अभियांत्रिकी क्षेत्र में सभी पुर्जों का मापन तो करना ही होता है। इस हेतु, विविध मापन उपकरणों का उपयोग किया जाता है। किंतु बड़े अथवा भारी पुर्जों के मापन के दौरान चुनौतियां हो सकती हैं। ऐसे पुर्जों के मापन में इस्तेमाल की जाने वाली विद्यमान एवं नवीनतम पद्धतियों के बारे में इस लेख में बताया गया है।
जहाज या विमान की संरचना का कोई भाग या खदान अथवा निर्माण उद्योग की किसी मशीन की कल्पना करें। पवनचक्की के टर्बाइन और एरोस्पेस में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों का मापन करने हेतु, कुछ मापन उपकरण आम तौर पर इस्तेमाल होते हैं। इस लेख में हम काफी बड़ी वस्तुओं के मापन की पद्धति पर चर्चा करेंगे।
चुनौतियां
जब हम सामान्यतः बड़े भागों के बारे में बात करते हैं तब वे तीन मीटर से सौ मीटर तक किसी भी आकार के हो सकते हैं। वस्तु का आकार कोई भी हो, सभी मापनों का उद्देश्य एक ही होता है। लेकिन जब बहुत बड़े भाग का मापन करना हो, तो उसमें अलग चुनौतियां होती हैं। ज्यादा तर नजर के सामने आने वाली आम चुनौती यह है कि उस हिस्से तक पहुँचना बेहद मुश्किल होता है। जैसे, एरोस्पेस उद्योग में इस्तेमाल होने वाले किसी भाग की संरचना में ऐसा कोई हिस्सा हो सकता है जहाँ मापन लेने हेतु आसानी से नहीं पहुँचा जा सकता।
इसके साथ अन्य चुनौतियां भी होती हैं। जैसे, कुछ पुर्जे इतने बड़े होते हैं कि मापन हेतु उन्हें उपकरण पर नहीं लाया जा सकता या उन्हें पकड़ने के लिए फिक्श्चर न हो तो वे स्थिर नहीं रहते। कोई पुर्जा इतना बड़ा होता है कि तापमान में हुए बदलाव से उसका आकार बदल सकता है। बड़े हिस्सों का मापन करते समय ऐन मौके पर अन्य कई छोटी छोटी मुश्किलें आती हैं। ये मुश्किलें सभी पुर्जों के मामले में हमेशा नहीं होती, बल्कि कुछ विशेष स्थिति में ही सामने आती हैं। तथापि, इन चुनौतियों पर मात करने के प्रयास में कई नए उपकरण और तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। बड़े पुर्जों को आसानी से मापने वाले उपकरणों पर बात करने से पहले, ऐसे काम पहले दिनों में कैसे किए जाते थे ये हम जान लेते हैं।
लीपफ्रॉगिंग
वहनीय (पोर्टेबल) सरल उपकरण के इस्तेमाल से मापन करते समय इस लोकप्रिय संकल्पना का उपयोग किया जाता है। अगर उपकरण में मापन की मात्रा 3 मीटर से कम हो तो भी, चाहे जितनी बार जगह बदल कर, बड़े पुर्जों का मापन किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए मापन विश्लेषण करने वाले साफ्टवेयर में बेहतर लीपफ्रॉगिंग क्षमता होना जरूरी है।
लीपफ्रॉगिंग का मतलब क्या है?
आसान भाषा में कहे तो मानिए कि मापन करने वाली मशीन स्थान क्र. 1 पर है। हम इस स्थान से कुछ संदर्भ लक्ष्य (जैसे, गोलाकार टूलिंग बॉल) मापते हैं। जब इस मशीन को स्थान 2 पर हिलाया जाता है तब वही संदर्भ लक्ष्य (रेफरन्स टार्गेट) फिर से गिने जाते हैं और पहले गिने संदर्भ लक्ष्य के संरेखण से मिलाए जाते हैं। इन दोनों संदर्भ लक्ष्यों को मिलाने के बाद मापन शुरू रखा जाता है। उसके बाद सत्र (सेशन) 1 और 2 में किए गए सभी मापन साफ्टवेयर द्वारा एकसाथ जोड़े जाते हैं। उपकरण या पुर्जा जितनी बार हिलाया जाएगा उतनी बार यह प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। हर बार जब मशीन एक नए स्थान को जोड़ती है तब संदर्भ लक्ष्य जोड़ने में थोड़ी त्रुटि आती है। इस बारे में सावधानी बरतना जरूरी है। मशीन का स्थान एक से अधिक जगह पर हिला कर मापन की गई गाड़ी का चित्र (चित्र क्र. 1) देखने के बाद यह संकल्पना अधिक स्पष्ट होगी।
चित्र क्र. 1 : लीपफ्रॉगिंग पद्धति से मापन
मापन क्षेत्रसंबंधि कई लोगों को यह पता होता है, क्योंकि यह एक प्रचलित पद्धति है। आपने गाड़ी की जगह एक एच.एम.सी. भी रखा, तो तत्व वहीं रहता है। इसीलिए पुर्जा मापन के आकार की बड़ी क्षमता या पहुंच रखने वाले एक ही उपकरण का इस्तेमाल कर के माप लेना उचित होता है।
बड़े पुर्जों के मापन के लिए इस्तेमाल होने वाली कई मशीनें हैं। आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली मशीन की सूची के साथ, उसकी तकनीक और उसके उपयोग का संक्षिप्त वर्णन आगे
दिया है।
बड़े आकार के सी.एन.सी.सी.एम.एम.
कई उत्पादकों ने हमेशा उपयोग की जाने वाली सी.एन.सी. सी.एम.एम. भी, ग्राहकों की जरूरत के अनुसार बड़े आकार की बना कर दी हैं। ये मशीनें मानकीकृत (स्टैंडर्ड) नहीं होती। हर मशीन ग्राहक की मांग के अनुरुप बनाई जाती है। इसलिए उनके आकार भिन्न होते हैं। बड़े आकार की आम सी.एम.एम. 6 से 10 मीटर की सीमा में मापन कर सकती है। पुर्जे का आकार और अचूकता की आवश्यकता के अनुसार गैन्ट्री प्रकार की मशीन (चित्र क्र. 2) तैयार की जाती हैं, जो बड़े पुर्जों के मापन के लिए उपयुक्त होती हैं। जिनका मापन नियंत्रित वातावरण में करना जरूरी है ऐसे, एरोस्पेस उद्योग में इस्तेमाल होने वाले, पुर्जों के लिए सामान्यतः ऐसी मशीन को चुना जाता है।
चित्र क्र. 2 : बड़ी गैन्ट्री CMM
लेजर ट्रैकर
पोर्टेबल मशीन आने के बाद का यह शायद सबसे लोकप्रिय विकल्प है। जबसे उद्योगों में बड़े पुर्जों का 3D मापन करना आवश्यक बन गया है, तबसे लेजर ट्रैकर (चित्र क्र. 3) का इस्तेमाल बड़े तौर पर किया जाता है। लेजर ट्रैकर का तत्व सरल है, फिर भी समान आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु हर ब्रैंड में अलग अलग तकनीक का प्रयोग किया जाता है। साथ में हर तकनीक के अपने लाभ और हानियां होती हैं।
चित्र क्र. 3 : लेजर ट्रैकर
लेजर ट्रैकर, लेजर किरणों के पुंज के इस्तेमाल से लक्ष्य के स्थानों का मापन करते हैं। ये पुंज स्फेरिकल माउंटेड रेट्रोरिफ्लेक्टर (SMR) से प्रतिबिंबित होता है। एक बार SMR द्वारा प्रतिबिंबित होने पर आधुनिक लेजर ट्रैकर, जहाँ SMR जाएगा वहाँ उसके पीछे जाता है। इससे मापन करने वाले ऑपरेटर को मनचाहे माप, सिर्फ SMR हिला कर आसानी से मिल सकते हैं। यह प्रक्रिया, सी.एम.एम. या पोर्टेबल आर्म का इस्तेमाल करने जैसी है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस प्रक्रिया में प्रोब (SMR) हाथ में पकड़ा जाता (चित्र क्र. 4) है।
चित्र क्र. 4 : लेजर ट्रैकर मापन पद्धति
प्रक्रिया में पड़ाव
1. मशीन सक्रिय करना (अैक्टिवेशन)
2. मशीन के सहनिर्देशक शून्य पर लाना (होमिंग)
3. परावर्तक (रिफ्लेक्टर) खोजना
4. विशेषताओं (फीचर) का मापन करना
इस लेजर ट्रैकर की रेंज करीबन 100 मीटर की होती है। इसलिए वाहन उद्योग, एरोस्पेस के बड़े पुर्जों और भारी अभियांत्रिकी घटकों का मापन करते समय इस उपकरण को प्राथमिकता दी जाती है। यहाँ एक बात पर ध्यान देना जरूरी है कि लेजर ट्रैकर की अचूकता, स्थायी (बेस) उपकरण से जितनी दूरी पर मापन किया जा रहा हो उसके अनुसार बदलती है। इसलिए इस घटक के संदर्भ में की गई धारणा के आधार पर लिए गए माप दर्ज किए जाते हैं। हाल ही में SMR के साथ लेजर स्कैनर का संयोजन किए हुए लेजर ट्रैकर उपलब्ध हैं, जिनसे बड़े पुर्जे भी स्कैन किए जा सकते हैं। लेकिन अगर एक बड़े पुर्जे को पूरा स्कैन करना हो, तो यह कार्यक्षम तरीका नहीं माना जाता।
लेजर रडार
चित्र क्र. 5 : लेजर रडार उपकरणचित्र क्र. 5 : लेजर रडार उपकरण
यह उपकरण (चित्र क्र. 5), तुलना में नया और अनन्य है जो धीरे धीरे लोकप्रिय हो रहा है। यह लेजर ट्रैकर के ही तत्व पर कार्य करता है लेकिन लक्ष्य तक पहुँचने के लिए इसमें रिफ्लेक्टर की आवश्यकता नहीं होती।
ये मशीन, बिना SMR के इस्तेमाल से लक्ष्य के स्थान की गणना करती है। ये निरंतर मापन और मार्गन (ट्रैकिंग) करती है। इसी लिए ये रेखाधारित (लाइन बेस्ड्) विशेषताओं को स्कैन करने में उपयुक्त होती है। वाहन और एरोस्पेस उद्योगों में इसका उपयोग किया जाता है, खास कर के जहाँ पृष्ठ के साथ अन्य विशेषताएं अधिक मात्रा में गिननी हो। यह उपकरण लगभग 30 मीटर की रेंज के लिए उपयुक्त होते हैं। वृत्त, खांचा, समतल और पृष्ठ तुलना बिंदु का मापन सी.एम.एम. या पोर्टेबल सी.एम.एम. के समान किया जाता है। मनचाही विशेषता पर प्रोब रखें और क्लिक करें।
बड़ी रेंज के स्कैनर
चित्र क्र. 6 : बड़ी रेंज का स्कैनर
इसका तत्व, अन्य लेजर स्कैनर के तत्व के समान होता है। सिर्फ पहुँच (रेंज) बड़ी होती है और इस्तेमाल की गई तकनीक ऑप्टिकल या 'लाइट डिटेक्शन अैंड रेंजिंग' (LIDAR) आधारित हो सकती है। इन उपकरणों (चित्र क्र. 6) में पूरे विमान या जहाज को स्कैन करने की क्षमता होती है और कई बार ऐसा किया भी जाता है। विमान के पंख, जहाज का ढ़ांचा, पनडुब्बियां, रक्षा उपकरण आदि का मापन कई बार ऐसे बड़ी रेंज के स्कैनर द्वारा किया जाता है।
विभिन्न ब्रैंड के बड़ी रेंज के स्कैनर में कई प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन उनका कार्य मूल रूप से समान होता है, लक्ष्य वस्तु/पृष्ठ स्कैन कर के उसके बिंदुओं का एक समूह (पॉइंट क्लाउड) इकठ्ठा करना। स्कैन किया गया समूह एक बार उपलब्ध होने पर उसका उपयोग CAD फाइल के साथ जांच/तुलना या फिर रिवर्स इंजीनीयरिंग हेतु नए CAD फाइल निर्माण करना, जैसी अगली प्रक्रियाओं के लिए किया जाता है।
फोटोग्रैमेट्री
फोटोग्रैमेट्री, यह बड़े भाग नापने की एक और लोकप्रिय तकनीक है। इसमें फोटोग्रैफिक उपकरणों का इस्तेमाल और फोटोग्रैफिक प्रतिमाओं की जानकारी का मतलब जानना शामिल होता है। अचूक 3D मापन जानकारी पाने के लिए फोटोग्रैमेट्री का उपयोग, ऑप्टिकल डिजिटाइजर समेत करने पर अपेक्षित उत्तम परिणाम मिलते हैं।
चित्र क्र. 7 : फोटोग्रैमिट्री मापन
इसकी बेहतर मिसाल है एक बड़ा वृत्ताकार अैंटिना (चित्र क्र. 7)। फोटोग्रैमेट्री के इस्तेमाल से इसका मापन किया जा सकता है। उपयोगकर्ता अैंटिना पर स्थित इच्छित मापन बिंदुओं पर कोडेड स्टिकर चिपकाता है। कैमरे द्वारा एक तस्वीर खींची जाती है और संलग्न साफ्टवेयर, सभी कोडेड स्टिकर के स्थान ज्यामितीय X, Y, Z बिंदु में रुपांतरित करता है, जिसका उपयोग 3D मापन के लिए किया जा सकता है।
थियोडोलाइट
चित्र क्र. 8 : थियोडोलाइट के इस्तेमाल से मापन
थियोडोलाइट, (चित्र क्र. 8) यह बड़े हिस्सों के मापन में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाला उपकरण है। इसे टोटल स्टेशन भी कहा जाता है। यह व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले एकल बिंदु (सिंगल पॉइंट) मानक उपकरण है। पिछले कई सालों से थियोडोलाइट का उपयोग, निर्माण उद्योग और भारी अभियांत्रिकी में किया जा रहा है। अर्थात, ये एरोस्पेस उद्योग में भी लोकप्रिय है। थियोडोलाइट क्षैतिज (हॉरिजोन्टल) और लंबरूप (वर्टिकल) कोन का मापन करते हैं, इसके साथ ये उनके मापन लक्ष्य के वस्तुओं का स्थान ट्रैंग्युलेट करने में मदद करते हैं। कई थियोडोलाइट में मापन के विश्लेषण का काम मैन्युअली किया जाता है। लेकिन आधुनिक थियोडोलाइट, प्रगत 3D मापन साफ्टवेयर के साथ जोड़ा जा सकता है।
बड़े पुर्जों के मापन के अन्य मार्ग भी हैं लेकिन इस लेख में सिर्फ हमेशा इस्तेमाल होने वाले मापन उपकरणों की जानकारी दी गई है। इनमें से प्रत्येक उपकरण को शक्तिशाली क्षमता वाले प्रगत साफ्टवेयर के साथ जोड़ना आवश्यक है, यह गौर करने वाली बात है। क्योंकि इस मापन में उपयोग किए गए 3D CAD मॉडल, काफी अभियांत्रिकी जानकारी होने वाली बड़ी फाइल होती है। प्रगत साफ्टवेयर होने पर उपयोगकर्ता ऐसी फाइल अपने संगणक पर खोल कर, आसानी एवं अचूकता से काम कर सकते हैं।
मुझे आशा है कि आपको इस लेख से मौलिक जानकारी मिली होगी।
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अमर कुलकर्णी पॉलिवर्क्स इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट (सेल्स) हैं। आपको यंत्र अभियांत्रिकी के ऑटोमेटिव, एरोस्पेस तथा हेवी इंजीनीयरिंग के क्षेत्र में आधुनिक CAD/CAM, हाइ एंड 3D प्रॉडक्ट डिजाइन साफ्टवेयर तकनीक का 20 वर्षों का अनुभव है।