बैलन्स शीट का विभाजन भाग 2

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    30-अक्तूबर-2021   
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पिछले लेख में बैलन्स शीट के नमूने का समावेश था। उसमें देयक तथा संपत्ति इन दोनों भागों में दर्शाए गए विभिन्न लेजर खाते, उनके ग्रुप बना कर विशेष शीर्षक के अंतर्गत एक प्रारुप में प्रस्तुत किए थे। जिन शीर्षकों तथा संकल्पनाओं के आधार पर इन्हें प्रस्तुत किया गया उसके बारे में हम इस लेख में जानकारी लेते हैं।
 
टिप्पणि : बैलन्स शीट की तालिकाएं देखने के लिए धातुकार्य का सितम्बर 2021 का अंक देखें।
 
इस संदर्भ में ध्यान आकर्षित करने वाले मुद्दे हैं देयक और संपत्ति। व्यवसाय में इन दोनों का अस्तित्व कितने समय के लिए होने वाला है, इस मापदंड़ पर बैलन्स शीट में लेजर खाते प्रस्तुत किए गए हैं। इन मापदंड़ों के अनुसार देयक को पहले खड़े भाग में जो दीर्घकालीन रकम व्यवसाय में 'देयक' के तौर पर मिली हो, उसे सबसे पहले दर्शाया गया है। उसके बाद, व्यवसाय में इस्तेमाल के लिए जो रकम थोड़े समय के लिए मिली हो, उसे चालू देयक शीर्षक के तले दर्शाया गया है। ठीक इसी प्रकार, संपत्ति के लिए होने वाले दूसरे खड़े भाग में व्यवसाय में दीर्घकाल रहने वाली संपत्ति को सबसे पहले दर्शाया गया है। बाद में, व्यवसाय में थोड़े समय के लिए जो निवेश की गई हो, ऐसी सारी संपत्ति को चालू संपत्ति शीर्षक के तले दर्शाया है। इसका मतलब है देयक हो या संपत्ति, कितने समय के लिए व्यवसाय में रहने वाले हैं, यह बैलन्स शीट प्रस्तुत करने का प्रमुख मापदंड़ है। इस मापदंड़ के आधार पर, व्यवसाय में सबसे अधिक समय तक होने वाले दीर्घकालीन देयक, देयक भाग में पहले स्थान पर दर्शाए जाते हैं। उसके बाद समयावधि के उतरते अनुक्रम में अन्य देयक दर्शाए जाते हैं।  
 
व्यवसाय में कौनसा देयक सबसे अधिक समय के लिए रहेगा? इसका जवाब बेहद आसान है। जब तक व्यवसाय शुरू है तब तक व्यवसायी द्वारा निवेश की गई पूंजी उन्हें लौटाई नहीं जाती। क्योंकि खुद व्यवसायी अगर अपने व्यवसाय में निवेश नहीं करेगा, तो बाहर के लोग किस के भरोसे उसे कर्ज देंगे? बाहरी लोग और संस्थाएं, उनके देयक का भुगतान होने तक मालिक/व्यवसायी को व्यवसाय से पूंजी निकालने के लिए प्रतिबंधित करेंगे। कंपनियों के मामले में, कंपनी कानूनों के तहत अन्य सारे देयक का भुगतान पूरा करने तक कंपनी भागधारकों की पूंजी अपवादात्मक स्थिती छोड़ कर नहीं लौटा सकती। अर्थात व्यवसाय में मालिक द्वारा लगाई गई पूंजी सबसे अंत में लौटाई जाएगी। जैसे, कोई जहाज डूब रहा हो तब जिस प्रकार जहाज का कप्तान अन्य सभी यात्री और कर्मचारी 'लाइफबोट' में बैठ जाने की पुष्टि करने के बाद ही खुद जहाज छोड़ता है। ठीक इसी प्रकार, व्यवसाय का कप्तान अर्थात उसका मालिक अन्य सभी देयक का भुगतान करने के बाद ही अपनी पूंजी व्यवसाय से वापस मिलने की अपेक्षा रखता है। अर्थात व्यवसाय में मालिक ने निवेश की गई पूंजी व्यवसाय द्वारा देयक होता है, और वहीं सब से लंबे समय तक व्यवसाय में रहता है। इसी लिए बैलन्स शीट में, उसे देयक के खड़े भाग में सबसे पहले दर्शाया जाता है। संपत्ति के दूसरे खड़े भाग में भी व्यवसाय की संभावित दीर्घकालीन संपत्ति को पहले स्थान पर दिखाया जाता है। उसके बाद समयावधि के उतरते अनुक्रम में अन्य सारी संपत्तियां दर्शाई जाती हैं। जिस प्रकार देयक के मामले में, मालिक की पूंजी लंबे समय तक व्यवसाय में देयक रहती है उसी प्रकार संपत्ति में रियल इस्टेट यानि जमीन, बिल्डिंग आदि प्रकार की संपत्ति व्यवसाय में सबसे अधिक समय तक रहने की संभावना होती है। इसलिए दीर्घकालीन संपत्ति में उनका स्थान सबसे पहले दर्शाया जाता है। व्यवसाय में बने रहने के समय के मापदंड़ के अनुसार, दीर्घकालीन या अल्पकालीन चालू संपत्ति तथा देयक का वर्गीकरण किया जाता है। यह करते समय अकाउंटिंग शास्त्र के अनुसार व्यवसाय में एक वर्ष से अधिक समय तक जो संपत्ति और देयक रहते हैं, उन्हें दीर्घकालीन समूह में शामिल किया जाता है। उससे कम अवधी की संपत्ति और देयक, चालू समूह में शामिल किए जाते हैं। जब कोई संपत्ति व्यवसाय में आती है या कोई देयक तैयार होता है तब एक वर्ष के इस मापदंड़ का उपयोग किया जाता है। जैसे, कोई सप्लाइअर कई सालों से उधारी पर अपना माल बेचता रहेगा, फिर भी उसका लेजर अकाउंट चालू देयक शीर्षक तले ही लिया जाता है। क्योंकि उसके अकाउंट में तैयार हुआ हर एक देयक, उसके बिल से तैयार होता है और बिल की तारीख से जितना हो सके उतना जल्दी उसका पेमेंट करना व्यवसाय के लिए जरूरी होता है। अर्थात सप्लाइअर का कोई भी बिल एक साल से अधिक समय तक पेमेंट के लिए नहीं बचता और बैलन्स शीट के दिन उस अकाउंट में जो रकम कुल देयक के तौर पर दिखाई देती है उसका पेमेंट बैलन्स शीट की तारीख से एक साल में करना अपेक्षित होता है। अगले बैलन्स शीट की तारीख तक उसके अन्य बिल शेष हो, तो वे चालू देयक इस शीर्षक के तले दिखाए जाते हैं। इसी प्रकार ग्राहक, मशीन, स्टाफ अैडवान्स जैसे सारे खातों का वर्गीकरण दीर्घकालीन और चालू प्रकार के समूह में किया जाता है। 
 
उपरोक्त मापदंड़ के अनुसार, संपत्ति के दो मुख्य भाग होते हैं। पहला यानि व्यवसाय में दीर्घकालीन उपयोग में आने वाली स्थिर संपत्ति अर्थात फिक्स्ड् असेट (जैसे, जमीन, बिल्डिंग, मशीन पेटंट आदि)। नमूना बैलन्स शीट में इन संपत्तियों को संदर्भ क्रमांक 5 में दर्शाया गया है। इन दीर्घकालीन संपत्तियों के उपयोग से व्यवसाय का कारोबार चलाने हेतु आवश्यक संपत्तियां, चालू संपत्ति याने करंट असेट मानी जाती हैं। जैसे कि दैनिक खर्चों के लिए जरूरी रोकड़, कच्चा माल, उत्पादन प्रक्रिया में अपूर्ण माल, तैयार माल, उधारी पर बेचे गए माल के कारण ग्राहक से वसूले जाने वाले बिल की रकम आदि। इन्हें नमूना बैलन्स शीट में, संदर्भ क्रमांक 10 में दर्शाया गया है। जैसा कि हमने पहले देखा है, जो संपत्ति व्यवसाय को प्राप्त होती है उसे पाने के लिए व्यवसाय को उतने ही रकम का देयक मालिक तथा अन्यों के प्रति निर्माण होता है। जैसे, मशीन लेने के लिए टर्म लोन लिया हो, सप्लाइअर से उधारी पर माल खरीदा हो, या ग्राहक से ऑर्डर पूरा करने के लिए अैडवान्स लिया हो आदि। इस सभी देयकों का विभाजन दीर्घकालीन और चालू इन प्रकारों में किया जाता है। नमूना बैलन्स शीट में पूंजी और दीर्घकालीन देयक संदर्भ क्रमांक 1 से 3 तक दर्शाए गए हैं। संदर्भ क्रमांक 4 में चालू देयक शामिल किए गए हैं।  
 
बैलन्स शीट में दीर्घकालीन और चालू ऐसा विभाजन करने के दो प्रमुख कारण होते हैं। एक, आम तौर पर किसी भी व्यवसाय में चालू संपत्ति का चालू देयक से अधिक होना जरूरी माना जाता है। इन दोनों के फर्क जितनी रकम, मालिक द्वारा व्यवसाय में लगाई पूंजी से देना अपेक्षित होता है। पूंजी के इस भाग को नेट वर्किंग कैपिटल कहा जाता है। बैलन्स शीट में किए इस विभाजन के कारण, व्यवसाय में मालिक द्वारा इस चल पूंजी के लिए किए गए निवेश का पता चलता है। 
 
दूसरा कारण है, दीर्घकालीन देयक और पूंजी के इस्तेमाल से व्यवसाय में दीर्घकालीन संपत्ति आना अपेक्षित होता है। अर्थात कैश क्रेडिट की मर्यादा (लिमिट) के उपयोग से मशीन खरीदी हो, तो वर्ष के अंत में इस क्रेडिट को लौटाते समय एक वर्ष में मशीन से प्राप्त हुई कमाई से उतनी रकम खड़ी करना संभव नहीं होगा। फलस्वरूप व्यवसाय में आर्थिक मुश्किलें आ सकती हैं। बैलन्स शीट के इस विभाजन से किस प्रकार के देयक, किस प्रकार की संपत्ति पाने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं, इसका पता चलता है। बैलन्स शीट के ये कुछ आम विभाजनों के बारे में जानने के बाद, उसमें शामिल हर शीर्षक के बारे में हम अगले लेख में जानेंगे। 
 
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मुकुंद अभ्यंकर चार्टर्ड अकाउंटंट हैं। पिछले 30 वर्षों से आप कई कंपनियों के लिए लेखापरीक्षण तथा वित्तीय घटनाओं के विश्लेषण का काम कर रहे हैं। 
 
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