वाउचर का उपयोग और महत्व

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    22-जून-2021   
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टैली में लेजर अकाउंट, उनके ग्रुप तथा अन्य मास्टर तैयार करने के बारे में और उद्योजक की दृष्टि से उनके महत्व को हमने पिछले लेख में जाना है। इस लेख में अन्य बृहत जानकारी (मास्टर डेटा) के बारे में समझ लेंगे।
शुरुआती लेखों में हमने देखा कि व्यवसाय से संबंधित कोई भी वित्तीय घटना जिसे हम व्यवहार या ट्रांजैक्शन कहते हैं, दर्ज करना अकाउंटिंग का पहला चरण होता है। हमने यह भी देखा कि इस प्रकार की प्राथमिक प्रविष्टियां, जर्नल एंट्री इस नाम से विभिन्न रजिस्टर में लिखी जाती है। इसे लिखने से पहले, जिस व्यवहार को दर्ज करना है उसकी पूरी महत्वपूर्ण जानकारी विशेष फॉरमेट में कागज पर बने एक डॉक्युमेंट पर लिखी जाती है। इस डॉक्युमेंट को अकाउंटिंग की भाषा में वाउचर कहा जाता है। आज के डिजिटल युग में, कॅश मेमो जैसे कम रकम के और बड़ी संख्या में बनने वाले डॉक्युमेंट, पॉईंट ऑफ सेल्स (POS) मशीन द्वारा टैली में इम्पोर्ट किए जाते हैं और फिर प्रिंट किए जाते हैं। ऐसे अपवाद छोड़ कर, ऑडिट और व्यवहार पर उचित नियंत्रण रखने की दृष्टि से अकाउंट्स खातों में पहले डॉक्युमेंट बनाया जाता है। उस पर योग्य अधिकारी वर्ग की स्वीकृति उनके हस्ताक्षर द्वारा ली जाती है और फिर उसे हिसाब में दर्ज किया जाता है। विशेष आर्थिक व्यवहार और उसे अकाउंट में दर्ज करना, इन दोनों के बीच वाउचर एक कड़ी के तौर पर काम करता है। वाउचर, अकाउंटंट द्वारा बनाया गया संबंधित व्यवहार का कागजी प्रमाण होता है।
 
अब इसे कानून की दृष्टि से प्रमाणित करने के लिए वाउचर बनाने के बाद उसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्वीकृति लेनी पड़ती है। उसके लिए वाउचर पर उनके दस्तखत लिए जाते हैं। दस्तखत करने से पहले संबधित अधिकारी, वाउचर को पूरक (सपोर्टिंग) के तौर पर जोड़े गए दस्तावेजों को जांचते हैं। वाउचर, कंपनी द्वारा बनाया गया एक अंतर्गत डॉक्युमेंट होता है, तो उसे जोड़े गए पूरक दस्तावेज आम तौर पर एक्स्टर्नल यानि व्यवसाय से बाहरी व्यक्ति और संस्था से मिलना अपेक्षित होता है। जैसे, पर्चेस वाउचर के पूरक दस्तावेज होते हैं आपूर्तिकर्ता के बिल और चलन, साथ ही स्टोर विभाग से अकाउंट्स को मिली गुड्स रिसीट नोट (GRN) की कॉपी। जगह का किराया देनेसंबंधि बैंक पेमेंट वाउचर हो तो मालिक से मिली किराए की रसीद, वाउचर का पूरक डॉक्युमेंट होता है। कर्मचारी द्वारा दिए गए यात्रा बिल का पेमेंट करते समय जो कैश वाउचर बनाया जाता है, उसके साथ होटल बिल, यात्रा के टिकट आदि डॉक्युमेंट जोड़े जाते हैं। सपोर्टिंग के संदर्भ में टैली में एक बेहद उपयुक्त सुविधा उपलब्ध है, जिसके बारे में जानना फायदेमंद है। बृहत जानकारी की सेटिंग और कस्टमाइजेशन सुविधाओं के उपयोग से इस सपोर्टिंग की स्कैन की हुई कॉपी, हम संबंधित वाउचर के डेटा से कमेंट के तौर पर जोड़ सकते हैं। यानि किसी वाउचर का सपोर्टिंग देखना हो तब वाउचर की बॉक्स फाइल खोजने की जरूरत नहीं। फिलहाल 'क्लाउड कंप्यूटिंग' और 'वर्क फ्रॉम होम' के जमाने में ये कई बार मुमकिन नहीं हो सकता। टैली या अन्य किसी भी साफ्टवेयर में अकाउंटिंग करते समय, अकाउंटिंग वाउचर एक प्राथमिक और अत्यंत महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट होता है। इसी लिए टैली में वाउचर एंट्री करने हेतु 'स्क्रीन अैंड डेटा' संबंधित कार्यपद्धति निश्चित करने के लिए भिन्न प्रकार के बृहत जानकारी विकल्प चुनने की सुविधा होती है।
 
उद्योजक और उसके अकाउंटंट ने समझना जरूरी है कि वाउचर एंट्री का काम अकाउंट्स डिपार्टमेंट में रोज किया जाने वाला काम है। अकाउंट्स डिपार्टमेंट में जितनी श्रम शक्ति (मैन अवर्स) उपलब्ध होती है उसका आधे से ज्यादा समय इस काम पर खर्च होता है। साथ ही अकाउंटिंग कुशलता और ऑडिट नियमों का अधिकतम इस्तेमाल इसी काम में होता है। एक बार वाउचर एंट्री अचूक हो जाने पर, अकाउंटिंग नियमों के अनुसार अगली प्रक्रिया टैली में ही होती है और मनचाहे रिपोर्ट रियल टाइम बेसिस पर मिलते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि अकाउंट्स डिपार्टमेंट में वाउचर एंट्री का काम जिस पद्धति से किया जाता है वह पद्धति, टैली से संबंधित रिपोर्ट बृहत जानकारी की रचना जिस प्रकार की गई है उस पर निर्भर होती है। अर्थात यह रचना, व्यवसाय से संबंधित आर्थिक जानकारी समय पर और अचूक पद्धति से पाने हेतु जरूरी सारी डेटा एंट्री करने की दृष्टि से सक्षम होना आवश्यक है।
 
वाउचर संबंधित बृहत जानकारी में पहले तय करना होता है कि वाउचर के कौनसे प्रकार व्यवसाय में इस्तेमाल होगे और वाउचर के हर प्रकार के लिए डेटा एंट्री स्क्रीन किस प्रकार दिखनी चाहिए। टैली ERP में वाउचर के कुल 28 प्रकार पहले ही तैयार होते हैं जैसे पेमेंट, रिसीट, सेल्स, पर्चेस, जर्नल, डेबिट नोट, क्रेडिट नोट, स्टॉक जर्नल, डिलिवरी नोट, कॉन्ट्रा आदि। उपयोगकर्ता इन मुख्य प्रकारों से जुड़े कई अन्य प्रकार तैयार कर सकता है। जैसे, सेल्स वाउचर प्रकार में कैश सेल्स और क्रेडिट सेल्स ये दो प्रकार बनाए जा सकते हैं। बृहत जानकारी में पहले फीड करना पड़ता है कि किसी भी प्रकार के वाउचर का क्रमांक साफ्टवेयर से तैयार करना है या कागज पर बने वाउचर पर जो क्रमांक अकाउंट्स डिपार्टमेंट ने लिखा हो उसी क्रमांक से वाउचर एंट्री करनी है। पूर्वक्रमांकित वाउचर होना ऑडिट की दृष्टि से बेहतर माना जाता है क्योंकि बीच में कोई वाउचर घुसा कर या फीड किए वाउचर डीलिट कर के हिसाब में हेराफेरी की जाने की संभावना बहुत कम होती है। वाउचर कॉन्फिगरेशन मेन्यू इस्तेमाल कर के हर प्रकार की डेटा एंट्री स्क्रीन किस प्रकार दिखनी चाहिए, इसे भी तय किया जा सकता है। बैंक पेमेंट वाउचर से चेक प्रिंटिंग का विकल्प जोड़ा जा सकता है, ताकि पेमेंट वाउचर फीड किए बिना चेक जारी नहीं किया जा सकता। टैली मास्टर में होने वाले इस एक सेटिंग से, चेक पार्टी को दे कर भी हिसाब में न लेने जैसी बातों पर रोक लगती है। रिटेल व्यवसाय में जहाँ POS मशीन द्वारा बिक्री होती हो वहाँ ऐसे मशीन का आउटपुट टैली में इंपोर्ट करने का सेटिंग तथा अन्य कस्टमाइजेशन किया जा सकता है। इससे डेटा एंट्री का समय बचता है और साथ में रियल टाइम बेसिस पर अकाउंटिंग और स्टॉक एंट्री भी अपने आप होती हैं। मास्टर सेटिंग द्वारा होलसेल, रिटेल जैसी विभिन्न प्राइस लिस्ट स्टॉक और इन्वॉइसिंग मेन्यू से जोड़ कर विशेष रेट से बिल बनाए जा सकते हैं।
 
वाउचर के प्रकार के अनुसार वाउचर में पहले अकाउंटिंग परिणाम के लिए डेबिट या क्रेडिट, ये डेटा एंट्री स्क्रीन में अपने आप तय होते हैं। उसके बाद उपयोगकर्ता अन्य लेजर अकाउंट चुन कर उन्हें कितनी रकम का डेबिट या क्रेडिट देना है उसे फीड कर सकता है। वाउचर एंट्री हो गई, यह बात उपयोगकर्ता द्वारा टैली में फीड की जाने के बाद वाउचर में होने वाले डेबिट और क्रेडिट परिणामों का जोड़ टैली में किया जाता है। जोड़ एकसमान हो तब ही उस वाउचर को अकाउंटिंग डेटा में शामिल किया जाता है। यानि वाउचर एंट्री के पड़ाव पर ही डेबिट और क्रेडिट समान होने की पुष्टि होने के कारण टैली में ट्रायल बैलन्स और उस पर आधारित बैलन्स शीट का जोड़ मेल खाता ही है। वाउचर एंट्री, टैली में फीड होने के बाद संबंधित लेजर अकाउंट में साफ्टवेयर द्वारा पोस्टिंग तुरंत और अपने आप होता है। इस प्रकार, जिस तारीख तक या जिस पल तक आर्थिक व्यवहार टैली में दर्ज किए गए हो उस समय तक के बैलन्स शीट, लाभ-हानि पत्रक और अन्य रिपोर्ट, वाउचर एंट्री के फौरन बाद टैली से मिल सकते हैं।
 
अब तक हमने टैली में स्थित बृहत जानकारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की। एक बढ़ई के लिए, लकड़ी काटने के साथ बीच में आरी तेज करना जितना जरूरी है, वैसे ही उद्योजक और अकाउंटंट ने टैली में होने वाली बृहत जानकारी समय समय पर जांचना और व्यवसाय की जरूरत के अनुसार बदलाव करना आवश्यक होता है।
 
अगले लेख में हम टैली से मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण रिपोर्ट याने बैलन्स शीट और लाभ-हानि पत्रक के बारे में जानकारी लेंगे। साथ में यह भी जानेंगे कि टैली से कौनसे अन्य रिपोर्ट मिल सकते हैं और इनसे मनचाही जानकारी कैसे मिलती है।
 
मुकुंद अभ्यंकर चार्टर्ड अकाउंटंट हैं।
पिछले 30 वर्षों से आप कई कंपनियों के लिए लेखापरीक्षण तथा वित्तीय घटनाओं के विश्लेषण का काम कर रहे हैं।
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