संपादकीय

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    25-अक्तूबर-2021   
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 sampadkiya
 
‘फोर्ड’ ने अपने चेन्नई (तमिलनाडु) और सानंद (गुजरात) स्थित कारखाने बंद करने की घोषणा सितंबर के दूसरे हफ्ते में की। अमरीकी वाहन उत्पादकों ने उनके भारतीय कारखाने बंद करना नई बात तो नहीं है। जनरल मोटर्स, हार्ले डेविडसन, UM मोटर साईकल इन्हों नें भारत में निर्माण करना बंद किया है। उनमें अब फोर्ड भी शामिल हुई है। भारी ट्रक बनाने वाली MAN यह जर्मन कंपनी भी भारत से बाहर हो गई। इसकी वजहें क्या हो सकती हैं? भारतीय बाजार समझ लेने की नीतियों में हुई गलतियां, महंगी बिक्री पश्चात सेवा, भारतीय ग्राहक को लुभाने वाले नए मॉडल पेश न होना, स्पेयर पार्ट सर्वत्र उपलब्ध न होना... आदि मुद्दे वाहन उद्योग विशेषज्ञों ने बताए हैं। भारतीय उद्योग क्षेत्र देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि यहाँ छोटी गाड़ियां ज्यादा चलती हैं। इसी आधार पर मारुती और ह्युंदाई, भारत में बड़ा व्यवसाय करती हैं। भारत में सबसे अधिक बिकने वाली 10 गाड़ियां केवल इन 2 कंपनियों की बनाई हुई हैं। भारतीय बाजारों में सफल हो सकने वाली कोई भी नई गाड़ी फोर्ड ने लाई नहीं, जो उनकी सबसे बड़ी गलती थी! ‘किया मोटर्स’ जैसे नए वाहन उत्पादक भारतीय बाजारों में हर 2-3 वर्षों में एक किफायती नया मॉडल ला रहे हैं। लेकिन फोर्ड तो 15 वर्ष पुरानी डिजाइनों पर ही निर्भर रही। बाजार के साथ चलने वाले तैर गए, बाकी डूब गए। फोर्ड के मामले में यही हुआ!
 
ये उत्पादक भारतीय बाजारों से बाहर होने के कारण सरल और स्पष्ट हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं का दीर्घकालीन प्रभाव, वाहन उद्योग पर निर्भर MSME की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है। कारोबार छोटा हो या बड़ा, बाजार की जरूरतें तथा झुकाव, बिक्री पश्चात सेवा, उत्पादों में निरंतर सुधार आदि मुद्दे मूलभूत, आवश्यक और स्थायी होते हैं। हर उद्यमी ने इनका गंभीरता से अभ्यास करना अनिवार्य है। कोरोना का सामना करते समय, उद्यमियों को अपनी प्रचलित कार्यपद्धतियों से अकार्यक्षम घटक हटा कर उत्पादन प्रक्रिया कार्यक्षम बनाने में इंडस्ट्री 4.0 जैसी तकनीक का प्रभावशाली उपयोग हो सकता है। इससे, प्रतिकूल स्थितियों में भी निर्माता, आपूर्तिकर्ता तथा ग्राहक के बीच उचित संवाद हो सकता है। अन्य उदाहरण है इलेक्ट्रिक वाहनों का। जैव ईंधनों के चढ़े हुए दाम के कारण पिछले 5-6 महीनों में इनकी मांग बढ़ रही है। बाजारों के ये झुकाव सही समय पर पहचान कर, उद्यमियों ने अपने व्यवसाय का रूप उसके अनुसार बदलना महत्वपूर्ण है। व्यवसाय में होने वाले ये संभावित बदलाव कुछ समय बाद होने वाले हो, तो भी उनके संदर्भ में पूर्वनियोजन कर के सही दिशा में व्यवसाय की रचना करने से नुकसानी का खतरा कम हो सकता है।
 
बाजारों के झुकाव पहचान कर खुद में परिवर्तन करना आवश्यक होता है। इसी के साथ, बाहर की प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने ड़टे रह कर, अपने उपलब्ध संसाधनों एवं क्षमताओं का पूरा उपयोग करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हाल ही में संपन्न हुई पैरालिंपिक प्रतियोगिता में भारतीय खिलाड़ियों ने हासिल किए पदक इसकी उचित मिसाल है। खुद की कमियों पर मात कर के उद्देश्य हासिल करने के लिए आवश्यक होने वाली उच्चस्तरीय इच्छाशक्ति और उचित प्रयासों के मेल से अपने विकलांग खिलाड़ियों ने वैश्विक रिकॉर्ड बनाए। कोरोना के बाद के दिनों में हमने उनका आदर्श रखना जरूरी है।
 
उद्यमियों के ऐसे ही प्रयासों को पूरक तकनीकी जानकारी देने का कार्य हम ‘धातुकार्य’ पत्रिका से करते आए हैं। सी.एन.सी. विभाग में, वुडरफ की-वे के यंत्रण हेतु बनाई एस.पी.एम. के बारे में आप पढ़ेंगे। बड़े पुर्जों के मापन में अधिक चुनौतियां होती हैं। इन मापनों की प्रचलित तथा नवीन पद्धतियां स्पष्ट करने वाला लेख भी इस अंक में है। साथ ही कट टैपिंग और फॉर्म टैपिंग, मैग्नेटिक V ब्लॉक, स्पॉट फेसिंग, खाचों (स्लॉट) का यंत्रण आदि की ब्योरेवार तकनीकी जानकारी भी इस अंक में समाविष्ट है। इनकी बारीकियां जानने के लिए यह अंक पाठकों को यकीनन उपयुक्त रहेगा।

सई वाबळे
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