2020-21 यह वित्तीय वर्ष तो करीबन व्यर्थ ही गया, लेकिन इसी वर्ष का यह आखरी महीना एक अच्छे मौके जैसा लगता है और पूरा उद्योग विश्व इससे अधिकतम लाभ पाने की कोशिश में व्यस्त दिखता है। IHS मार्केट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेसिंग मैनेजर
का निर्देशांक, पिछले 6 महीने से निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। जनवरी 2021 में वह सबसे ऊपर यानि 57.7 के स्तर तक पहुंचा। बढ़ते औद्योगिक उत्पादन का यह एक प्रमाण है।
1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया केंद्रीय बजट, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए आशाजनक है। कोविड 19 के कारण तबाह हुए लघु मध्यम उद्योगों के लिए काफी सहायता देने का प्रावधान इस साल के केंद्रीय बजट में किया गया है। लघु, मध्यम उद्योगों के लिए
2020-21 के बजट में किया गया 7572 करोड़ रुपयों का प्रावधान अब 2021-22 के बजट में करीबन दुगना यानि 15,700 करोड़ रुपयों का है।
इसके विवरण पर नजर ड़ालें तो दिखता है कि खादी ग्रामोद्योग, सोलर चरखा जैसी ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओंका प्रावधान, पिछले वर्ष की तुलना में, घटाया गया है। पिछले वर्ष यह राशी करीबन 2500 करोड़ थी जो इस वर्ष 1400 करोड़ है। औद्योगिक क्षेत्र के, तकनीकी विकास तथा गणुवत्ता आश्वासन जैसे पहलुओं के लिए पिछले साल किया हुआ 683.91 करोड़ रुपयों का प्रावधान घटा कर इस साल के लिए वह केवल 330.31 करोड़ है। ग्रामीण उद्योजकता विकास का प्रावधान भी 15 करोड़ से 7.5 करोड़ तक कम किया गया है। इन तथा कुछ अन्य भी परियोजनाओंका प्रावधान इस बजट में घटाया गया है। इस बजट में प्रधानमंत्री रोजगार निर्माण योजना (PMEGP) और अन्य वित्तीय सहायता योजनाओंका प्रावधान 2800 करोड़ से 12499.7 करोड़ तक बढ़ाया गया है। असल में PMEGP का प्रावधान 500 करोड़ घटाया गया है और लघु मध्यम उद्यमियों को कर्ज उपलब्ध कराने वाली गारंटी इमर्जन्सी क्रेडिट लाईन (GECL) परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। बड़ी ऋण राशि उपलब्ध करते समय ही, विपणन और विदेशी प्रदर्शनियों में सहभागी होने पर मिलने वाली सहायता 130 करोड़ से 65 करोड़ रुपयों तक कम की गई है। कौशल विकास योजनाओं हेतु नियत राशियों में उल्लेखनीय बदलाव नहीं है।
जब हम अपने व्यवसाय में बदलाव एवं सुधार अपनाने पर सचेत होते हैं, तभी वित्तीय स्तर की सरकारी नीतीयां अपने लिए उपयोगी होती हैं। इस संदर्भ में हम, धातुकार्य पत्रिका द्वारा यंत्रण और कारखाने से संबंधित तकनीकी विषय आप तक पहुंचाते रहते हैं। पिछले 3 वर्षों में इस पत्रिका से सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग, जिग्ज और फिक्श्चर्स, टूलिंग में सुधार, मशीन मेंटेनन्स जैसे कई विषयोंसंबंधि लेखमालाएं हमने प्रकाशित की हैं। उसके साथ ही इस अंक में छोटे पुर्जों के लिए उपयुक्त स्लाइडिंग हेड ऑटोमैट के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए, HPT का प्रयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक बताने वाला लेख इस अंक में दे रहे हैं। कारखानों में किए गए छोटे लेकिन महत्वपूर्ण सुधार बताने वाले दो लेख आपको उपयोगी साबित होंगे। योग्य टूल खोजने में होने वाले कष्ट एवं जाने वाला समय कम करने के लिए मदद करने वाले मशीनिंग क्लाउड अैप के बारे में भी आप इस अंक में जान पाएंगे। यंत्रण उद्योग के क्षेत्र में भी अब महिलाओंका सहभाग बढ़ रहा है। एक सफल महिला उद्यमी की यात्रा स्पष्ट करने वाला लेख, 8 मार्च के अतंर्राष्ट्रीय महिला दिन के अवसर पर, हमने इस अंक में दिया है।
दीपक देवधर