महत्वपूर्ण आर्थिक रिपोर्ट

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    14-जुलाई-2021   
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किसी भी व्यवसाय की संपत्तियों एवं देनदारियों की, किसी भी समय की, स्थिति मालिक या संचालकों को मालूम होना आवश्यक होता है। यह जानकारी, बैलन्स शीट और प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट इन दो महत्वपूर्ण रिपोर्टों से मिलती है। टैली जैसे आधुनिक साफ्टवेयर के इस्तेमाल से, ये रिपोर्ट बनाना अब आसान हो गया है। इन रिपोर्टों की विशेषताएं इस लेख से आप जान सकते हैं।
इस लेख में हम टैली से मिलने वाले महत्वपूर्ण आर्थिक रिपोर्टों के बारे में जानेंगे। इसकी शुरुआत हम सबसे महत्वपूर्ण फाइनल अकाउंट्स से यानि बैलेंस शीट और प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट इन दो रिपोर्टों से करेंगे।
इस लेखमाला के पहले प्रकाशित भागों में हमने यह जाना है कि कारोबार में हुआ फायदा और नुकसान, और कारोबार की कुल संपत्ति एवं देनदारी इन दो बातों की कालानुरूप स्थिति को निश्चित अंतराल के बाद जानने हेतु, हिसाब-किताब रखने के लिए एक आर्थिक वर्ष निर्धारित किया जाता है। इस हिसाब के आधार पर, वर्ष के अंत में बैलेंस शीट और प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट ये दो अत्यंत महत्वपूर्ण रिपोर्ट, जिन्हें फाइनल अकाउंट्स कहा जाता है, बनाए जाते हैं। चूंकि टैली या अन्य कई अकाउंटिंग साफ्टवेयर ऑनलाइन पद्धति से काम करते हैं, किसी भी आर्थिक लेनदेन की वाउचर एंट्री होते ही, तुरंत उस लेनदेन तक के बैलेंस शीट और प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट उपयोगकर्ता को मिल सकते हैं। इसलिए अधिकांश उद्योगों में आजकल प्रतिदिन या हर माह की आखरी तारीख को, या तिमाही की समाप्ति पर, फाइनल अकाउंट्स निकालना एक सामान्य बात है। ये महत्वपूर्ण रिपोर्ट जितने रियल टाइम बेसिस पर और सही समय पर उपलब्ध होगे, उतना ही इनके आधार पर उद्यमी सही आर्थिक निर्णय ले सकेंगे। अंग्रेजी में कहावत है, 'ए स्टिच इन टाइम सेव्ज नाइन'। उसी तरह, साल के अंत में बनाए जाने वाले बैलेंस शीट और प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट, ये दो रिपोर्ट आजकल आयकर और अन्य कर तथा कानूनों के लिए जो रिटर्न भरने पड़ते हैं, उन्हें तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। मैनेजमेंट के उपयोग के लिए ये रिपोर्ट आर्थिक वर्ष के दौरान ही निकाले जाते हैं और उनके आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।
व्यवसाय में किसी भी दिन संपत्ति और देनदारियों की स्थिति को बैलेंस शीट दिखाता है और इसके लिए बीते दिनों में हुए जो लाभ एवं नुकसान जिम्मेदार हैं, उनका चित्र प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट दर्शाता है। बैलेंस शीट, किसी विशिष्ट समय पर संपत्ति और देनदारियों की स्थिति की फोटो जैसा होता है, जब कि प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट एक वीडियो की तरह होता है जो फायदे और नुकसान के लिए जिम्मेदार घटनाओं के प्रवाह को दिखाता है। चूंकि बैलेंस शीट किसी विशिष्ट तारीख की स्थिति को दिखाता है, उसका शीर्षक 'xxx दिनांक की बैलेंस शीट' होता है। प्रॉफिट अैंड लॉस रिपोर्ट किसी लेजर अकाउंट की तरह किसी विशिष्ट कालावधि में अलग अलग कारणों से कितनी आमदनी हुई और इस आमदनी के लिए विभिन्न मुद्दों पर कितना खर्चा हुआ यह दिखाता है। इसलिए इसका शीर्षक 'xxx वर्ष का, xxx माह का, xxx तिमाही का' या किसी विशिष्ट कालावधि का प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट इस तरह लिखा जाता है। इसी कारण अंग्रेजी में इसके लिए प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट जैसे सटीक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। यह एक अकाउंट होता है, इसलिए यह किसी विशिष्ट कालावधि के लिए होता है जबकि बैलेंस शीट में संपत्ति और देनदारी का किसी विशिष्ट तारीख के लिए हिसाब-किताब दिखाया जाता है इसलिए वह उसी तारीख के लिए सीमित होता है।
पारंपरिक पद्धति के अनुसार फाइनल अकाउंट्स अंग्रेजी 'T' अक्षर के समान फॉरमैट में बनाए जाते हैं। बैलेंस शीट में इस फॉरमैट में बाईं तरफ व्यवसाय की सारी देनदारियां (लाएबिलिटीज) होती हैं और दाहिनी तरफ सारी संपत्तियां (अैसेट) दिखाई जाती हैं। प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट्स में बाईं तरफ व्यवसाय के सारे खर्चे लिखे होते हैं जबकि दाहिनी तरफ सारी आमदनियां दिखाई जाती हैं। आड़े T फॉर्म में जिस तरह फाइनल अकाउंट्स बनाए जाते हैं उसी प्रकार वे, अलग पद्धति से, खड़े फॉरमैट में भी दर्शाए जा सकते हैं। फिलहाल खड़ा फॉरमैट प्रचलित है। कंपनी कानून में फाइनल अकाउंट्स और ऑडिट रिपोर्टों में किस फॉरमैट में, किस प्रकार से वर्गीकरण कर के, कौनसी जानकारी किस प्रकार दी जानी चाहिए इसके संदर्भ में व्यवस्था दी गई है, इसलिए कंपनियों के आर्थिक रिपोर्ट एक नियत फॉरमैट में ही बनाए होते हैं। प्रचलित पद्धति के अनुसार कंपनी कानून द्वारा सूचित किया गया फाइनल अकाउंट्स का फॉरमैट भी खड़ा ही होता है।
खड़े फॉरमैट में फाइनल अकाउंट्स के दो खड़े भाग होते हैं। इनमें बैलेंस शीट के पहले खड़े भाग में व्यवसाय की देनदारियां दिखाई जाती हैं और आखिर में पहले भाग का यानि देनदारियों का कुल योग दिखाया जाता है। बैलेंस शीट के, बाद में आने वाले दूसरे खड़े भाग में व्यवसाय की सभी संपत्तियां दर्शा कर आखिर में उस भाग का यानि कुल संपत्तियों का योग दिखाया जाता है। खड़ी पद्धति में, लिखे गए प्रॉफिट अैंड लॉस रिपोर्ट के मामले में, पहले खड़े भाग में आमदनी के सभी स्रोत और अंत में आमदनी का कुल योग दिखाया होता है। दूसरे खड़े भाग में, किए गए सभी खर्चे और आखिर में उनका कुल योग दिखाया जाता है। उसके बाद आने वाले भागों में खर्चे को घटा कर प्राप्त शुद्ध आमदनी अर्थात लाभ और अगर खर्चों का कुल योग आमदनी से अधिक हो, तो हुए नुकसान के बारे में विभिन्न स्तंभों में जानकारी दी जाती है।
फाइनल अकाउंट्स के शुरू में, शीर्षक के एक भाग के रूप में ही यह लिखा होता है कि इस पत्रक में दिए आंकड़े पूरे रुपयों में लिखे हैं अथवा संक्षिप्त रूप में जैसे हजार, लाख या करोड़ में। यह एक बहुत महत्वपूर्ण बात है। अगर इसे ध्यान में रखे बिना ये रिपोर्ट पढ़े जाएंगे तो उन्हें समझने में बड़ी गलतियां हो सकती हैं। साथ ही फाइनल अकाउंट्स में चालू वर्ष के साथ ही पिछले साल के आंकड़े भी दिखाए जाते हैं, जिनसे चालू वर्ष के आंकड़ों का संदर्भ समझने में बहुत मदद मिलती है।
इस लेखमाला में इससे पहले के भागों में हमने देखा है कि अकाउंटिंग की दृष्टि से यह माना जाता है कि व्यवसाय का एक स्वतंत्र अस्तित्व होता है, किंतु यह भी माना जाता है कि व्यवसाय का स्वयं का कुछ नहीं होता। अतः व्यवसाय में कोई संपत्ति है, तो उसे अर्जित करने के लिए उतनी ही रकम के बराबर की देनदारी भी होती है और इसी लिए हमेशा व्यवसाय की समस्त संपत्तियों का योग सारी देनदारी के कुल योग के बराबर होता है, उनमें अंतर नहीं होता। इसी लिए खड़े फॉरमैट में व्यवसाय में कहाँ से या किससे पैसा आया है अर्थात पैसे का स्त्रोत, पहले भाग में दिखाया जाता है और प्राप्त पैसे का किन संसाधनों में निवेश किया गया है यानि व्यवसाय की संपत्ति क्या और कितनी है, यह दूसरे भाग में दिखाया जाता है।
व्यवसाय के मालिक द्वारा व्यवसाय में निवेश किया गया पैसा, उनकी पूंजी माना जाता है। इसे अगर व्यवसाय के दृष्टिकोण से देखें, तो व्यवसाय की मालिक के प्रति देनदारी है। इसका मतलब है कि व्यवसाय में जो भी संसाधन इस्तेमाल किए गए हैं उनका स्त्रोत, कुछ मात्रा में मालिक से प्राप्त पूंजी होती है और शेष बाहरी संस्थाओं और व्यक्तियों से व्यवसाय के लिए कर्ज के रूप में प्राप्त राशि होती है। व्यवसाय के मालिक व्यवसाय करते हैं और इसी कारण व्यवसाय से जो भी फायदा या नुकसान होता है उसका उत्तरदायित्व भी मालिक का ही होता है। इसीलिए प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट में अगर फायदा हुआ हो तो वह रकम व्यवसाय के लिए मालिक के प्रति देनदारी होती है। इसके विपरीत अगर नुकसान हुआ हो, तो वह मालिक के कारण होने से उतनी रकम मालिक से वसूल करने का अधिकार व्यवसाय के पास होता है। इसका मतलब है कि व्यवसाय के दृष्टिकोण से नुकसान, व्यवसाय के लिए मालिक से लेनदारी होती है। अन्य लेनदारियों की तरह यह भी व्यवसाय की संपत्ति ही होती है। प्रॉफिट अैंड लॉस अकाउंट के अनुसार दिखाया गया फायदा या नुकसान इसी लिए बैलेंस शीट में दिखाया जाता है और इस रकम को मालिक की पूंजी से लेना या देना दिखाया जाता है।
व्यवसाय के बाद लगाए गए हिसाब का सारांश होता है फायदा या नुकसान और संपत्ति तथा देनदारी। बैलेंस शीट में यह सारी जानकारी समाविष्ट होने के कारण, अकाउंटिंग का मूलभूत सूत्र उसमें प्रतिबिंबित होता है कि, 'संपत्ति = मालिक द्वारा लगाई गई पूंजी + बाकी देनदारी'। अर्थात सारी संपत्तियों का योग, मालिक के द्वारा लगाईं गई पूंजी और अन्य देनदारी इन सबके योग के बराबर होता है। इसलिए व्यवसाय में बैलेंस शीट का बहुत महत्व है। अगले लेख में हम फाइनल अकाउंट्स के अन्य पहलुओं के बारे में चर्चा करेंगे।
 
 
मुकुंद अभ्यंकर चार्टर्ड अकाउंटंट हैं।
पिछले 30 वर्षों से आप कई कंपनियों के लिए लेखापरीक्षण तथा वित्तीय घटनाओं के विश्लेषण का काम कर रहे हैं। 
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