू और पाम ग्रिप (चित्र क्र. 7अ, 7ब, 7क)
पाम ग्रिप ऐल्युमिनिअम या प्लास्टिक की बनाई होती हैं। स्क्रू के माप के अनुसार वे एक दूसरे में बैठ जाएं, इस तरह यंत्रण कर के तैयार पुर्जे भंड़ार में रखे जाते हैं। पाम ग्रिप बड़ी मात्रा में इस्तेमाल होती है। टॉमी की तरह पाम ग्रिप श्रमिक के हाथ को चुभती नहीं है। कभी भी मानकीकृत बल से ज्यादा बल के साथ कार्यवस्तु जकड़ी नहीं जाती। टॉमी को पाइप जोड़ कर अधिक बल लगाया जा सकता है, परंतु इससे कार्यवस्तु खराब हो सकती है।
नर्ल नॉब/नट
चित्र क्र. 8अ और 8ब में यह पुर्जा दिखाया गया है। इसमें भी स्क्रू बिठा कर कार्यवस्तु पकड़ सकते हैं।
इसमें भी सही मात्रा से अधिक बल लगा नहीं सकते हैं। लेकिन अगर काम की बारंबारता ज्यादा हो तो कर्मचारियों को उंगलियों में सुरसुराहट या पीड़ा महसूस होगी।
ऊपरी टॉमी स्क्रू, पाम ग्रिप, नर्ल नॉब/नट इन तीनों तरीकों का आवश्यकतानुसार प्रयोग होता है। एक विशेष लाभ यह है कि स्पैनर इस्तेमाल ना होने के कारण कार्यवस्तु पकड़ने की अवधि में बचत होती है।
पक्के आधार : कास्टिंग एवं फोर्जिंग हेतु (चित्र क्र. 9)
आम तौर पर इस प्रकार के आधार, कार्यवस्तु पर पहला यंत्रण करते समय इस्तेमाल होते हैं।
इस तरह के आधार का ऊपरी पृष्ठ ऊबड़ खाबड़ (डाइमंड सरेशन वाला) होता है। इस खुरदुरे पृष्ठ के वजह से कार्यवस्तु कस कर पकड़ी जाती है और हिल नहीं सकती। ये हिस्से कठोर बनाए होते हैं।
हार्ड बटन (चित्र क्र. 10)
हार्ड बटन का प्रयोग बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है। खास कर इन्स्पेक्शन फिक्श्चर पर लगभग 100% इसी किस्म के बटन लगाए होते हैं। फिक्श्चर के तल में रही प्लेट नरम होने के कारण, निचला पृष्ठ खराब हो गया हो तो इन्स्पेक्शन फिक्श्चर का कैलिब्रेशन ठीक से नहीं होता। ऐसे बटन के प्रयोग से इस पृष्ठ की रक्षा होती है। स्क्रू की मदद से तल की प्लेट के नीचे ये बटन लगाए जाते हैं।
लिफ्टिंग हैंडल
लिफ्टिंग हैंडल कम भार के फिक्श्चर के लिए इस्तेमाल होते हैं। चित्र क्र. 11 अ में धातु का हैंडल दिखाया गया है, जो दो स्क्रू और वॉशर की सहायता से बिठाया जाता है। इसकी ऊंचाई (H) तथा लंबाई (L) इस तरह निश्चित की जाती हैं कि कर्मचारी की उंगलियां आसानी से अंदर जाए।
चित्र क्र. 11 ब में प्लास्टिक का हैंडल दर्शाया है। यह ज्यादातर काले रंग का होता है। चूंकि यह प्लास्टिक का होता है, हाथ में चोट लगने की संभावना कम होती है। टेम्प्लेट, हाथ से रखी जाने वाली जिग प्लेट, छोटे इन्स्पेक्शन फिक्श्चर आदी वस्तुओं के लिए दोनों तरह के हैंडल का उपयोग किया जाता है।
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अजित देशपांडेजी को जिग और फिक्श्चर के क्षेत्र में 36 सालों का अनुभव है। आपने किर्लोस्कर, ग्रीव्ज लोंबार्डिनी लि., टाटा मोटर्स जैसी अलग अलग कंपनियों में विभिन्न पदों पर काम किया है। बहुत सी अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में और ARAI में आप अतिथि प्राध्यापक हैं।