इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार रहते समय...(भाग 4)

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    22-जून-2021   
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धातुकार्य के मई 2021 के अंक में छपे लेख में हमने इंडस्ट्री 4.0 के लिए VDMA (जर्मन इंजीनीयरिंग उत्पादन उद्योगों के संगठन) द्वारा सुझाए गए मार्गदर्शक तत्वों से संबंधित ढ़ांचे का अध्ययन किया। ये तत्व, बनाई जाने वाली वस्तुओं एवं उनके उत्पादन की प्रक्रिया में चौथी औद्योगिक क्रांति के अनुसार कौनसे सुधार किए जाने चाहिए, इसके बारे में सूत्रबद्ध और सर्वसमावेशक मार्गदर्शन करते हैं। उत्पाद तथा उत्पादन की प्रक्रिया, इन दोनों के लिए जिन 6 तत्वों के बारे में बताया गया है, उनकी सूचि आगे दी गई ।

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उत्पादित वस्तुओं के लिए तत्व
1. सेन्सर अैक्चुएटर का समावेश
2. संचार तथा संपर्क की क्षमता
3. सूचनाओं का आदानप्रदान और भंडारण
4. निरीक्षण-निदानात्मक-अनुमानात्मक क्षमता
5. पूरक जानकारी पर आधारित सेवाएं
6. विविध व्यवसायों के प्रारूप
 
उत्पादन प्रक्रिया के लिए तत्व
1. सूचनाओं पर प्रक्रिया
2. मशीनों के बीच संदेशों का आदान प्रदान
3. विभागों के बीच संदेशों का आदान प्रदान
4. उद्योगों के बीच संदेशों के आदान प्रदान के लिए यंत्रणा
5. मानव और मशीन परस्परसंबंध
6. छोटी और किफायती बैच
 
इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार यह अपेक्षित है कि प्रत्येक उद्योग अपने उत्पादों तथा उत्पादन की प्रक्रिया में इन सूत्रों का अधिकतम समावेश, योग्य रीति से करे। इसके कारण उद्योग को अधिक उन्नत, ग्राहकोन्मुख, वैश्विक स्पर्धा का सामना करने में सक्षम और अधिक किफायती बनाया जा सकता है। इन सारे लाभों को पाने के लिए केवल इन मार्गदर्शक तत्वों को समझना काफी नहीं है, बल्कि इसके लिए बताए गए सुव्यवस्थित मार्ग को भी अच्छी तरह समझना आवश्यक है। प्रस्तुत लेख में हम इस मार्ग तथा इसके विभिन्न चरणों का अध्ययन करेंगे।
 
इंडस्ट्री 4.0 के लिए आवश्यक तत्वों को कार्यान्वित करने की प्रक्रिया
 
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चित्र क्र. 1
 
चित्र क्र. 1 में दर्शाएनुसार मार्गदर्शक तत्वों का ढ़ांचा समझ लेने के बाद उसे कार्यान्वित करने के लिए 5 चरणों वाली प्रक्रिया सुझाई गई है। प्रस्तुत लेख में हम इन 5 चरणों को संक्षेप में समझेंगे और उसके पश्चात उनका उदाहरण सहित स्पष्टीकरण देखेंगे।
 
इंडस्ट्री 4.0 एक बहुत ही व्यापक परिकल्पना है, अतः इससे पहले कि कोई भी लघु, मध्यम अथवा बड़ा उद्योग इंडस्ट्री 4.0 की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए, उस उद्योग के नेतृत्व में इसके बारे में समुचित स्पष्टता होना अनिवार्य है। ऐसा होने पर ही उद्योग के संचालक, मालिक तथा प्रबंधक सम्मिलित रूप से प्रयास कर के,
• अपने उद्योग की दीर्घकालीन नीति और उद्देश्य निर्धारित कर सकेंगे।
• उद्योग के सारे विभागों में सर्वसम्मति और सूत्रबध्दता ला सकेंगे।
• इंडस्ट्री 4.0 की दिशा में आगे बढ़ने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को पूरी तरह समर्थन (मानव संसाधन, आर्थिक संसाधन, नीतिगत निर्णय आदि सभी स्तरों पर) प्रदान कर सकेंगे।
इन न्यूनतम आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने के बाद, इस बात की अपेक्षा की जाती है कि आगे दिए गए पांच चरणों को क्रमशः और पर्याप्त क्षमता के साथ पार किया जाए। चित्र क्र. 2 देखें।

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चित्र क्र. 2
1. तैयारी (3-9 माह)
उद्योग में इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार सुधार करने के लिए यह आवश्यक है की उस उद्योग के सारे स्तर (संचालक, साझेदार, प्रबंधक, कर्मचारी और श्रमिक) तथा सारे विभाग (अभियांत्रिकी, उत्पादन, बिक्री, वाणिज्य, वित्त, आपूर्ति शृंखला आदि) द्वारा इंडस्ट्री 4.0 की परिभाषा, उसकी परिकल्पना और संभावित परिवर्तनों को समझ ले। इन समस्त घटकों की इसके बारे में धारणा और उनके द्वारा प्रयुक्त भाषा में समानता होनी चाहिए। इसके लिए, तैयारी के इस स्तर पर यह अपेक्षित है कि सारे विभागों के प्रतिनिधि होने वाली एक कोर टीम की स्थापना की जाए और उसके द्वारा पूर्ण उद्योग में इंडस्ट्री 4.0 के लिए पर्याप्त जागरूकता लाई जाए।
2. स्वपरीक्षण (3-6 माह)
इस चरण में यह अपेक्षित है कि उद्योग में (अर्थात इंडस्ट्री 4.0 के लिए स्थापन की गई कोर टीम के द्वारा) आंतरिक और बाह्य, दोनों स्तरों पर स्वपरीक्षण किया जाए। आंतरिक परीक्षण में, उद्योग के शक्तिस्थल, विभिन्न विभागों के कौशल तथा क्षमताएं, पता लगानेयोग्य कमजोर कड़ियां, सुधार के लिए अवसर आदि बातों की समीक्षा की जाए। यह आंतरिक परीक्षण SWOT (स्वॉट - मजबूती, कमजोरी, मौका, चुनौती) पद्धति से किया जा सकता है। बाह्य परीक्षण में अपने उत्पाद का बाजार, बिक्री एवं सेवा देने की पद्धतियां, अपने प्रतिस्पर्धी, नई तथा आगामी तकनीक आदि मुद्दों का अवलोकन किया जाना चाहिए। इसके अनुसार बाहरी दुनिया में अपनी वर्तमान स्थिति तथा अगले 5-10 सालों में अपेक्षित स्थिति के बारे में अनुमान लगाना आवश्यक है। इस हेतु, इंडस्ट्री 4.0 के मार्गदर्शक तत्वों के आधार पर भी उद्योग की वर्तमान स्थिति को नापा जा सकता है और स्पाइडर चार्ट के माध्यम से उसकी तुलनात्मक स्थिति को दर्शाया जा सकता है। प्रत्येक तत्व, 0 से 5 के मापन में कहाँ पर है इसका अंदाजा ले कर तुलना की जा सकती (चित्र क्र. 3) है।

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चित्र क्र. 3
3. विचार विमर्श (1-2 माह)
पिछले चरण में किए गए परीक्षणों के आधार पर, किन नए व्यवसाय प्रारूपों का पालन करना है? उसके लिए किस प्रकार के सुधार आवश्यक हैं और कौनसी नई कल्पनाओं को कार्यान्वित करना संभव है? इसकी विस्तृत समीक्षा करना, इस चरण का उद्देश्य है। इसके लिए कोर टीम और अन्य पूरक घटकों द्वारा एक साथ कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए। इन कार्यशालाओं में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों के द्वारा खुद के दृष्टिकोण तथा सभी संभव नई कल्पनाओं के बारे में चर्चा की जानी चाहिए और तत्काल करनेयोग्य तथा दीर्घकालीन उपायों की सूचि बनाई जानी चाहिए। साथ ही उद्योग में भविष्य में इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार व्यवसाय के कौनसे माध्यमों और प्रारूपों का उपयोग किया जाए इसकी भी सूचि बनानी होगी। उत्पाद और उत्पादन प्रक्रिया में सुधार करनेसंबंधि मार्गदर्शक तत्वों के बारे में हमने पहले देखा ही है। इनका संदर्भ लेना भी यहाँ महत्वपूर्ण है।
 
4. मूल्यांकन (1-2 माह)
कार्यशालाओं में सुझाई गई कल्पनाओं, उपायों और व्यवसाय प्रारूपों का मूल्यांकन कर के उनमें से प्राथमिकता से क्रियान्वयन करने के उपाय निश्चित करना, यही इस चरण का उद्देश्य है। इसके अनुसार, उत्पादों तथा उत्पादन प्रक्रियाओं में प्राथमिकता से किए जाने वाले सुधारों की सूची बना कर उसके लिए विस्तृत नियोजन किया जाना चाहिए। इसी के साथ अपने उत्पादों अथवा सेवाओं को विविध पद्धतियों से ग्राहकों तक पहुँचाने के जिन नए तरीकों का कार्यान्वयन किया जा सके, उनका भी विस्तृत अध्ययन इस चरण में किया जाना चाहिए। इस अभ्यास तथा मूल्यांकन के अंत में आगामी 3, 6 और 12 माह में किए जाने वाले सुधारों की योजनाओं का अग्रक्रम निर्धारित करना और उससे 2-3 पथदर्शी प्रकल्प (पाइलट प्रोजेक्ट) का चुनाव किया जाना अपेक्षित है।
 
5. कार्यान्वयन (3-9 माह)
यह अंतिम परंतु अत्यंत महत्वपूर्ण चरण है। पिछले चरणों में चुने गए 2-3 पथदर्शी प्रकल्पों का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन इस चरण में किया जाता है। यहाँ ना केवल कोर टीम बल्कि उद्योग के सारे विभागों के अन्य कर्मचारी, प्रबंधक और साथ ही उद्योगों के चुनिंदा सप्लाइअर एवं वितरकों का भी कुछ ना कुछ सहभाग होगा। इन सब के द्वारा जानी गई इंडस्ट्री 4.0 संबंधि संकल्पनाओं का यहाँ प्रयोग होगा, उन्हें कसौटी पर परखा जाएगा और उससे कुछ मार्गदर्शक परियोजनाएं आकार लेगी। यह आवश्यक नहीं है कि ये प्रकल्प केवल तकनीकी सुधारों से संबंधित होगे बल्कि ये वाणिज्य, सप्लाई चेन तथा वित्त जैसे विभिन्न विभागों में सुधार लाने वाले भी होगे। इन मार्गदर्शक परियोजनाओं के माध्यम से उस उद्योग की इंडस्ट्री 4.0 की दिशा में ठोस प्रगति शुरू होगी।
 
उपरोक्त वर्णित 5 चरणों से आगे जाने वाली यह प्रक्रिया, लगभग एक से दो वर्ष तक चल सकती है। उसके पश्चात निश्चित ही कुछ ठोस परिवर्तन दिखेंगे।
 
मिसाल
उत्पादित वस्तुओं तथा उत्पादन प्रक्रिया इन दोनों के लिए ये सुधार किस प्रकार कार्यान्वित किए जा सकते हैं, इसे हम दो प्रतिनिधिक उदाहरणों के द्वारा समझ लेंगे। पहला उदाहरण इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार उन्नत बनाई गई उत्पादन प्रक्रिया के बारे में है जबकि दूसरा उदाहरण उत्पाद से संबंधित है।
 
'कार्चर' की इंडस्ट्री 4.0 असेंब्ली लाइन
'कार्चर' लगभग 85 वर्ष पुरानी जर्मन कंपनी है जो औद्योगिक, घरेलू और व्यवसायिक उपयोग के लिए सभी प्रकार की सफाई मशीनों का निर्माण करती है। यह कंपनी दुनियाभर के 60 से अधिक देशों में लगभग 1 करोड़ से अधिक मशीनों की बिक्री करती है। इस प्रख्यात कंपनी ने 2018 में इंडस्ट्री 4.0 के सिद्धांतों के अनुसार असेंब्ली लाइन को आधुनिक बनाया। कार्चर अपने ग्राहकों की पसंद एवं मांग के अनुसार, सफाई मशीनों में छोटे से छोटे बदलाव भी कर के मशीनों का निर्माण करती है। अतः उनके द्वारा 40,000 से अधिक प्रकार की मशीनें उत्पादित की जाती हैं। इनमें से प्रत्येक मशीन की मांग 1000 से ले कर 1 तक भी हो सकती है। इस मांग को पूरा करने के लिए कार्चर को ऐसी असेंब्ली लाइन जरूरी थी जो किसी भी प्रकार की मशीन का उत्पादन, किसी भी मात्रा में पूर्ण कार्यक्षमता तथा गति के साथ सटीकता से कर सके। इसके लिए उन्होंने QR कोड, RFID, स्वचालित नियंत्रक आदि आधुनिक तकनीक का और उत्पादन सुधारों की कानबान, 5S आदि मानक पद्धतियों का प्रयोग किया। स्टुटगार्ट की फ्रोनहोफर इंस्टिट्यूट के सहयोग से उन्होंने केवल दो महीनों में ही आधुनिक असेंब्ली लाइन स्थापित की और अगले साल भर में लगभग 1 करोड़ से अधिक मशीनों की असेंब्ली सफलतापूर्वक की।
 
 
1. यहाँ बनाई जाने वाली प्रत्येक मशीन को अपना अनन्य QR कोड दिया जाता है। बनाई जाने वाली प्रत्येक मशीन के सारे पुर्जे, असेंब्ली का अनुक्रम, असेंब्ली के बाद की जाने वाली जांच आदि सारी जानकारी उस कोड के साथ संलग्न कर के एक केंद्रीय संगणक प्रणाली में भंड़ारित की जाती है।
 
 
2. प्रत्येक मशीन की असेंब्ली शुरू करते समय QR कोड को स्कैन कर के, असेंब्ली ट्रॉली ले कर ऑपरेटर एक-एक चरण पार करता है। इस प्रत्येक ट्रॉली पर QR कोड स्कैनर भी लगाया होता है। पूरी असेंब्ली लाइन के प्रत्येक चरण पर जरूरी पुर्जों के ट्रे हरे रंग से प्रकाशित होते हैं। जब ऑपरेटर योग्य पुर्जों का चुनाव कर के असेंब्ली करता है तब रंग नीला हो जाता है जो यह दर्शाता है कि असेंब्ली पूर्ण हो गई है, या फिर लाल हो जाता है (असेंब्ली अपूर्ण/गलत है।) और ऑपरेटर को यह सूचना तत्काल मिल जाती है। कार्चर ने इस प्रणाली को 'पिक बाइ लाइट' (प्रकाश के आधार पर चुनाव) यह नाम दिया है।
3. संपूर्ण असेंब्ली के बाद जांच केंद्र पर भी QR कोड के अनुसार योग्य जांचें चुनी जाती है और उन्हें स्वचालित रूप से संचालित किया जाता है। चित्र क्र. 4 देखें।

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चित्र क्र. 4
इस पद्धति के कारण असेंब्ली और जांच के प्रत्येक चरण में आवश्यक समय, पुर्जों की त्रुटियां, ऑपरेटर के अनुसार कार्य में होने वाले परिवर्तन आदि बातों को स्वचालित रूप से दर्ज किया जाता है। पैकिंग, भंड़ारण, परिवहन, बिक्री पश्चात सेवा, अनुसंधान, नवीन निर्माण जैसे कई विभागों को इस सारी जानकारी का बहुत उपयोग होता है।
 
अगर इंडस्ट्री 4.0 के मार्गदर्शक तत्वों के अनुसार देखा जाए तो इस उदाहरण में सूचनाओं पर प्रक्रिया, मशीनों के बीच तथा विभागों के बीच संदेशों का आदानप्रदान और मानव-मशीन परस्परसंबंध इन चार क्षेत्रों में काफी सुधार किए गए। इन सारी बातों द्वारा 'छोटी और किफायती बैच' यह छठा लक्ष्य भी साध्य हो गया। ऐसी व्यवस्था बनाई गई कि सिर्फ 1 मशीन का उत्पादन भी पूरी कार्यक्षमता से करना संभव हुआ। चित्र क्र. 3 के प्रथम स्पाइडर चार्ट में इस सुधार को तुलनात्मक रूप से दिखाया गया है।
 
के.एस.बी. की कार्यक्षमता नापने की व्यवस्था
पंपिंग क्षेत्र में एक ख्यातकीर्त नाम है के.एस.बी.। उत्तम गुणवत्ता के कार्यक्षम पंप बनाना इसकी विशेषता है। इंडस्ट्री 4.0 के अनुसार अपने उत्पाद में अधिक सुधार करने की दृष्टि से, के.एस.बी. ने करीब 4 वर्षों से सोनोलाइजर नाम का अैप विकसित किया है। स्थापित किए गए अथवा उपयोग किए जाने वाले पंपसेट की ऊर्जा कार्यक्षमता सहजता से और निःशुल्क मापने के लिए यह अैप बहुत उपयोगी है।
1. किसी भी पंप सेट की जानकारी इसमें दर्ज करने और फिर मोबाईल हैंडसेट के माइक की सहायता से पंप की आवाज कुछ सेकंडों के लिए रिकॉर्ड करने पर यह अैप, पंप की आवाज की विभिन्न बारंबारताओं का पृथक्करण और विश्लेषण कर के उसकी कार्यक्षमता के बारे में उपयुक्त जानकारी देता है।
2. इसके लिए यह अैप, इंटरनेट के माध्यम से दूरस्थ सर्वर के संपर्क में रहता है।
3. इस विश्लेषण से यह जानकारी तुरंत मिलती है कि पंप सेट कितनी प्रतिशत कार्यक्षमता से काम कर रहा है, उसमें कोई दोष हैं अथवा नहीं, इसमें भविष्य में कोई दोष उत्पन्न हो सकते हैं अथवा नहीं। संक्षेप में, इस अैप के कारण पहले से प्रचलित यांत्रिकी रचना का पंप अब 'पंप + सोनोलाइजर अैप' के रूप में अधिक 'स्मार्ट' बन गया है।
 
इंडस्ट्री 4.0 के, उत्पादों के लिए मार्गदर्शक तत्वों के अनुसार देखने पर यह पता चलता है कि इस नए उत्पाद में सभी 6 तत्वों को ध्यान में रखा गया है। पंप को मोबाईल हैंडसेट जैसी आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने से यह सहज ही साध्य हो जाता है। मोबाईल हैंडसेट के माइक का उपयोग, सेन्सर की तरह किया जाता है। इसकी सहायता से निर्मित जानकारी पर विश्लेषण और भंड़ारण की प्रक्रियाएं की जाती है। इसके लिए मोबाईल सेट की संदेशों का आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया और भंड़ारण की क्षमता का उपयोग हुआ। इन सब बातों की सहायता से निरीक्षण और निदान का अनुमान लगाना (यानि पंप के बारे में अधिक उपयुक्त जानकारी प्राप्त करना) संभव हुआ। इससे पूरक जानकारियों पर आधारित सेवा (जैसे पंप की दूर से देखभाल करना, सपोर्ट सेंटर के माध्यम से समस्याओं को सुलझाना) और अन्य विविध प्रकार के व्यवसायों के प्रारूप (उदाहरणार्थ पंप की बिक्री ना कर के उसके उपयोग पर आधारित मुआवजा लेना, पुराने पंप सेट का पुनर्जीवन) इत्यादि कार्य भी साध्य हो सकते हैं। चित्र क्र. 3 में दूसरे स्पाइडर चार्ट में इस सुधार को दर्शाया गया है।
 
हमारी लेखमाला में अभी तक के पांच लेखों में इंडस्ट्री 4.0 के विभिन्न अंगों तथा तत्वों का संक्षेप में परंतु व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
 
 
हृषीकेश बर्वे आइ.आइ.टी. मुंबई से इंस्ट्रुमेन्टेशन, सिस्टम एवं कंट्रोल में एम. टेक. कर चुके हैं।
आपको कंट्रोल सिस्टम, ऑटोमेशन, मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम तथा ऊर्जा व्यवस्थापन जैसे क्षेत्रों संबंधि अनुसंधान एवं निर्माण में 12 सालों का अनुभव है।
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