विद्युत स्थायी चुंबकीय चक

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Udyam Prakashan Hindi    18-नवंबर-2020   
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यंत्रण करते समय पुर्जे को पकड़ने (वर्क होल्डिंग) के क्षेत्र में, पिछले कुछ सालों से यांत्रिकी फिक्श्चरिंग और वाइस के विकल्प के रूप में चुंबक को अच्छी अनुक्रिया मिल रही है। पृष्ठ के ग्राइंडिंग हेतु चुंबक का इस्तेमाल बहुत पहले से किया जाता है। सेटअप का समय कम करना, पुर्जे के पांचों पृष्ठों से संपर्क उपलब्ध कराना, पुर्जा पकड़ने का काम आसान करना, अचूकता बढ़ाना और पुर्जे अस्वीकार (रिजेक्ट) होने की मात्रा घटाना आदि के लिए चुंबक एकदम उचित है। यही सोच कर हमने स्थायी विद्युत चुंबकीय चक निर्माण करने का निर्णय लिया।
 
चक विकसित करते समय आई चुनौतियां
औद्योगिक चुंबक की तकनीक में इटली देश अग्रणी था। 1999 में स्थायी विद्युत चुंबकीय चक की कार्यपद्धति एवं तकनीक की हमें केवल धुंधली सी जानकारी थी और भारत में ऐसी कोई भी तकनीक उपलब्ध नहीं थी। उस समय हमारे तकनीकी संचालक उत्तम सारडा जी और उनके एक दोस्त ने, उपलब्ध किताबें पढ़ कर केवल 48 घंटों में स्थायी विद्युत चुंबकीय चक की तकनीक समझ ली। प्रयोग करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया को एक कागज पर लिखा और बहुत ही कम समय में अनुसंधान कर के स्थायी विद्युत चुंबक बनाने में सफलता प्राप्त की। भारत में पहली बार 'इलेक्ट्रो परमनंट मैग्नेट' (EPM) तकनीक लाने वाले ये दो युवक IIT अभियंता थे।
चुंबकीय चक की तकनीक
चुंबकीय बल से पुर्जा पकड़ने वाले उपलब्ध उपकरणों में, स्थायी विद्युत चुंबकीय चक को सब से उन्नत और अत्याधुनिक माना जाता है। हमने हमारे 'मैग्नास्लॉट' उत्पाद का पेटंट भी लिया है। चूंकि इसका ऊपरी हिस्सा पूरा स्टील से बनाया गया है, आजतक बनाए गए सभी मैग्नेटिक चक में से इसे सबसे मजबूत माना जाता है। चित्र क्र. 1 में दर्शाएनुसार चुंबक के लाल एवं नीले रंग के दो सेट होते हैं और उनके बीच एक कॉइल होती है। निचला, नीले रंग का, चुंबक स्थिर होता है और ऊपर के लाल चुंबक की पोलैरिटी बदलती रहती है। जब कॉइल में से 2-3 सेकंड के लिए बिजली गुजारी जाती है तब चक के पृष्ठ पर चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फील्ड) बनता है। बिजली की दिशा विपरित करने तक यही स्थिति रहती है। दूसरी बार विपरित दिशा में बिजली देने पर, ऊपर वाले (लाल) चुंबक की पोलैरिटी बदलती है, फलस्वरूप डीमैग्नेटाइजेशन हो जाता है। अगर बिजली का प्रवाह टूट जाए, तो भी पुर्जा चक से अलग नहीं होता। निर्माण होने वाला चुंबकीय क्षेत्र 2 टेसला या 16 कि.ग्रा./सेमी.2 होता है, जो किसी भी चुंबकीय चक के लिए सर्वोच्च है। जितना अधिक क्षेत्रफल उपलब्ध कराया जाएगा, उतना ही अधिक चुंबकीय बल निर्माण किया जाता है। हमारी अनुशंसा रहती है कि प्रभावी चुंबकीय बल (मैग्नेटिक पुल) के निर्माण हेतु कम से कम 8 पोल रखे जाएं।

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चुंबकीय चक की विशेषताएं
मशीन के बेड पर लोहे के पुर्जे पकड़ कर रखने के लिए, चुंबकीय चक का इस्तेमाल सबसे आसान रास्ता है। इससे सेटअप बदलने में लचीलापन प्राप्त हो कर, प्रोग्रैमर टूल पाथ को आसानी से प्रोग्रैम कर सकता है। कारखाने में उपलब्ध सामान्य टूल के इस्तेमाल में यह चक मदद करते हैं, क्योंकि टूल एवं फिक्श्चर के बीच के टकराव का सवाल ही पैदा नहीं होता। चुंबकीय चक, वेल्डिंग किए हुए किसी फिक्श्चर जितने ही मजबूत होने के कारण इस पद्धति द्वारा बहुत ही मजबूत क्लैंपिंग पाया जाता है।
चुंबकीय चक के लाभ
मैग्नास्लॉट में शामिल पेटंटकृत तकनीक के कारण, T स्लॉट चक के इस्तेमाल से सभी अलोह धातुओं की क्लैंपिंग करना संभव होता है। यह इकलौता चक है जिसका ऊपरी हिस्सा पूरी तरह स्टील का होता है। पारंपरिक चुंबकीय चक में स्टील और इपॉक्सी की 'सैंडविच' जैसी संरचना होती है। चक का ऊपरी हिस्सा स्टील का और मजबूत होने की वजह से, चुंबकीय चक में शीतक प्रवेश नहीं कर सकता। इससे चक की आयु बढ़ने में मदद मिलती है। यंत्रण के बाद चिप दूर करना इस चक में आसान होता है।
मिसाल 
डी.जी. सेट में विश्व में अग्रणी होने वाली, पश्चिम महाराष्ट्र स्थित एक कंपनी के मशीन शॉप में, कनेक्टिंग रॉड के यंत्रण हेतु मैग्नास्लॉट का सफल इस्तेमाल किया गया है।

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कनेक्टिंग रॉड क्लैंप करने का सबसे आम तरीका है बड़े और छोटे अंत के लिए अंदर से विस्तारण होने वाले (इंटर्नली एक्स्पांडिंग) चक का इस्तेमाल करना। ऐसा चक (चित्र क्र. 2) पुर्जे को आड़ी दिशा में हिलने नहीं देता, लेकिन यंत्रण प्रक्रिया के दौरान, पुर्जा ऊपर उठने की संभावना रहती है। इस खड़े संचलन से बचने हेतु एक हैड्रोलिक क्लैंप भी, पुर्जे के यंत्रण ना होने वाले हिस्से में इस्तेमाल किया जाता है। इस क्लैंप के कारण पुर्जा मुड़ने की संभावना होती है। फलस्वरूप पुर्जा अस्वीकार हो कर बड़ा नुकसान होता है। लेकिन, मैग्नास्लॉट के इस्तेमाल के समय पुर्जे का केवल आड़ा संचलन रोकना पड़ता है क्योंकि मैग्नास्लॉट उसे खड़ी दिशा में (चित्र क्र. 3) हिलने ही नहीं देता। अब कटिंग फीड 560 मिमी./मिनट से 750 मिमी./मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। 1250 मिमी./मिनट गति का भी इस्तेमाल कर के देखा गया है। इससे हमारे ग्राहक ने अपनी उत्पादन क्षमता 20% बढ़ाई और सबसे बड़ी निष्पत्ति तो यह है कि पुर्जे अस्वीकार होना 0% हुआ है।

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आगे क्या?
हमारी कंपनी के कर्मचारियों की कुशलता एवं बुद्धि के दम पर हम यह चुंबक विकसित कर रहे हैं। पुर्जे पर करने की प्रक्रिया, जांच और संपर्क-सुलभता (अैक्सेसिबिलिटी) के लिए यह बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। पुर्जे की क्लैंपिंग अधिक आसान बनाने के लिए हम दिन-रात काम करते हैं। साथ ही, इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन पर मोल्ड क्लैंप करने हेतु इस्तेमाल होने वाले हमारे 'इ.पी. प्रेस मैग्नेटिक चुंबकीय चक' ग्राहकों को सेटअप का समय घटाने में मदद करते हैं। इनसे डाइ की देखभाल कम हो जाती है, मशीन प्लेट में से डाइ सटकते नहीं और उत्पादन बिना कोई रुकावट चलता रहता है।
 
 
 
 
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