ड्रिलिंग जिग फिक्श्चर : 7

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Udyam Prakashan Hindi    08-अगस्त-2020   
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'धातुकार्य' जून 2020 में प्रकाशित लेख में हमने जानकारी ली है कि तिरछे पृष्ठ पर किस प्रकार ड्रिलिंग किया जाता है और यंत्रण अचूक तथा उचित प्रकार से कैसे किया जाता है। साथ ही इस हेतु महत्वपूर्ण होने वाले कुछ जरूरी मुद्दों पर भी हमने ध्यान दिया है, जो इस प्रकार हैं
 
1. टूलिंग हेतु छिद्र किए बिना यह जिग बनाना असंभव है। 
2. टूलिंग छिद्र का स्थान डिजाइनर ने ही निश्चित करना है। 
3. चूंकि कार्यवस्तु का पृष्ठ तिरछा है, बुश का निचला पृष्ठ भी कार्यवस्तु के पृष्ठ से समानांतर यानि तिरछा बनाना पड़ता है। 
4. कार्यवस्तु के तिरछा पृष्ठ तथा बुश के तिरछे पृष्ठ के बीच कम से कम दूरी रखना बहुत जरूरी होता है। यह दूरी अधिक हो, तो ड्रिल भटकने से कार्यवस्तु बेकार होगी।
 
इस लेख में हम फ्लैट टॉप ड्रिल जिग का अध्ययन करेंगे। ज्यादातर मामलों में, इस प्रकार के जिग में जरूरत हो तो ही कार्यवस्तु क्लैंप की मदद से पकड़ी जाती है। इस जिग में उसे दो छिद्र में लोकेट किया है। साथ ही वह जिग बटन पर रखी गई है। हम इस जिग के (चित्र क्र.1) विभिन्न हिस्सों का कार्य जानेंगे।

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1. जिग प्लेट 
इसमें हम देख सकते हैं कि जिग प्लेट का आकार अनियमित है। हमने आयताकार प्लेट ली तो उसका वजन अधिक होगा। साथ ही, कर्मचारी को हर कार्यवस्तु बनाते समय दो बार जिग प्लेट उठानी पड़ेगी। इसलिए जिग प्लेट का वजन कम से कम रखना जरूरी है। इसके साथ इस प्लेट में ØD1, ØD2 तथा ØD3 यह तीन छिद्र किए गए हैं। आप जान गए होंगे कि ये छिद्र वजन घटाने हेतु बनाए गए हैं। जिग प्लेट रखना तथा उठाना आसान बनाने के लिए दो हैंडल की सुविधा दी गई है। जिग प्लेट का आकार छोटा होने से उसका वजन भी सीमित है। ध्यान रहे, प्लेट का वजन 12-15 किलोग्रैम से अधिक ना हो और इसे उठाना भी आसान हो। इस प्रकार की जिग प्लेट का इस्तेमाल कब करें इसके मापदंड़ आगे दिए हैं।
 
• कार्यवस्तु का वजन ज्यादा हो, वह बड़े आकार की हो या संभलने में असुविधाजनक हो, तो इस प्रकार की जिग प्लेट इस्तेमाल की जाती है। क्योंकि कार्यवस्तु की तुलना में यह जिग प्लेट हल्की, चुस्त आकार वाली तथा इस्तेमाल में सुविधाजनक होती है।
• छोटे आकार के छिद्र करते समय, यंत्रण बल कम होने के कारण लोकेटिंग पिन टूटने या जिग प्लेट समेत कार्यवस्तु घूमने का ड़र नहीं होता। 
• थ्रेडिंग वाले छिद्र करने हो तो इस विधि का उपयोग न करें क्योंकि थ्रेडिंग करते समय या टैप उपर निकालते समय कार्यवस्तु उपर उठने की संभावना होती है। इससे दुर्घटना हो सकती है, कार्यवस्तु बेकार हो सकती है या टैप टूट सकता है।
पहले जिग बटन हेतु जरूरी 6 छिद्र, H7 टॉलरन्स में बना लिए। अब ये 6 बटन, जिग प्लेट में किए छिद्र में प्रेस फिट पद्धति से बिठाए। बाद में जिग बटन का पृष्ठ, एक ही स्तर पर ग्राइंड किया गया। अब इस जिग बटन पर जिग प्लेट रखने के बाद, जिग प्लेट पर होने वाले सारे महत्वपूर्ण छिद्र ±0.01 मिमी. टॉलरन्स में बनाए। इस प्रकार यंत्रण करने से सारे महत्वपूर्ण छिद्र जिग बटन के पृष्ठ से लंबरुप होते हैं।
• राउंड लोकेटिंग पिन तथा डाइमंड लोकेटिंग पिन बिठाने के लिए किए जाने वाले छिद्र H7 टॉलरन्स में बनाए। 
• कार्यवस्तु पर 12 छिद्र करने हेतु बिठाए बुश के लिए जिग प्लेट में किए जाने वाले छिद्र H7 टॉलरन्स में बनाए हैं।
 
2. राउंड लोकेटिंग पिन
कार्यवस्तु के छिद्र का आकार Ø36H7 मर्यादा में है। इसलिए राउंड लोकेटिंग पिन का व्यास Ø36f8 पर नियंत्रित किया है। इस पिन की जिग प्लेट के बाहर होने वाली लंबाई तय करने के लिए आगे बताई गई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। 
 
• रेस्ट बटन का पृष्ठ कार्यवस्तु के पृष्ठ से थोड़ा ऊपर (अंदाजन 5 मिमी.) होने पर राउंड लोकेटिंग पिन का, छिद्र के अंदर गया हुआ हिस्सा, आम तौर पर व्यास के बराबर होना चाहिए। इस जिग में यह 30 मिमी. तक अंदर होनी चाहिए।
• राउंड लोकेटिंग पिन कार्यवस्तु में, सामान्यतः आधे व्यास जितनी अंदर जाने के बाद ही डाइमंड पिन का प्रवेश कार्यवस्तु में बने छिद्र में होना चाहिए। इसका मतलब है राउंड पिन, डाइमंड पिन से लंबी होनी चाहिए। इससे जिग प्लेट को कार्यवस्तु में उचित प्रकार से बिठाना आसान होता है। 
• राउंड लोकेटिंग पिन और डाइमंड पिन को बड़े चैंफर (3X30°) देने के कारण कार्यवस्तु बिठाना तथा निकालना आसान होता है, कर्मचारी थकता नहीं है।
इस जिग प्लेट में राउंड लोकेटिंग पिन प्रेस फिट तरीके से बिठाई गई है। इसलिए इसे पूरा कठोर (हार्ड) किया जा सकता है। लेकिन राउंड लोकेटिंग पिन नट या स्क्रू की सहायता से बिठाई गई हो तब केस हार्ड करना आवश्यक है।
 
3. डाइमंड लोकेटिंग पिन 
कार्यवस्तु के छिद्र का आकार Ø32H7 है। इसलिए डाइमंड लोकेटिंग पिन का व्यास Ø32f8 पर नियंत्रित किया गया है। कार्यवस्तु बिठाना तथा निकालना आसान हो इसलिए डाइमंड लोकेटिंग पिन देना जरूरी है।
 
इस जिग प्लेट में डाइमंड लोकेटिंग पिन प्रेस फिट तरीके में बिठाई गई है। इसलिए इसे पूरा कठोर किया जा सकता है। अगर डाइमंड लोकेटिंग पिन नट या स्क्रू की मदद से बिठाई है तब केस हार्ड करनी होगी। उपरोक्त सुझाव के अनुसार डाइमंड लोकेटिंग पिन की लंबाई, राउंड लोकेटिंग पिन की लंबाई से कम रखें।
 
4. जिग बटन 
जिग बटन पूरी तरह से कठोर किया जाता है तथा वह जिग प्लेट में प्रेस फिट किया होता है। इस जिग प्लेट में 6 जिग बटन का इस्तेमाल किया है। सारे बटन जिग प्लेट में प्रेस फिट बिठाने के बाद जिग बटन का पृष्ठ एक ही समतल पर ग्राइंड किया जाता है। जिग बटन के बजाय रेस्ट पैड का उपयोग भी किया जा सकता है। रेस्ट पैड के उपयोग को प्राथमिकता दें, जिग बटन एक वैकल्पिक व्यवस्था है।
 
5. हेडलेस जिग बुश 
चूंकि इस कार्यवस्तु में 12 छिद्र एक ही माप के हैं, सारे बुश भी एक ही आकार के हैं। ये सभी जिग बुश कठोर किए गए हैं और प्रेस फिट तरीके में बिठाए गए हैं। यह बुश मानकीकृत होते हैं, इसलिए कोई बुश खराब/बेकार होने पर तुरंत बदले जा सकते हैं (संदर्भ : IS 666-1 : Jig Bushes, Part I: Headed and Headless Jig Bushes)। इस स्थान पर लाइनर बुश और रीन्यूएबल स्लिप बुश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
 
6. हैंडल 
बाजार में अलग अलग प्रकार के हैंडल मिलते हैं। ये बार या पाइप से बने होते हैं। प्रायः ये हैंडल स्क्रू की मदद से बिठाए जाते हैं। अपने लिए उचित हैंडल चुन कर इस्तेमाल करें। दो हैंडल के उपयोग से जिग प्लेट का इस्तेमाल आसान हो जाता है। हैंडल बिठाते समय जिग प्लेट के आकार तथा वजन के बारें में जरूर सोचें।
अब देखते हैं कि क्लैंप करने की भी सुविधा होने वाला लोकेटर (चित्र क्र. 2) कैसे बना सकते हैं।
 
लोकेटर

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चित्र क्र. 2 में दिखाया गया लोकेटर, कार्यवस्तु में Ø36H7 व्यास पर लोकेट किया गया है। लोकेटर का व्यास Ø36H-0.2 मिमी. तक नियंत्रित करे। इससे कार्यवस्तु काफी हद तक लोकेट हो सकती है, परंतु अचूक लोकेट होने के लिए खास प्रबंध किया गया है। चित्र क्र. 2 में हमे एक सरकने वाली पिन दिखाई दे रही है। ऐसी 3 सरकती पिन, केंद्रबिंदु से एकसमान कोण (120°) में बिठाई गई हैं। कार्यवस्तु के अंदर लोकेटर प्रवेश करता है और जिग प्लेट कार्यवस्तु पर सटती है। घुमाने के बाद क्लैंपिंग स्क्रू नीचे आता है और वह, तीनों सरकती पिन बाहर धकेलता है। ये पिन कार्यवस्तु के Ø36H7 व्यास पर कस कर बैठती हैं। साथ ही यह क्लैंपिंग स्क्रू उल्टा घुमाने से लोकेटर, कार्यवस्तु से बाहर निकाला जा सकता है।
 
डॉग पॉइंट समेत क्लैंप स्क्रू

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इस स्क्रू की आगे वाली नोंक का व्यास, थ्रेडिंग के माप से कम होता है। कोई भी स्क्रू का आकार इस प्रकार का हो तो उसे डॉग पॉइंट स्क्रू (चित्र क्र. 3) कहते हैं। इसका बार बार इस्तेमाल करने से वह पृष्ठ फूलता है यानि बड़ा होता है। इसलिए स्क्रू का डॉग पॉइंट वाला हिस्सा फ्लेम हार्ड किया गया है। क्लैंपिंग स्क्रू और सरकती पिन में हार्ड बॉल बिठाने के कारण, क्लैंपिंग स्क्रू ऊपर नीचे करने से सरकती पिन भी अंदर बाहर होती है। इससे क्लैंपिंग और डीक्लैंपिंग आसानी से तथा जल्द होते हैं।
 
सरकती पिन 
इस पिन के अगले हिस्से पर बड़ा चैंफर दिया है। यह पिन फ्लेम हार्ड की गई है। तीनों पिन एकसाथ और एकसमान दूरी में बाहर आने से, कार्यवस्तु का व्यास तथा लोकेटर का व्यास समकेंद्रीय बनते हैं। सरकती पिन का संचलन चित्र क्र. 2 में लाल रंग के बाण से दर्शाया गया है।
 
इस प्रकार, विभिन्न संकल्पनाएं हमने वास्तव में लानी चाहिए। अपने अनुभव से ही हम बहुत कुछ सीखते हैं। इसलिए कहा जाता है कि खुद का अनुभव ही सबसे महान गुरु है।
 
 
 
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