अप्रैल 2020 के अंक में प्रकाशित लेख में हमने पॉट टाइप जिग का अध्ययन किया। इस लेख में हम एक बाजू से दूसरी बाजू पर घुमाए जाने वाले अर्थात टर्नओवर फिक्श्चर का अध्ययन करेंगे।
मान लीजिए कि कार्यवस्तु में 4 मिमी. तथा 6 मिमी. व्यास के दो छिद्र, X एवं Y दो दिशाओं में करने हैं। कार्यवस्तु का D व्यास H7 टॉलरन्स में नियंत्रित किया गया है। इसलिए इसी व्यास पर कार्यवस्तु लोकेट की गई है। कार्यवस्तु का आकार छोटा होने के कारण यह फिक्श्चर भी छोटा है। साथ ही बड़े छिद्र का व्यास 6 मिमी. होने के कारण यह जिग हाथ से पकड़ कर यंत्रण किया जा सकता है। इससे जिग क्लैंपिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती।
चित्र क्र. 1 में टर्नओवर प्रकार का फिक्श्चर दर्शाया गया है। हम इसके विभिन्न भागों के कार्य तथा उनकी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी लेंगे। ध्यान में रखें कि आरेखन करते समय कोई भी भाग अथवा रेखा अनावश्यक नहीं होती/नहीं होनी चाहिए।
1. लोकेटर
चित्र क्र. 1 में आप लोकेटर देख सकते है। इस लोकेटर तथा कार्यवस्तु में H7/ G6 फिट है, जिसे गाइड फिट भी कहते है। इस लोकेटर को केस हार्डनिंग तथा ग्राइंडिंग किया जाता है। इसकी कठोरता (हार्डनेस) लगभग 60± 2HRC रखनी चाहिए। इसके लिए केस हार्ड होने वाला मटीरीयल (20MnCr5 अथवा 16MnCr5) का उपयोग करना चाहिए। यह केस हार्ड क्यों किया जाता है? अगर इसे पूरी तरह हार्ड करते हैं तो;
1.दोनो बाजू के थ्रेड कठोर बन जाएंगे जिससे थ्रेड में दरारें (क्रैक) पड़ सकती हैं। इन दरारों का हमें पता भी नहीं चलता। इसलिए थ्रेडिंग वाले हिस्से कठोर करने हो तो केस हार्डन अथवा फ्लेम हार्डन करने चाहिए। फ्लेम हार्डन करते समय जिस हिस्से पर हार्डनिंग की जरूरत है, उतना ही कठोर करना चाहिए। थ्रेड वाला भाग फ्लेम हार्डन करने के बजाय उसे नरम (सॉफ्ट) रखें ।
2.कठोर थ्रेड से क्लैंपिंग नट का घिसाव अधिक होता है। इसलिए थ्रेड सॉफ्ट रखे जाते हैं। थ्रेड बनाते समय ही वह हिस्सा केस हार्डन करना चाहिए ऐसा सामान्य संकेत (थंब रुल) है। कार्यवस्तु D व्यास पर बिठाए जाने के कारण लोकेटर का व्यास नियंत्रित (g6) किया है। इससे 4 तथा 6 मिमी. व्यास के छिद्र, D व्यास से (चित्र क्र. 2) समकेंद्रीय होंगे। साथ ही कार्यवस्तु का पृष्ठ लोकेटर X1 पृष्ठ से सटा कर क्लैंप करने से 40.00 ± 0.05 मिमी. की अचूक नपाई प्राप्त होती है। व्यास d1 तथा D यह दोनो समकेंद्रीय तथा प्रतल X से लंबरुप हैं।
2. C वॉशर
इससे पहले के लेख में हम C वॉशर का कार्य जान चुके हैं। इसका बड़ा व्यास, फिक्श्चर/जिग बॉडी के अंदरी व्यास से कम होना जरूरी होता है। नट को थोड़ा ढ़ीला करने से वॉशर निकल आता है और कार्यवस्तु सहजता से निकाल सकते है।
3. हेक्स नट
इस स्थान पर हम हेक्स नट अथवा पाम ग्रिप का इस्तेमाल कर सकते हैं। नट के जरिए कार्यवस्तु कस कर पकड़ी जाती है। किंतु इस कार्यवस्तु में बनाए छिद्रों का व्यास 4 तथा 6 मिमी. होने के कारण, पाम ग्रिप का इस्तेमाल करना अधिक उचित होगा। चूंकि छिद्र करते समय कम बल लगता है, पाने (स्पैनर) का इस्तेमाल टाला जा सकता है।
4. ओरिएंटेशन पिन
स्पेशल बुश को एक विशिष्ट दिशा में बिठाने के लिए यह पिन दी जाती है। इसे जिग बॉडी में दबा कर (प्रेस फिट) बिठाया जाता है। साथ ही पिन के व्यास पर f7 टॉलरन्स रखा जाता है। अब टॉलरन्स f7 ही क्यों? यह आप जान ही गए होंगे। इस स्थान पर हम प्रमाणित डॉवेल का इस्तेमाल कर सकते है।
5. स्पेशल बुश
इस कार्यवस्तु में 4 तथा 6 मिमी. व्यास वाले छिद्र इतने नजदीक हैं कि दो बुश बिठाना असंभव हैं। इसीलिए एक ही बुश में दोनो छिद्र किए गए। यह स्पेशल बुश (चित्र क्र. 3) जिग में बिठाने के बाद दोनों छिद्र लोकेटर के अक्ष से समानांतर होने के लिए, बुश की कॉलर पर खांचा (स्लॉट) दिया गया है।
यह बुश हार्डन तथा ग्राइंड किया गया है। स्क्रू की सहायता से बुश को जिग बॉडी में बिठाया गया है। दोनों छिद्रों में से एक खराब होने पर बुश बदलना पड़ता है। इस प्रकार बार बार बुश बदलने से, जिग बॉडी पर बुश के लिए बनाया गया छिद्र खराब हो सकता है। यह टालने हेतु लाइनर का इस्तेमाल किया जाता है। बुश में 4 तथा 6 मिमी. व्यास का टॉलरन्स G7 है।
6. स्क्रू
स्पेशल बुश को जिग बॉडी में बिठाने के लिए स्क्रू का इस्तेमाल किया गया है तथा यह बुश खराब होने पर बदलने के लिए लाइनर में स्लाइड फिट (H7/g6) बिठाया जाता है।
7. फिक्श्चर बॉडी
यह जिग का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसे भी केस हार्डन होने वाले मटीरीयल (20MnCr5 अथवा 16MnCr5) से बनाया जाता है, जिसकी वजहें आगे दी गई हैं।
一.पृष्ठ B1, B2, A1, A2 कठोरीकरण करने के बाद ग्राइंड किए गए हैं।
ब. अगर कठोरीकरण के पहले, व्यास d1 तथा लाइनर के लिए छिद्र बनाए गए तो वें, इस ऊष्म प्रक्रिया के बाद विरूपित होते हैं।
क. जिग बॉडी में स्क्रू तथा ओरिएंटेशन पिन के लिए करने के छिद्र, कठोरीकरण तथा ग्राइंडिंग करने के बाद ही बनाने होते हैं। इसलिए उन हिस्सों को नरम रखना जरूरी होता है। इन में से ओरिएंटेशन पिन के लिए किया गया छिद्र अचूक होना आवश्यक है।
X दिशा से लाइनर बिठाने हेतु किया गया छिद्र, A1 प्लेन से लंबरुप होना आवश्यक होता है। क्योंकि X दिशा में ड्रिलिंग करते समय हम कार्यवस्तु A प्लेन से सटा कर यंत्रण करते है। इससे 4 तथा 6 मिमी. के छिद्र X1 प्लेन से समानांतर पाए जाएंगे। छिद्र तिरछा हो तो यंत्रण के समय ड्रिल टूट सकता है। इसी प्रकार, Y दिशा में लाइनर बिठाने हेतु बनाया हुआ छिद्र A2 प्लेन से लंबरुप होना आवश्यक है। d1 व्यास X2 प्लेन से लंबरुप करना आवश्यक है, ताकिD व्यास भी X2 प्लेन से लंबरुप रहेगा। क्योंकि d1 व्यास तथा D व्यास दोनों समकेंद्रीय हैं।
जिग बॉडी में ,ओरिएंटेशन पिन प्रेस फिट करने के लिए छिद्र दिया है। पिन टूटने के मामले में उसे निकालना आसान बनाने हेतु यह छिद्र आर पार होता है। जिग बॉडी के सारे बाहरी कोनों पर दी गई गोलाई हम देख सकते हैं, क्योंकि नुकीले कोन होने से कर्मचारी को चोट पहुंच सकती है। जिग/फिक्श्चर का आरेखन करते समय सुरक्षा का ध्यान किस प्रकार रखा जाता है यह जानना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
8. वॉशर, हेक्स लॉक नट
लोकेटर को जिग बॉडी में बिठाने के लिए वॉशर तथा हेक्स लॉक नट का इस्तेमाल किया है। हम लोकेटर की कॉलर, कैप स्क्रू की सहायता से भी बिठा सकते हैं पर ऐसा करने से लोकेटर तथा जिग का आकार बड़ा होता है, साथ ही बुश तथा कार्यवस्तु के बीच की दूरी (L) बढ़ती है। यह दूरी बढ़ने से 4 मिमी. का ड्रिल टेढ़ा हो कर टूटने की संभावना होती है क्योंकि हम कार्यवस्तु के गोलाकार भाग पर ड्रिल कर रहे हैं।
9. लाइनर
हेडलेस प्रकार का यह लाइनर पूर्णतः कठोर किया होता है। इसे जिग बॉडी में प्रेस फिट तरीके में बिठाया जाता है। इस कार्यवस्तु के 4 तथा 6 मिमी. के छिद्र केवल X तथा Y दिशा में हैं। अगर यह छिद्र 6 दिशा में हो तो षट्कोणीय जिग बॉडी का उपयोग किया जाता है। जिग बॉडी सभी 6 पृष्ठों पर सटने से पूरे बुश का ऊपरी पृष्ठ, जिग बॉडी के पृष्ठ के अंदर होना अनिवार्य है। अगले लेख में हम विभिन्न प्रकार के ड्रिलिंग फिक्श्चर/ जिग के बारे में जानेंगे।
अजित देशपांडे
अतिथि प्राध्यापक ARAI, SAE
9011018388
अजित देशपांडे जिग्ज और फिक्श्चर के क्षेत्र में लगभग 36 सालों से ज्यादा अनुभव रखते हैं। आपने किर्लोस्कर, ग्रीव्ज लोम्बार्डीनी लि., टाटा मोटर्स जैसी विभिन्न कंपनियों में काम किया है। आप अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में अतिथि प्राध्यापक हैं।