संगणकीय अकाउंट्स

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    23-मार्च-2021   
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‘धातुकार्य’ के फरवरी 2021 के अंक में प्रकाशित भाग में हमने जाना कि जर्नल के अलावा हिसाब में कौन से अन्य रजिस्टर शामिल होते हैं तथा इन भिन्न रजिस्टर से लेजर पोस्टिंग कर के वर्ष के अंत में फाइनल अकाउंट्स बनाने के लिए हर लेजर अकाउंट में निवल शेष (नेट बैलन्स) का मूल्य, उस निवल शेष का स्वरूप अर्थात वह डेबिट है या क्रेडिट, यह कैसे तय किया जाता है।
लेख के इस भाग में हम देखेंगे कि रजिस्टर, लेजर पोस्टिंग और ट्रायल बैलन्स से संबंधित सारी अकाउंटिंग प्रविष्टियां, जिन्हें पहले हाथों से लिखा जाता था, आज के संगणकीय अकाउंटिंग जमाने में किस प्रकार लिखी जाती हैं।
जब संगणक काफी महंगे थे तब उनका अकाउंटिंग के लिए उपयोग बड़े और मध्यम उद्योगों तक सीमित था। छोटे व्यापारी, व्यवसायिक, उद्योजक यह काम अकाउंटंट द्वारा मैन्युअल पद्धति से करवाते थे। क्योंकि ऐसे लोगों के लिए संगणकीय अकाउंटिंग करने हेतु आवश्यक हार्डवेयर और साफ्टवेयर निवेश महंगा था। लगभग 90 के दशक तक यहीं स्थिति थी। उसके बाद जैसे जैसे संगणक और उसके इस्तेमाल में जरूरी साफ्टवेयर की कीमतें कम होती रही वैसे संगणकीय अकाउंटिंग के लिए निवेश कम होता गया। इससे अधिकतर व्यवसायिकों के लिए संगणक पर अकाउंट्स रखना इतना आसान हो गया कि संगणकीय अकाउंटिंग, उनके लिए अनिवार्य हो गया। संगणकीय अकाउंटिंग से सही समय पर मिलने वाले विभिन्न आर्थिक प्रतिवेदन और उनकी अचूकता के लाभ, छोटे उद्यमियों के लिए भी किफायती होने के कारण अब हाथों से लिखे जाने वाले खाते कहीं दिखाई नहीं देते।
खाते हाथों से लिखे हो या संगणक पर लिखे हो, अकाउंटिंग थियरी में शामिल सिद्धांतो, नियमों और मानकों (स्टैंडर्ड) का पालन करना ही पड़ता है। इन दोनों पद्धतियों में फर्क सिर्फ माध्यम का है। हाथों से लिखने की पद्धति में रजिस्टर, लेजर आदि कागजी बही खातों का उपयोग होता है। संगणकीय खातों में इलेक्ट्रॉनिक रूप में हिसाब दर्ज किए जाते हैं और कई बार रिपोर्ट भी संगणक पर ही देखे जाते हैं। संक्षेप में कहें तो हाथों से दर्ज करने की पद्धति में कागज और कलम माध्यम होते हैं, संगणकीय अकाउंटिंग में इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली (सिस्टम) माध्यम होती है।
हमारी पिछली चर्चा के अनुसार, फिलहाल कई उद्योगों में अकाउंट्स संगणक पर रखे जाते हैं, इसलिए संबंधि व्यक्ति को उसकी प्राथमिक जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस संदर्भ में उद्योजकों की अर्थसाक्षरता में, संगणक साक्षरता एक महत्वपूर्ण भाग है। व्यवसायिकों के लिए, संगणक पर हिसाब लिखना तथा उन्हें समझना आवश्यक हो गया है।
संगणक के साथ हार्डवेयर और साफ्टवेयर दोनों घटक आते हैं। जब हिसाब रखने हेतु संगणक का इस्तेमाल होता है तब इनसे संबंध आता ही है। अकाउंटिंग के लिए हार्डवेयर का विचार करें तो उसमें बड़े कारोबारों का बड़ा डेटा प्रोसेस कर सकने वाले बड़ी क्षमता के सर्वर से ले कर छोटे व्यवसायिकों की आवश्यकता पूरी करने वाले 'पर्सनल कंप्यूटर' तक सारे प्रकार के हार्डवेयर का समावेश होता है। उसी प्रकार हार्डवेयर में संगणक के साथ कई PC जोड़ने वाली नेटवर्किंग प्रणाली का भी समावेश होता है। कई संगणक एक दूसरे के साथ नेटवर्क प्रणाली द्वारा जोड़े होते हैं। इसी कारण एक ही समय पर कई कर्मियों को अकाउंटिंग संबंधी विभिन्न प्रकार के काम करना मुमकिन होता है, जैसे कि सेल्स बिल तैयार करना, बैंक की एंट्री करना, पार्टी के लेजर देखना आदि। हार्डवेयर की ही तरह, नेटवर्किंग प्रणालियां भी कम लागत में उपलब्ध हो सकती हैं। इसलिए अधिकतर उद्योगों में नेटवर्किंग का इस्तेमाल संगणक के साथ किया जाता है।
साफ्टवेयर के प्रकार
अकाउंटिंग साफ्टवेयर के तैयार (रेडिमेड) साफ्टवेयर, कस्टमाइज्ड साफ्टवेयर और टेलरमेड साफ्टवेयर ये तीन प्रमुख प्रकार होते हैं। हर व्यवसाय का आकार और उसका स्वरूप ध्यान में रख कर उसमें से एक प्रकार का चयन अकाउंटिंग के लिए किया जाता है।
तैयार साफ्टवेयर, अर्थात उसके नाम के अनुसार बाजार में तैयार मिलने वाले पैकेज साफ्टवेयर होते हैं, जो ठीक वैसे ही इस्तेमाल किए जाते हैं। तैयार मिलने वाले ये साफ्टवेयर, तैयार कपडों की ही तरह, हर व्यवसाय की जरूरत के अनुरूप नहीं होते। ऐसे साफ्टवेयर से, अपनी इच्छा के अनुसार रिपोर्ट नहीं मिलते। एक्सेल से अकाउंटिंग एंट्री सीधी इंपोर्ट नहीं की जा सकती। उद्योजकों को ऐसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय इसमें से मार्ग निकालने हेतु ग्राहक के अनुरूप (कस्टमाइज्ड्) साफ्टवेयर का विकल्प आसानी से चुना जा सकता है। खरीदे गए साफ्टवेयर में, उद्योग की आवश्यकता के अनुसार बदलाव करने हेतु विशेषज्ञ उपलब्ध होते हैं जो ये काम किफायती शुल्क में कर देते हैं। इस प्रकार, कस्टमाइजेशन की संभावना को ध्यान में रख कर ग्राहक के अनुरुप बदलाव किया हुआ साफ्टवेयर, उद्योग को अधिक फायदेमंद हो सकता है।
टेलरमेड साफ्टवेयर, इसके नाम के अनुसार, विशिष्ट व्यवसाय हेतु अलग से बनवाए जाते हैं। इसलिए अधिक लेनदेन और विविधता होने वाले बड़े उद्योगों को ही इनकी आवश्यकता होती है और वे ही इसकी लागत का भार उठा सकते हैं। आम तौर पर बड़े उद्योग समूह में अकाउंटिंग करने हेतु इस प्रकार के साफ्टवेयर इस्तेमाल होते हैं। उद्योजकों की जरूरतों के अनुसार और उनकी अपेक्षित अकाउंटिंग रिपोर्ट की आवश्यकताएं देख कर बाजार में उपलब्ध तैयार साफ्टवेयर में अपने व्यवसाय के अनुरूप थोड़े बदलाव किए ग्राहकानुकूलित साफ्टवेयर, छोटे तथा मध्यम व्यवसायों के लिए लगभग उन्हीं उद्योंगों के लिए बनाए टेलरमेड साफ्टवेयर की तरह काम करते हैं, वो भी कम लागत में।
ERP का विकल्प
अकाउंटिंग साफ्टवेयरसंबंधि एक और महत्वपूर्ण मुद्दे पर सोचना जरूरी है कि क्या इस साफ्टवेयर को सिर्फ अकाउंटिंग तक मर्यादित रखना है या ERP साफ्टवेयर, जो व्यवसाय के सभी पहलुओं का डेटा एकसाथ प्रोसेस करता है, उसके हिस्से के तौर पर इस्तेमाल करना है।
उद्योजक के लिए अपने कारोबार संबंधि जानकारी पाने के लिए अकाउंटिंग एक प्राथमिक जरूरत होती है। इसलिए शुरुआत में व्यवसायिक संगणकीय साफ्टवेयर सिर्फ फाइनान्शियल अकाउंट रखने तक सीमित था। लेकिन हमने पहले जाना है कि, अकाउंट्स यानि व्यवसाय में लिए गए कई तकनिकी प्रकार के निर्णयों के संदर्भ में आर्थिक प्रविष्टियां रखना। इसलिए केवल अकाउंटिंग करने हेतु साफ्टवेयर का इस्तेमाल करें तो उद्यमी को पर्याप्त जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं होगी।
मिसाल के तौर पर देखें तो स्टोर डिपार्टमेंट में माल आने पर उस माल के प्रति आपूर्तिकर्ता (सप्लाइअर) को रकम का देय, व्यवसाय में तैयार होता है। अकाउंट्स में ऐसे देयक को दर्ज किया जाता है। हमने पहले देखा है कि, गोडाउन में आया हुआ माल उस समय खर्चे के तौर पर दर्ज होता है, जब उसकी बिक्री होती है। तब तक गोडाउन में शेष माल, बैलन्स शीट में संपत्ति के तौर पर दर्शाया जाता है। अर्थात, स्टोर डिपार्टमेंट में मालसंबंधि हुई घटनाएं समय पर समझना, अकाउंटिंग दृष्टि से जरूरी है। क्योंकि इन घटनाओं के आर्थिक परिणाम होते हैं जिन्हें दर्ज करना पड़ता है। कर्मियों की दैनिक हाजिरी मानव संसाधन विभाग से (HR डिपार्टमेंट) दर्ज होती है। उसके आधार पर महीने के अंत पर अकाउंट्स विभाग को वेतन पत्रक बनाना होता है। इसलिए इससे संबंधि जानकारी समय पर मिलना जरूरी होता है। ऐसी कई मिसालें दे सकते हैं। अब अगर अकाउंट्स का साफ्टवेयर स्वतंत्र, केवल अकाउंट्स तक सीमित रखना हो, तो व्यवसाय के सारे विभाग द्वारा समय समय पर लिए विभिन्न निर्णयों के आर्थिक परिणामों की जानकारी अकाउंट्स विभाग को समय पर प्राप्त कराने के लिए एक अलग प्रणाली तैयार करनी होती है। अकाउंट्स में दर्ज की गई लेन-देन की अचूकता एवं परिपूर्णता इस प्रणाली की कार्यक्षमता पर निर्भर होती है। अकाउंट्स हेतु बनाए अलग साफ्टवेयर की यह बड़ी मर्यादा ध्यान में आने पर, उद्योग के सारे विभागों में किए जाने वाले काम एकसाथ दर्ज करने वाले एकीकृत (इंटिग्रेटेड) साफ्टवेयर की आवश्यकता बड़े पैमाने पर महसूस होने लगी।
इस प्रकार, व्यवसाय के सारे पहलुओं की जानकारी पर एकीकृत प्रक्रिया करने वाले साफ्टवेयर, एंटरप्राइज रिसोर्स प्लैनिंग (ERP) नाम से पहचाने जाने लगे। ऐसे साफ्टवेयर, व्यवसाय करने वाली संस्थाओं में उपलब्ध सारे संसाधनोंसंबंधि डेटा पर एकसाथ प्रोसेसिंग करने वाली प्रणाली के रूप में होते हैं। ERP साफ्टवेयर का इस्तेमाल होता हो, तो अकाउंटिंग, खरीद, बिक्री, स्टॉक, HR जैसे अलग अलग साफ्टवेयर संबंधित विभागों में इस्तेमाल नहीं होते बल्कि एक ही ERP साफ्टवेयर के मेन्यू में से, विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होते हैं।
ERP साफ्टवेयर में मेन्यू के एक भाग में कोई प्रविष्टी दर्ज होते ही, अन्य भागों पर होने वाले उसके परिणाम अपनेआप दर्ज होते हैं। जैसे, अगर खरीद विभाग ने किसी आपूर्तिकर्ता को ऑर्डर निकालने पर, उसकी जानकारी अकाउंट्स विभाग के साथ स्टोर डिपार्टमेंट को भी उसी समय उपलब्ध होती है। आपूर्तिकर्ता द्वारा माल की आपूर्ति होते ही स्टोर डिपार्टमेंट माल पाया जाने की प्रविष्टि करता है, जो अकाउंट्स तथा खरीद विभाग को तुरंत उपलब्ध होती है। इसलिए अकाउंट्स में जब आपूर्तिकर्ता से बिल प्राप्त होता है, उसकी अकाउंटिंग एंट्री करते ही उस बिल का दर, माल की संख्या (क्वांटिटी) की जांच साफ्टवेयर में दर्ज की गई पर्चेस ऑर्डर तथा गुड्स रिसीव्ड् रिपोर्ट (GRR) के साथ साफ्टवेयर में ही मिलाई जाती है। इसका मतलब बिल पासिंग प्रक्रिया का बहुत बड़ा हिस्सा साफ्टवेयर द्वारा ही पूरा किया जाता है।
 
एक ही बार डेटा एंट्री किए जाने के कारण, व्यवसाय का संपूर्ण चित्र ERP साफ्टवेयर से कम समय और कम खर्चे में उपलब्ध होता है। इसलिए केवल अकाउंटिंग हेतु अलग साफ्टवेयर न रखते हुए, उद्योजक ERP खरीदने पर जोर देते हैं। कुछ साल पहले ERP सिर्फ बड़े उद्योगों तक सीमित था। लेकिन अब बाजार में छोटे एवं मध्यम उद्योगों के लिए भी किफायती कीमत पर ERP साफ्टवेयर उपलब्ध होते हैं। अधिकतर उद्योगों में इस्तेमाल होने वाला टैली जैसा साफ्टवेयर, थोड़ा और निवेश करने से ERP रूप में उपलब्ध होता है। इसलिए टैली की जानकारी होना अधिकतर उद्यमियों तथा व्यवसायिकों के लिए लाभदायक है।
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