तिरछे छिद्र का अचूक यंत्रण

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Udyam Prakashan Hindi    31-मई-2020
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सीधी रेखा में होने वाले रेसिप्रोकेटिंग संचलन का रूपांतरण वृत्ताकार संचलन में करने वाला क्रैंकशाफ्ट, इंजन का महत्वपूर्ण भाग है। इससे वाहन को गति मिलती है। क्रैंकशाफ्ट का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन वाहन उद्योग में इसकी बड़ी मात्रा में जरूरत होती है। इसलिए क्रैंकशाफ्ट का उत्पादन बढ़ाने के लिए बाजार में आने वाली हर नई तकनीक का सभी स्वागत करते हैं। कटिंग टूल में अग्रणी होने वाली 'सैंडविक कोरोमंट' ने ,वाहन उद्योग में आवश्यक पुर्जों के यंत्रण में हमेशा ही योगदान दिया है। कम व्यास तथा अधिक लंबाई के साथ ही तिरछे होने वाले ऑइल होल, क्रैंकशाफ्ट में बनाना मुश्किल होता है। लेकिन सैंडविक ने इस समस्या पर एक प्रभावशाली उपायखोजा है। इससे उत्पादकता के साथ टूल की आयु भी बढ़ती है।

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क्रैंकशाफ्ट का मटीरीयल अधिकतर कास्ट आयरन (ISO K) अथवा स्टील (ISO P) होता है तथा वह कास्टिंग, फोर्जिंग बिलेट इस रुप में तयार किए जाते हैं। कास्ट आयरन ज्यादातर नोड्यूलर ग्रैफाइटयुक्त होते हैं (CGG 60, CGG 70 तथा CGG 80) तो फोर्ज्ड स्टील 42CrMo4 तथा C-38 इस प्रकार में आते हैं। क्रैंकशाफ्ट कास्ट आयरन का होना चाहिए या स्टील का, इस का तय मजबूती, वजन तथा कीमत इन मुद्दों का विचार करने के बाद किया जाता है। फिलहाल इसका अनुपात 50:50 है।
 
समस्या
दोनों तरफ के बेरिंग को स्नेहन (लुब्रिकेशन) प्रदान करने हेतु क्रैंकशाफ्ट में प्राय: चार तिरछे छिद्र किए जाते हैं। इन छिद्रों की संख्या सिलिंडर की संख्यानुसार बदलती है। हर छिद्र प्रायः 27° से 29° के कोण में होता है और शाफ्ट के आकार के मुताबिक, व्यास 5 से 8 मिमी. होता है। गहराई लगभग 90 मिमी. होती है। एक दूसरे से जुड़े दो जर्नल तथा काउंटरवेट से यह छिद्र आर पार जाते हैं। कई बार यह तिरछे छिद्र तथा अन्य सीधे छिद्र एक दूसरे को काटते हैं। छिद्र के व्यास का लंबाई से अनुपात अधिक होने से यानि काट की गहराई व्यास के लगभग 25 गुना होने के कारण यह प्रक्रिया, क्रैंकशाफ्ट प्रॉडक्शन लाइन पर ही लेकिन डीप होल ड्रिलिंग करने वाले खास मशीन द्वारा की जाती है।

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इस प्रकार क्रैंकशाफ्ट पर ऑइल होल का ड्रिल करना एक बड़ी समस्या होती है क्योंकि कोण में ड्रिल करना, कम व्यास तथा अधिक लंबाई की वजह से यंत्रण में पैदा होने वाली चिप अलग करना, कभीकभार ड्रिल का अन्य छिद्र में खुलना, ड्रिल टूटना आदि के कारण ड्रिल की अपेक्षित आयु पाना मुश्किल होता है। इसके अलावा उद्यमियों ने मिनिमम क्वांटिटी लुब्रिकेशन (MQL) पर जोर देने के कारण कम से कम ऑइल के इस्तेमाल से शीतक की व्यवस्था करनी पड़ती है।

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उपाय 
उपरोक्त समस्याओं के कारण गहराई में छिद्र कर सकने वाले, अच्छी पुनरावर्तन क्षमता वाले तथा सुरक्षित पद्धति से प्रक्रिया करने वाले टूल की जरूरत थी। सैंडविक कोरोमंट ने यह चुनौती स्वीकार कर CoroDrill 865 यह विशिष्ट ड्रिल बिट, खास कर के तिरछे स्नेहन छिद्र (ऑइल होल) के लिए विकसित किया। विकसित किए गए इस नए ड्रिल बिट की विशेषता है, ड्रिल के सर्पिल फ्लूट की नई प्रोफाइल। खास डिजाइन के कारण यह ड्रिल ज्यादा मजबूत तो है ही, साथ में चिप बनने की प्रक्रिया में भी सुधार हो जाता है। फ्लूट का पृष्ठ चिकना होने के कारण चिप आसानी से बाहर निकल जाती हैं। थ्रस्ट बल कम लगता है। छिद्र की छोर में निरंतरता मिलती है। ड्रिल की नोंक तथा छोर के लिए इस्तेमाल की गई विशेष ज्यामिति के कारण अधिकतम सरकन गति से यंत्रण कर सकते है। ISO-K तथा ISO-P प्रकार के क्रैंकशाफ्ट का अलग से खयाल रखने हेतु इसमें उचित बदलाव भी किए गए हैं।

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परिणाम 
हमारे एक ग्राहक ने 5 मिमी. का ड्रिल बिट इस्तेमाल कर के एक परीक्षण किया। इसमें CGG 80 क्रैंकशाफ्ट पर तिरछे छिद्र किए गए। यंत्रण गति 50 मी./मिनट, सरकन गति 0.28 मिमी./ फेरा तथा शीतक 17 से 19 बार के दबाव पर 19 मिली./घंटा फ्लो रेट इस प्रकार की प्रक्रिया निश्चित करने पर ग्राहक को उत्पादकता में 108% सुधार मिला तथा ड्रिल की आयु 140% बढ़ी। इसके अलावा नए मजबूत CoroDrill 865 के घिसाव का अनुमान पहले से ही होने के कारण उचित समय पर उसे रीकंडिशन किया गया, जिससे फिर से नए टूल जैसा उत्पादन पाना संभव हुआ। अधिक संख्यामें क्रैंकशाफ्ट बनाने की क्षमता रखने वाले उत्पादकों को इस नई तकनीक से जरूर लाभ होगा।
 
विकसित किए गए टूल के डिजाइन के साथ तिरछे ड्रिलिंग संबंधि कार्यनीति का विचार भी आवश्यक होता है। जैसे कि, शुरु में मुख्य ड्रिल के प्रयोग से पहले पाइलट ड्रिल का इस्तेमाल अत्यंत आवश्यक होता है। इससे ड्रिल अचूक तथा अपेक्षित स्थान पर होता है। पाइलट ड्रिल का टॉलरन्स P7 तथा उसके पॉइंट का कोण 150° है और CoroDrill 865 का टॉलरन्स M7 तथा पॉइंट का कोण 135° है। पाइलट ड्रिल से किए गए छिद्र में मुख्य ड्रिल चलाते समय स्पिंडल की पूरी गति तथा सरकन गति इस्तेमाल हो सकती हैं। इस छिद्र से अन्य छिद्र निकलने या ड्रिलिंग समाप्त होने के बिंदु से करीबन 1 मिमी. की दूरी तक पूरी क्षमता से ड्रिल करें। इसके बाद मूल सरकन गति से एक दशांश जितनी सरकन गति रखें। ड्रिल एक ही दिशा में निरंतर शुरु रखें ,'पेकिंग' ना करें। ड्रिल के बाहरी कोने तिरछे पृष्ठ से बाहर निकलने पर, ड्रिल 50 आर.पी.एम. पर तथा 600 मिमी./मिनट सरकन गति से बाहर निकालें।
 
यंत्रण गति तथा सरकन गति
5 मिमी. व्यास का तिरछा छिद्र ड्रिल करना हो तो, ISO K मटीरीयल के लिए, यंत्रण गति 50 मी./मिनट तथा सरकन गति 0.28 मी./फेरा रखना उचित होगा। ISO P के लिए, इस्तेमाल के तरीके के अनुसार, सरकन गति के वल 0.2 मिमी./फेरा से 0.28 मिमी./ फेरा तक रखें।
 
तिरछे छिद्र के लिए मशीन के सेटअप तथा टूल की पकड़ का भी महत्व होता है। टूल रनआउट 30 माइक्रोन से कम रखें और उत्तम गुणवत्ता का टूल होल्डर अथवा श्रिंक फिट प्रकार का टूल होल्डर इस्तेमाल करें।
 
MQL के संदर्भ में 
उत्तम परिणाम पाने हेतु शीतक के बहाव तथा दबाव का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। CoroDrill 865 के साथ उसका अपना शैंक आता है जो MQL प्रणाली से अनुकूलित किया होता है। उचित MQL प्रणाली चुनना भी महत्वपूर्ण होता है। वायु एवं स्नेहक का मिश्रण, मशीन के पिछले हिस्से में किया जाता है जिसे स्पिंडल में स्थित शीतक की नली, टूल तक पहुंचाती है। यह सिंगल चैनल सिस्टम है। यहाँ प्रचलित टूल होल्डर का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन शीतक स्पिंडल में जमा होने की संभावना होती है। इससे शीतक का स्तर अचानक बढ़ सकता है। इसके विपरित, दोहरी चैनल सिस्टम में वायु एवं ऑइल का एकत्रिकरण, स्पिंडल में या स्पिंडल की नोंक पर किया जाता है। इससे वायु का दबाव अधिक मिलता है तथा शीतक के कणों का आकार एकसमान होने से डीप होल ड्रिलिंग जैसे काम में चिप सहजता से बाहर निकालने में सहायता होती है।
 
CoroDrill 865 के इस्तेमाल से यंत्रण की क्षमता का अधिकतम इस्तेमाल होता है। साथ ही L/D अनुपात 25 तक होने वाले तिरछे छिद्रों का ड्रिलिंग अधिक अचूक एवं भरोसेमंद हो कर, चिप बाहर निकालने की प्रक्रिया भी सुलभ होती है।
 
 

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शरद कुलकर्णी
उपाध्यक्ष, राउंड टूल्स, सैंडविक कोरोमंट (दक्षिण तथा पूर्वी एशिया)
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शरद कुलकर्णी यांत्रिकी अभियंता है। आपको इस क्षेत्र में काम का लंबा तजुर्बा है।
 
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