अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग – आज और कल

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Udyam Prakashan Hindi    03-मार्च-2020   
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अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (3D प्रिंटिग) के संदर्भ में आरंभ में होने वालेa उल्लासभरे चर्चे अब कम होते नजर आ रहे हैं। पिछले 5 सालों से प्रसार माध्यमों में भी अब यह कम चर्चित दिखाई दे रहा है। प्रत्यक्ष डिजाइन, काम का नियोजन जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग का उपयोग, मौजूदा तकनीक की जगह पर नहीं बल्कि कार्यवस्तु को अंतिम रूप में पहुंचाने वाली प्रक्रियाओं और अैप्लिकेशन के अनुसार यंत्रण, इ.डी.एम., इ.एम.सी., कास्टिंग, फोर्जिंग इन तकनीकियों के साथ करना आवश्यक है। अब इस मुद्दे पर सहमति है। समस्त समस्याओं के निराकरण हेतु अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग मशीन के अधिकांश उत्पादक, वर्तमान तकनीक वाली मशीनों के निर्माताओं से समायोजन कर रहे हैं। प्रस्तुत लेख में हम, अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के विभिन्न उपलब्ध तकनीकों की जानकारी लेंगे।
 
1. स्टिरीयोलिथोग्राफी (SLA) यह सबसे पुरानी पद्धति है। इसी पद्धती से 1987 में 3D प्रिंटिग का आरंभ हुआ और कैड (कंप्युटर अैडेड डिजाइन CAD) में बनाए गए चित्र से वस्तुएं बनाना संभव हुआ। कई सालों तक यह तकनीक प्रायोगिक स्तर पर थी। इस प्रक्रिया में भिन्न प्रकार के रेजिन से वस्तुएं बनाई जाती हैं। SLA में द्रवरूप (लिक्विड) रेजिन का प्रयोग किया जाता है। 
2. सिलेक्टिव लेजर सिंटरिंग (SLS) में प्लास्टिक, नाइलोन, सिरैमिक जैसे मटीरीयल की महीन पाउडर आवश्यक आकार में छिड़की जाती है। शक्तिशाली लेजर से यह पाउडर पिघला कर, एक के ऊपर एक परत चढ़ा कर अपेक्षित 3D वस्तु बनाई जाती है। 
3.फ्युज्ड् डिपोजिशन मोडलिंग (FDM) (चित्र क्र.1) में, रील पर लिपटी तार को एक नोजल से गुजरते समय गरम किया जाता है। इससे पिघल कर बना मटीरीयल का आकार त्रिमितीय चित्र के अनुसार बन जाता है। इस आकार की एक के उपर एक परतें तयार होती हैं, जो ठंड़ी होने पर हमारी अपेक्षानुसार वस्तु तयार होती है। एक परत बनने पर वस्तु तैयार होने वाला बेस नीचे सरकने के बाद अगली परत बन जाती है। इस प्रकार के 3D प्रिंटिंग में अच्छा पृष्ठीय फिनिश प्राप्त होता है। यह वस्तु मध्यम अचूकता की तथा मजबूत होती है। 
 

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4. मल्टी जेट फ्युजन (MJF) में नाइलोन 11 और नाइलोन 12 मटीरीयल का उपयोग किया जाता है। इसमें 80 माइक्रोन की बिल्कुल पतली परतें बनाना संभव होने के कारण अधिक घनता और कम छिद्रिल (पोरस) वस्तु तयार हो सकती है। इस पद्धति से इंजेक्शन मोल्डिंग के दर्जे के बराबर के भाग बनते हैं। 
5. मल्टी जेट मोडलिंग (MJM) प्रक्रिया द्वारा प्रधान रूप से प्लास्टिक के भाग तयार किए जाते है। अच्छा पृष्ठीय फिनिश पाने के साथ ही, दर्जेदार जटिल भाग भी सहजता से बनाए जा सकते हैं। 
6. डाइरेक्ट मेटल लेजर सिंटरिंग (DMLS) प्रक्रिया द्वारा धातुई भाग बनाए जा सकते हैं। इसमें 20 से 30 माइक्रोन मोटाई की परतें दी जा सकती हैं। पहली व्यावसायिक DMLS मशीन (चित्र क्र. 2), 2007 में EOC कंपनी ने बनाई। इससे स्टेनलेस स्टील, अैल्युमिनियम, टाइटैनियम आदि धातुओं के भाग बनाए जाते हैं। एरोस्पेस, ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों में इस तकनीक का व्यापक योगदान अपेक्षित है। 
 

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7. पॉलिजेट प्रिंटर (चित्र क्र. 3), एक इंकजेट प्रिंटर की तरह काम करता है। अनेक नोजल से पॉलिमर की 10 माइक्रोन घनता वाली परतें चढ़ाने के पश्चात वें अल्ट्रावायोलेट (UV) किरणों से क्युअर की जाती हैं। इसमें 6 भिन्न रंग उपलब्ध हैं। 
 

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उत्पादन तकनीक और अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग
 
इस तकनीक से बनाई वस्तुओं पर कई प्रक्रियाएं करना आवश्यक होता है। जिस प्रकार केवल कैड का उत्तम साफ्टवेयर अपने पास होने से हम अच्छा ड्रॉइंग नही बना सकते, उसी तरह सिर्फ यथायोग्य मशीन के होने से पूरी वस्तु बनाना संभव नहीं है। इसके लिए संबधी ज्ञान और अनुभव आवश्यक होता है। जैसे कि, उस मटीरीयल के गुणधर्म क्या हैं? मटीरीयल पर ऊष्मा का क्या असर होता है? किसी भाग का आरेखन करते समय ही इन बातों का ध्यान कैसे रखें? अब तक यह एक सुस्थापित तकनीक न होने के कारण, प्रयोग और परीक्षण आवश्यक हैं। 
 
एक अच्छा संकेत यह है कि डिजाइन के चरण से ही पुर्जा अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के लिए अनुकूल तरीके में रचाया जाना। अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तकनीक का प्रसार और प्रचार मर्यादित होने के कारण इस तकनीक के लिए पुर्जा डिजाइन करने का कौशल फिलहाल तो कम उपलब्ध है। अर्थात, नए तकनीक के आगमन एवं प्रसार से पुर्जा डिजाइन करने की क्षमता जरूर बढ़ेगी। साथ में अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया के सिम्युलेशन हेतु साफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं। 
 
सामान्यतः उपलब्ध तकनीक से पुर्जे बनाने में आने वाली समस्याओं पर अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया के इस्तेमाल का विचार किया जाता है। जिसे आम भाषा में वस्तु की जांच पड़ताल कर के उसे पास करना कहते है, उसे अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग में 'सर्टिफिकेशन' कहा जाता है। अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग पुर्जा प्रमाणपत्र (पार्ट सर्टिफिकेशन - अंतिम अैप्लिकेशन में उपयोग के लिए पुर्जे की उपयुक्तता प्रमाणित करने की प्रक्रिया) प्राप्त करना एक अत्यंत विस्तृत तथा जटिल प्रक्रिया हैI इसके लिए विकास प्रक्रिया में काफी समय और सुधार की आवश्यकता होती है। 
 
अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया का उपयोग, वर्तमान अैप्लिकेशन में करने की वास्तविकता जांचने हेतु निम्नलिखित मुद्दे आश्वस्त करना जरूरी है
• अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग से पाया जाने वाला नक्त मूल्य
• परिवर्तन हेतु लागत
• प्रत्यक्ष अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया की लागत
• अतिरिक्त जोखिम
• अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया से अन्य अतिरिक्त लाभ 
 
भारतीय अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग मशीन उद्योग का कारोबार लगभग 450 करोड़ रुपये है। इस बाजार में सब से अधिक अर्थात 47% हिस्सा Ms EOS सिस्टम का है। भारत में डेस्कटॉप इन्स्टालेशन की संख्या लगभग 10,000 है तो औद्योगिक इन्स्टालेशन लगभग 650 हैं। अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग का उपयोग, विभिन्न क्षेत्रों के विशेष कामों के लिए एक सुलभ प्रक्रिया के रूप में किया जाता है। जिसकी कुछ मिसालें आगे दी गई हैं। 
 
एरोस्पेस
 
GE एरो इंजन की नोजल असेंब्ली अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग द्वारा बनाई जाती है। बोइंग के यात्री विमानों में ओवरहेड स्टोरेज रैक के प्लास्टिक पैनल जैसे कुछ हिस्से अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग द्वारा तैयार किए जाते हैं। अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग का उपयोग इस क्षेत्र में भागों का वजन घटाने हेतु किया जाता है। इस्रो में उपग्रहों के कुछ महत्वपूर्ण भाग अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। 
 
प्रोस्थेटिक्स, इंप्लांट
 
इस क्षेत्र में अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया काफी प्रचलित है। लगभग 97% श्रवणयंत्र इसी प्रक्रिया से बनाए होते हैं। इसी प्रक्रिया से कई ऑर्थोपेडिक (चित्र क्र. 4 और 5) और अन्य इंप्लांट बनाए जाते हैं। मरीज की जरूरत के मुताबिक इंप्लांट बनाना संभव होने के कारण इस तकनीक का उपयोग असीमित है। कई प्रकार के प्रोस्थेटिक्स बनाए जाते हैं, जिनकी कीमत लगभग $1,500 से $8,000 होती है और अंदाजन आयु होती है 5 साल। छोटे बच्चों के प्रोस्थेटिक्स जल्दी बदलने पड़ते हैं और इनका बीमा न होने के कारण ये किफायती नहीं होते। लेकिन अब 3D प्रिंटिंग के उपयोग से इनकी कीमत $50 तक घटाई जा सकती है। 3D सिस्टम जैसे कंपनियों ने डी.एम.पी. फ्लेक्स 350 श्रेणी की कई मशीन बाजार में उपलब्ध कराई हैं जिनसे आज तक लाखों चिकित्सक इंप्लांट बनाए गए है। 
 

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वाहन उद्योग
 
फिलहाल इस क्षेत्र में जिस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है वह तर्कसंगत पद्धति से विकसित किया होने के कारण, वाहन उद्योग में अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग का उपयोग सीमित है। इसकी मुख्य वजहें हैं वर्तमान प्रक्रिया की इष्टतम कीमत और बड़ी उत्पादन क्षमता। फिर भी हल्के हिंज, पैदल यात्री सुरक्षा ब्रैकेट जैसे कुछ विशेष भाग अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग द्वारा तयार किए जाते हैं। चूंकि फार्मुला 1 और सुपर कार में कम संख्या में उत्पादन और वजन एवं मजबूती का अनुपात महत्वपूर्ण होता है, इस तकनीक का उपयोग किया जाता है। जैसे बुगाटी चिरोन सुपरकार के ब्रेक कैलिपर, हीट शील्ड का निर्माण अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग द्वारा किया जाता है। 
 
टूलिंग, डाइ मोल्ड
 
इष्टतम वजन एवं जड़ता (इनर्शिया) वाली और ग्राहक की मांग के अनुसार अनुकूलित, मिलिंग कटर बॉडी सैंडविक में तैयार की जाती है। पारंपरिक डाइ ब्लॉक की स्पर्धा में शीतक वाहिनी होने वाले इंजेक्शन मोल्डिंग डाइ आज बाजार में उपलब्ध हैं। पुराने तरीके में डाइ बनाते समय, छिद्र बनाने और प्रभावी शीतक वाहिनी उपलब्ध कराने हेतु जटिल यंत्रण की आवश्यकता थी। चित्र क्र. 6 में दिखाए हुए मिसाल में एक जटिल यंत्रण दिखाया है जो बहुत मुश्किल है। अब अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया इस्तेमाल कर के हम ऐसी वस्तुएं आसानी से बना सकते हैं। 
 

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कलाकृती 
 
अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया की मूलभूत विशेषताओं के कारण, इस पद्धति से निर्मित कलाकृतियों को बड़ी मांग है। डिजाइनर/कलाकार को सृजनशीलता, विविधता और कारीगरी के लिए अच्छा अवसर मिलता है।
 
नमूना (प्रोटोटाइप) बनाना
 
इस क्षेत्र में अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग का विस्तृत इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि वर्तमान तकनीक की तुलना में उसी कच्चे माल के प्रकार से विभिन्न भाग तयार किए जा सकते हैं। इस हेतु विशेष टूलिंग की आवश्यकता नहीं होती। आपके पास योग्य मशीन, डिजाइन करने की क्षमता और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो तो आप काफी कुछ तयार कर सकते हैं। 
 
ऊपरी विवरण से स्पष्ट होता है कि 3D तकनीक, वर्तमान तकनीक को पूरक है। इससे वर्तमान तकनीक का तुरंत समापन होना संभव नही है। जैसे, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार में उपलब्ध होने से पेट्रोल और डीजल वाहनों का निर्माण बंद नही होगा। उद्योग क्षेत्र में अब तक हुए अनेक क्रांतिकारी परिवर्तनों जैसा ही यह एक बदलाव है। वर्तमान उत्पादन प्रक्रिया अधिकाधिक सुलभ बनाने हेतु, आने वाले दिनों में इस तकनीक का बड़ी मात्रा में यकीनन उपयोग किया जाएगा। इस परिवर्तन को आज हम किस प्रकार स्वीकार करते है, इस बात पर हमारा आने वाले समय में मिलने वाला यश निर्भर करता है। 
 
 
अजित देशपांडे, अंबर जोशी
9359104060
 
आप दोनो यंत्र अभियांत्रिकी का लंबा तजुर्बा रखते हैं। आपने मुंबई में अैडिटिव मैन्युफैक्चरिंग कार्यशाला में, उद्यम प्रकाशन की ओर से सहभाग लिया था।
 
 
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