जीरो पॉइंट क्लैंपिंग व्यवस्था

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    29-अक्तूबर-2021   
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शून्य त्रुटि यानि शून्य गलती करने वाली यह व्यवस्था अपना कर, सेटअप करते समय मशीन पर बर्बाद होने वाला समय बड़े पैमाने पर बचाया जा सकता है। इस प्रणाली की अन्य विशेषताएं तथा उनसे होने वाले लाभों के बारे में यह लेख बताता है।
 

Zero point clamping arrangement 
 
आधुनिक यंत्रण तकनीक/प्रणाली, आम तौर पर बैच में उत्पादन करने के तरीके पर आधारित होती है। इसका प्रमुख उद्देश्य होता है, ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उन्हें विविधतापूर्ण मॉडल और विभिन्न विशेषताएं प्रदान करना। वैसे देखा जाए तो किसी भी कारखाने में सेटअप में बदलाव करना बहुत सामान्य बात होती है। लेकिन इसके बावजूद, उत्तम उत्पादकता बनाई रखने के प्रयास निरंतर चलते रहते हैं।

इसके लिए सर्वोत्तम उपाय है जल्द परिवर्तन (क्विक चेंजओवर) व्यवस्था अपनाना। इसमें कार्यवस्तु को सीधे या फिक्श्चर की मदद से क्लैंप किया जाता है। 
 

Zero point clamping arrangement 
 
कार्यवस्तु पकड़ने के क्षेत्र में ए.एम.एफ. (अैंड्रियाज मायर, जर्मनी) अग्रणी हैं और उनके उत्पादों की एक बड़ी श्रेणी बाजार में उपलब्ध है। उनका एक उत्पाद है 'जीरो पॉइंट क्लैंपिंग'। सेटअप करते समय मशीन पर बर्बाद होने वाले समय की बड़े पैमाने पर बचत इससे होती है। इस प्रणाली की विशेषताएं हैं पुनरावृत्ति की उच्च सटीकता, सेटअप की मजबूती और लंबे समय तक चलने वाला टिकाऊपन। 
 
जीरो पॉइंट क्या है?
 
यह शून्य त्रुटि यानि शून्य गलती करने वाली व्यवस्था है।

निर्माण के दौरान हमें फिक्श्चर और कार्यवस्तु में परिवर्तन करने के लिए जितने समय की आवश्यकता है, उतने ही समय में वह बदलाव करने वाली यह व्यवस्था है। इससे मशीन पर सेटअप के लिए जाने वाले समय और पैसों की बचत होती है। 
 
यह कैसे काम करती है?
 
इसमें क्लैंपिंग की पूर्णतया यांत्रिक (मल्टिपल बॉल क्लैंपिंग) और मजबूत डिजाइन वाली प्रणाली है। डी-क्लैंपिंग के लिए हैड्रोलिक या न्यूमैटिक जैसे बाहरी व्यवस्था की आवश्यकता पड़ती है। पकड़ने के लिए 105 किलो न्यूटन का बल उपलब्ध होता है। 
 
क्लैंपिंग

जब बाहरी दबाव रोका जाता है, तब पिस्टन के नीचे स्थित स्प्रिंगें पूर्वस्थिति में वापस आती हैं और पिस्टन को ऊपर धकेलती हैं। इससे बॉल अंदर धकेले जा कर क्लैंपिंग (चित्र क्र. 1) किया जाता है। 
 

Clamping and De-clamping 
 
चित्र क्र. 1 : क्लैंपिंग और डी-क्लैंपिंग
 
डी-क्लैंपिंग

जब बाहर से दिए गए तेल/वायु के दबाव से पिस्टन स्प्रिंग की दिशा में नीचे दबाया जाता है, तब क्लैंपिंग के बॉल बाहर धकेले जा सकते हैं। इस स्थिति में फिक्श्चर या कार्यवस्तु से जुड़ी निपल बाहर आ सकती है (चित्र क्र. 1) और कार्यवस्तु डी-क्लैंप हो जाती है। 
 
जीरो पॉइंट व्यवस्था की संरचना
क्लैंपिंग मोडयूल

अत्यंत सटीकता से बनाई हुई क्लैंपिंग मोडयूल 'जीरो पॉइंट' व्यवस्था में, यह भरोसा होता है कि कार्यवस्तु या फिक्श्चर को आवश्यकतानुसार कस कर और सुरक्षित तौर पर पकड़ा जाएगा। खींचने, बंद करने और पकड़ने के लिए जरूरी बल उपलब्ध होने की वजह से, यह मोडयूल (चित्र क्र. 2) किसी भी तरह के काम के लिए उपयुक्त साबित होता है। 
 

Disassembled view of zero point clamping 
 
चित्र क्र. 2  
 
1. लैटरल तथा खींचने वाले बलों का कोई भी प्रभाव ना होने वाला, 5 माइक्रोन से कम छूट की सटीकता में सपाट और समानांतर पकड़ हासिल करने के लिए, हार्डनिंग और ग्राइंडिंग किए स्टेनलेस स्टील के सटीक पृष्ठ।
2. कठोर किया (हार्डन्ड) पिस्टन ः विश्वसनीय एवं निरंतर पकड़ के लिए, फॉर्म फिट और सेल्फ लॉकिंग का एकत्रीकरण किया हुआ।
3. इष्टतम पॉवर ट्रान्स्मिशन के लिए सटीक तथा घिसाव एवं स्पंदनरोधी बॉल।
4. बॉल का, स्टेनलेस स्टील से बनाया आधार ः धूल और द्रव से क्लैंपिंग मोडयूल की रक्षा करती है।
5. खींचने, बंद करने और पकड़ने के अधिकाधिक बल के लिए मजबूत स्प्रिंग प्लेट।
6. इंटिग्रेटेड एयरजेट के साथ मोडयूल फ्लोर।
A. क्लैंपिंग मोडयूल की गहराई 22 मिमी. जितनी कम होने की वजह से, बेस प्लेट की ऊंचाई सिर्फ 28 मिमी. हो (ब्लोआउट के बिना 24 मिमी.) सकती है। 
 
क्लैंपिंग निपल

मशीन टेबल और फिक्श्चर/कार्यवस्तु को जोडने वाली क्लैंपिंग निपल (चित्र क्र. 3), इस व्यवस्था का अत्यंत महत्वपूर्ण घटक होती है। इसके कारण सटीक स्थाननिर्धारण तो होता ही है, साथ ही मजबूत तथा सुरक्षित पकड़ मिलती है। कार्यवस्तु पर काम करते समय निर्माण होने वाले सभी बलों का एकत्रित परिणाम, इसी निपल के द्वारा क्लैंपिंग मोडयूल तक स्थानांतरित किया जाता है। 
 

clamping nipple 
 
चित्र क्र. 3 
 

Zero point clamping arrangement 
 
मिसाल 3
छोटे डाइ ब्लॉक के लिए क्लैंपिंग

एकदम चुस्त (कॉम्पैक्ट) K05 मॉडल जीरो पॉइंट सिस्टम के कारण, छोटे डाइ ब्लॉक जैसे पुर्जे, यंत्रण करते समय जल्द बदले जा सकते हैं। पुनरावर्तन की सटीकता में 5 माइक्रोन से भी कम अंतर होता है। प्रचलित तरीके से क्लैंपिंग करने में 30 मिनट का समय लगता था, लेकिन जल्दी बदलने की व्यवस्था के कारण केवल 5 मिनट में क्लैंपिंग होता है। 
 

 K05 Model : Clamping by Zero Point System
 
K05 मॉडल : जीरो पॉइंट सिस्टम के द्वारा क्लैंपिंग 
 
मिसाल 4
बड़े आकार के पुर्जे की क्लैंपिंग

K40 मॉडल जीरो पॉइंट सिस्टम द्वारा, 3 मीटर स्विंग डाइमीटर की बड़े आकार की ग्राइंडिंग या टर्निंग मशीन पर, कार्यवस्तु पकड़ने वाला फिक्श्चर क्लैंप किया जाता है। जीरो पॉइंट सिस्टम पर रखने से पहले, फिक्श्चर पर रखी हुई कार्यवस्तु को हैड्रोलिक क्लैंप से पकड़ कर उसका पॉवरपैक से किया हुआ कनेक्शन निकाला जाता है। प्रचलित तरीके से क्लैंपिंग करने में जाने वाले डेढ़ से दो घंटों के बजाय, केवल 5 से 10 मिनट में 3 टन वजन के फिक्श्चर को क्लैंप किया जाता है। इस यंत्रण के द्वारा पोजिशनिंग की सटीकता 10 माइक्रोन से भी कम अंतर से मिलती है।
 

 K40 Model : Clamping by Zero Point System 
 
K40 मॉडल : जीरो पॉइंट सिस्टम के द्वारा क्लैंपिंग 
 
'जीरो पॉइंट' क्लैंपिंग तकनीक से लाभ

· काम करने के लिए मशीन के उपलब्ध होने की कालावधि में बढ़ोतरी होती है।
· कार्यवस्तु या फिक्श्चर में बदलाव जल्द होते हैं।
· उच्च पुनरावर्तन क्षमता (0.005 मिमी. की मर्यादा में)
· सभी तरह की मशीनों के लिए समान इंटरफेस
· एक ही चरण में स्थाननिर्धारण और क्लैंपिंग
 
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श्रीधर देशपांडे यांत्रिकी अभियंता हैं और आपको वर्क होल्डिंग के क्षेत्र का 23 से भी अधिक वर्षों का अनुभव है। आपने कई भारतीय एवं विदेशी कंपनियों में काम किया है।
 
 
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