टैली में बृहत प्रारूप की प्रविष्टियां

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    31-मई-2021   
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अप्रैल 2021 की धातुकार्य पत्रिका में प्रकाशित लेख में हमने देखा की टैली में कंपनी तैयार कर के टैली की शुरुआत किस प्रकार की जाती है। साथ ही, कंपनी की संकल्पना टैली में कैसे इस्तेमाल होती है इसकी जानकारी हमने ली।
टैली में बनाई गई किसी भी कंपनी में आर्थिक व्यवहारसंबंधि अकाउंटिंग प्रविष्टियां दर्ज करने से पहले, उस कंपनी में कुछ प्रधान जानकारी (मास्टर डाटा) दर्ज करनी पड़ती है। अकाउंटिंग के संदर्भ में संगणक में रखी हुई जानकारी हमेशा दो भागों में विभाजित होती है, बृहत या प्रधान (मास्टर) जानकारी और व्यवहार (ट्रांजैक्शन) संबंधि जानकारी। बृहत जानकारी एक बार तैयार की जाने वाली जानकारी होती है, जिसमें ज्यादा बदलाव नहीं किए जाते। व्यवहार दर्ज करते समय यह जानकारी बार बार उपयोग में लाई जाती है। इसमें आपूर्तिकर्ता/ग्राहकों का नाम, पता, GST/PAN, वाउचर के प्रकार आदि प्रकार की जानकारी शामिल होती है। ग्राहक का नाम और पता भर कर उस ग्राहक का लेजर अकाउंट एक बार बृहत जानकारी में प्रविष्ट करने के बाद, उस ग्राहक के बिल और पेमेंट दर्ज करते समय हर बार उस ग्राहक की मूलभूत जानकारी प्रविष्ट करने की जरूरत नहीं होती। बृहत जानकारी से यह जानकारी साफ्टवेयर के माध्यम से अपनेआप (ऑटो पॉप्युलेट) जोड़ी जाती है। लेकिन, चूंकि बृहत जानकारी का इस्तेमाल बार बार होता है इसे भरते समय बेहद सावधानी बरतना आवश्यक होता है। व्यवहार दर्ज करते समय इस प्रकार की जानकारी साफ्टवेयर द्वारा बृहत जानकारी से अपनेआप जोड़ी जाती है, इसलिए अगर बृहत जानकारी में गलतियां हो तो वहीं ट्रांजैक्शन डाटा में कई बार दोहराई जाती हैं। अकांउंटिंग की अचूकता पर इसका उल्टा असर पड़ता है। यह बृहत जानकारी दर्ज करते वक्त समय समय पर हुए बदलाव (जैसे, ग्राहक के नाम या पते में हुए बदलाव) बृहत जानकारी में तुरंत प्रविष्ट करना जरूरी होता है।
हमने बृहत जानकारी प्रविष्ट करते समय अधिक अचूकता की आवश्यकता के बारे में जाना। अर्थात जानकारी की प्रविष्टियां अचूक होना, ट्रांजैक्शन की जानकारी साफ्टवेयर में प्रविष्ट करते समय भी महत्वपूर्ण होता है। फर्क इतना है कि बृहत जानकारी में शामिल मुद्दे, आर्थिक व्यवहार के परिणामों की अकाउंटिंग प्रविष्टियां करते समय साफ्टवेयर द्वारा ज्यों के त्यों उठाए जाते हैं। इसी लिए बृहत जानकारी का अचूक होना अधिक महत्वपूर्ण होता है।
इस संदर्भ में संगणक के बारे में ध्यान देने वाली बात है 'गार्बेज इन गार्बेज आउट GIGO' संकल्पना। इस संकल्पना के अनुसार संगणक जानकारी पर प्रक्रिया करने वाला सिर्फ एक यंत्र है। अगर आप प्रक्रिया की गई जानकारी उचित तथा अचूक रूप में चाहते हैं तो उसके लिए संगणक को भी उचित तथा अचूक जानकारी देना जरूरी है। संगणक को दी गई जानकारी अगर गलत हो तो उसमें स्वयं सुधार करने की क्षमता उसमें नहीं होती। तो उसी गलत जानकारी पर प्रक्रिया होगी, फलस्वरूप प्रक्रिया किए गए रिपोर्ट भी गलत पाए जाएंगे।
टैली या अन्य कोई भी अकाउंटिंग साफ्टवेयर इस्तेमाल करते समय जब आर्थिक व्यवहार का अकाउंटिंग दर्ज किया जाता है तब उचित अकाउंट को उचित रकम के डेबिट और क्रेडिट, अकाउंटिंग के नियम के अनुसार दिए जाने चाहिए। तभी उन प्रविष्टियोंसंबंधि सही रिपोर्ट टैली से मिलेगा। अकाउंटिंग करने वाला व्यक्ति इस संबंध में निर्णय लेता है, टैली नहीं। टैली एक बहुत ही यूजर फ्रेंडली साफ्टवेयर होने के नाते, कई लोगों को गलतफहमी हैं कि टैली ही सारा अकाउंटिंग करता है, हमें तो केवल वाउचर टैली में फीड करना होता है। इस गलतफहमी के कारण, कई कॉमर्स ग्रैजुएट टैली यूजर भी, किसी व्यवहार की जर्नल एंट्री के बारे में तुरंत जवाब नहीं दे पाते। वास्तव में टैली भी, बिल्कुल किसी अन्य संगणक साफ्टवेयर की तरह, केवल अकाउंटिंग के यांत्रिकी काम करता है और उस आधार पर अकाउंटिंग रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। उद्योजक एवं अकाउंटंट को ध्यान में रखना चाहिए कि टैली या अन्य अकाउंटिंग साफ्टवेयर, अकाउंटंट के हाथ में दिया केवल एक साधन है, कैलक्युलेटर की तरह। यह केवल अकाउंटंट के यांत्रिकी और अधिक समय लेने वाले काम को कम करता है, ये अकाउंटंट का विकल्प नहीं होता। अकाउंट मैन्युअल हो या कंप्युटराइज्ड, अकाउंटंट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
अब टैली की अन्य बृहत जानकारी के बारे में चर्चा करते है। बृहत जानकारी के बारे में सोचते समय कॉन्फिगरेशन और अकाउंटिंग फीचर ये दो महत्वपूर्ण विकल्प, बृहत जानकारीसंबंधि टैली मेन्यू में सामने आते हैं। यहाँ से उपयोगकर्ता को कई बातों का चयन करना होता है। जैसे, इसमें अकाउंट और स्टॉक को एक साथ दर्ज करना है या स्वतंत्र रूप से? क्या बिल का विवरण शुुरुआत में ही भरना है? क्या चेक प्रिंटिंग की जरूरत है? क्या बिल, पर्चेस ऑर्डर आदि को साफ्टवेयर से प्रिंट करना हैं? वाउचर एंट्री के स्क्रीन किस प्रकार के हो? आदि। इस संदर्भ में एक बार बृहत जानकारी में चयन करने के बाद, उसी आधार पर जानकारी और रिपोर्ट की रचना टैली में की जाती है।
इसके बाद बृहत जानकारी में आता है चार्ट ऑफ अकाउंट और इससे संबंधित अकाउंट गुट (ग्रुप)। व्यवसाय की आवश्यकता के अनुरूप लेजर अकाउंट खोलने की और गुट तय करने की सुविधा टैली में दी होती है। नई बनाई कंपनी में कॅश अकाउंट तथा लाभ एवं हानि खाते, ये दोनों खाते टैली साफ्टवेयर से पहले ही तैयार किए होते हैं। अन्य सभी अकाउंट, उपयोगकर्ता द्वारा तैयार किए जाते हैं। हर लेजर अकाउंट, किसी एक अकाउंट गुट का हिस्सा होता है। आम तौर पर बैलन्स शीट, लाभ एवं हानि खाते में जिन विभिन्न शीर्षकों के तहत जानकारी दी जाती है, उन पर आधारित 28 अकाउंट गुट टैली में पहले से ही तैयार किए होते हैं। इन 28 में से 15 प्रमुख तो 13 उपगुट होते हैं। 15 मुख्य गुटो में से 9 बैलन्स शीट से संबंधित और 6 लाभ एवं हानि खाते से संबंधित होते हैं। बृहत जानकारी में हर लेजर अकाउंट उचित अकाउंट समूह से जुड़ा होना बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि जिस गुट से विशेष लेजर अकाउंट जुड़ा हो उसके अनुसार उस अकाउंट के बैलन्स का विचार, टैली से प्राप्त बैलन्स शीट या लाभ एवं हानि खाते में किया जाता है। इसका अर्थ, हर लेजर अकाउंट से उचित गुट जोड़ने पर टैली से मिलने वाले अंतिम रिपोर्ट की अचूकता बड़ी मात्रा में निर्भर होती है। जैसे, प्रिंटिंग और स्टेशनरी ये अकाउंट आम तौर पर लाभ एवं हानि अकाउंट से संबंधित अप्रत्यक्ष खर्चे (इनडाइरेक्ट एक्स्पेन्सेस) गुट का हिस्सा होता है। बृहत जानकारी में अगर उस गुट में ना जुड़ कर बैलन्स शीट में लोन एवं अैडवान्सेस समूह से जुड़ जाए तो इस खाते में जो शेष होगा वह यानि स्टेशनरी का खर्चा, लाभ से न घट कर, बैलन्स शीट में संपत्ति के रूप में दर्ज होगा, जो वास्तव में व्यवसाय की संपत्ति है ही नहीं। इससे गलत आर्थिक चित्र उभर कर आएगा। इसलिए बृहत जानकारी में जरूरी सारे लेजर अकाउंट उचित अकाउंट गुट से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
टैली यूजर, पहले से मौजूद 28 गुटों के अतिरिक्त लेजर अकाउंट के नए समूह तैयार कर सकता है। जैसे, ग्राहक अर्थात डेटर लेजर अकाउंट के लिए भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार गुट और उपगुट तैयार कर सकता है। मिसाल के तौर पर, मुंबई, पश्चिम महाराष्ट्र, कोकण, मराठवाडा, खानदेश और विदर्भ आदि ग्राहक के मुख्य गुट एवं उसमें स्थित हर शहर के अनुसार उसमें उपगुट बनाए जा सकते हैं। इस प्रकार अगर समूह बनाए गए हो तो टैली से मिलने वाले ग्राहक रिपोर्ट क्षेत्रीय (एरियावाइज) मिलेंगे, जो बिल की वसुली और मार्केट प्रमोशन के लिए अधिक उपयुक्त होंगे। टैली में जिस प्रकार से गुट बनाए जाएंगे उसी प्रकार से टैली से बैलन्स शीट, लाभ एवं हानि खाता और गुट के हिसाब से रिपोर्ट मिल सकेंगे। पहले बनाए गुट और उपगुट में व्यवसाय की आवश्यकताओं के अनुसार समय समय पर बदलाव किए जा सकते हैं। ये बदलाव जरूरत के अनुसार होने ही चाहिए अन्यथा रिपोर्ट की उपयुक्तता कम होगी।
व्यवहार दर्ज करते समय बृहत जानकारी में देखा जाने वाला अगला महत्वपूर्ण हिस्सा है, व्यवसाय में इस्तेमाल होने वाले वाउचर के प्रकारों की सूची। उसे दर्ज करना, स्क्रीन की रचना, अन्य बृहत जानकारी के बारे में हम अगले भाग में जानेंगे।
मुकुंद अभ्यंकर चार्टर्ड अकाउंटंट हैं।
पिछले 30 वर्षों से आप कई कंपनियों के लिए लेखापरीक्षण तथा वित्तीय घटनाओं के विश्लेषण का काम कर रहे हैं।
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