ड्रिलिंग जिग फिक्श्चर : 3

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Udyam Prakashan Hindi    02-मार्च-2020   
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धातुकार्य के फरवरी 2020 के अंक में प्रकाशित किए लेख में हमने अैंगल प्लेट टाइप जिग और अलग अलग प्रकार के दो अन्य जिग संबंधी जानकारी प्राप्त की। साथ ही इस जिग के महत्वपूर्ण घटकों का कार्य भी समझ लिया। पिछले लेख में उल्लेखित यह दो जिग, छोटी कार्यवस्तु के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इसी तरह के जिग बड़े घटकों के लिए भी बनाए जाते हैं, जैसे कि क्लच हाउसिंग, फ्लाइवील हाउसिंग, वॉटर पंप का फूट माउंटिंग होल आदि। अैंगल प्लेट टाइप जिग का अत्यधिक उपयोग किया जाता है क्योंकि यह जिग टेबल पर मजबूती से पकड़ कर उस पर कार्यवस्तु लोड की जाती है। चूंकि जिग को बार बार उठाना नहीं पड़ता, उसका वजन बढ़ जाने से कोई दिक्कत नहीं होती । इसी कारण उसे अपनी इच्छानुसार मजबूत बनाया जा सकता है। इस लेख में हम टंबल टाइप जिग के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 
 
टंबल टाइप जिग
 
टंबल का अर्थ है उल्टा पुल्टा करना । इसे चित्र क्र. 1 में दर्शाया गया है और इसके घटकों की विस्तृत जानकारी नीचे दी गई है।
 

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1. जिग के पैर (फीट) A
जिग का यह घटक कठोर (हार्ड) एवं ग्राइंड किया होता है। जिग को एक जगह स्थिर रखने हेतु उसके सभी 4 पैरों के तल एक ही स्तर पर ग्राइंड किए जाते हैं। छिद्रों का ड्रिलिंग करते समय जिग इन्हीं पैरों पर खड़ा होता है, जिससे कार्यवस्तु के पृष्ठ के लंबकोण में छिद्रों का यंत्रण होता है। यह पैर जिग को हेक्स नट की सहायता से लगाए जाते हैं। उनका मानकीकरण किया जाना अच्छा रहता है। 
 
2. जिग के पैर B
जिग का यह घटक कठोर एवं ग्राइंड किया होता है। जिग को एक जगह स्थिर रखने हेतु उसके सभी 4 पैरों के तल एक ही स्तर पर ग्राइंड किए जाते हैं। यह पैर भी हेक्स नट की सहायता से लगाए जाते हैं। कार्यवस्तु जिग में रख कर मजबूती से पकड़नी हो तो जिग उल्टा कर के (चित्र क्र. 2) यह काम करना आसान होता है। इन पैरों का यही कार्य है। यानि कार्यवस्तु लोड करते समय इस जिग को B पैर पर रखना पड़ता है। लेकिन ड्रिलिंग करते समय इसे ‘A’ पैर पर रख कर ही ड्रिलिंग किया जाता है। अर्थात हर कार्यवस्तु बनाते समय, जिग हर बार उल्टा पुल्टा करना पड़ता है, इसीलिए इसे टंबल जिग कहा जाता है। ट्रूनियन टाइप फिक्श्चर में यही तत्व इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी जानकारी हम अगले कुछ लेखों में प्राप्त करेंगे। 
 

3_1  H x W: 0 x 
 
3. जिग बुश
उपरोक्त जिग में हेडेड जिग बुश का इस्तेमाल किया गया है। कार्यवस्तु में केवल 6.00 मिमी. व्यास के 4 छिद्र बनाने हैं, इसलिए हेडेड फिक्स बुश का इस्तेमाल किया है। कार्यवस्तु के पृष्ठ और बुश के बीच बहुत कम जगह होने के कारण चिप, बुश में से ही बाहर निकलती हैं। इस कारण कम लंबाई के ड्रिल का भी उपयोग किया जा सकता है। 
 
4. जिग प्लेट
यह एक आयताकार प्लेट है, जिस के दोनों पृष्ठ ग्राइंड किए गए हैं। चूंकि प्लेट के एक पृष्ठ पर कार्यवस्तु बार बार बिठाई जाती है, यह घटक केसहार्ड किया जाता है। इसी पर जिग के पैर एवं लोकेटर बिठाने हेतु H7 टॉलरन्स के छिद्र बनाए होते हैं। इन छिद्रों का पृष्ठ नरम (सॉफ्ट) होने के कारण यह प्लेट केस हार्डन की होती है। इसका अन्य विकल्प है, प्लेट और कार्यवस्तु के बीच हार्ड रेस्ट पैड को स्क्रू की सहायता से लगाना। लेकिन इससे ड्रिल की लंबाई बढ़ जाती है और आयु कम हो जाती है। दोनों भी विकल्प अपने अपने स्तर पर उचित हैं, विकल्प का चयन आपके उत्पादन की मात्रा के आधार पर करना होता है। 
 
5. लोकेटर
लोकेटर, कार्यवस्तु को जिग में उसके उचित स्थान पर लगाता है। यह लोकेटर प्लेट में गाइड ले कर, कैप स्क्रू की सहायता से लगाया गया है। प्लेट के जिस छिद्र में लोकेटर लगाया हो उसका केंद्रबिंदु और चार बुश की छिद्रों का साझा केंद्रस्थान एकही (समकेंद्रीय) होना जरूरी है। इस लोकेटर की दूसरी बाजू पर थ्रेड बनाए गए हैं। नट की सहायता से कार्यवस्तु पकड़ी जाती है। ये थ्रेड नरम रखने पड़ते हैं, इसलिए लोकेटर केस हार्डन बनाना पड़ता है। 
 
6. C वॉशर
इसका कार्य हमने पिछले लेख में देखा है। इस C वॉशर पर इस्तेमाल किए गए नट का व्यास, कार्यवस्तु के अंदरी व्यास से कम होना महत्वपूर्ण है। ऐसा न हो तो कार्यवस्तु को जिग से बाहर निकालने हेतु नट पूरा ही बाहर निकालना पड़ेगा और इसके लिए नट कम से कम 8 से 10 बार घुमाना पड़ेगा। इसमें अधिक समय बर्बाद होगा, ऑपरेटर भी थक जाएगा और C वॉशर के इस्तेमाल से कोई लाभ नहीं होगा। लोकेटर पर होने वाले थ्रेड का चयन करते समय इन सभी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। 
 
इस प्रकार के जिग हाथ से ही उल्टे तथा सीधे किए जाने के कारण उनका वजन 5 से 7 किलो तक सीमित रखना पड़ता है। जाहिर है कि छोटी कार्यवस्तुओं की ड्रिलिंग के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। ड्रिलिंग के दौरान ऐसे जिग हाथ से पकड़े जाते है, जिग के लिए अलग क्लैंपिंग करने की आवश्यकता नहीं होती। आम तौर पर, 6 से 8 मिमी. व्यास के छिद्र का ड्रिलिंग करते समय जिग हाथ से पकड़ सकते है। दोनों ओर से ड्रिलिंग करना हो तो भी ऐसे ही प्रकार के जिग का इस्तेमाल किया जा सकता है। 
 

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अजित देशपांडे
अतिथि प्राध्यापक ARAI, SAE
9011018388
 
अजित देशपांडे जिग्ज और फिक्श्चर के क्षेत्र में लगभग 36 सालों से ज्यादा अनुभव रखते हैं। आपने किर्लोस्कर, ग्रीव्ज लोम्बार्डीनी लि., टाटा मोटर्स जैसी विभिन्न कंपनियों में काम किया है। आप अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में अतिथि प्राध्यापक है।
 
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