डीप होल ड्रिलिंग के लिए उपयुक्त टूल हेड और टूल तैयार करने में 25 सालों से अधिक काल काम करने वाली टेक्नोमेक कंपनी ने, इस टूल का दर्जा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने हेतु किए प्रयास और अपनाए गए तरीकों के बारे में जानकारी देने वाला यह लेख।
भारत में सड़कों की स्थिति देखते हुए कह सकते हैं कि खास कर के दुपहिया वाहनचालकों के लिए वाहन में सबसे उपयोगी और महत्वपूर्ण प्रणाली है शॉक ऐब्सॉर्बर, अर्थात स्प्रिंग। दुपहिया वाहनों के पिछले पहिये पर आप ने यह प्रणाली देखी ही होगी, लेकिन सामने वाले पहिये से जुड़ा हुआ एक चमकीला पाइप और वह जिस हिस्से में उपर नीचे होता है, वह पूरी असेम्ब्ली होती है शॉक ऐब्सॉर्बर। इसके बाहरी हिस्से को ‘आउटर ट्यूब’ कहा जाता है। शॉक ऐब्सॉर्बर ने अपेक्षित काम करने के लिए अंदर का पाइप और आउटर ट्यूब के बीच में कम से कम सुयोग्य क्लिअरन्स होना चाहिए। उसी तरह इस चमकीले पाइप का आउटर ट्यूब से बेवजह घर्षण न हो इसलिए इन दोनो पुर्जों की पृष्ठीय चिकनाई (फिनिश) अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हरएक गाड़ी के शॉक ऐब्सॉर्बर की आउटर ट्यूब के निर्माण के लिए 3 प्रकार के महत्वपूर्ण ड्रिल जरूरी होते हैं। ये ड्रिल हमारी टेक्नोमेक कंपनी में बनते हैं। साथ ही गहराई तक किए जाने वाले ड्रिलिंग (डीप ड्रिलिंग) के लिए जरूरी ड्रिल भी हम बनाते हैं, जिन्हें गन ड्रिल कहा जाता है।
गन ड्रिलिंग का मतलब है बंदूक की नली बनाने में उपयोग किए गए टूल तथा प्रक्रिया। इस ड्रिल को बनाने के लिए टंग्स्टन कार्बाइड धातु का प्रयोग किया जाता है। इस धातु के छोटे टुकड़े, इस्पात के डंड़े पर, चांदी के मिश्रधातु का इस्तेमाल कर के ब्रेजिंग से जोड़े जाते हैं और बाद में उन्हें ग्राइंड कर के इच्छित आकार दिया जाता है। इस्पात की नली (ट्यूब) बनाने तथा टंग्स्टन कार्बाइड को घिसने के लिए आवश्यक सारी मशीनें भारत में उपलब्ध हैं। हाल में कंपनी ने अपना ध्यान इढअ मशीन के लिए आवश्यक टूल पर केंद्रित किया है (भारतीय बाजार में लगभग 80% हिस्सा हमारा है)।
डीप होल ड्रिलिंग का हेड
दुपहिया वाहन के शॉक ऐब्सॉर्बर का बाहरी पाइप अंदर से ड्रिल किया जाने के बाद वह पृष्ठ पूरी तरह से चिकना होना चाहिए, क्योंकि उसके अंदर, अंदरूनी पाइप सरकने वाला है। यह पृष्ठ चिकना न हो तो पाइप अटकते हुए जाएगा और आघात ठीक से निर्बल नहीं हो पाएगा। चिकना पृष्ठ पाने हेतु ड्रिलिंग हेड विकसित करना आवश्यक था। इस टूल के विकास में आवश्यक उच्च स्तर की कटिंग एज ज्यामिती कंपनी ने कई सालों की मेहनत से तैयार की है। साथ ही कौनसा टंग्स्टन कार्बाइड तथा उसकी कौनसी ग्रेड इस्तेमाल करनी है यहाँ से हमें शुरुआत करनी थी। शुरु में जो कार्बाइड इस्तेमाल किया गया उसकी आयु, जापानी कार्बाइड की तुलना में सिर्फ 10% थी, क्योंकि वह बहुत नरम था। कार्बाइड की गुणवत्ता निश्चित करने के लिए अनेक प्रयोग एवं परीक्षण किए गए। हर बार यह महंगा कार्बाइड मंगवाना पड़ा। इसके बावजूद, अगर वह कार्बाइड जल्दी घिस गया तो कार्बाइड की पूरी बैच बेकार हो जाती थी। उस समय एक कंपनी ने विशिष्ट ग्रेड का कार्बाइड विकसित कर के दिया जो सही साबित हुआ। लेकिन शुरुआती दिनों में सुयोग्य कार्बाइड पाना एक चुनौती ही थी। कार्बाइड विकसित करना, उसका केवल एक हिस्सा था।
पाइप ऐल्युमिनिअम के होने के कारण ऐल्युमिनिअम के यंत्रण हेतु ज्यामिती विकसित कर के वह एक ही प्रयास में सफल होना बड़ा ही जटिल काम था और है। चूंकि शॉक ऐब्सॉर्बर के संयोजन में दोनों पाइपों के आकार पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है, शॉक ऐब्सॉर्बर के टूल अत्यंत अचूक होने चाहिए। उसकी पृष्ठीय चिकनाई भी सटीक (0.1 से 0.2 माइक्रोन CLA) होना जरूरी होता है। चिकनाई के लिए बर्निशिंग पैड का उपयोग किया जाता है। बर्निशिंग पैड पर ग्राइंडिंग की रेखाएं दिखाई देती हो तो वही रेखाएं पाइप के पृष्ठ पर भी आती हैं। इसलिए टेक्नोमेक ने अत्यंत कड़ी मेहनत से इसके पॉलिशिंग के तरीके स्वयं विकसित किए हैं।
तकनीकी बदलाव
मिले हुए कच्चे माल में देखा गया बदलाव बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण था। उस समय मिलने वाले और आज के उपलब्ध कार्बाइड में बहुत सुधार हुए हैं। पहले सिर्फ गैस ब्रेजिंग करते थे, लेकिन आज उसमें सुधार हो कर इंडक्शन ब्रेजिंग किया जाता है। पहले निर्माण एक सामान्य लेथ मशीन पर होता था, उसमें हेड का थ्रेडिंग का स्थान अहम् था। पहले यह थ्रेडिंग हम बाहर से करवा लेते थे, लेकिन बाद में हमने खुद के सी.एन.सी. मशीन पर यह काम शुरु किया। इससे, अल्पकाल में ही, उत्पादन की संगतता तथा ग्राइंडिंग की गुणवत्ता में बहुत वृद्धि हुई। अच्छी गुणवत्ता का कच्चा माल मिलना शुरु हुआ। कटिंग एज ज्यामिती से भी ज्यादा, कटिंग एज कंडिशनिंग में काफी बदलाव आए। उसी तरह कंपनी ने अत्याधुनिक जांच उपकरण का प्रयोग करना शुरु किया। कार्बाइड अच्छा मिलने के कारण टूल की आयु भी बढ़ गई। टूल के उपर लिखे जाने वाले आंकडे, पहले की इचिंग के बदले, अब लेसर मार्किंग से लिखे जाते हैं। बदलते जमाने के अनुसार ऐसे कई बदलाव होते गए।
टूलिंग का क्षेत्र बहुत व्यापक है और यह व्याप्ती बढ़ती ही जा रही है। इसलिए कंपनी अपना ध्यान ड्रिलिंग टूल पर केंद्रित कर रही है। जापान में से शुरु हुई इस टूल के उत्पादन को हमारी कंपनी जोरदार टक्कर दे रही है। इसीलिए भारत के साथ अन्य देशों में भी इस उत्पाद की बड़ी मांग है।
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BTA मशीन एवं टूल के प्रति भारत में होने वाली मांग तथा जापानी कंपनियों का एकाधिपत्य ध्यान में रखते हुए ‘टेक्नोमेक इंजीनीयरिंग प्रा. लि.’ के संचालक राजीव पोतनीसजी ने डीप होल ड्रिलिंग टूल भारत में बनाने का संकल्प किया। आज टेक्नोमेक ने बनाए टूल निर्यात होते हैं।