वायुमापन

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    03-जून-2019   
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Air Measurement
 
 
हर महीने दो और चार पहियों के वाहनों के पुर्जे हजारों की संख्या में बनते हैं। उनकी गुणवत्ता उत्कृष्ट होना आवश्यक होता है और उनकी अचूकता का 100% परीक्षण करना पड़ता है। परीक्षण के बाद आंकड़ों को दर्ज करना होता है।
 
बड़े पैमाने पर परीक्षण करने के लिए वायुमापन यानि एअर गेजिंग एक बढ़िया पद्धति है। इस प्रणाली से 10 माइक्रोन से भी कम टॉलरन्स के नाप का भी आसानी एवं तेजी से गणन किया जा सकता है। जहाँ जरूरत हो, वहाँ अल्पतम गणन (लीस्ट काऊंट) 1/10 माइक्रोन इतना कम भी हो सकता है। परीक्षण दर्ज करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक दबावदर्शी (प्रेशर गेज डायल) का प्रयोग कर के संगणक में परिणाम दर्ज किए जा सकते हैं।
 
एअर गेजिंग का शास्त्रीय आधार
 
Classical basis of air gauging
 
एअर गेजिंग पद्धति वायु का दबाव और वायुप्रवाह के प्राकृतिक नियमों पर आधारित है। चित्र क्र. 1 और 2 में इसी कार्यप्रणाली की जानकारी दी हुई है।
 
चित्र क्र. 1 में वायुमापन के लिए इस्तेमाल होने वाला प्राथमिक सर्किट दिखाया गया है। पाइप से ली गई वायु दबाव नियंत्रक से भेज कर, उसका दबाव चहीते स्तर पर नियंत्रित किया जाता है। यह वायु रोधक में से प्रवाहित हो कर बाद में नोजल से बाहर निकल कर वायुमंड़ल में छोड़ी जाती है।
 
Figure.2
 
जब नोजल का मुख किसी बाधा के कारण पूरी तरह से बंद हो जाता है, तब नोजल के पीछे होने वाली वायु का दबाव ‘नियंत्रित’ दबाव के बराबर होता है। रुकावट धीरे धीरे दूर करने से नोजल से बाहर निकलने वाली वायु का प्रवाह बढ़ता है और उसी समय, नोजल के पीछे होने वाली वायु का दबाव (प्रतिदबाव यानि बैक प्रेशर) कम होता जाता है। इस प्रतिदबाव को हम दबावदर्शी पर देख सकते हैं।
 
वायु का प्रवाह रुकावट एवं नोजल के बीच की दूरी पर निर्भर करता है और वायु के प्रवाह पर प्रतिदबाव निर्भर करता है। प्रणाली की रचना के अनुसार दूरी में होने वाला 1/10 माइक्रोन का परिवर्तन भी प्रतिदबाव में गणन करने योग्य बदलाव ला सकता है।
 
 
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अशोक साठेजी, ‘प्रगति ऑटोमेशन प्रा. लि.’ के अध्यक्ष तथा ‘एस (ACE) माइक्रोमॅटिक ग्रुप’ के संस्थापक संचालक रहें है। मशीन टूल डिजाइन में आपका प्रदीर्घ तजुर्बा है।
 
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