अभियांत्रिकी ड्रॉइंगसंबंधि तरकीबें – 1

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    17-अगस्त-2021   
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डिजाइन तैयार करने के लिए कुछ साल पहले तक पारंपरिक साधनों का उपयोग किया जाता था। अब कैड (CAD) अर्थात कम्प्युटर एडेड डिजाइन के उपयोग से उत्पादक, बेहद कम समय में अचूक डिजाइन तैयार कर सकते हैं। इसके साफ्टवेयर में शामिल विविध कमांड तथा प्रतिबंधों (कंस्ट्रेंट) के उचित इस्तेमाल से आरेखन का काम आसन एवं शीघ्र हो जाता है।
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किसी वस्तु के निर्माण का सबसे पहला और महत्वपूर्ण घटक होता है उसका डिजाइन। डिजाइन पूरा करने के लिए तकनीकी कुशल अभियंताओं की और अनुरूप समूह की जरूरत होती है।
 
 
डिजाइन तैयार करने के लिए आगे दी गई बातों पर विचार करना आवश्यक होता है।
1. वस्तु की आवश्यकताएं
2. वस्तु की तकनीकी व्यवहार्यता (फीजिबिलिटी)
3. वस्तु की उत्पादन प्रक्रिया
4. बाजार में बिक्री योग्य कीमत
5. उपयोगकर्ता के लिए सुरक्षित
6. इस्तेमाल में आसानी
7. उपलब्ध श्रमशक्ति और उनकी तकनीकी कुशलता
8. अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मापदंड़
 
 
डिजाइन तैयार करने के लिए कुछ साल पहले तक पारंपरिक साधनों का उपयोग किया जाता था। इस हेतु विभिन्न आकार के कागज, H/2H पेन्सिल, ड्राफ्टर आदि का इस्तेमाल होता था। इस प्रक्रिया में समय जाता था। अब नई तकनीक की सहायता से, साफ्टवेयर के इस्तेमाल से डिजाइन बनाए जाते हैं। द्विमितीय आरेखन के साथ त्रिमितीय आरेखन भी आसानी से बनाए जाते हैं। इससे समय बचाने के साथ अचूकता भी प्रभावशाली रूप से साध्य हो सकती है। आजकल छोटी कारीगरी से जटिल अभियांत्रिकी संरचना तक कैड का इस्तेमाल देखा जा सकता है। कैड (CAD) अर्थात कम्प्युटर एडेड डिजाइन, को संगणक पर आधारित डिजाइन पद्धति कह सकते हैं। इससे उत्पादक, बेहद कम समय में अचूक डिजाइन तैयार कर सकते हैं। साथ ही, उत्पादन से पहले ही मिलने वाली उसकी आभासी प्रतिमा की सहायता से उसका नमूना (प्रोटोटाइप) जांचा जा सकता है।
 
 
कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों में डिजाइन साफ्टवेयर के उचित इस्तेमाल (डिजाइन साफ्टवेयर युटिलाइजेशन) के संदर्भ में कई वर्कशॉप लेने का मौका मिला। उनमें से भारी उद्योग क्षेत्र की एक कंपनी में साफ्टवेयर से संबंधित कुछ मर्यादाओं का पता चला। उस कंपनी के पास विभिन्न प्रकल्प थे, जिनके लिए हर समय साफ्टवेयर में अलग अलग कमांड का इस्तेमाल करना पड़ता था। विविध कामों में व्यस्त कर्मचारियों को, किस टूलबार में संबंधित कमांड होगी, यह ध्यान में रख कर उसके अनुसार काम करना मुश्किल होता था। इसमें समय हाथ से निकल रहा था और साथ में प्रोजेक्ट को समय में पूरा करना मुश्किल लग रहा था। इसलिए कंपनी ने इस पर हमसे उपाय के बारे पूछा। इस पर तुरंत ही एक उपाय मेरे मन में आया, जो आपकी सुविधा के लिए आगे दिया है।
1. 'फाइल' मेन्यू में सबसे उपर बायीं ओर क्लिक करें।
2. वहाँ 'सर्च' निशान दिखाई देगा।
3. इसमें आवश्यक 'कमांड' टाइप करें।
4. 'कमांड' के साथ उससे संबंधित जानकारी भी उपलब्ध होगी।
 
इससे कंपनी का समय बचा और तकलीफ भी कम हुई। जो व्यक्ति साफ्टवेयर के इस्तेमाल करने में नए हैं उनके लिए भी यह विकल्प उपयुक्त होगा।
 
ड्रॉइंग करते समय हम कई कमांड इस्तेमाल करते हैं। हर वक्त उसे चुनने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता और उसे खोजना भी मुश्किल होता है। इसलिए कैड में प्रचलित 'शॉर्टकट कीज्' तालिका क्र. 1 में दी गई हैं, जिससे आपके रोज के डिजाइन के काम आसान होने में मदद मिलेगी।

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तालिका क्र. 1

कमांड खोज कर उसका इस्तेमाल करना एक बात है। आगे देखते हैं कि कुछ स्थानों पर मामूली बदलाव कर के, जैसा है वैसा ही ड्रॉइंग बनाना हो, तब क्या किया जा सकता है।
 
 
ब्रैकेट या फ्लैंज निर्माण करने वाली कंपनियों में उत्पाद की पुनरावृत्ति होती है। ऐसे समय कार्यवस्तु पर बनाए जाने वाले छिद्रों की संख्या कभी कम तो कभी ज्यादा होती है, कभी बेलनाकार छिद्र होते हैं या नहीं होते। इस अनिश्चितता के कारण फिर से आरेखन आरंभ करना पड़ता है। अगर आपने 'save copy as' इस कमांड का इस्तेमाल किया हो, तो इसकी जरूरत नहीं होती। इसके लिए क्या करना होगा, देखते हैं;
1. जिस ड्रॉइंग के आधार पर मामूली बदलाव करने हैं वह खोलें।
2. 'फाइल' विकल्प को चुनें।
3. इसमें 'save copy as' विकल्प चुनें।
4. तैयार फाइल को अलग नाम और नंबर देना ना भूलें।
 
 
इससे हम ड्रॉइंग में आवश्यकता के अनुसार बदलाव तुरंत कर सकते हैं। इसमें नाम और नंबर में होने वाले बदलाव पर ध्यान रखना जरूरी है। इससे पहली फाइल सुरक्षित रहेगी और दूसरी फाइल बदलाव के साथ तैयार होगी, इस पर ध्यान दें।
 
 
प्रतिबंध (कंस्ट्रेंट)
आरेखन करते समय कुछ प्रतिबंध और मर्यादाओं का पालन करना जरूरी होता है। जैसे, 'लिमिट' कमांड से हम इच्छानुरूप तथा कुल ड्रॉइंग की भी अपेक्षित मर्यादाएं तय कर सकते हैं। इससे हमारा पूरा ड्रॉइंग, तय की गई मर्यादा में रहता है और उसे खोजना भी आसान होता है। इसमें दो प्रकार के प्रतिबंध होते हैं।
1. मापन प्रतिबंध (डाइमेन्शनल कंस्ट्रेंट) : किसी भी वस्तु का आकारमान उसकी लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, मोटाई आदि पर निर्भर होता है। एक बार यह घटक तय होने पर उस ड्रॉइंग को हम मापन प्रतिबंधित (डाइमेन्शनली कंस्ट्रेंड) कह सकते हैं।
2. ज्यामितीय प्रतिबंध (जिओमेट्रिक कंस्ट्रेंट) : ड्रॉइंग में कई प्रकार के आकार होते हैं, जैसे चौकोर, त्रिकोण, आयत, वृत्त, रेखा, षट्कोण। इन्हें एक दूसरे से जोड़ने के लिए ज्यामितीय प्रतिबंध का उपयोग होता है। मिसाल के तौर पर, एक रेखा अन्य रेखा से समानांतर करने के लिए, एक वृत्त अन्य वृत्त से समरूप करने के लिए होने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रतिबंध देखते हैं।
3. को-इन्सिडंट प्रतिबंध (को-इन्सिडेंट कंस्ट्रेंट) : एक ही समान बिंदु से जाने वाले घटकों (ऑब्जेक्ट) को प्रतिबंधित करने के लिए को-इन्सिडेंट प्रतिबंध का इस्तेमाल करते हैं। चित्र क्र. 1 में दर्शाए अर्धवृत्त के अंतिम दो बिंदु, रेखा के अंतिम बिंदुओं से एकरूप होने के लिए को-इन्सिडेंट प्रतिबंध का इस्तेमाल किया जाता है।

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चित्र क्र. 1
 
a. को-लिनियर प्रतिबंध (को-लीनियर कंस्ट्रेंट) : दो भिन्न घटक एक रेखा में लाने के लिए इस प्रतिबंध का इस्तेमाल किया जाता है (चित्र क्र. 2)।

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चित्र क्र. 2
 
जैसे, आयत को अगर रेखा से एकरूप करना हो, तो आयत की उपरी रेखा उससे को-लिनियर करना होगा।
 
 
b. समान प्रतिबंध (इक्वल कंस्ट्रेंट) : समान आकार के दो घटक दर्शाने के लिए समान प्रतिबंध का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे, वृत्त C को वृत्त D से (चित्र क्र. 3) समान आकार में एकरूप करना हो, तो समान प्रतिबंध का इस्तेमाल करना होगा।

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चित्र क्र. 3
 
 
c. स्पर्शरेखा प्रतिबंध (टैंजंट कंस्ट्रेंट) : वृत्त की स्पर्शरेखा (चित्र क्र. 4) दर्शाने के लिए स्पर्शरेखा प्रतिबंध का इस्तेमाल किया जाता है।

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चित्र क्र. 4
 
 
d. लंबरूप प्रतिबंध (परपेंडिक्यूलर कंस्ट्रेंट) : एक रेखा दूसरी रेखा से लंबरूप दर्शाने के लिए (चित्र क्र. 5) लंबरेखा प्रतिबंध का इस्तेमाल किया जाता है।

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चित्र क्र. 5
 
 
इन सभी प्रतिबंधों के उपयोग से हम अपना आरेखन कम समय में तथा अचूकता से तैयार कर सकते हैं और इसमें परिवर्तन भी कर सकते हैं। खास कर के, पहले बनाए गए ड्रॉइंग पर काम करते समय इसका निश्चित तौर पर फायदा होता है।
 
 
डिजाइन बनाते समय कुछ आंकड़े गिनने होते हैं तथा सूत्रों के इस्तेमाल से अनुपात तय करने होते हैं। इसके लिए एक नई संकल्पना, पैरामैट्रिक ड्रॉइंग प्रचलित हो रही है। साथ ही, इस काम की नीरसता/पुनरावृत्ति से बचने के लिए कुछ कमांड एवं तरकीबें हैं, उन्हें हम अगले लेख में जानेंगे।
 
 
अमित घोले यांत्रिकी अभियंता हैं।
अैटलास कॉप्को, थिसेन क्रुप जैसी मल्टिनैशनल कंपनियों के डिजाइन विभाग में कई साल काम करने के बाद, आपने इंजीनीयरिंग डिजाइन सोल्यूशन और कॉर्पोरेट प्रशिक्षण देने वाली 'इमैजिका टेक्नोसाफ्ट' इस कन्सल्टन्सी की स्थापना की है।
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