फैक्टरी में काम करते समय कई बार हमारी यह धारणा बन जाती है कि कोई काम करने का पारंपरिक तरीका ही सही है। उस तरीके से बनाए जाने वाले या समरूप पुर्जे का नियोजन भी प्रचलित तरीके के लिए आवश्यक समय, मशीन, टूल आदि ध्यान में रख कर किया जाता है। परंतु इनमें से हर विधि या घटक के प्रति ‘ऐसा ही क्यों? इसके लिए क्या विकल्प है?’ जैसे सवाल पूछे गए तो अनोखे परिवर्तन हो सकते हैं। पुणे की हमारी ‘टेक्नो स्किल’ की यह मिसाल आपको इसी बात का सबूत देगी।
हमारे यहाँ वेल्डोक्स (निकेल, क्रोमियम का मिश्र धातु) मटीरीयल वाला एक नया पुर्जा यंत्रण के लिए आया था। यह काफी भारी था और उसका मटीरीयल कठोर था। उसे काटने हेतु शुरुआत में हमेशा इस्तेमाल होने वाले कटर से काम शुरु किया। कटर का व्यास 50 मिमी. था और 600 मिमी./मिनट फीड से उसका यंत्रण हो रहा था। काट की गहराई 0.5 मिमी. थी। इस कटर की मदद से काम करते हुए ध्यान में आया कि कटिंग की गति कम होने के कारण कटिंग का समय (साइकिल टाइम) ज्यादा था। मटीरीयल काफी कठोर होने के कारण यह कटर जल्द ही खराब हो जाता था, एवं बार बार इन्सर्ट बदलना पड़ता था।
हमने पहले 8 से 10 पुर्जे इस तरीके से बनाए। हमने यह भी जाना कि इस तरीके में ज्यादा समय बरबाद हो रहा है तथा मशीन में भी समस्याएं पैदा होने लगी हैं। इसलिए अन्य टूल उत्पादक कंपनी के ऐप्लिकेशन इंजीनीयर को आमंत्रित किया। उन्होंने इस कार्यविधि का बारीकी से अवलोकन किया और यंत्रण के लिए हाइ स्पीड कटर (फेसमिल कटर) इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। ट्रायल के बाद यह नया कटर इस किस्म के काम के लिए सही साबित हुआ। इसकी सिफारिश की हुई गति 1100 आर.पी.एम. है, फीड रेट 5000 मिमी./मिनट है और इससे काट की गहराई 0.8 मिमी. पाई जाती है। इससे मटीरीयल दूर करने का समय ढ़ाई गुना कम हुआ, इन्सर्ट की आयु बढ़ गई। यह कटर शीतक के बिना काम करता है। पुर्जे के फिनिशिंग हेतु भी हमने उसी कंपनी के अन्य कटर का प्रयोग करना शुरु किया, जिसे लाँग साइड हाइ फीड एन्ड मिल कटर कहते हैं। उसका फीड रेट 2400 मिमी./मिनट, गति 1400 आर.पी.एम. एवं काट की गहराई 1 मिमी. है।
निष्कर्ष : नई तकनीक/उत्पाद ढूंढ़ने की कोशिश करने से काम का तरीका बदलना मुमकिन हुआ और बचत हासिल हुई।
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प्रसाद परचुरेजी ‘टेक्नो स्किल इंजीनीयरिंग वर्क्स’ कंपनी के मालिक हैं। आपको जटिल पुर्जे अचूकता से बनाने का दीर्घ अनुभव है।