लघु उद्यमियों को केंद्र सरकार की ओर से सहायता

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Udyam Prakashan Hindi    05-अगस्त-2020   
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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को अंग्रेजी में 'माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेस' यानि MSME नाम से जाना जाता है। ये सभी उद्योग भारतीय वित्तव्यवस्था का मूलाधार हैं। 6 करोड़ से अधिक संख्या में होने वाले ये उद्यम, 11 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को रोजीरोटी दिलाते हैं। इसी प्रकार, देश के कुल उत्पादन यानि GDP में भी इनका अहम् हिस्सा है।
 
कोरोना के तहत किए गए लॉकडाउन का बहुत ही बुरा असर इन उद्योगों पर हुआ है। इतना कि, कई कारोबार छोटे आकार के होने के कारण, उनके अस्तित्व पर ही सवाल उठा है। इन गंभीर हालातों से निकल कर उद्योगों को फिर से अपने पैरों पर खड़े करने हेतु केंद्र सरकार ने 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान द्वारा, मई 2020 में वित्तीय सहायता जारी की है। 4 लाख करोड़ रुपयों के विशेष पैकेज इस सहायता योजना में शामिल हैं।
 
पैकेज के महत्वपूर्ण प्रावधान
1. MSME की परिभाषा में बदलाव : इस परिभाषा में दो बड़े बदलाव किए गए हैं। एक तो, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र के मापदंड़ अब एकसमान बनाए गए हैं। और निवेश के साथ ही, कुल बिक्री (टर्नओवर) का समावेश भी अधिकतम सीमा में किया गया है। नई परिभाषा के अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को लागू मापदंड़ तालिका क्र. 1 में दिए गए है।

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पहली परिभाषा के अनुसार कुल MSME क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों का हिस्सा 90% था। अब नई परिभाषा के कारण कई लघु उद्योगों का समावेश सूक्ष्म उद्योगों में किया जाने से उनका अनुपात बढ़ सकता है। इस प्रकार नई परिभाषा के तहत देश की ज्यादातर कंपनियां MSME प्रवर्ग में आएगी और इस क्षेत्र की परियोजनाओं का लाभ उठा सकेंगी।अर्थात यह लाभ पाने हेतु मौजूदा MSME को इस नई और, तुलना में, बड़ी कंपनियों के साथ स्पर्धा करनी पड़ेगी।
 
2. उद्योगों के लिए, बिना अतिरिक्त गिरवी (मॉर्गेज) एवं बिना प्रपत्र 3 लाख करोड़ रुपयों की सुलभ ऋण योजना (इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गैरंटी स्कीम, ECLGS) : निवेश हेतु पूंजी जुटाने की, खास कर के रोकड़ की जटिल समस्या का सामना MSME प्रवर्ग को हमेशा ही करना पड़ता है। उद्यमी मजे में कहते हैं कि बैंक में 1 करोड़ का कर्ज मांगने गए तो बैंक वाले बोलते हैं "जी तुरंत देंगे, आप बस 1 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट हमारी बैंक में बनवाइए।" बैंक के इस तरह के नकारात्मक विचारों के कारण MSME को हमेशा निवेश की चिंता रहती है। कई बार, केवल इसी कारणवश, कारोबार बंद भी करने होते हैं। लॉकडाउन के बाद फिर से कारखाने में काम शुरु करते समय तो यह समस्या और भी भीषण बन गई है। इसीलिए MSME को सहायता करने हेतु यह विशेष परियोजना प्रस्तुत की गई है, जिसके मुख्य मुद्दे आगे दिए गए हैं।
 
अ. किसे लाभ होगा : फिलहाल जिन उद्योगों ने बैंक या वित्तसंस्थाओं से 25 करोड़ तक ऋण लिया है, जिनकी कुल बिक्री 100 करोड़ से ज्यादा नहीं है, जिनका GST पंजीकरण हुआ है और जो नियत समय पर ऋण चुका रहे हैं, वें इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यानि जिन MSME प्रवर्ग उद्योगों पर ऋण का बोझ नहीं है वे इस योजना में शामिल नहीं हो सकते। लेकिन सामान्य प्रक्रिया से ऋण पाने का रास्ता उनके लिए खुला है।
ब. बिना प्रपत्र उपलब्धता : पात्र उद्योगों को यह ऋण बैंक द्वारा खुद यानि बिना मांगे दिया जाएगा। इस योजना में दि. 29/2/2020 को उद्योग का जितना ऋण बाकी होगा उस रकम के 20% सीमा तक ऋण उपलब्ध किया जाएगा। जो उद्यमी यह ऋण नहीं चाहते वे इन्कार कर सकते हैं।
क. ऋण चुकाए कैसे? : चुकाने का समयावधि 4 वर्षों का होगा। पहले वर्ष में मूलधन चुकाना जरूरी नहीं है। आगे के 3 वर्षों में, 36 किश्त (EMI) देने होंगे। ध्यान में रखें कि पहले वर्ष में मिलने वाली छूट केवल मूलधन को लागू है, ब्याज तो अदा करना ही है।
ड. ब्याज का दर : इस ऋण पर अधिकतम 9.25% दर से ब्याज देना है। अर्थात, जिन उद्यमियों के बैंक के साथ अच्छे पूर्व संबंध हो वें, इससे कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
इ. प्रतिभूति (गैरंटी) : चूंकि इस ऋण को केंद्र सरकार की 100% गैरंटी है, बैंक कर्जदार से कोई भी अतिरिक्त प्रतिभूति या प्रतिभूति शुल्क नहीं लेगी।
ई. योजना का समयावधि : 23 मई 2020 से 31 अक्तूबर 2020 तक, या 3 लाख करोड़ रुपयों की सीमा पार होने तक यह योजना जारी रहेगी।
 
योजना के आरंभ से अब तक बैंकों ने करीबन 17 हजार करोड़ रुपयों के ऋण मंजूर किए हैं जिनमें से 600 करोड़ रुपयों के ऋण वितरित भी हो चुके हैं।
 
3. दो हजार करोड़ रुपयों का विशेष NPA निधि : जिन उद्यमियों को अपने किश्त समय पर न चुकाने की वजह से नया कर्ज पाने में मुश्किलें हो रही हो, उनके लिए केंद्र सरकार ने विशेष निधि पेश किया है। इसके अंतर्गत ऐसे उद्योगों के मालिक ने फिलहाल किए पूंजिनिवेश के 15% जितनी राशि का विशेष ऋण उसे उपलब्ध होगा। इसकी अधिकतम सीमा 75 लाख रुपये होगी। ऐसे ऋण की पूरी गैरंटी सरकार द्वारा संबंधी बैंक को दी जाएगी।
 
4. MSME के शेयरों में निवेश करने की केंद्र सरकार की 50 हजार करोड़ की योजना : MSME द्वारा स्टॉक एक्स्चेंज पर शेयर बाजार में शेयर पंजीकृत किए जाएंगे। ऐसी कंपनियों के शेयर कैपिटल के 15% जितने मूल्य के शेयरों में केंद्र सरकार निवेश करेगी। इन उद्योगों को, अपना कारोबार बढ़ाने हेतु यह निवेश खूब काम आएगा। जब इन शेयरों का बाजार मूल्य बढ़ जाएगा, सरकार उन्हें बेच कर प्राप्त हुई राशि नए अन्य MSME शेयरों में निवेश करेगी। इस प्रकार यह निधि, MSME की दृष्टि से, हमेशा के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
 
5. दो सौ करोड़ तक के मूल्य की सरकारी खरीदारी केवल देशी उद्योगों से की जाएगी : नई नीति के अनुसार, 200 करोड़ तक के मूल्य की खरीदारी के लिए सरकार वैश्विक टेंडर नहीं मंगवाएगी बल्कि ऐसी खरीदारी केवल देसी उद्योगों से ही की जाएगी ताकि MSME को विदेशी कंपनियों की स्पर्धा से दूर रह कर अपना कारोबार बढ़ाना संभव होगा।
 
6. MSME को सरकार की ओर से देय राशि 45 दिनों में अदा की जाएगी : इस प्रवर्ग के उद्योगों को रोकड़ ज्यादा तथा जल्द मिले इसलिए सरकार एवं सरकारी आस्थापनाओं से उन्हें देय होने वाली रकम का भुगतान प्राथमिकता से 45 दिनों में करने का फैसला सरकार ने किया है।
7. इ बाजार की उपलब्धता : MSME के लिए एक विशेष इ मार्केट निर्माण किया जाएगा जो, उद्योगसंबंधी प्रदर्शनियां तथा मेलों के विकल्प के रूप में उपयुक्त होगा।
इस विषयसंबंधी अगले लेख में हम जानेंगे कि लॉकडाउन के पश्चात नई शुरुआत करते समय, MSME अपने वित्तीय प्रबंधन में इस खास पैकेज का कितना एवं किस प्रकार से उपयोग कर सकेंगे। साथ ही हम कुछ अन्य उपायों पर भी विचार करेंगे।
 
 
 
 
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