ड्रिलिंग जिग : 8

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Udyam Prakashan Hindi    29-अगस्त-2020   
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'धातुकार्य' जुलाई2020 में प्रकाशित लेख में हमने फ्लैट टॉपड्रिल जिग का कब और कैसे इस्तेमाल करें इसके बारे में ब्यौरेवार जाना है, तथाइस प्रकार की जिग प्लेट के इस्तेमाल के महत्त्वपूर्ण मापदंड़ भी समझ लिए हैं। उसे संक्षिप्तमें फिर से समझ लेते हैं।

·       जब कार्यवस्तु कावजन अधिक होता है, कार्यवस्तुआकार में बड़ी होती है या उस पर काम करने में असुविधा होती है तब इस प्रकार की जिग प्लेटका इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि कार्यवस्तु की तुलना में यह जिग प्लेट हल्की, आकार में चुस्त तथा इस्तेमाल में सुविधाजनक होती है।

·       जब छोटे आकार केछिद्र करने हो तब यंत्रण बल कम होने के कारण लोकेटिंग पिन टूटने या जिग प्लेट समेतकार्यवस्तु घूमने का ड़र नहीं होता।

·       थ्रेडिंग वाले छिद्रकरने हो तो इस विधि का उपयोग न करें क्योंकि थ्रेडिंग करते समय या टैप उपर उठाते समयकार्यवस्तु भी उपर उठने की संभावना होती है। इससे दुर्घटना हो सकती है, कार्यवस्तु बेकार हो सकती है या टैप टूट सकता है।

·       जिग प्लेट का आकारछोटा और वजन मर्यादित होना चाहिए। ध्यान रखें कि इसका वजन12 से 15 किलोग्रैम से ज्यादा ना हो और इसे उठाने में भी आसानी हो।

 

ड्रिलिंग जिग के अनेक प्रकार हैं, जिनमें से इस महत्वपूर्ण प्रकार के बारे में हमने जानकारीली। अब हम इंडेक्सिंग प्रकार के जिग के बारे में जानेंगे। चित्र क्र. 1 में दिखाई हुई कार्यवस्तु पर 8छिद्र हैं। यह काम करना हो तो, हर छिद्र बनाने के लिए कार्यवस्तु घुमानी पड़ेगी। घुमानेकी इस प्रक्रिया को इंडेक्सिंग कहते है। दो छिद्र के बीच का कोण 45° है और कोणीय दूरी एकसमान है।

 

अब देखते हैं कि यह जिग किस तरह कामकरता है। कार्यवस्तु, लोकेटरके व्यास पर लोकेट की है और C वॉशर की सहायता से कस कर पकड़ी गई है। साथ ही कार्यवस्तु का पृष्ठ इंडेक्स प्लेटपर सटा है। कार्यवस्तु पर पहला छिद्र करने के बाद, इंडेक्स पिन पीछे खींच कर, इंडेक्स प्लेट घुमाई जाती है। इंडेक्स प्लेट पर के अगले छिद्र के बुश में इंडेक्सपिन लोकेट कर के, कार्यवस्तुपर अगला छिद्र किया जाता है। इस तरह कार्यवस्तु पर एक के बाद एक आठ छिद्र बनाए जातेहैं। कार्यवस्तु को बार बार ड़ाले-निकाले बिना (यानिएक ही सेटिंग में) आठोंछिद्र करने से छिद्र अचूक बनते ही हैं और उनका परस्परसंबंध भी अचूक मिलता है। जितनेछिद्र कार्यवस्तु पर होते हैं उतने ही छिद्र इंडेक्स प्लेट पर किए होते हैं। जो परस्परसंबंधकार्यवस्तु पर बने छिद्रों में होता है, वही इंडेक्स प्लेट पर बने छिद्र में रखना जरूरी होता है। अब हम इस जिग (चित्र क्र. 1) के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों की जानकारी लेंगे।

   

 

1. जिग की बॉडी/ढ़ांचा

यह ढ़ांचा वेल्ड किया होने के कारणइसका स्ट्रेस रीलिविंग करना जरूरी होता है। यह ढ़ांचा काफी मजबूत होना आवश्यक है क्योंकिइसे हिलाते समय कोई टकराव हो जाने से जिग पर विपरित असर नहीं पड़ता। अर्थात हिलाते समयसावधानी बरतना जरूरी है।

 

2. इंडेक्स पिन

इंडेक्स पिन बुश में आगे पीछे होतीहै। इंडेक्स पिन पर बिठाया नॉब पीछे खींचने पर इंडेक्स पिन का डाइमंड आकार का हिस्साइंडेक्स प्लेट से बाहर आता है, इसलिए इंडेक्स प्लेट घुमा सकते है। इंडेक्स पिन का अग्र भाग डाइमंड के आकार काहोता है, क्योंकि इंडेक्सप्लेट के केंद्र में बना छिद्र तथा इंडेक्स हेतु बनाया हुआ छिद्र, +/- 0.01 मिमी. में नियंत्रित किए होते हैं। चूंकि इंडेक्स पिन का अग्रभाग डाइमंड आकार का होताहै, यह पिन इंडेक्सप्लेट पर बने बुश में आसानी से जाती है और बाहर भी आती है। इंडेक्स पिन के पीछे एकस्प्रिंग दी गई है। इस स्प्रिंग के बिठाने का उद्देश्य समझ लेना जरूरी है, क्योंकि पिन तो वैसी ही हाथ से आगे पीछे की जा सकती है।लेकिन जब हाथ से इंडेक्स पिन पीछे ले कर छोड़ने पर या इंडेक्स प्लेट थोड़ी घुमाने पर, इस स्प्रिंग के कारण इंडेक्स पिन, इंडेक्स प्लेट पर सटती है। इंडेक्स प्लेट पर होने वालाबुश, इंडेक्स पिन केसामने आने पर अपनेआप इंडेक्स पिन इंडेक्स प्लेट पर बने बुश में घुसती है। इंडेक्स पिनतथा बुश को दिए चैंफर से तथा स्प्रिंग के बल से इंडेक्स पिन इंडेक्स प्लेट पर बने बुशमें आसानी से लोकेट होती है, ऑपरेटर को इंडेक्स पिन लोकेट करने के लिए कुछ नहीं करना पडता। यह बहुत ही महत्त्वपूर्णकाम स्प्रिंग करती है। स्प्रिंग हमेशा अंदर या बाहरी व्यास पर लोकेट की जाती है।

 

3. लोकेटर

  

        

 

जुलाई2020 के लेख में हमने इस प्रकार की लोकेटर पिन का कार्य समझलिया है तथा लोकेटर पर दिए खांचों (स्लॉट) की वजह भी जानीहै। कार्यवस्तु (चित्र क्र. 2) पर 8 छिद्र करने हैं, इसलिए 8 खांचे दिए गए हैं। यह लोकेटर ढ़ांचे पर दिए बुश में लोकेटकिया गया है तथा वह गोल घुमाया जा सकता है। उसे गाइड फिट(H7/g6) किया होता है। लोकेटर का बायां पृष्ठ, बुश के पृष्ठ के बाहर0.02 मिमी. रखा है (चित्र क्र. 3), ताकि स्पेसर और बुश के बीच0.02 मिमी. की दूरी रखी जा सके। यह दूरी नियंत्रित रखने से, इंडेक्स प्लेट गोल घुमाना आसान बनता है और वह आगे पीछे ज्यादा नहीं हिलती। लोकेटरको स्क्रू की सहायता से इंडेक्स प्लेट पर बिठाया है। लोकेटर का जो पृष्ठ इंडेक्स प्लेटपर बैठता है उस तरफ का व्यास थोडा कम कर के वहाँ एक स्टेप दी जाती है। जिससे लोकेटरइंडेक्स प्लेट पर ही बैठता है, बुश पर नहीं। लोकेटर की बाई ओर, कैप स्क्रू की मदद से, नर्ल नॉब तथा स्पेसर को लोकेटर पर बिठाया है। लोकेटर में बाई ओर अंदरी थ्रेड तथादाई ओर बाहरी थ्रेड होने के कारण इसे केस हार्ड कर के जरूरी जगह ग्राइंडिंग करना पड़ताहै। इसकी कुछ मिसालें ऐसी हैं

. जिस व्यास पर कार्यवस्तु बैठती है वह व्यास

. जिस व्यास पर इंडेक्स प्लेट बैठती है वह व्यास

. जिस व्यास पर खास बुश बैठता है वह व्यास,(ये तीनों व्यास संकेंद्रित होना अनिवार्य है।)

. जो पृष्ठ इंडेक्स प्लेट पर बैठता है

. जो पृष्ठ खास बुश के संपर्क में
आता है

 

लोकेटर, इंडेक्स प्लेट पर कैप स्क्रू की मदद से बिठाया है।

 

4. स्लिप बुश और लाइनर

स्लिप बुश का काम हम पहले जान चुकेहैं। प्रायः प्रमाणित बुश का इस्तेमाल करें। अगर कार्यवस्तु में सिर्फ 10 मिमी. व्यास का छिद्र करना हो तो फिक्स रिन्युएबल बुश इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन 10H7 व्यास का छिद्र करना हो तब स्लिप रिन्युएबल प्रकार के 3 बुश इस्तेमाल करने होंगे, जैसे कि

1.Ø9.5 मिमी. ड्रिल के लिए बुश

2.Ø14 मिमी. ड्रिल के लिए बुश (कार्यवस्तुमें होने वाले छिद्र को चैंफर करने हेतु)

3.Ø10 मिमी. रीमर के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला बुश

 

इस प्रकार, उपरोक्त मिसाल में 3 स्लिप रिन्युएबल बुश ही इस्तेमाल करने होंगे। जिग प्लेट में स्लिप बुश के उपयोगहेतु, उस नाप का लाइनरबिठाया गया है।

 

5. स्पेसर

यहाँ इस्तेमाल किया गया स्पेसर कठोर (हार्ड) तथा ग्राइंड किया है। इंडेक्स प्लेट घुमाते समय यह स्पेसर, बुश के पृष्ठ पर घिसने से खराब हो सकता है। यह उचित नहींहै क्योंकि इससे नियंत्रित माप 0.02 मिमी. बना नहीं रहेगा।इसलिए स्पेसर कठोर तथा ग्राइंड करना बहुत जरूरी है।

 

6. नर्ल नॉब

इंडेक्स पिन आगे पीछे करने के लिए यहनॉब दिया जाता है। यह बुश के पृष्ठ पर सटता है और इसीलिए इंडेक्स पिन बहुत आगे नहींजा सकती। इस पिन को पीछे खींचते समय स्प्रिंग के बल की विपरित दिशा में काम करना होताहै। पिन आसानी से पकड़ी जाने के लिए, अगले हिस्से में नॉब का व्यास कम कर के नॉब को हेड जैसा आकार दिया गया है, ताकि पिन सहजता से पीछे खींची जा सके। स्प्रिंग के बलसे पिन आगे जाती है।

 

7. इंडेक्स पिन का बुश

इंडेक्स पिन के अचूक संचलन के लिए यहबुश दिया जाता है। इंडेक्स पिन को इस बुश में गाइड किया गया है। यह बुश कठोर तथा ग्राइंडकिया है और इसे स्क्रू की सहायता से ढ़ांचे पर बिठाया गया है। इस बुश के अंदरी व्यासकी लंबाई थोड़ी बढ़ा कर ग्राइंडिंग की लंबाई कम की गई है। ग्राइंडिंग किए जाने वाले पृष्ठहमेशा न्यूनतम रखें। इंडेक्स पिन को गाइड करने वाला व्यास और ढ़ांचे पर सटने वाला पृष्ठ, दोनों एक दूसरे को लंबरूप होना अत्यंत जरूरी है।

 

इस जिग के महत्वपूर्ण हिस्सों का कार्यहमने जाना। अन्य हिस्सों का कार्य हम पहले ही जान चुके हैं। इस संदर्भ में कोई समस्या/आशंका हो तो अवश्य संपर्क करें, हम उसका समाधान करेंगे।

 



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