संपादकीय

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    08-जनवरी-2021
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 धातुकार्य के सभी पाठक, लेखक, विज्ञापनदाता और हितैषियों को नए वर्ष एवं नए दशक की हार्दिक शुभकामनाएं! यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्ष 2020 खत्म होने की ही इच्छा सभी के मन में है। इस गए वर्ष में जंगल में आग, भूकंप, तूफान जैसी प्राकृतिक आपत्तियों ने तो तहलका मचा ही दिया था, लेकिन कोविड विषाणु ने दुनियाभर का सामान्य मानवीय जीवन भी असहाय बना दिया। विषाणु-विपत्ति का सामना करने के विविध विकल्प खोजे तथा आजमाए गए और फलस्वरूप, जीने के नए तरीके अपना कर आज हम गए साल की ‘ठप’ स्थिति से बाहर निकल रहे हैं। जिस तरह दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद एक नई जीवनपद्धति सभी देशों में देखी गई ठीक उसी प्रकार, जीने के नए आयाम कोविड की इस महामारी के कारण प्रस्तुत हो गए हैं।
बंद पड़े कारोबार फिरसे शुरू करते समय, उत्पादन क्षेत्र के उद्योग समूहों ने हिम्मत दिखा कर चुनौतियों का सामना कर के उन पर मात करना भी आरंभ किया है। सरकारी नीतियों का सकारात्मक आधार और परस्पर सहमति एवं तालमेल के सहारे, आज भारतीय उत्पादन उद्योग फिर उभरता हुआ दिख रहा है। 2020 में भारतीय उत्पादन क्षेत्र में करीबन 43 लाख करोड़ रुपये निवेश हुए हैं। 2016 से 2020 के दौरान इस क्षेत्र का CAGR यानि कंपाउंड अैन्युअल ग्रोथ रेट 5% रहा है। इसमें उत्पादन उद्योग का बड़ा आधार होने वाला वाहन निर्माण क्षेत्र अर्थात अग्रस्थान पर है। वाहनों के आवश्यक पुर्जे आपूर्त करने वाले उद्योग फुर्ती से काम कर रहे हैं। 2016 से 2020 तक इस क्षेत्र का CAGR 6% रहा है। सिर्फ देशी बाजारों में नहीं बल्कि विदेशों में भी भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है। बताया जा रहा है कि 2021 में इस क्षेत्र की कुल बिक्री का 21% हिस्सा निर्यात का होगा। यूरप और लैटिन अमरीका की तुलना में अपनी उत्पादन की लागत 15 से 20% कम होने और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति से उपलब्ध हुए नए अवसरों का उपयोग किया जाने के कारण, निर्यात बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है।
गए साल ने हमें बहुत कुछ सिखाया। आम आदमी से ले कर उद्योग क्षेत्र तक सब अपनी असली जरूरतों के बारे में जागृत हो गए। रोजमर्रा के जीवन के संज्ञापन, संचलन, कार्यपद्धतियां आदि कई बातें आज नए रूप में देखी जा रही हैं। 2019 तक ज्यादातर IT क्षेत्र में ही उपयोग की जाने वाली ‘वर्क फ्रॉम होम’ कार्यपद्धति अब अन्य कई क्षेत्रों में सहजता से अपनाई जा रही है। काम करने के अन्य तरीके उसके अनुरूप बदले जा रहे हैं। नई कार्यपद्धति पर सक्षम अमल करने हेतु, उत्पादनक्षेत्र में भी आधुनिक उपकरण तथा प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है। समय पर, दर्जेदार और न्यूनतम लागत में उत्पादन करने हेतु, पारंपरिक उत्पादन पद्धतियां तेजी से बदली जा रही हैं। 
उत्पादकों तथा कारखाने में काम करने वाले तकनीशियनों को नई उपलब्ध तकनीकी जानकारी संपूर्ण रूप में देने का प्रयास, धातुकार्य द्वारा हमेशा ही किया जाता है। पिछले दशक से यंत्रण उद्योगसंबंधि किसी भी कारखाने में सी.एन.सी. मशीन होना आम बन गया है। लघु, मध्यम क्षेत्र के अधिकांश उद्यमी अब बहुअक्षीय मशीन इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके पीछे है बाजारों की बढ़ती मांग। अब ध्यान देना है कि तेजी से निर्माण होने वाले पुर्जे /उत्पाद, ‘जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट’ निकष पर टिके रहेंगे। उत्पाद दर्जेदार तो होना ही चाहिए साथ ही उसने पर्यावरण पर बुरा असर नहीं छोड़ना चाहिए, यह अब केवल एक अपेक्षा नहीं बल्कि जरूरत बन गई है। इस हेतु अब गेजिंग और मेट्रोलॉजी क्षेत्र में भी, नई तकनीक पर आधारित उपकरण आ रहे हैं। इस अंक का मुख्य विषय है गेजिंग और मेट्रोलॉजी। अचूक एवं तत्काल किए जाने वाले मापन में लेसर और कैमरे के उपयोग से 100% जांच आश्वस्त करने की पद्धतियों के बारे में इस अंक में आप पढ़ेंगे। आधुनिक उपकरणों का मेल उत्पादन व्यवस्था से करते समय, कारखाने के मौजूदा पारंपरिक जांच उपकरणों का रखरखाव और उनके कैलिब्रेशन का महत्व बताने वाले लेख भी आपके लिए उपयुक्त होगे।

हमें विश्वास है कि आप सभी ने 'धातुकार्य’ को अब तक दिया समर्थन, आने वाले दशकों में और भी मजबूत हो जाएगा। इस पत्रिका में प्रकाशित लेख अधिक फलदायी तथा पाठकोभिमुख बनाने के लिए सभी से सहयोग अपेक्षित है।

दीपक देवधर
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