फानुक के जादुई प्रोग्रैम

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Dhatukarya - Udyam Prakashan    22-सितंबर-2021   
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क्लिष्ट ज्यामिती वाले पुर्जों का यंत्रण हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। जाहिर है कि यंत्रण का काम सी.एन.सी. मशीन पर करना हो, तो उस प्रक्रिया का प्रोग्रैमिंग करना भी उतना ही पहेलीनुमा होता है। मैन्युअल प्रोग्रैमिंग में, कार्यवस्तु के डिजाइन में किए गए छोटे परिवर्तन भी यंत्रण के प्रोग्रैम में शामिल करने हो, तो कई बार संपूर्ण प्रोग्रैम फिर से लिखना होता है। इसे टाल कर, प्रोग्रैमिंग की प्रक्रिया सुलभ बनाने वाले मैक्रो प्रोग्रैमिंग की जानकारी उदाहरणों सहित देने वाला यह लेख
 
 
 Fanuk's Magical Program_
 
सूचना तकनीकी के आज के युग में, कम समय में अधिक काम कर सकने वाली जलद तथा अचूक सी.एन.सी. मशीनें विकसित की जा रही हैं। आज CAD/CAM का इस्तेमाल बढ़ रहा है और आप जानते होंगे कि इससे इन दो पद्धतियों द्वारा सी.एन.सी. नियंत्रण के प्रोग्रैम बनाए जा सकते हैं।

1. मैन्युअल प्रोग्रैम इनपुट : इसमें प्रोग्रैमर, अपनी कुशलता के अनुसार स्वयं सोच कर प्रोग्रैम लिखता है और मशीन के कंट्रोल सिस्टम में ड़ालता है।
2. संगणक की मदद से उत्पाद (कंप्युटर एडेड मैन्युफैक्चरिंग, CAM) : इसमें एक अति आधुनिक साफ्टवेयर द्वारा, संगणक में पुर्जे का मॉडल तैयार किया जाता है। उसके बाद यंत्रण करने हेतु कुछ जानकारी (डेटा) दे कर संगणक द्वारा कुछ गणन (कैल्क्युलेशन) किया जाता है और प्रोग्रैम बनाया जाता है।

ये दोनो पद्धति प्रचलित हैं और सारे सी.एन.सी. उपयोगकर्ता इनका इस्तेमाल करते हैं। वैसे देखा जाए तो मैन्युअल प्रोग्रैम इनपुट पद्धति में काफी गणन करना पड़ता है। इसमें बहुत समय जाता है और एक छोटी सी गलती भी खतरनाक साबित हो सकती है, जिससे मशीन में दुर्घटना भी हो सकती है।

अब हम ये जानने का प्रयास करते हैं कि मैजिक (मैक्रो) प्रोग्रैम ये काम अधिक आसान कैसे करता है और प्रोग्रैम में मैक्रो वेरियेबल के इस्तेमाल से कम समय में सरल प्रोग्रैम कैसे तैयार करते हैं।

मैजिक प्रोग्रैम का मतलब है मैक्रो प्रोग्रैम, और कुछ नहीं।

मैक्रो प्रोग्रैमिंग

मैक्रो प्रोग्रैमिंग, प्रोग्रैमिंग तकनीक का एक हिस्सा है जो मानक सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग पद्धति में अधिक शक्ति और लचीलापन लाने हेतु अतिरिक्त नियंत्रण और विशेषताएं जोड़ता है। सारी सी.एन.सी. प्रणालियों में 'मैक्रो', प्रोग्रैमिंग की एक भाषाधारित पद्धति है। आम तौर पर सी.एन.सी. प्रणाली में C++ या विज्युअल बेसिक जैसी उच्चस्तरीय भाषाएं, उनके कई प्रकार और डेरिवेटिव इस्तेमाल किए जाते हैं। विभिन्न संगणक अैप्लिकेशन हेतु या अति आधुनिक साफ्टवेयर विकसित करने हेतु संगणक साफ्टवेयर व्यावसायिक, उनका सभी जगह उपयोग करते हैं।

फानुक मैक्रो यह सिर्फ सटीक परिभाषा ही नहीं, बल्कि सिर्फ सी.एन.सी. मशीन पर विशेष हेतु (स्पेशल पर्पज) के लिए इस्तेमाल होने वाला एक साफ्टवेयर है। तथापि, सी.एन.सी. मैक्रो प्रोग्रैम, प्रगत संगणक भाषाओं में मौजूद कई विशेषताओं का उपयोग करते हैं।


विशेषताएं

फानुक मैक्रो में आगे दी गई विशेषताएं होती हैं।
1. अंकगणित और बीजगणित पर आधारित गणना
2. त्रिकोणमिति पर आधारित गणना
3. वेरिएबल जानकारी संग्रह
4. तर्कसंगत कार्य (लॉजिकल ऑपरेशन)
5. लूपिंग
6. त्रुटियों की जांच
7. अलार्म जनरेशन
8. इनपुट तथा आउटपुट और अन्य कई विशेषताएं

मैक्रो प्रोग्रैम कुछ मात्रा में मानक सी.एन.सी. प्रोग्रैम के समान दिखता है, लेकिन उसमें आम तौर पर ना दिखने वाली भी कई विशेषताएं होती हैं। मूलतः मैक्रो प्रोग्रैम को एक नियमित सबप्रोग्रैम के तौर पर डिजाइन किया गया है। उसे उसके प्रोग्रैम नंबर (O) के अंतर्गत संग्रहित किया जाता है। उसे मुख्य प्रोग्रैम द्वारा या दूसरे मैक्रो द्वारा G कोड (प्रायः G65) के इस्तेमाल से कॉल किया जाता है। लेकिन आसान मैक्रो विशेषताएं, प्रोग्रैम में मैक्रो कॉल के बिना भी इस्तेमाल हो सकती हैं।

आवश्यक कुशलताएं

किसी भी मानवीय प्रयासों की तरह, सफल ग्राहक के अनुरूप मैक्रो प्रोग्रैमिंग में वर्कशॉप के काम का और संबंधित तकनीकी क्षेत्र का अनुभव आवश्यक होता है। साथ में कुछ विशेष कुशलताएं भी आवश्यक होती हैं। जब मैक्रो प्रोग्रैमिंग की तुलना पारंपरिक सी.एन.सी. प्रोग्रैम से की जाती है, तब स्टैंडर्ड सी.एन.सी. प्रोग्रैम के लिए जरूरी सारी कुशलताओं के साथ कुछ अधिक कुशलताएं भी आवश्यक होती हैं। स्टैंडर्ड सी.एन.सी. प्रोग्रैम हेतु प्रोग्रैमर को, वर्कशॉप के माहौल के बारे में पहले बताए गए मुद्दों के साथ कई नई बातें समझनी होती हैं। काम का अनुभव एक अमूल्य संपत्ति है। मैक्रो प्रोग्रैम शुरू करने से संबंधित सारी कुशलताएं आगे दी गई हैं।
1. सी.एन.सी. मशीन और कंट्रोल : कंट्रोल ऑपरेशन प्रोग्रैमिंग
2. यंत्रण कुशलता : यंत्रण कैसे करें?
3. मूलभूत गणितीय कुशलताएं : गणना, सूत्र
4. प्रोग्रैम संरचना विकसन कुशलता : सुविधा और अनुकूलता
5. ऑफसेट और टूल भरपाई (कॉम्पेन्सेशन) अैप्लिकेशन कुशलता : विभिन्न समायोजन
6. स्थिर आवर्तन (फिक्स्ड् साइकल) : इनके कार्य के बारे में समस्त जानकारी
7. मल्टीनेस्टिंग पद्धति में शामिल सबप्रोग्रैम
8. सिस्टम पैरामीटर, उनके उद्देश्य और कार्य

एक सफल सी.एन.सी. कस्टम मैक्रो प्रोग्रैमर होने के लिए संगणकीय भाषाओं का मामूली ज्ञान पर्याप्त होता है। पूर्व उल्लेखित विज्युअल बेसिक, C++, ओल्ड पास्कल डेल्फी, लिस्प टी-इन, ऑटोकैड और अन्य कई भाषाओं का ज्ञान, मैक्रो शिक्षा की बेहतर नींव रखता है।

G कोड और M कोड का गहरा ज्ञान होना, मूलभूत आवश्यकता है। सबप्रोग्रैम का उच्चस्तरीय ज्ञान भी बेहद जरूरी है। सबप्रोग्रैम, ये मैक्रो विकास का पहला तार्किक चरण है।

क्या आपकी प्रणाली में मैक्रो विकल्प इन्स्टॉल किया है, यह जांच कर देखें। भले ही हमें मैक्रो का मतलब पता ना हो, फिर भी मैक्रो प्रोग्रैम लिखने से पहले जानना जरूरी है कि हम इस्तेमाल करने वाली नियंत्रण प्रणाली (कंट्रोल सिस्टम) में मैक्रो विकल्प इन्स्टॉल है या नहीं। इसे खोजने का एक आसान तरीका है और उसके लिए किसी विशेष प्रोग्रैम की आवश्यकता नहीं। सी.एन.सी. मशीन को MDI (मैन्युअल डेटा इनपुट) मोड पर सेट करें और यह आदेश (कमांड) टाइप करें : #101 = 1

जब आप साइकल स्टार्ट बटन दबाएंगे तब दो में से एक संभावना सामने आएगी। अगर कंट्रोल सिस्टम कंट्रोल (?) या एरर स्थिति न दर्शाते हुए सिंटैक्स की आज्ञा स्वीकार करती है तो इसका अर्थ मैक्रो विकल्प इन्स्टॉल हुआ है। लेकिन अगर कंट्रोल सिस्टम अलार्म संदेश (अधिकतर 'सिंटैक्स में त्रुटि' या 'पता नहीं मिला' संदेश देती है) देती हो तब उस कंट्रोल में मैक्रो विकल्प इन्स्टॉल नहीं किया है। पुष्टि कर लें कि उपरोक्त मिसाल में दर्शाएनुसार डेटा प्रविष्ट किया गया है। उसमें # चिन्ह शामिल होना चाहिए। उसी प्रकार वेरिएबल और उसके मूल्य सही होने चाहिए। उसमें स्पेस या अन्य कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए। हमने मैक्रो की उपलब्धता जांचने का सीधा तरीका बताया हैं। # चिन्ह को चल (वेरिएबल) कहते हैं।

मैक्रो वेरिएबल के प्रकार
 

Types of variable_1 

तालिका क्र. 1 : वेरिएबल के प्रकार

तालिका क्र. 1 में दर्शाए मैक्रो वेरिएबल सभी फानुक पद्धतियों (मॉडल) में काम करते हैं। उन्हें कुल 4 भागों में बांटा जाता है।

मैक्रो वेरिएबल यह, उनके शुरुआती असाइन्मेंट में और मैक्रो बॉडी में उनके किए गए इस्तेमाल में, कस्टम मैक्रोज की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। कस्टम मैक्रो, वेरिएबल पर आधारित होते हैं इसलिए वेरिएबल का मतलब जानना जरूरी है। 'वेरिएबल एक गणितीय आयाम है जो उसे नियुक्त किए दायरे और स्वरूप (रेंज और फॉर्मेट) में, कोई भी मूल्य ले सकता है', यह वेरिएबल की गणितीय परिभाषा है।

गणना, लूप, फंक्शन, बुलियन और फॉर्मेट को तालिका क्र. 2 में दिखाया गया है।
 

Formats used in Macros_1&

तालिका क्र. 2 : मैक्रोज में इस्तेमाल होने वाले फॉरमैट

तालिका क्र. 2 में दर्शाएनुसार प्रोग्रैम मैक्रोज का इस्तेमाल कर के फॉर्मेट लिखे जा सकते हैं। उनके इस्तेमाल से कई गणन, लूप और तर्कसंगत काम किए जा सकते हैं।

मैन्युअल प्रोग्रैम और मैक्रो प्रोग्रैम की तुलना, मैक्रो प्रोग्रैम के लाभ
 

Sample part_1  

चित्र क्र. 1 : नमूना पुर्जा

प्रोग्रैम A1 में, सी.एन.सी. लेथ पर 15 मिमी. रफ फेसिंग के लिए (चित्र क्र. 1) जरूरी मैन्युअल फेसिंग प्रोग्रैम 74 ब्लॉक का है। इसमें लेखन अधिक है और इसका आवर्तन समय भी अधिक है। तुलना में मैक्रो प्रोग्रैम (प्रोग्रैम B1) में, थोड़ा गणन कर के और लूप बना कर वही काम, कम लेखन और कम आवर्तन समय में होता है। इतना ही नहीं, इस प्रोग्रैम के 4-5 वाक्यों में थोड़ा परिवर्तन कर के इसका उपयोग अन्य पुर्जों के लिए भी किया जा सकता है। नए प्रोग्रैम के लिए लंबा लेखन करने के बजाय, इसी प्रोग्रैम को कॉपी कर के तथा उसके कुछ वाक्यों में सुधार कर के, यही फेसिंग प्रोग्रैम हम अन्य पुर्जे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ विभिन्न आकार के मापन उसमें दर्ज कर के, तुरंत नया प्रोग्रैम बनाया जा सकता है। यह फेसिंग प्रोग्रैम की एक मिसाल है।


Manual and Macro Programs
तालिका क्र. 3 : मैन्युअल और मैक्रो प्रोग्रैम

इसी प्रकार, सारे अलग अलग कामों के लिए इस फंक्शन में थोड़ा गणन तथा लूप, फॉर्मेट एवं फंक्शन जोड़ कर कम लेखन में काफी काम किया जा सकता है। उपरोक्त मैक्रो प्रोग्रैम में सिर्फ #110, #111, #112 और #113 में बदलाव कर के विभिन्न पुर्जों का यंत्रण इसी फेसिंग प्रोग्रैम द्वारा किया जा सकता है।

तालिका क्र. 4 में दी हुई तुलना और मैक्रो प्रोग्रैम के लाभ पढ़ने के बाद हम मैक्रो प्रोग्रैम को जादुई (मैजिक) प्रोग्रैम भी कह सकते हैं।
 



 Fanuk's Magical Program_
तालिका क्र. 4 : मैन्युअल और मैक्रो प्रोग्रैम की तुलना

सावधानी

1. मैक्रो प्रोग्रैम तैयार करने या उसका इस्तेमाल करने के लिए उसे अच्छे से समझना महत्वपूर्ण है।
2. मशीन पैरामीटर समझने के बाद ही उसमें परिवर्तन करें।
3. मैक्रो शुरू करने से पहले उसे अच्छे से समझ लें और किसी सलाहकार से अपना मैक्रो प्रोग्रैम जांच लें।
4. मैक्रो में गणना करते समय सतर्क रहें।
5. अपने मशीन निर्माता की सलाह लें, उन्हें मैक्रो के बारे में पूछें और समझ लें।

हम सावधानी बरतते हुए बेहतर मैजिक (मैक्रो) प्रोग्रैम कर सकते हैं।

9662417334
[email protected]
प्रजेश आर. जोलापरा को सी.एन.सी. प्रोग्रैमिंग तथा यंत्रण का 10 वर्षों का अनुभव है। आप पैरामाउंट पिस्टन में, सी.एन.सी. मशीन शॉप इनचार्ज के तौर पर कार्यरत हैं।


 
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