रजिस्टर कमांड

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    14-जुलाई-2021   
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गतिमान एवं अचूक निर्माण के आज के दौर में, सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग एक आम बात बन गई है। लेकिन मशीन के साफ्टवेयर तथा नियंत्रक को दिया गया प्रोग्रैम और यंत्रण की वास्तविक स्थिति में अंतर हो सकता है। इसी लिए, पोजिशन रजिस्टर जैसे विशिष्ट कमांड के उपयोग से सिद्धान्त और वास्तव का मेल कर के अचूक उत्पादन किया जा सकता है। इस लेख में यही स्पष्ट किया गया है।
 
 
सी.एन.सी. मशीन का प्रोग्रैमिंग करते समय, उपलब्ध संदर्भ बिंदुओं (रेफरन्स पॉइंट) को एक दूसरे की अनुमति तथा संबंध से जोड़ना आवश्यक होता है। इसे ही हार्मोनाइज करना कहा जाता है। कार्यवस्तु होने वाला संदर्भ बिंदु (प्रोग्रैम जीरो) और टूल का अग्र (टिप) इनमें कुछ निश्चित साधनों द्वारा जोड़ बनाना जरूरी होता है। टूल प्रत्यक्ष मशीन एरिया में कहाँ है इसकी सटीक जानकारी, नियंत्रण प्रणाली (कंट्रोल सिस्टम) को देने वाली व्यवस्था की आवश्यकता होती है। टूल के वर्तमान स्थान को प्रोग्रैम द्वारा नियंत्रण प्रणाली की मेमोरी में ड़ाला जा सकता है। इस पद्धति से जानकारी देने के लिए G कमांड की आवश्यकता होती है, इस कमांड को पोजिशन रजिस्टर कहा जाता है।
पोजिशन रजिस्टर कमांड : नियंत्रण प्रणाली में मौजूद प्रिपरेटरी कमांड ही G कोड कमांड है। आगे दिए दो कमांड का इस्तेमाल, टूल के पोजिशन रजिस्टर के तौर पर किया जाता है।

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वर्तमान प्रगत सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग में, उपरोक्त दोनों पोजिशन रजिस्टर कमांड हटा कर उनके बजाय प्रगत या लचीले (फ्लेक्जिबल) वर्क ऑफसेट G54 से G59 कमांड दिए गए हैं। फिर भी विषय जानने या कौशल बढ़ाने के लिए, G92 और G50 के बारे में अधिक जानना आवश्यक है।

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पोजिशन रजिस्टर कमांड की परिभाषा : अक्ष पर प्रोग्रैम जीरो से टूल के वर्तमान स्थान के बीच का अंतर या दिशा, पोजिशन रजिस्टर कमांड से सेट की जाती है। उपरोक्त परिभाषा से जाना जा सकता है कि इसमें मशीन जीरो का कहीं भी उल्लेख नहीं है बल्कि टूल के वर्तमान स्थान के बारे में विचार किया गया है।

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चित्र क्र. 1
 
 
परिभाषा के अनुसार दूरी एक ही दिशा में होती है या वह प्रोग्रैम जीरो से टूल के वर्तमान स्थान तक होती है। प्रोग्रैम जीरो से टूल स्थान तक दिशा दर्शाई जाती है।
इससे प्रोग्रैम में हर अक्ष के लिए उचित चिन्ह होता है।
1. पॉजिटिव (+Ve)
2. निगेटिव (-Ve)
3. जीरो (0)
उपरोक्त तीनों में से एक चिन्ह जरूर होना चाहिए। पोजिशन रजिस्टर सिर्फ अैब्सोल्युट मोड में ही काम करती (G90) है।
प्रोग्रमिंग फॉरमैट
G92 X...Y...Z...

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चित्र क्र. 2 : मशीन जीरो को वर्तमान टूल का पोजिशन रजिस्टर सेट किया है।
 
 
 
उपर दिए फॉरमैट में प्रत्येक अक्ष के सामने दिया मूल्य (वैल्यू), प्रोग्रैम जीरो से टूल संदर्भ बिंदु तक की दूरी दर्शाता है।

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चित्र क्र. 3
 
 
टूल पोजिशन सेटिंग
G92 कमांड का मुख्य कार्य होता है नियंत्रण मेमोरी में टूल का वर्तमान स्थान दर्ज करना। G92 कमांड जिस ब्लॉक में दी जाती है उस ब्लॉक के कारण मशीन में कोई भी संचलन नहीं होता। G92 से होने वाला असर सिर्फ अैब्सोल्युट पोजिशन मोड में कंप्युटर के स्क्रीन पर दिखाई देगा।
 
 
मशीनिंग सेंटर पर अैप्लिकेशन
सी.एन.सी. मशीनिंग सेंटर पर काम करते समय पहले हर अक्ष के लिए पोजिशन रजिस्टर स्थापित करना पड़ता है। इसके लिए आगे दिए दो पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता है।
1. टूल पोजिशन मशीन जीरो पर सेट करना।
2. टूल पोजिशन मशीन जीरो से अलग करना।

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चित्र क्र. 4
 
 
टूल सेट मशीन जीरो पर
इसमें मशीन जीरो पोजिशन ही टूल चेंज पोजिशन होनी चाहिए, किंतु व्यवहारिक रूप से या वास्तव में काम करते समय यह मुमकिन नहीं है। उदाहरण के तौर पर आगे दी गई प्रोग्रैम लाइन देखें।
G92 X25 Y12 Z10.5
इसके लिए सी.एन.सी. ऑपरेटर को X अक्ष मशीन जीरो से अचूक 25 मिमी. पर सेट करना होगा। उसी समय Y अक्ष मशीन जीरो से 12 मिमी. पर और Z अक्ष मशीन जीरो से अचूक 10.5 मिमी. पर सेट करना (चित्र क्र. 1) होगा।
 
 
मशीन जीरो के बाजू में टूल सेट
इसमें प्रोग्रैमर X Y टूल पोजिशन मशीन ट्रैवल मर्यादा में कहीं भी सेट कर सकता है। यहीं पोजिशन, टूल चेंज पोजिशन के तौर पर X Y अक्ष के लिए इस्तेमाल कर सकता है। मशीन जीरो की जरूरत न होने के कारण ऑपरेटर कार्यवस्तु का सेटअप टेबल पर कहीं भी कर सकता है।
शुरुआती टूल चेंज पोजिशन तक टूल लाने के लिए ऑपरेटर प्रोग्रैम जीरो से G92 ब्लॉक में दी गई दूरी तक हाथ से टूल ले जाता है, जो बेहद आसान है। एक बार टूल चेंज पोजिशन प्रस्थापित होने के बाद प्रोग्रैम के अन्य सारे टूल, बदलाव हेतु, टूल चेंज पोजिशन पर आएंगे। इस पद्धति में एक नुकसान है, नियंत्रण प्रणाली की पॉवर शुरू रहने तक ही टूल बदलाव मेमोरी में संग्रहित होता है। मशीन की पॉवर जाने पर या मशीन बंद कर के फिर शुरू करने के बाद, टूल चेंज पोजिशन बनाए (रिटेन) नहीं रहते, बल्कि मेमोरी से निकल जाती है। उन्हें फिर से दर्ज करना पड़ता है।
 
 
Z अक्ष पोजिशन रजिस्टर
खड़ी (वर्टिकल) मशीन में, स्वचालित टूल बदलाव होने के लिए Z अक्ष मशीन जीरो तक पीछे ले जाना पड़ता है। पोजिशन रजिस्टर मूल्य, प्रोग्रैम जीरो से Z अक्ष पर दिए संदर्भ टूल टिप तक या Z अक्ष मशीन जीरो पर हो तब लेना पड़ता है। प्रत्येक टूल का Z मूल्य अलग होता है।
 
 
मिसाल
खड़े मशीन सेंटर पर कार्यवस्तु प्रोग्रैम में पोजिशन रजिस्टर कमांड इस्तेमाल करने हेतु आगे दिए नियमों का पालन करना पड़ता है।

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चित्र क्र. 5
1. पहले यंत्रण टूल बदलें।
2. किसी भी टूल के संचलन से पहले G92 प्रस्थापित करें।
3. यंत्रण का कार्य पूरा होने के बाद टूल G92 पोजिशन पर आना ही चाहिए। इसके लिए आगे प्रोग्रैम दिया है।
02501 (प्रोग्रैम नंबर)
N1 G21(सेट मैट्रिक यूनिट)
N2 G17 G40 G80 G90 T01 (टूल 1 तैयार)
N3 M06 (टूल नंबर 1 स्पिंडल में)
N4 G92 X15 Y10 Z40 (करंट X Y सेट)
N5 G00 X5 Y1 S800 M03 (पोजिशन पर लाना)
N6 Z1 M08 (मुव टू क्लियर अबोव)
N7 G01 Z-0.5 F5.0 (फीड टू डेप्थ)
N8 X5 Y7 F7.0 (खांचा यंत्रण)
N9 G00 Z40 M09 (रैपिड टू Z मशीन जीरो)
N10 X15 Y10 M05 (रैपिड टू X Y सेट पोजिशन)
N11 M01 वैकल्पिक विराम (ऑप्शनल स्टॉप), टूल 1 के लिए
 
 
स्किप कमांड (G31)
स्किप कमांड और ब्लॉक स्किप कमांड ये दोनों अलग कमांड हैं। ब्लॉक स्किप कमांड (\) इस चिन्ह द्वारा दर्शाई जाती है। यह कमांड फर्स्ट ब्लॉक कैरेक्टर के रूप में आती है। G31 प्रोग्रैमेबल मोशन कमांड है। इस कमांड का इस्तेमाल, सी.एन.सी. मशीन पर प्रोबिंग डिवाइस के लिए होता है। साथ में स्वचालित टूल लंबाई मापन (ऑटोमैटिक टूल लेंग्थ मेजरमेंट) और पार्ट अलाइनमेंट जैसे अैप्लिकेशन के लिए भी इस कमांड का इस्तेमाल होता है।
G31 कमांड, G01 के समान है। लीनियर इंटरपोलेशन, आर्क के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उसी प्रकार, नियमित यंत्रण के लिए भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह कमांड G40 कटर त्रिज्या कैन्सल मोड में ही इस्तेमाल करनी होती है।
G31 स्किप फंक्शन
G31 प्रोग्रैम फॉरमैट
G31 X(U)...Z(W)...P...F
X, Z - G90 अैब्सोल्युट कमांड में एंड पॉइंट कोऑर्डिनेट

G91 इन्क्रिमेंटल कमांड में एंड पॉइंट कोऑर्डिनेट
P - P1 से P4 तय किए स्किप सिग्नल सोर्स। अगर P निश्चित
नहीं किया हो, तो पहला निर्धारित P1 मूल्य लिया जाता है।
F - G31 ब्लॉक में सरकन गति
 
 
कार्य : G31 कमांड, G01 के समान काम करती है। लेकिन कार्य करते समय स्किप सिग्नल मिलने पर वह ब्लॉक को काम करने से रोकती है और प्रोग्रैम अगले ब्लॉक की ओर बढ़ता है। स्किप सिग्नल ट्रिगर होने के बाद सिस्टम, ब्रेक पॉइंट कोऑर्डिनेट संग्रहित करता है।
 
 
 
 
सतीश जोशी सी.एन.सी. मशीनिंग के तज्ञ एवं सलाहकार है।
विभिन्न महाविद्यालयों में अध्यापन का काम करते समय आपकी सी.एन.सी. लेथ विषय पर पुस्तक प्रकाशित हुई है।
आपने संगणक संबधित किताबें मराठी तथा अंग्रेजी भाषा में लिखी हैं।
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