उद्योग सफलतापूर्वक चलाते समय, यंत्रों का अधिकतम उत्पादक उपयोग करने से ही समस्त उत्पाद की कीमत न्यूनतम रखना और फलस्वरूप प्रतिस्पर्धा में आगे रहना मुमकिन होता है। इसके लिए न्यूनतम समय में अधिकतम यंत्रण करना ये एक आसान मंत्र है। कई पुर्जों के निर्माण में, विभिन्न प्रकार के छिद्रों के लिए ड्रिलिंग करना आवश्यक होता है। आसान लगने वाले इस काम में ड्रिल भोंथरा होना, ड्रिल को मशीन से निकाल कर तेज करना, फिर से उसे बिठाना, ड्रिल फिर से बिठाते समय अचूक यंत्रण हेतु उचित मापन करना...आदि कामों में समय बेकार हो कर उत्पादकता कम हो जाती है। इसकी कई मिसालें हैं। साथ ही, स्टील से बने सामान्य ड्रिल की सरकन गति अधिक नहीं रखी जा सकती।
बार बार किए जाने वाले ये काम आसान बनाने हेतु हमने कार्बाइड इंडेक्सेबल हेड 'ड्रिलमाइस्टर' (चित्र क्र. 1) विकसित किया है।
चित्र क्र. 1 : ड्रिलमाइस्टर
ड्रिलमाइस्टर श्रेणी के ड्रिल, 6 मिमी. से 25 मिमी. के आकार में, 0.1 मिमी. के स्तर से बढ़ते व्यास में और 1.5D, 3D, 5D, 8D एवं 12D लंबाई में उपलब्ध हैं। इनसे 1.5 से 12 तक L/D अनुपात वाले छिद्रों का आसानी से यंत्रण किया जा सकता है। स्टील, कास्ट आयरन, स्टेनलेस स्टील जैसे भिन्न मटीरीयल से बने पुर्जों के लिए ये ड्रिल उपयुक्त हैं।
स्टील से बने ड्रिल की नोक पर नए प्रकार का कार्बाइड इन्सर्ट बिठाया है जो ड्रिलमाइस्टर की विशेषता है। इस प्रबंध के दो लाभ हैं, स्टील ड्रिल के इस्तेमाल से यंत्रण में मिलने वाला लचीलापन बना रहता है और कार्बाइड इन्सर्ट के कारण अधिक सरकन गति रख कर तेजी से यंत्रण किया जा सकता है। कास्टिंग जैसे पुर्जों पर आम ड्रिल का इस्तेमाल करते समय लगभग 0.25 से 0.30 मिमी./ फेरा यह सरकन गति रखी जा सकती है। लेकिन कार्बाइड इंडेक्सेबल हेड के इस्तेमाल से यही यंत्रण 0.45 से 0.6 मिमी./फेरा इस सरकन गति से, अर्थात अधिक गति से किया जा सकता है। इससे उत्पादकता बढ़ती है। इसके स्थान पर अगर पूरे कार्बाइड टूल इस्तेमाल करें तो कुल लागत बढ़ती है।
इस ड्रिलमाइस्टर से टूल की इन्वेंटरी भी कम रखी जा सकती है। सारांश में कहे तो प्रत्यक्ष यंत्रण करते समय एक, स्टोर में एक और एक रीग्राइंडिंग के लिए ऐसे कुल तीन टूल तैयार रखने पड़ते हैं। इस मामले में पूरे टूल के बजाय सिर्फ ड्रिलमाइस्टर के कार्बाइड इंडेक्सेबल हेड को स्टॉक में रख कर काम बनता है। यंत्रण करते समय कार्बाइड इंडेक्सेबल हेड, एक चाबी की मदद से जगह पर बदला जा सकता है। इससे टूल रीसेटिंग नहीं करना पड़ता और समय की बचत होती है।
अन्य विशेषताएं • ड्रिलमाइस्टर के बड़े हेलिकल अैंगल और उच्च गुणवत्ता के पॉलिश किए फ्ल्यूट (चित्र क्र. 2) के कारण, यंत्रण करते समय चिप जल्दी बाहर सरकती हैं। इस प्रबंध के कारण, विशेष रूप से 5D या 8D जैसी गहराई वाले छिद्रों का यंत्रण करते समय पुर्जे खराब नहीं होते।
चित्र क्र. 2 : ड्रिलमाइस्टर का विवरण
• सारे ड्रिलमाइस्टर के शैंक, Ø16, 20, 25 मिमी. तथा फ्लैट कॉटर आकार में तैयार किए जाने से विभिन्न पॉवर चक होल्डर और कॉलेट चक होल्डर में आसानी से बिठाए जाते हैं।
• चूंकि ड्रिलमाइस्टर का फ्लैंज, होल्डर को चिपकता है (चित्र क्र. 3), यंत्रण करते समय ऑफसेट की अचूकता मिलती है।
चित्र क्र. 3
• बैक स्टॉपर के कारण यंत्रण करते समय सरकन गति अधिक रखी जा सकती है।
ड्रिलमाइस्टर का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखनेयोग्य मुद्दे
• शीतक का प्रवाह (फ्लो) और शीतक का दबाव (प्रेशर) उचित रखें।
• ड्रिल का रनआउट और अलाइनमेंट 0.02 मिमी. में रखें।
• छिद्र के व्यास के 8 गुना गहरा (8D) या समरूप गहरा यंत्रण करते समय हो सके तो पहले छिद्र के व्यास के 1.5 गुना गहरा (1.5D) यंत्रण कर लें या यंत्रण करते समय शुरुआत में 50% सरकन गति रखें।
ड्रिलमाइस्टर पर कार्बाइड इंडेक्सेबल हेड बिठाने की पद्धति
इस ड्रिल पर इंडेक्सेबल हेड बिठाना और निकालना (चित्र क्र. 4) बेहद आसान है। इंडेक्सेबल हेड के लिए दी हुई चाबी से हेड कस कर बिठाया जा सकता है। आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला RHS थ्रेडिंग इसमें होने से, बिठाना और निकालना आसान होता है।
चित्र क्र. 4 : कार्बाइड हेड बिठाने की पद्धति
व्यास में फर्क -0.3/+0.15 होने पर, छिद्र का पृष्ठीय फिनिश रफ होने पर, यंत्रण करते समय आवाज आने पर, ड्रिल हेड गरम होने पर ड्रिलमाइस्टर बदल दें।
ड्रिलमाइस्टर में सॉलिड ड्रिल का लचीलापन और इंडेक्सेबल ड्रिल की कार्यक्षमता का उचित संयोजन (कॉम्बिनेशन) है। अधिक उत्पादकता पाने हेतु ड्रिलिंग में कार्बाइड टूल का उपयोग करने के बजाय, कार्बाइड इंडेक्सेबल हेड ड्रिल के इस्तेमाल से कम लागत में और आसानी से यंत्रण करना मुमकिन हुआ है।
तालिका क्र. 1
पुणे के पास स्थित एक कारखाने में वी.एम.सी. पर नकल जॉइंट इस पुर्जे का यंत्रण करते समय, आम टूल की जगह टंगालॉय का टूल इस्तेमाल करने से उत्पादकता में पाया गया फर्क तालिका क्र. 1 में दिया है। यंत्रण का समय कम होने से, उत्पादकता बढ़ने के साथ टूल की आयु भी बढ़ी हुई देखी जा सकती है।
जय शाह टंगालॉय इंडिया प्रा. लि. में प्रबंधक निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
आपको इस क्षेत्र में लगभग 15 वर्षों का अनुभव है।
9769444547
[email protected]