इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार रहते समय...(भाग 1)

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    23-मार्च-2021   
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इस लेखमाला से हमने इंडस्ट्री 4.0 तथा IoT के बारे में विस्तार से जानना शुरू किया है। फरवरी 2021 के अंक में इंडस्ट्री 4.0, उसके तकनीकी पहलू और उसके मुख्य हिस्से यानि IoT से हम परिचित हुए। साथ ही, एक मिसाल की मदद से हमने गुणवत्ता जांच में IoT के होने वाले उपयोग जाने। इस लेख में सबसे पहले हम जानेंगे कि इंडस्ट्री 4.0 के लिए की जाने वाली अपनी अपेक्षित तैयारी को परिमाणित कैसे करें।
इंडस्ट्री 4.0 के लिए की गई तैयारी का मूल्यांकन
1. मूल्यांकन की पृष्ठभूमि
इंडस्ट्री 4.0 यह संकल्पना यांत्रिकी एवं पूरक उद्योगों में आमूल परिवर्तन ला सकती है। इसमें न केवल आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से उत्पादन प्रक्रिया में सुधार अपेक्षित है बल्कि किसी वस्तु के जीवनचक्र (लाइफ साइकल) के सभी पड़ावों पर (जैसे कि संकल्पना से निर्माण, वितरण, ग्राहकों द्वारा किया जाने वाला उपयोग और अंत में यथोचित समापन) विभिन्न आधुनिक तकनीक, खास कर के सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा उद्यमसंबंधि हर घटक का संपूर्ण परिवर्तन अपेक्षित है। हमें यकीन है कि इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार पूरी तरह से विकसित किए हुए किसी भी यांत्रिकी उद्योग की कुल कार्यक्षमता में अंदाजन 30% से 35% तक वृद्धि हो सकती है और उत्पादन की लागत में लगभग 25% तक बचत हो सकती है। फलस्वरूप उद्योग की कुल बिक्री (टर्नओवर) में 30% तक वृद्धि होने का भी भरोसा दिया जा सकता है। वर्ष 2011 में जर्मनी में चौथी औद्योगिक क्रांति की संकल्पना एवं काम की रूपरेखा प्रस्तुत तो की गई, लेकिन खुद जर्मनी के अधिकांश लघु, मध्यम एवं बड़े उद्योगों में भी इस संकल्पना के विषय में संदेह और थोड़ा ड़र भी था। क्रांति के इस चौथे दौर में हम किस पड़ाव पर हैं, विश्व के अन्य उद्योग और विशेष रूप से हमारे प्रतियोगी कितने आगे या पीछे हैं, ये प्रमुख प्रश्न सब के सामने थे। सुधारों के सफर में कौन कितना तैयार है यह स्पष्ट रूप से समझना मुश्किल था।
सर्वेक्षण
इस संदर्भ में जर्मनी के यांत्रिकी एवं निर्माण उद्योगों के संगठन VDMA ने 2015 में, जर्मनी के आखेन विश्वविद्यालय की इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट तथा कलोन की इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक रीसर्च की मदद से एक बड़ा सर्वेक्षण किया। इसमें जर्मनी के लगभग 600 लघु, मध्यम एवं बड़े उद्योग शामिल किए गए। इसमें, 20 कर्मचारियों की मदद से नट बोल्ट जैसे पुर्जे बनाने वाले लघु उद्योग से ले कर हजारो कर्मचारी तथा कई उत्पादन शाखाएं होने वाले मशीन उत्पादकों तक सभी को शामिल किया गया। अक्तूबर 2015 के आसपास एक बड़ा रिपोर्ट प्रकाशित किया गया, जिसका अध्ययन हमारे लिए यकीनन बोधप्रद होगा। इस सर्वेक्षण में, आगे दिए 6 मानदंड़ों पर हर उद्योग का मूल्यांकन किया गया।
• कारखाने में आधुनिकता (स्मार्ट फैक्टरी)
• प्रक्रिया में आधुनिकता (स्मार्ट ऑपरेशन)
• उत्पादित वस्तुओं में आधुनिकता (स्मार्ट प्रॉडक्ट)
• नीति और संघटन (स्ट्रैटेजी और ऑर्गनाइजेशन)
• मनुष्य शक्ति (एंप्लॉई)
• डेटा आधारित सेवा (डेटा ड्रिवन सर्विस)
इनमें से पहले तीन मानदंड़ प्रमुख रूप से तकनीकी बाजू का सर्वेक्षण करते हैं। आगे के तीन मानदंड़, उद्योगों के सारे मशीन तकनीक का समायोजन करने वाले मानवीय तथा संगणकीय घटकों का (चित्र क्र. 1) मूल्यांकन करते हैं।

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सर्वेक्षण किए गए हर उद्योग की तैयारी का तुलनात्मक चित्र पाने के लिए 6 स्तर माने गए, जो आगे दिए गए हैं।
• दूरस्थ (आउटसाइडर)
• प्राथमिक (बिगिनर)
• मध्यम (इंटरमिजेट)
• अनुभवी (एक्स्पीरियन्स्ड्)
• विशेषज्ञ (एक्स्पर्ट)
• सर्वाधिक कार्यक्षम (टॉप परफॉर्मर)
सर्वेक्षण में शामिल किए हर उद्योग का इन 6 मानदंड़ों पर स्वतंत्र मूल्यांकन कर के, संबंधि मानदंड़ों के अनुसार उसकी तैयारी का स्तर (चित्र क्र. 2) तय किया गया। उद्योगों के मूल्यांकन का चित्र तथा प्रधान अवलोकन जानने से पहले हम इन मानदंड़ों एवं स्तरों को संक्षेप में समझते हैं।

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तैयारीसंबंधि मूल्यांकन के मानदंड़
1. कारखाने में आधुनिकता (स्मार्ट फैक्टरी) : इसमें वस्तुओं का प्रत्यक्ष उत्पादन अधिकतर स्वचालित और लचीले रूप में (ग्राहक की आवश्यकता एवं अपेक्षा के अनुसार उतने ही गुणधर्म, उतनी ही मात्रा में होने वाले) करना अपेक्षित है। इस हेतु मूलभूत उत्पादन यंत्रणा अद्यतन करना, फैक्टरी में IT व्यवस्था स्थापित करना, उत्पन्न होने वाली जानकारी का अधिकतम इस्तेमाल करना और उत्पादन प्रक्रिया के डिजिटल प्रारूप के यथासंभव उपयोग से, उत्पादन अधिक कार्यक्षम कैसे बनेगा ये अनुमान लगाना जरूरी है।
2. पूरक प्रक्रियाओं में आधुनिकता (स्मार्ट ऑपरेशन) : उत्पादन की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए, कारखानों के साथ अन्य पूरक प्रक्रियाएं (जैसे कि आपूर्ति शृंखला, प्रबंधन, गुणवत्ता जांच, यातायात, संदेशवहन आदि) उतनी ही मात्रा में आधुनिक होना जरूरी है। इसके लिए इन सभी घटकों का उचित और शीघ्र समायोजन करना बेहद महत्वपूर्ण होगा। इस संदर्भ में क्लाउड, आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग, जानकारी की सुरक्षा तथा उसका विभिन्न घटकों में आदानप्रदान और उसके द्वारा हर प्रक्रिया का स्वचालन इन सबका मूल्यांकन इस स्तर पर किया जाएगा।
3. उत्पादित वस्तुओं में आधुनिकता (स्मार्ट प्रॉडक्ट) : स्मार्ट उत्पादन प्रक्रियाओं द्वारा बनाई गई वस्तु भी स्मार्ट होना उतना ही जरूरी होता है। अर्थात उस वस्तु का इस्तेमाल होते समय उस वस्तुसंबंधि उपयोगी विवरण ग्राहक, उत्पादक तथा अन्य संबंधि घटकों को तुरंत मिलना अपेक्षित है। इसके लिए उस वस्तु में यथोचित संवेदक, डेटा प्रोसेसर एवं संदेशवहन प्रणाली शामिल करना और साथ ही, उससे हर पल प्राप्त होने वाली जानकारी की जांच सक्षमता से की जाना जरूरी है।
4 नीति और संगठन (स्ट्रैटेजी और ऑर्गनाइजेशन) : उपरोक्त सभी तीन मानदंडों की सफलता के लिए यह मानदंड़ अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उद्योग का प्रबंधन और मालिक, इंडस्ट्री 4.0 के बारे में कितना जानते हैं इसका मूल्यांकन यह मानदंड़ करता है। अपने उद्योग के अनुरूप इंडस्ट्री 4.0 की दीर्घावधि नीति बनाना, उसके लिए जरूरी नई तकनीक का नियोजन करना, उसके लिए संसाधनों में पर्याप्त निवेश कर के वे उचित समय पर उपलब्ध करवाना और साथ ही सारी नीतियों का कठोरता से पालन करना इन मुद्दों की जांच इस मानदंड से की जाती है।
5. मनुष्य शक्ति (एंप्लॉइ) : चूंकि कोई भी उद्योग, मानव द्वारा मानव की मदद से मानव के लिए किया उपक्रम होता है, किसी भी उद्योग के लिए, उसमें सहभागी व्यक्तियों का अहम् स्थान होता है। इसलिए इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार होते समय हर साल बदलता माहौल, उद्योग में सहभागी मानवीय शक्ति (कर्मचारी और व्यवस्थापन) को किस कुशलता की जरूरत है तथा उसे पाने हेतु कौनसा रास्ता चुनना है, साथ ही इस मानवीय शक्ति की पर्याप्त सक्षमता तय करने की पद्धति आदि बातें इस मानदंड़ में नापी जाती हैं।
6. डेटा संचालित सेवा (डेटा ड्रिवन सर्विस) : उत्पादन प्रक्रिया और उससे तैयार होने वाले उत्पाद स्मार्ट हो, तो उत्पादक एवं ग्राहक के बीच का संबंध सिर्फ बिक्री-खरीद तक सीमित न रह कर उसमें कई नई संभावनाएं उत्पन्न होती हैं। सिर्फ वस्तु ही नहीं बल्कि वस्तु संबंधि पूरक बातें, सेवाएं, विशेषताएं जैसे कई मूल्य बिक्री योग्य होते हैं। यह ध्यान में रख कर उसके अनुसार व्यवसाय की नई तथा समय की मांग से अनुकूल रुपरेखा तैयार करना, उस पर अमल कर के कारोबार अधिक बढ़ाना आदि मुद्दों की जांच इस मानदंड में होती है।
तैयारी के स्तर
1. दूरस्थ (आउटसाइडर) : उपर बताए गए किसी भी मानदंड़ की जरा भी पूर्ति न करने वाले, या इंडस्ट्री 4.0 से पूरी तरह अपरिचित उद्योग इस स्तर में आते हैं।
2. प्राथमिक (बिगिनर) : इस स्तर के उद्योगों को इंडस्ट्री 4.0 के बारे में थोड़ी जानकारी होती है। इनमें, अल्प मात्रा में ही सही, कहीं पर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल आजमाया होता है। इनकी प्राथमिक श्रेणी की IT यंत्रणा स्थापित होती है, लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं होता।
3. मध्यम (इंटरमिजेट) : इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार उत्पादन तथा उत्पाद इन दोनों के लिए नीति, अनुसंधान और कार्यान्वयन इन सभी क्षेत्रों में कुछ काम करने वाले उद्योग इस समूह में होते हैं। अपनाई हुई योजनाओं के फल अब तक इन्हें पूरी तरह से मिले नहीं होते हैं, लेकिन इस दिशा में इनके प्रयास जारी रहते हैं।
4. अनुभवी (एक्स्पीरियन्स्ड्) : इस प्रकार के उद्योग, इंडस्ट्री 4.0 संबंधि योजनाओं की नीतियां पूरी तरह लागू कर के, उनसे कुछ लाभ पाते हैं। इन उद्योगों में अनेक सुधारों की गुंजाइश होती हैं, जिससे इन्हें अन्य कई लाभ मिल सकते हैं। जैसे, उत्पादन की कार्यक्षमता बढ़ा कर लागत घटाई हो, लेकिन बिक्री के विभिन्न विकल्प आजमा कर नए तरीकों से लाभ पाने की संभावना आजमाना बाकी हो।
5. विशेषज्ञ (एक्स्पर्ट) : इस स्तर के उद्योग, इंडस्ट्री 4.0 के सारे छः मानदंड़ पूरे कर के सभी प्रकार के लाभ कुछ मात्रा में उठाते हैं।
6. सर्वाधिक कार्यक्षम (टॉप परफॉर्मर) : जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इस स्तर के उद्योग केवल माहिर ही नहीं होते बल्कि अपने क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्य कर के इंडस्ट्री 4.0 के सारे लाभ यथासंभव उठाते हैं। जाहीर है कि ये उद्योग अन्य उद्योगों के लिए मार्गदर्शक एवं आदर्श बन जाते हैं। प्राथमिक तथा दूरस्थ इन दोनों स्तर के उद्योग, 'प्रवेशी' इस वर्ग के माने जाते हैं। मध्यम स्तर के उद्योग 'शिक्षार्थी' वर्ग में गिने जाते हैं। अनुभवी, विशेषज्ञ और सर्वाधिक कार्यक्षम इन तीनों स्तरों (चित्र क्र. 1) के उद्योग 'नेता' होते हैं।
जर्मनी में किए गए इस सर्वेक्षण के रिपोर्ट के सारे मानदंड़ यहाँ प्रस्तुत करना जरूरी नहीं है, फिर भी भारतीय उद्योगों ने ध्यान देनेयोग्य 2 मुख्य मुद्दे बताना उचित होगा।
• पहला मुद्दा यह है कि 2015 की समाप्ति तक कुल 89% उद्योग 'प्रवेशी' वर्ग में और सिर्फ 2% उद्योग 'नेता' वर्ग में शामिल थे।
• विचार करनेयोग्य अन्य मुद्दा यह है कि जैसे उद्योगों का आकार बढ़ता है, वैसे ही उनकी इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार होने की क्षमता भी बढ़ती हुई दिखाई देती है।

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भारतीय उद्योगों का विभाजन इस रुपरेखा के अनुसार तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन दर्जेदार मूलभूत सुविधाओं का अभाव, सरकारी एवं वित्तीय व्यवस्थाओं से रुकावटें, एक ओर संपूर्ण प्रशिक्षित कर्मचारियों का अभाव और दूसरी ओर लाखों की तादाद में शहर की ओर चल पड़ी अप्रशिक्षित/अर्धप्रशिक्षित मानवीय शक्ति की उपलब्धी...यह मिथ्याभासी चित्र भारतीय उद्योगों के सामने है। फिलहाल क्रांति की दूसरी या तीसरी कसौटी पर अधिकांश भारतीय उद्योग मुश्किल से (चित्र क्र. 3) उतर पाएंगे। ऐसी स्थिति में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्पादन प्रक्रिया तथा व्यवसाय रुपरेखाओं का विचार करना निश्चित तौर पर मुश्किल है। चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए तैयार होने के लिए भारतीय उद्योगों को अपनी कई खास चुनौतियों से गुजरना होगा। तैयारीसंबंधि हर मानदंड़ के लिए खास भारतीय उत्तर खोजना होगा और उसके लिए आगे दिए मुद्दों पर विचार करना होगा।
1. अपने प्रतियोगी उद्योगों तथा पूरक उद्योगों की तैयारी का पारदर्शी रूप से अध्ययन करना।
2. अपनी क्षमता बढ़ाने हेतु अपने उद्योग एवं परिवेश के अनुरूप तत्कालिक और दीर्घावधि योजना बनाना।
इन दोनों मुद्दों पर जोर दे कर, जागरूकता से काम किया जाना चाहिए।
'इंडस्ट्री 4.0 और IoT' इस लेखमाला के हर लेख को दो भागों में बांटा जाएगा। लेख के पहले भाग में नई तकनीकी जानकारी और दूसरे भाग में उसके वास्तविक कार्यान्वयन की मिसाल दी जाएगी।
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