फासनर का परिचय – मानक पद्धति

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    17-अगस्त-2021   
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आज तक कई मापन पद्धतियों पर अमल किया गया है लेकिन, विविध उत्पादों का मेल रखने के लिए, अब मेट्रिक मापन पद्धति का उपयोग दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ है। थ्रेड, तथा फासनर एवं स्क्रू जैसी, थ्रेड होने वाली वस्तुओं का अचूक तकनीकी विवरण देने की मान्य पद्धतियां हैं जिनका परिचय यह लेख देता है। चूड़ी के प्रकार तथा उनके सामान्य उपयोग के बारे में भी इसमें बताया गया है।
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समस्त इतिहास को हम देखें तो लोग मापन पद्धतियों (मेजरमेंट सिस्टम) की संख्या कम करने का प्रयास करते दिखते हैं। आज अधिकांश औद्योगिक देशों में मुख्य रूप से इंच-पौंड और मेट्रिक, ये दो ही मापन पद्धतियां उपयोग में हैं। अमरीका और अन्य एक-दो देशों को छोड़ कर, विश्व के सारे देश अपने सारे राष्ट्रीय मानकों के लिए मेट्रिक पद्धति का उपयोग करते हैं। तकनीक में हो रहे परिवर्तनों के अनुसार, मेट्रिक पद्धति में भी बदलाव हो रहे हैं और उनमें कई नए मार्ग खोजे जा रहे हैं।
 
 
आज अमरीका समेत सारे देश इंटरनैशनल सिस्टम ऑफ यूनिट्स अथवा SI नाम से जाने वाले मेट्रिक के एक ही संस्करण के उपयोग पर सहमत हैं। फिलहाल, अमरीका, SI और इंच-पौंड इन दो मानकों का इस्तेमाल कर रही है। पहले दिनों में इंच-पौंड का इस्तेमाल करने वाले अधिकांश देश, अब नए मानकों में SI पद्धति इस्तेमाल करते हैं और इंच-पौंड उत्पादनों का उपयोग पुरानी मशीन तथा उपकरणों की देखभाल तक ही सीमित रह गया है। अमरीका के कई उद्योगों ने अपने काम में मेट्रिक पद्धति पर अमल किया है।
 
 
मेट्रिक पद्धति में मानकीकरण करना भी एक समस्या है। अधिकतम मेट्रिक आयामों को ISO मानक में पूर्णतया रूपांतरित करने का उद्देश्य होने पर भी कई उद्योगों की, अपने प्रचलित DIN या मेट्रिक मानकों का रूपांतरण ANSI में करने की गति कम है। जैसे, मेट्रिक हेक्स कैप स्क्रू, आम तौर पर इन तीन में से एक मानक में उत्पादित किए जाते हैं।
• DIN 931 (DIN 933 पूरी चूड़ी के साथ अर्थात फुल थ्रेडेड)
• ISO 4014 (ISO 4017 पूरी चूड़ी के साथ)
• ANSI/ASME B 18.2.3.1M
 
 
इन तीनों मानकों में तैयार किए उत्पादों का रूपांतरण, एक मानक से दूसरे मानक में किया जा सकता है। सूची में से किसी भी मानक के आयामों की आवश्यकता के अनुसार उत्पादित किए हेक्स कैप स्क्रू, किसी भी संबंधित मानक के टॉलरन्स के अनुसार उत्पादित किए नट के साथ इस्तेमाल हो सकते हैं। इन मानकों में महत्वपूर्ण फर्क होता है M10, M12 और M14 के षट्कोनीय सिरे के आमने सामने के पृष्ठों के बीच की दूरी।
 
 
फासनर का तकनीकी दृष्टि से अचूक और संपूर्ण वर्णन कैसे किया जाता है, यह दर्शाने वाली मिसाल आगे दी है।

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चित्र क्र. 1 : हेक्स कैप स्क्रू
 
 
हेक्स कैप स्क्रू DIN 931, M16 x 140 प्रॉपर्टी क्लास 10.9, फॉस्फेटेड/ ब्लैकोडाइज्ड्।
फासनर का वर्णन करते समय आगे दिए मुद्दे शामिल करने पड़ते हैं।
1. वो फासनर क्या है? जैसे स्टड, पूरी चूड़ी (फुल थ्रेडेड) वाला स्टड, डबल एंडेड स्टड, षट्कोनीय आधी लंबाई पर चूड़ी वाला बोल्ट (हेक्स हाफ थ्रेडेड बोल्ट), सॉकेटेड कैप
स्क्रू आदि।
2. उसे कौनसा मानक लागू होता है? जैसे, वो DIN, ASME, ANSI, ISO, IS, जापनीज स्टैंडर्ड इनमें से कोई भी हो सकता है। उपरोक्त मिसाल में, DIN 933 द्वारा इस प्रकार के फासनर हेतु इस्तेमाल किए धातु के सारे गुणविशेष तय किए होते हैं।
3. मापन के गुण विशेष (डाइमेंशनल कैरेक्टरिस्टिक्स) : अगर मेल थ्रेडेड फासनर हो, तो उस पर बनाई हुई चूड़ी का आकार (साइज) तथा लंबाई (लेंग्थ) निर्देशित होती है। अगर वो फीमेल प्रकार का फासनर हो, तो सिर्फ चूड़ी का आकार दिया जाता है क्योंकि मानक में ही उसके अन्य माप दिए होते हैं।
4. प्रॉपर्टी क्लास : प्रॉपर्टी क्लास यानि मटीरीयल की जरूरी स्ट्रेंग्थ होती है।
 
 
संक्षेप में, फासनर का तकनीकी दृष्टि से समस्त ब्योरा देते समय आगे बताए मुद्दे बताना जरूरी हैं।
1. फासनर का प्रकार
2. मटीरीयल का गुणविशेष मानक या प्रॉपर्टी क्लास मानक
3. मापन के गुणविशेष
4. फासनर का नॉमिनल आकार
5. पिच और चूड़ी पर टॉलरन्स
6. सरफेस ट्रीटमेंट
 
 
यह ब्योरा ध्यान में रखते हुए अब हम फासनर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों की अधिक जानकारी लेते हैं। इसमें पहली है, चूड़ी पर टॉलरन्स। सामान्यतः जब कोई भी नट, बोल्ट या स्टड (जिसे हम रेग्युलर फिट भी कहते हैं) इस्तेमाल होता है, तब मेल फासनर के लिए टॉलरन्स 6g और फीमेल फासनर के लिए 6H होता है।
 
 
मेट्रिक मानक में चूड़ी पर टॉलरन्स
चूड़ी पर टॉलरन्स, एक संख्या और उसके बाद एक अक्षर के इस्तेमाल से दर्शाया जाता है। संख्या टॉलरन्स की श्रेणी दर्शाती हैं तो कैपिटल अक्षर अंतर्गत चूड़ी (नट) का टॉलरन्स दर्शाते हैं। छोटी लिपि के अक्षर बाह्य चूड़ी (बोल्ट) का टॉलरन्स दर्शाते हैं।
 
 
6g यह चूड़ी के लिए हर जगह नियमित रूप से इस्तेमाल होने वाला स्टैंडर्ड टॉलरन्स है। जब फासनर के वर्णन में चूड़ी पर का टॉलरन्स नहीं दिया होता, तब वह 6g माना जाता है। जब इंटरफियरन्स, टाइट या लूज चूड़ी होती है तब उसे विशेष टॉलरन्स देना पड़ता है। यहाँ उदाहरण के रूप में लिए गए फासनर के वर्णन में टॉलरन्स नहीं दिया है, इसलिए उसे 6g माना गया है।
 
 
चूड़ी
मेट्रिक मानक में चूड़ी M अक्षर द्वारा दर्शाई जाती है। उसके आगे आने वाला आंकड़ा, फासनर का नॉमिनल डाइमीटर होता है। यानि M16 की मिसाल में 16 यह नॉमिनल डाइमीटर है, जिसे अधिकतर बाह्य व्यास (OD) माना जाता है। लेकिन तकनीकी दृष्टि से वह बाह्य व्यास (मेजर डाइमीटर) नहीं होता बल्कि नॉमिनल डाइमीटर होता है। और एक महत्वपूर्ण भाग यानि पिच। पिच के दो प्रकार हैं, पहला कोअर्स पिच और दूसरा फाइन पिच। पिच का विशेष उल्लेख नहीं किया गया हो, तो उसे मानक के अनुसार दिया हुआ कोअर्स पिच ही माना जाता है। अगर फाइन पिच हो, तो उसका उल्लेख ब्योरे में करना आवश्यक होता है। जैसे, M16 को 2 मिमी. स्टैंडर्ड पिच होता है। आम तौर पर नॉमिनल डाइमीटर और पिच के आधार पर चूड़ी का वर्णन किया जाता है। फीमेल चूड़ी और मेल चूड़ी के बीच का संपर्क, कोर्स पिच की अपेक्षा फाइन पिच में अधिक होता है। इसलिए फाइन पिच की ताकत अधिक होती है। संपर्क अधिक होने के कारण जहाँ रिसाव रहित (लीकेज प्रूफ) जोड़ जरूरी हो, वहाँ फाइन पिच का इस्तेमाल होता है।
 
 
प्रॉपर्टी क्लास
उपरोक्त मिसाल में प्रॉपर्टी क्लास 10.9 का उल्लेख किया है। हमें इस आंकड़े से फासनर की अपेक्षित स्ट्रेंग्थ की जानकारी मिलती है। जैसे, 10.9 क्या दर्शाता है? 10 को (दशमलव चिह्न के पहले आंकड़े को) 100 से गुणाकार करने पर जो आंकड़ा मिलता है वो मेगा पास्कल में टेन्साइल स्ट्रेंग्थ होती है। 10.9 के बोल्ट का विचार करें तो उसके लिए टेन्साइल स्ट्रेंग्थ अंदाजन 1000 MPa होगी। 9 आंकड़ा, टेन्साइल स्ट्रेंग्थ की तुलना में यील्ड स्ट्रेंग्थ की प्रतिशतता दर्शाता है। यील्ड स्ट्रेंग्थ के आलेख में हम देख सकते हैं कि किसी भी मटीरीयल का परीक्षण करते समय स्ट्रेंग्थ, यील्ड पॉइंट तक पहुंचने के बाद भी टूटने से पहले अधिक स्ट्रेंग्थ का इस्तेमाल होता है। आलेख क्र. 1 में दर्शाया कर्व, यील्ड स्ट्रेस बिंदु पर पहुंचने के बाद नीचे आकर टूटता है। अर्थात इस उदाहरण में टूटने का स्ट्रेस, अल्टिमेट टेन्साइल स्ट्रेंग्थ के 90% है। यील्डिंग के बाद डीफॉर्मेशन शुरू होने पर, टूटने तक का समय समझने के लिए डिजाइन करते समय उसका उपयोग होता है। फासनर का उपयोग किस काम में किया जाएगा, उस पर प्रॉपर्टी क्लास का प्रकार निर्भर करता है।

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आलेख क्र. 1 : स्ट्रेस - स्ट्रेन आलेख
 
4.6, 4.8, 6.8, 8.8, 10.9, 12.9 इन छः प्रॉपर्टी क्लास का नियमित इस्तेमाल किया जाता है। इन छः क्लास के फासनर बाजार में नियमित रूप से उपलब्ध होते हैं। 4.6, 4.8 और 6.8 ये तीन ग्रेड, लो कार्बन स्टील की होती हैं और उनकी स्ट्रेंग्थ बेहद कम होती है। सामान्य भाषा में इसका उल्लेख MS ऐसा किया जाता है। 8.8 क्लास, भारतीय बाजार में अधिकतम इस्तेमाल होने वाला क्लास है। विभिन्न प्रकार के फासनर में से, लगभग 60% फासनर 8.8 क्लास के होते हैं। 10.9 और 12.9 ये दोनों ग्रेड अलॉइ स्टील की होती हैं और इनकी टेन्साइल स्ट्रेंग्थ बहुत ज्यादा होती है। इन्हें हाइ टेन्साइल बोल्ट भी कहा जाता है। फिलहाल 10.9 के बोल्ट का इस्तेमाल अधिक हो रहा है, क्योंकि नट तथा बोल्ट एक ही ग्रेड के लेने के बजाय, बोल्ट अधिक स्ट्रेंग्थ का होने की सोच लोग रखते हैं। कुछ विपरित स्थितियों में तनाव बढ़ता है, तो नट टूटने से फर्क नहीं पड़ता लेकिन बोल्ट टूटना नहीं चाहिए, क्योंकि बोल्ट महंगे होते हैं। एक मर्यादा के पार तनाव बढ़ने पर बोल्ट विरूपित (डीफॉर्म) होगा लेकिन टूटेगा नहीं। जहाँ अैक्सेसेबिलिटी यानि प्रवेश करना मुश्किल होता है, ऐसे स्थान पर अैलन कैप या सॉकेटेड कैप स्क्रू इस्तेमाल किए जाते हैं। क्योंकि उनकी स्ट्रेंग्थ बहुत ज्यादा होती है। ये सारे फासनर 12.9 प्रॉपर्टी क्लास में उपलब्ध होते हैं।
 

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तालिका क्र. 1 : चूड़ी के प्रकार और उनके सामान्य उपयोग
 
सरफेस ट्रीटमेंट
किस प्रकार की सरफेस ट्रीटमेंट आवश्यक है, यह फासनर के अपेक्षित उपयोग के अनुसार तय होता है। जिंक प्लेटेड यलो पैसिवेशन, जिंक प्लेटेड ग्रीन पैसिवेशन, कैडमियम प्लेटिंग, टेफ्लॉन कोटिंग, जाइलॉन कोटिंग, इस प्रकार की प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। लेपन (कोटिंग), यंत्रण के बाद की जाने वाली सरफेस ट्रीटमेंट है। चूड़ी किए पृष्ठ के भौतिक गुणविशेषों पर सरफेस ट्रीटमेंट का कोई असर नहीं होता। फासनर की आयु बढ़ाने के लिए लेपन किया जाता है।
 
मकरंद देशपांडे यांत्रिकी अभियंता हैं।
आप M थ्रेड कंपनी के निदेशक हैं।
निर्माण क्षेत्र में आपको लगभग 30 वर्षों का अनुभव है। 
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