माइक्रोफिनिशिंग के नए चरण

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    03-दिसंबर-2020   
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वाहन उद्योग में पॉवरट्रेन अभियांत्रिकी की सीमाओं के विस्तार के लिए ग्रीन हाउस उत्सर्जन और ऊर्जा का कार्यक्षम इस्तेमाल यह दो घटक अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस संदर्भ में 'भार घटाना' एवं 'घर्षण कम करना' यह दो अहम् नीतियां हैं। पॉवरट्रेन के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले भाग जैसे क्रैंकशाफ्ट, कैमशाफ्ट, ट्रान्स्मिशन शाफ्ट आदि पर ऊपर दी हुई नीतियां लागू करनी हो तो इंजन के डिजाइनरों को पृष्ठीय फिनिशिंग के विनिर्देश (स्पेसिफिकेशन) और भी कठोरता से तय करने पड़ते हैं। ये विनिर्देश प्राप्त करने हेतु माइक्रोफिनिशिंग की प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों में माइक्रोफिनिशिंग तकनीक ने अनेक चरण पार किए हैं जिसकी वजह से इंजन की कार्यक्षमता में महत्वपूर्ण सुधार करना संभव हुआ है।


विशेष लेपन की परत होने वाले अपघर्षी (अैब्रेजिव) इस्तेमाल कर के, तेजी से तथा अधिक कार्यक्षमता से एकसमान फिनिशिंग प्राप्त करने हेतु माइक्रोफिनिशिंग की प्रक्रिया विकसित की गई है। उच्च अभियांत्रिकी तकनीक से बनाए गए पृष्ठ के संपर्क क्षेत्र में, माइक्रोफिनिशिंग के कारण, स्नेहक विशेषताएं (लुब्रिकेशन प्रॉपर्टी) तैयार होती हैं। इससे अधिक भार सहन करने के लिए आवश्यक बेरिंग पृष्ठ तो अधिकतम मात्रा में उपलब्ध होता ही है, साथ में स्नेहन के लिए जरूरी तेल भी, पर्याप्त मात्रा में, पृष्ठ पर बनाया रखा जाता है।

इस तकनीक ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण चरण पार किए हैं। उच्च अभियांत्रिकी वाला परिशुद्ध फिनिशिंग हासिल करने की इस प्रक्रिया की क्षमता बढ़ गई है। साथ ही, विशेष लेपन (कोटिंग) युक्त परत (फिल्म) वाले अैब्रेजिव के इस्तेमाल से, विभिन्न प्रकार के पुर्जों पर प्रक्रिया करने के लिए भी इसे विकसित किया गया है। इन मशीनों में अब और भी लचीली उत्पादन प्रक्रिया के लिए आवश्यक अनेक विकल्प उपलब्ध होते हैं। साथ ही अपने चुस्त आकार के कारण ये इस्तेमाल में भी अधिक सुविधाजनक एवं कार्यक्षम हो गई हैं।

माइक्रोफिनिशिंग क्या है?

किसी भी कार्यवस्तु का यंत्रण पूरा हो कर उसके सभी आयाम अचूक पाए जाने के बाद, किसी अन्य कार्यवस्तु के साथ उसका परिशुद्ध मेल करने हेतु उसके पृष्ठ से सिर्फ जरूरत जितना ही मटीरीयल हटाने की प्रक्रिया है माइक्रोफिनिशिंग। यंत्रण के बाद पृष्ठ को गौर से देखा जाए तो उस पर टूल के निशान, धातु के छोटे टुकड़े, उंचे नीचे हिस्से आदि चीजें प्रायः दिखाई देती है। उत्पाद की लंबी आयु, कार्यक्षमता तथा विश्वसनीयता के लिए, माइक्रोफिनिशिंग द्वारा ये सभी दोष हटाना बेहद जरूरी होता है।

मिसाल के तौर पर, माइक्रोफिनिशिंग न किए गए किसी पृष्ठ की तुलना हम बर्फ से ढ़के तालाब से कर सकते हैं। दूर से देखने पर यह पृष्ठ मजबूत प्रतीत होता है लेकिन मनुष्य के वजन से बर्फ पर पैरों के निशान पड़ सकते हैं। किंतु वहीं बर्फ, आइस स्केट पहने हुए व्यक्ति का एक ही जगह पर पड़ने वाला दबाव सह कर उसे आवश्यक सहारा भी दे सकती है। जब धातु या फौलाद के पुर्जे का यंत्रण किया जाता है, तब पृष्ठ अल्प मात्रा में टूटता है और यदि उष्मा पैदा करने वाली ग्राइंडिंग प्रक्रिया का उपयोग किया गया हो तो पृष्ठ का अनुशीतन (अनीलिंग) भी हो जाता है। ऐसा पृष्ठ बड़ा बेरिंग लोड सह नहीं पाता है। माइक्रोफिनिशिंग द्वारा, विखंड़ित एवं अनुशीत पृष्ठ हटाया जाता है, जिससे मूल धातु अधिक बेरिंग लोड सह सकती है।


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अत्याधुनिक क्रैंकशाफ्ट के लिए आवश्यक उन्नत विनिर्देश (स्पेसिफिकेशन) प्राप्त करना

क्रैंकशाफ्ट किसी भी इंजन का दिल होता है, जो इंजन में बनने वाली उष्मीय (थर्मल) ऊर्जा के इस्तेमाल से पॉवरट्रेन चलाता है। पिछले कुछ वर्षों में, विश्व स्तर पर क्रैंकशाफ्ट स्पेसिफिकेशन में बहुत बदलाव आए हैं। घर्षण कम करने हेतु अच्छे फिनिश की मांग बढ़ रही है, तो वजन घटाने के लिए (और 4 सिलिंडर वाले इंजन की जगह 2 या 3 सिलिंडर वाले इंजन बनाने के लिए) क्रैंकशाफ्ट के विविध हिस्सों पर ज्यादा बेरिंग लोड आने लगा है। ग्राहक भी अपने अनुभव के कारण तेज गति, इंजन की लंबी आयु और न्यूनतम NVH (नॉइज, वाइब्रेशन, हीट - आवाज, कंपन और उष्मा) की मांग करने लगे हैं। यही कारण है कि क्रैंकशाफ्ट से और भी ऊंची अपेक्षाएं की जाने लगी हैं।

घर्षण कम करने हेतु क्रैंकशाफ्ट में निम्नलिखित विशेषताएं होना आवश्यक है,
1. मेन तथा पिन जर्नल का पृष्ठीय फिनिश आमतौर पर Ra 0.1 माइक्रोन से कम, थ्रस्ट वॉल का फिनिश Ra 0.15 माइक्रोन से कम। ज्यादा पतला तेल इस्तेमाल करने की जरूरत होने के कारण तेल के सील की फिनिश अधिक उच्च स्तर की होना आवश्यक।
2. गोलाई, एकरेखीयता, बेलन आदि सभी ज्यामितीय आकार अधिक अचूक। प्रोफाइल, क्राउनिंग, लोबिंग के लिए नए मापदंड़।
3. आकार/नाप की पूर्वनिर्धारित सीमा का ध्यान रखते हुए जरूरत जितना ही मटीरीयल निकालना।

वाहन उद्योग में ज्यादातर आधुनिक क्रैंकशाफ्ट का माइक्रोफिनिशिंग, स्तर II या स्तर III माइक्रोफिनिश जैसी बहुस्तरीय प्रक्रिया के इस्तेमाल से किया जाता है।

वाहन के ट्रान्स्मिशन में इस्तेमाल किए जाने वाले पुर्जों की माइक्रोफिनिशिंग
वाहनों के ट्रान्स्मिशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गियर्ड शाफ्ट जैसे पुर्जों (इनपुट शाफ्ट, आउटपुट शाफ्ट, मेन शाफ्ट) और सिन्क्रोनन्स, डिफरन्शियल हाउसिंग आदि के लिए पारंपरिक रूप से केवल पृष्ठीय फिनिशिंग के मापदंड़ होते थे। मिसाल के तौर पर, Ra मूल्य जो इंजन के पुर्जों में जितना महत्वपूर्ण ना होने के बावजूद ट्रान्स्मिशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पुर्जों के मापदंड़ों में भी पिछले कुछ वर्षों में सुधार हो रहा है। इसकी वजह से सुपर फिनिशिंग के बजाय माइक्रोफिनिशिंग तकनीक का इस्तेमाल जरूरी हुआ है। अब बहुत से पुर्जों को, Ra मूल्य के अतिरिक्त Rk, Tp, Rmr और लीड अैंगल जैसे मापदंड़ भी दिए जाते हैं। इन भागों को गोलाई, बेलनाकार और आयाम जैसे ज्यामितीय मापदंड़ भी अचूकता से दिए जाते हैं।

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माइक्रोफिनिशिंग और सुपर फिनिशिंग के बीच का फर्क चित्र क्र. 1 और 2 में दर्शाया गया है। यह फर्क अैब्रेजिव फिल्म तथा मशीन के पुर्जे के बीच होने वाले संपर्क के प्रकार के अनुसार तय होता है।


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माइक्रोफिनिशिंग के कारण पृष्ठीय फिनिश में अधिक संगतता पाई जाती है। सुपर फिनिशिंग में ज्यामितीय सुधार करना संभव नहीं होता, तो माइक्रोफिनिशिंग में यह सुधार निश्चित रूप से किया जा सकता है। बैलन्सर शाफ्ट, डिफरन्शियल गियर हाउसिंग, मेन शाफ्ट आदि के लिए की गई सफल माइक्रोफिनिशिंग परियोजनाओं से इस तकनीक का फायदा स्पष्ट होता है।


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मिसाल
कैमशाफ्ट के लिए स्टोन फिनिशिंग तकनीक के बजाय माइक्रोफिनिशिंग तकनीक का इस्तेमाल
कैमशाफ्ट सहित शाफ्ट जैसे पुर्जों की फिनिशिंग करने हेतु स्टोन फिनिशिंग इस पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। स्टोन फिनिशिंग की तुलना में, फिल्म युक्त अैब्रेजिव के इस्तेमाल से किए गए माइक्रोफिनिशिंग से कई लाभ हैं। जैसे कि गुणवत्ता की संगतता, देखभाल का घटा खर्चा एवं कम समायोजन (अैडजस्टमेंट), ऊर्जा का कम इस्तेमाल आदि। ऊपर दिए हुए मुद्दों की वजह से शाफ्ट के अनेक घटकों के लिए अब सामान्य स्टोन लैपिंग के बजाय माइक्रोफिनिशिंग इस्तेमाल किया जाता है। इंजन तकनीक में विश्व की एक अग्रणी कंपनी ने, अपने अमरीका स्थित कारखाने सहित कई अन्य कारखानों में भी, स्टोन और फिल्म का एक साथ इस्तेमाल कर के बहुत ही मुश्किल मापदंड़ हासिल किए हैं।

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पहले उपयोग में लाई जाने वाली 3 स्तरीय फिनिशिंग प्रक्रिया के बजाय केवल फिल्म का इस्तेमाल कर के 2 स्तरीय प्रक्रिया की गई। पृष्ठ पर प्राप्त हुए फिनिश इस प्रकार के हैं
Ra < 0.067 माइक्रोन
Cpm > 1.67
Rtm 0.412
Wt < 0.45
Wc < 0.12
प्राप्त हुई संगतता, ऊर्जा की कम खपत और साथ ही कम आवर्तन काल के कारण ग्राहक संतुष्ट हुआ।

निष्कर्ष
ऊर्जा के कार्यक्षम इस्तेमाल तथा उत्सर्जन के संदर्भ में इंजन की कार्यकुशलता बढ़ाने हेतु वाहनों की पॉवरट्रेन में उपयोग की जाने वाली अहम् प्रक्रिया है माइक्रोफिनिशिंग। अधिक अच्छा फिनिशिंग दिलाने की इस प्रक्रिया की क्षमता से, पॉवरट्रेन में घर्षण और NVH कम होते हैं। आने वाले दिनों में क्रैंकशाफ्ट, कैमशाफ्ट तथा पॉवरट्रेन के अनेक भागों के मापदंड़ और भी कठोर होने की संभावना है। माइक्रोफिनिशिंग तकनीक के विकास के कारण इन मापदंड़ों को निरंतर प्राप्त करना संभव हो पाएगा।
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