स्विस लेथ की उपयुक्तता

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    31-मई-2021   
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आकार में छोटे और बड़े पैमाने पर उत्पादन होने वाले पुर्जों के लिए, पारंपरिक या सी.एन.सी. लेथ के बजाय स्लाइडिंग हेड या स्विस लेथ (चित्र क्र. 1) अधिक कार्यकुशल साबित होते हैं।

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स्विस लेथ में कार्यवस्तु को पकड़ने की यंत्र संरचना यानि कॉलेट, एक गाइड बुशिंग के पीछे लगाई होती है। स्विस लेथ को अक्सर स्विस स्क्रू मशीन, स्विस स्वचालित (ऑटोमैटिक) लेथ या स्विस टर्निंग सेंटर के नाम से भी जाना जाता है। स्विस लेथ और पारंपरिक लेथ के बीच का प्रमुख अंतर यह है कि इसमें बार स्टॉक पकड़ने वाली यंत्र संरचना यानि कॉलेट को, लेथ बेड और टूलिंग के सीधे संपर्क में नहीं आने दिया जाता। इस विशेष कॉन्फिगरेशन के कारण, पारंपरिक लेथ की तुलना में यह विशेष मशीन कई तरह से फायदेमंद साबित होती है।

स्विस लेथ के काम का तरीका
पारंपरिक लेथ में हेडस्टॉक स्थिर होता है और कार्यवस्तु को कॉलेट या चक में पकड़ा जाता है। पकड़ने वाले यह उपकरण (होल्डिंग डिवाइस), कार्यवस्तु को एक तरफ से पकड़ कर मशीन की खुली जगह में एक तो लटकती (कैंटिलिवर पद्धति में) खुली छोड़ देते हैं या कार्यवस्तु के दूसरे अंत को टेलस्टॉक द्वारा आधार दिया जाता है।

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स्विस मशीन में हेडस्टॉक का संचलन होता है (चित्र क्र. 2) और यही अन्य लेथ की तुलना में बड़ा फर्क है। यानि हेडस्टॉक के जिस हिस्से में चकिंग कॉलेट क्लैंप किया जाता है, उसमें से बार स्टॉक आरपार निकल जाता है। इसके बाद यह बार, गाइड बुशिंग में से जा कर टूलिंग क्षेत्र में प्रवेश करता है। यंत्रण करते वक्त, बार की अरीय (रेडियल) दिशा का स्थान बुशिंग द्वारा तय किया जाता है। हेडस्टॉक, बार को साथ ले कर Z दिशा में सटीकता से आगे पीछे संचलन करता है। गैंग स्लाइड पर स्थित टर्निंग टूल, गाइड बुशिंग के बिल्कुल करीब से इस बार से संपर्क करता है। बार के संचलन द्वारा, यंत्रण के लिए जरूरी सरकन गति मिलती है। टूल होल्डर पर स्थिर एकल बिंदु (फिक्स्ड सिंगल पॉइंट) या अन्य प्रकार के जरूरी टूल लगाए होते हैं। गैंग स्लाइड, इन टूल होल्डर को ले कर आगे पीछे घूमती है। गैंग स्लाइड पर लाइव टूलिंग भी बिठाया जा सकता है। कई मशीनों में बैक वर्किंग टूल स्टेशन और सबस्पिंडल होते हैं तो कुछ मशीनों में अतिरिक्त टूल युक्त टरेट और अन्य सुविधाएं भी होती हैं।

स्विस लेथ की क्षमता और लाभ


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जिनकी लंबाई और व्यास का अनुपात अधिक होता है, ऐसी कार्यवस्तुओं (चित्र क्र. 3) का यंत्रण प्रक्रिया के दौरान विचलन होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। जिन पुर्जों की लंबाई और व्यास का अनुपात 20:1 है, ऐसे पुर्जों का यंत्रण करने की क्षमता स्विस मशीन में है क्योंकि बार को आधार देने वाले गाइड बुशिंग से केवल कुछ मिलीमीटर दूरी पर ही यह यंत्रण किया जाता है। इतने करीब से यंत्रण करने से अचूकता बढ़ती है और कार्यवस्तु को स्थिरता मिलती होती है। साथ ही टूल की आयु भी बढ़ती है। इन विशेषताओं के कारण सटीक टॉलरन्स वाले पुर्जों का उत्पादन स्विस लेथ पर आसानी से और उच्च बारंबारता से किया जा सकता है। अभी उपलब्ध स्विस टर्निंग मशीन में लंबी और पतली कार्यवस्तुओं की टर्निंग के अलावा, अन्य यंत्रण काम करने की भी क्षमता है। जैसे क्रॉस मिलिंग, क्रॉस ड्रिलिंग, प्रोफाइल मिलिंग, गहरे और लंबे छेदों की ड्रिलिंग और थ्रेड वर्लिंग, बैक टर्निंग, बैक ड्रिलिंग, सबस्पिंडल की सहायता से स्लॉटिंग ऑपरेशन आदि। इस क्षमता के कारण छोटे आयामों (डाइमेन्शन) वाले क्लिष्ट पुर्जों का यंत्रण करना बहुत आसान हो जाता है।

उदाहरण
1. कैन्सलस स्क्रू

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पारंपरिक टर्निंग सेंटर पर कैन्सलस स्क्रू (चित्र क्र. 4) का उत्पादन करते वक्त, बार पकड़ने के लिए विशेष कॉलेट की रचना और निर्माण करना पड़ता है। समकेंद्रीयता और रेडियल टॉलरन्स प्राप्त करने के लिए बार को विशेष सेंटर में पकड़ना जरूरी होता है।
चित्र क्र. 4 में हम देख सकते हैं कि बार की दोनों छोरों पर विशिष्ट ज्यामिति में यंत्रण करना जरूरी है। इसका मतलब है, मशीन का सेटअप कई बार बदलना पड़ेगा और यंत्रण के दौरान एक से ज्यादा काट और पास लेने पड़ेंगे। स्विस लेथ पर कैन्सलस स्क्रू का यंत्रण ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि उसमें किसी भी विशेष होल्डर तथा सेंटर की जरूरत नहीं होती। मशीन में स्थित गाइड बुश के कारण यह आसानी से हो जाता है। स्विस मशीन में बैक टर्निंग ऑपरेशन होने से, एक से अधिक सेटअप और काट की भी जरूरत नहीं पड़ती। यानि उत्पादन करते समय ज्यादा तकलीफ नहीं उठानी पड़ती, आवर्तन काल कम होता है और मशीन अधिक क्षमता से चलती है। फलस्वरूप उत्पादन अधिक किफायती होता है।

2. पेडिकल स्क्रू हेड


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कैन्सलस स्क्रू के यंत्रण की तरह ही, पेडिकल स्क्रू हेड की ड्रॉइंग में भी (चित्र क्र. 5) यह दिखाया गया है कि क्लिष्ट ज्यामिति का यंत्रण करना पड़ेगा। इसके लिए पारंपरिक टर्निंग सेंटर पर ज्यादा सेटअप करने पड़ते हैं, फलस्वरूप इसके यंत्रण का आवर्तन काल बढ़ता है। इसमें मिलिंग, स्लॉटिंग, ड्रिलिंग तथा थ्रेडिंग प्रक्रियाएं शामिल हैं। स्विस मशीन सेंटर पर बैक टर्निंग प्रकार का यंत्रण आसानी से किया जा सकता है और ये सभी काम एक ही सेटअप में करना संभव है। स्विस मशीन में बार को जहाँ गाइड बुश का आधार दिया जाता है, वहाँ एकदम पास से काट लिए जाते हैं। इससे उच्च गुणवत्ता के अच्छे काट मिलते हैं।

3. स्टॉपर के साथ वायर

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स्विस प्रकार की मशीन का इस्तेमाल क्यों किया जाए इसकी बेहतरीन मिसाल है चित्र क्र. 6 में दिखाया गया पुर्जा। चित्र क्र. 6 में दिखाएनुसार, लंबाई और व्यास का अनुपात बहुत ज्यादा है। पारंपरिक लेथ पर, कार्यवस्तु प्रमुख स्पिंडल के कॉलेट में पकड़ी जाती है। यह कॉन्फिगरेशन लंबी वस्तुओं के लिए ठीक नहीं होता क्योंकि उसमें विचलन होने की संभावना अधिक होती है। ऐसी स्थिति में बार को कॉलेट में पकड़ा जाने से पर्याप्त आधार नहीं मिलता और जब टूल धातु को काटता है, तब निर्माण होने वाले बल के कारण कार्यवस्तु में विचलन आ सकता है। स्विस मशीन में बार फीडर, बार स्टॉक को गाइड बुशिंग में सरकाता है। इस प्रकार, कटिंग टूल गाइड बुश के एकदम पास से कार्यवस्तु के संपर्क में आता है और आधार के बिल्कुल नजदीक ही यंत्रण किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कार्यवस्तु में किसी भी प्रकार का विचलन या टेढ़ापन नहीं आएगा और अपेक्षित टॉलरन्स हासिल किए जाएंगे।

निष्कर्ष
दुनिया में स्विस मशीन का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पारंपरिक सी.एन.सी. लेथ मशीन की तुलना में, सी.एन.सी. स्विस लेथ में उच्च कार्यप्रदर्शन करने वाले गाइड बुशिंग और लगभग शून्य विचलन, यह दो मुद्दे यंत्रण के अधिकांश कामों में अत्यंत फायदेमंद साबित होते हैं।


भूषण पिटकर यांत्रिकी अभियंता हैं।
आपको ऑर्थोपेडिक इप्लैंट डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में काम करने का 30 वर्षों से अधिक अनुभव हैं।
टर्निंग सेंटर और स्विस लेथ के इस्तेमाल से सटीक और छोटे भाग बनाने में आपने प्रवीणता हासिल की है।
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