कोनों का अचूक यंत्रण

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    23-फ़रवरी-2021   
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सी.एन.सी. मशीन पर कार्यवस्तु के नुकीले कोनों (शार्प कॉर्नर) का यंत्रण करने हेतु, सिर्फ कोई प्रोग्रैम रन करने से काम नहीं बनता। चित्र क्र. 1 में दर्शाएनुसार हमें नुकीले कोनों के लिए टूल पाथ प्रोग्रैम A-B-C करना होगा। इसका अर्थ है टूल पहले A से B तक जाएगा और फिर B से C तक जाएगा। लेकिन, वास्तव में मशीन में तैयार होने वाले संचलनों से अक्ष तुरंत रूकते नहीं, बल्कि धीरे से रूकते हैं। चित्र क्र. 1 दर्शाता है कि Y अक्ष पूरा रूकने से पहले ही X अक्ष गतिमान होता है। इससे कार्यवस्तु पर जिस स्थान पर हमें नुकीले कोने चाहिए वहाँ वृत्ताकार तैयार होता है।

1_1  H x W: 0 x
 
नुकीले कोनों के लिए G09 कमांड का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगली प्रोग्रैम कमांड देखें।
G91 G01 X100 Y100
यह लाइन कार्यान्वित होते समय कार्यवस्तु पर नुकीले कोने नहीं मिलेंगे, क्योंकि Y मोटर रूकने से पहले X मोटर शुरू होती है। अब अगली लाइन देखें। इसमें G09 का इस्तेमाल किया है।
G91 G09 X100 Y100
G09 यह कमांड, पहले Y मोटर को पूरी तरह रूकने पर मजबूर करती है। उसके बाद X मोटर शुरू होती है। ऐसा करने से अपेक्षित नुकीला कोन मिलता है।
टिप्पणी : G09 के इस्तेमाल से आवर्तन समय बढ़ता है।
• G09 जिस ब्लॉक में प्रोग्रैम किया जाता है उस ब्लॉक के लिए ही सक्रिय (अैक्टिव) रहता है।
• जिस स्थान पर नुकीले कोने चाहिए हो वहाँ G09 का उपयोग बेहद फायदेमंद (चित्र क्र. 2) होता है।

2_1  H x W: 0 x

1T_1  H x W: 0  
 
प्रोग्रैम फॉरमेट
G09X/U...Z/W-D/R.FESB...M
G10 कोड फानुक
सी.एन.सी. मशीन प्रोगैमेबल ऑफसेट सेटिंग
अधिकांश सी.एन.सी. नियंत्रकों में टूल ऑफसेट सेटिंग और जीरो ऑफसेट सेटिंग (वर्क शिफ्ट वैल्यू, मशीन जीरो ऑफसेट वैल्यू आदि) अलग पन्ने पर दिए जाते हैं। सी.एन.सी. प्रोग्रैम से प्रोगैमर वैल्यू ड़ाल सकता है। लेकिन फानुक नियंत्रक में इस काम के लिए G10 नाम का अलग G कोड दिया जाता है। इसे ही प्रोग्रैमेबल ऑफसेट सेटिंग कहते हैं।
सी.एन.सी. लेथ/मिलिंग मशीन पर दो प्रकार से ऑफसेट सेटिंग कर सकते हैं।
1. टूल/कटर ऑफसेट सेटिंग
2. वर्क शिफ्ट सेटिंग
G10 के इस्तेमाल से इन दोनों प्रकार के काम कर सकते हैं। फानुक में दिए P00 से, नियंत्रक को पता चलता है कि वर्क शिफ्ट वैल्यू सेट करनी है। X अक्ष की वैल्यू आम तौर पर शून्य निर्धारित (सेट) की जाती है। मशीन जीरो पॉइंट से कार्यवस्तु जीरो पॉइंट तक की दूरी, Z अक्ष की वैल्यू होती है। इस दूरी को वर्क शिफ्ट या जीरो ऑफसेट कहते हैं।
प्रोग्रैम
N10 G10 P00 X0 Z200
इस लाइन में X अक्ष की वैल्यू जीरो है और Z अक्ष की वैल्यू मशीन जीरो पॉइंट से 200 मिमी. है।
G10 के इस्तेमाल से टूल वेयर
प्रोग्रैम
N10 G10 P1 U0.02 W0.02
इसमें P के आगे आने वाला अंक, बदलाव किया जाने वाला टूल दर्शाता है। इस G10 कोड से दी गई वैल्यू, टूल वेयर ऑफसेट में ड़ाली जाती है।
P1 : वर्क शिफ्ट वैल्यू, टूल नंबर 1 के लिए बदलनी हैं। वैल्यू U और W अैड्रेस आगे दिए हैं।
फानुक के G10 के इस्तेमाल से टूल ऑफसेट सेटिंग या टूल ज्यामिति ऑफसेटिंग
G10 से टूल ऑफसेट सेटिंग किया जा सकता है। मानिए कि टूल नंबर 8 के लिए टूल ऑफसेट सेटिंग करना है। तो 10,000 में 8 जोड़े (10,000+8 = 10,008)
प्रोग्रैम
N10 G10 P10,008 X95 Z54
(10,000 यह वैल्यू फानुक नियंत्रक ने तय की है। P10,000 यानि टूल ज्यामिति ऑफसेटिंग/टूल ऑफसेट सेटिंग में वैल्यू ड़ालनी हैं। इससे आगे आने वाला अंक, जिस टूल संबंधी वैल्यू ड़ालनी हैं उस टूल का नंबर होता है।)
G15/G16 पोलर कोऑर्डिनेट कमांड
G15 और G16 जानने से पहले पोलर तथा कार्टेशियन कोऑर्डिनेट के बारे में जानते हैं।
अब तक हमने सिर्फ कार्टेशियन कोऑर्डिनेट पर काम किया है। इसमें X, Y, Z अक्ष के आगे दी गई दूरियां, पार्ट जीरो (अैब्सोल्युट कोऑर्डिनेट) या वर्तमान पोजिशन से दी होती हैं। अधिकतर G कोड प्रोग्रैमिंग, कार्टेशियन कोऑर्डिनेट के इस्तेमाल से किया जाता है। लेकिन मुश्किल समय में, पोलर कोऑर्डिनेट के इस्तेमाल से स्थिति से बाहर निकलना संभव होता है। इस पद्धति में, कोण और ओरिजिन से दूरी ये दो मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं। नियंत्रक के प्रकार से हम अैबसोल्युट जीरो या करंट पोजिशन ओरिजिन चुन (चित्र क्र. 3) सकते हैं।

3_1  H x W: 0 x 
 
इसमें X और Y अक्ष हैं। आगे दिए अंक ओरिजिन से दूरी दर्शाते हैं। X=10, Y=10, इसलिए पॉइंट P के कोऑर्डिनेट X10 और Y10 होते हैं। P (10, 10) इस पद्धति से उसे लिखा जाता है।
पोलर कोऑर्डिनेट इस्तेमाल करते समय कोण (Ɵ) डिग्री में दर्शाया जाता है और दूरी R अक्षर से दर्शाई जाती है। चित्र क्र. 4 में R=10 और Ɵ=30º हैं। इसलिए P पॉइंट के पोलर कोऑर्डिनेट P(10, 30º) होते हैं।

4_1  H x W: 0 x 
 
G कोड के उपयोग से आप कार्टेशियन से पोलर और पोलर से कार्टेशियन में आसानी से जा सकते हैं।
G16 : स्विच टू पोलर
G15 : स्विच टू कार्टेशियन
महत्वपूर्ण निर्देश : प्रोग्रैम में आवश्यकतानुसार G90 या G91 इनमें से एक कमांड दें।
G90 : अैब्सोल्युट डाइमेन्शनिंग
G91 : इन्क्रिमेंटल डाइमेन्शनिंग
पोलर कोऑर्डिनेट का इस्तेमाल हमेशा नहीं किया जाता। लेकिन कोई समस्या हो तो वह पोलर कोऑर्डिनेट के उपयोग से आसानी से सुलझाई जा सकती है। जैसे कि, मान लिजिए एक बोल्ट सर्कल बनाना है, जिसकी त्रिज्या 8" हैं और उस पर समान दूरी पर 6 छिद्र (चित्र क्र. 5) बनाने हैं।

5_1  H x W: 0 x 
 
03000 (G15, G16 पोलर कोऑर्डिनेट मिसाल)
N1G20
G0 G40 G49 G50 G80 G94 G90
N2 G17
N3 G00 X0 Y05800 M03 (सेंटर पॉइंट)
N4 G43 Z1.0 H01 M08
N5 G16 (पोलर कोऑर्डिनेट ऑन)
N6 G99 G81 X8 Y0 R0.1 Z-0.163 F3.0
N7 X8 Y60.0
N8 X8 Y120
N9 X8 Y180º
N10 X8 Y240
N11 X8 Y300
N12 G15 (पोलर कोऑर्डिनेट ऑफ)
N13 G80 M09
M14 G91 G28 Z0M05
N15 G28 X0 Y0
N16 M30
%
उपरोक्त प्रोग्रैम, पोलर कोऑर्डिनेट के बिना इस्तेमाल करना हो तो कैल्क्युलेटर पर त्रिकोणमिति के उपयोग से हर छिद्र के कोऑर्डिनेट निकालना जरूरी है। इसमें बहुत समय लगता है और गलती की भी संभावना होती है। गलती होने पर पूरा पूर्जा बेकार होने का खतरा हो सकता है।
उपरोक्त प्रोग्रैम से पता चलता है कि नियंत्रक में पोलर कोऑर्डिनेट की सुविधा होने पर पुर्जा आसानी से तथा अचूक बन सकता है।
उपरोक्त प्रोग्रैम में पहले चरण में सुरक्षित शुरुआत की स्थिति निश्चित की है।
G40 : टूल नोज त्रिज्या (रेडियस) ऑफसेट कैन्सल
G49 : टूल लेथ ऑफसेट
G50 : स्केलिंग फंक्शन कैन्सल
G80 : फिक्स साइकिल कैन्सल
G94 : यंत्रण साइकिल
G90 : अैब्सोल्युट
G00 के इस्तेमाल से सेंटर पॉइंट (0,0) लाया गया है।
N5 ब्लॉक में पोलर कोऑर्डिनेट शुरू किया है। अगले लाइन में G81 कैम साइकिल शुरू की है। X8 Y0 यह पोलर कोऑर्डिनेट हैं, जिसमें X यह ओरिजिन से 8" दूरी पर है और Y(0º) है। इसलिए ओरिजिन (X0, Y0) है। G90 अैब्सोल्युट कोऑर्डिनेट का उपयोग कर के (0,0) यह ओरिजिन है। एक के बाद एक हर छिद्र का 8 इंच दूरी रख कर कोण 60º, 120º, 180º, 240º, 300º पर Y अक्ष आधारित है।
इस प्रकार उचित प्रोग्रैमिंग से कार्यवस्तु के नुकीले कोने बनाए जा सकते हैं।
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