…रिजेक्शन का कारण कुछ और ही था!!!

@@NEWS_SUBHEADLINE_BLOCK@@

Dhatukarya - Udyam Prakashan    29-सितंबर-2021   
Total Views |


 CMM_1  H x W:
 
‘हिंद क्रैंकशाफ्ट' के प्रोडक्शन मैनेजर सुर्वे साहब इंटरकॉम पर किसी से बात कर रहे थे, लेकिन तभी एक्जिक्यूटिव डाइरेक्टर के निजी सहायक को देख कर उन्होंने फोन पर चलने वाली बातचीत खत्म की।
 
"अरे, आप खुद आ गए? फोन कर दिया होता।" सुर्वे ने कहा।
"सर आप फोन पर बात कर रहे थे, साहब ने तुरंत बुलाया है।" पीए ने बताया।
 
"आता हूं..." कहते हुए सुर्वे उठे। ऐसा बुलावा आएगा इस बात से वे वाकिफ ही थे, क्योंकि पिछले दस दिनों से छः सिलिंडर क्रैंकशाफ्ट की लाइन, बड़े पैमाने पर आए रिजेक्शन के कारण ठप हो गई थी। संचालक के ऑफिस में वे, क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर देशपांडे के साथ सुर्वे का ही इंतजार कर रहे थे। जैसे ही सुर्वे केबिन में आ गए, उन पर सवालों की बौछार शुरू हो गई।
 
"सुर्वे और देशपांडे...यह रिजेक्शन का मामला क्या है? हमने छः सिलिंडर क्रैंकशाफ्ट का इतना बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया। आपको सेपरेट लाइन चाहिए थी, उसके लिए हमने बड़ी पूंजी लगाई। सिंगल पीस फ्लो मशीनिंग लाइन चाहिए थी, वह भी लगवा दी। प्रोडक्शन लाइन पर ही आपको डेडिकेटेड सी.एम.एम. चाहिए थी, वह भी दे दी। फिर भी इतना रिजेक्शन कैसे हो रहा है? क्या प्रोसेस ठीक तरह से सेट नहीं हुई है? 'एम रिव्यू' में 'क्वालिटी अैट सोर्स' को इतनी अच्छी रेटिंग मिली है, फिर रिजेक्शन क्यों? सिर्फ यह बताइए कि 100% ओके जॉब कबसे मिलना शुरू होगा, नहीं तो मुझे कोई दूसरी अरेंजमेंट करनी पड़ेगी।" आखरी शब्दों का मतलब सबको पता था। मामला बहुत ही गर्म हो गया था।
 
सुर्वे ने एक गहरी सांस ली और बोले, "सर, पिछले दो हफ्तों से हम दोनों केवल इसी एक सवाल पर काम कर रहे हैं। हमारी ग्राइंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक है। तीनों ग्राइंडिंग मशीनों से बिना किसी गलती के जॉब मिलने चाहिए। हमने सभी प्रोसेस पैरामीटर की जांच कर के इसे सुनिश्चित किया है। अल्फा टेस्टिंग के समय ही हमने संपूर्ण दोषरहित ग्राइंडिंग की व्यवस्था की है। सरफेस फिनिश, फिलेट रेडियस, डाइमेंशन, थ्रस्ट फेस की ग्राइंडिंग जैसे सभी महत्वपूर्ण पैरामीटर बिल्कुल मर्यादा में हैं। इतना परिपूर्ण और सटीक उत्पादन आज तक हम एक भी लाइन में नहीं कर पाए हैं। फिलहाल का सवाल, केवल क्रैंकशाफ्ट के पिन अैंगल का है। यह अैंगल हमारे अल्फा ट्रायल में ठिक दिखाई दिया था। लेकिन प्रोडक्शन लॉट में रिजेक्शन है। हम वही ढूंढ़ रहे हैं। एक बात और, अैंगल में दिखने वाली गलती में निरंतरता नहीं है। हर बार अलग ही रीडिंग आता है। साथ ही, यह समस्या केवल एक नंबर की पिन में ही दिखाई दे रही है। कोई भी क्रैंकशाफ्ट, एक नंबर की पिन की इस समस्या के अलावा, अन्य कोई भी पिन अैंगल के लिए रिजेक्ट नहीं हुआ है। इसी लिए प्रक्रिया का दोष जल्दी ध्यान नहीं आ रहा है।"
 
diagram of the crankshaft
 
चित्र. क्र. 1 : क्रैंकशाफ्ट का रेखाचित्र
सुर्वे पल भर रुके, फिर उन्होंने देशपांडे से पूछा, "हमने लाइन पर नई सी.एम.एम. बिठाने के बाद ही यह रिजेक्शन बढ़ा हुआ नजर आ रहा है। आपने इसमें कुछ अभ्यास किया है?"
 
देशपांडे थोड़ा हिचकिचाए। हाथ में पकड़ी फाइल नीचे रख कर, कुछ सोचते हुए बाहर आते हुए बोले, "लाइन पर सी.एम.एम. लगाने के बाद, क्रैंकशाफ्ट को लोड करने की जांच हमने दो दिनों तक की। हमें चार मिनट में एक क्रैंकशाफ्ट जांच कर के चाहिए। इतने कम समय में उसे मशीन पर लोड करना, जांचना और फिर से पैलेट में रखना नहीं हो पाएगा, यह हमें पहले से ही मालूम था। इसी लिए हमने एक ओवरहेड क्रेन और सरकने वाली ट्रॉली लगाई। इस पूरी व्यवस्था में बहुत समय गया। इसी लिए हम मशीन की पूरी जांच नहीं कर पाए और प्रोडक्शन चेक शुरू हो गया।"
 
"ठीक है...लेकिन अभी देखे गए रिजेक्शन से उसका क्या संबंध है?" संचालक का गुस्सा अभी तक कम नहीं हुआ था। "आप दोनों को सी.एम.एम. के बारे में संदेह हो, तो उनके इंजीनीयर को बुला लीजिए। यह 'अभिनव' की सी.एम.एम. है ना?"
 
"जी सर, हमारे पास बहुत पहले खरीदी एक विदेशी सी.एम.एम. है। उसके बाद की सभी सी.एम.एम. 'अभिनव' की ही यानि भारतीय हैं। उनके भी दो इंजीनीयर आठ दिनों के लिए आए थे। सभी इंस्पेक्शन प्रोग्रैम, मास्टर प्रोब की जांचें, प्रोटोटाइप पर रिपीटैबिलिटी जांच हो गई हैं। सभी क्रैंकशाफ्ट के अन्य रीडिंग सही होते हैं, लेकिन अैंगल नापते समय क्रैंकशाफ्ट रिजेक्ट हो रहे हैं। इसके अलावा क्रैंकशाफ्ट में दिखती त्रुटि भी अनियत (रैंडम एरर) है। यानि ऐसा नहीं कह सकते कि किसी निश्चित दिशा में मशीनिंग शिफ्ट हुआ है।" देशपांडे ने अपना पक्ष रखा।
 
"ठीक है!" कहते हुए संचालक ने इंटरकॉम की बेल बजाई। "अभिनव के विजय देशमुख को लाइन पर लीजिए।" थोड़ी ही देर में अभिनव इंजीनीयरिंग के प्रबंधक संचालक विजय देशमुख की आवाज आई। "सर, देशमुख बात कर रहा हूं। कहिए क्या सेवा कर सकता हूं?"
 
"विजय जी, हमारे क्रैंकशाफ्ट का मामला तो आपने सुना ही होगा। अब तक आपके दो इंजीनीयर आ चुके हैं। लेकिन यह मामला हमारे हाथ से बाहर नहीं जाना चाहिए। मुझे अगले चार दिनों में पता चलना चाहिए कि समस्या क्या है और अगले दो दिनों में हमने और आपने मिल कर उसे सुलझाना चाहिए।" संचालक दृढ़तापूर्वक बोले। "सर, हम सब 100% आपके साथ हैं। मैं कल सुबह हमारे कस्टमर इंजीनीयरिंग हेड को भेजता हूं। कल शाम हुई हमारी इंटर्नल मीटिंग में हमारे इंजीनीयर की रिपोर्ट पर चर्चा की गई है, इसीलिए उन्हें पूरी कहानी मालूम है।" विजय देशमुख बोले।
 
देशमुख ने अपनी दूरदर्शिता और टीमवर्क के चलते भारतीय बनावट के सी.एम.एम. उद्योग की नींव काफी मजबूत कर ली थी। इसीलिए उन्हें यह विश्वास था कि वे इस मामले में मदद कर पाएंगे।
***
अगले दिन सुबह ग्यारह बजे 'अभिनव' का कस्टमर इंजीनीयरिंग हेड मोहन, 'हिंद क्रैंकशाफ्ट' में आया। पहले संचालक और सुर्वे साहब से मिल कर, देशपांडे साहब के साथ वह सी.एम.एम. के स्टेशन के पास पहुंचा। देशपांडे ने उसे क्रैंकशाफ्ट के मापन की कुल व्यवस्था दिखाई।
 
"क्रैंकशाफ्ट की एक बैच में 12 क्रैंकशाफ्ट होते हैं। एक पैलेट पर चार, इस तरह तीन पैलेट एक के ऊपर एक रख कर क्रेन से यहाँ लाए जाते हैं। क्रैंकशाफ्ट भारी होने के कारण इस स्टेशन पर छोटी जिब क्रेन लगाई गई है। उससे क्रैंकशाफ्ट उठा कर सी.एम.एम. के सामने की ट्रॉली पर रखा जाता है। इस ट्रॉली को, एक और सात नंबर के मेन जर्नल के लिए, रोलर स्टैंड लगाए गए हैं ताकि क्रैंकशाफ्ट उस पर ठीक से बिठाया जाए। रोलर पर क्रैंकशाफ्ट एक ही तरीके में बैठे, इसलिए चार नंबर पिन के नीचे एक स्टैंड दिया गया है। उस पर पिन सटाने से क्रैंकशाफ्ट इस तरह बैठता है कि एक और छः नंबर की पिन जर्नल के साथ टॉप पोजिशन में आती हैं। क्रैंकशाफ्ट भारी होने के कारण यह ट्रॉली हैड्रोलिक प्रणाली पर चलती है। ऑपरेटर द्वारा बटन दबाने पर वह अंदर सरक कर प्लास्टिक के पर्दे के पार सी.एम.एम. की आर्म के पास जा कर रूकती है। रुकाने के लिए सामने रबर का एक स्टॉपर दिया हुआ है। ट्रॉली, स्टॉपर पर रुकने पर तुरंत सी.एम.एम. मापन शुरू करती है। मेन और पिन जर्नल पर, ऊपरी ओर से तीन रीडिंग प्रोब द्वारा लिए जाते हैं। इसलिए पहले क्रैंकशाफ्ट की मध्यरेखा (सेंटर लाइन) और बाद में 1, 6, 2, 5, 4 एवं 3 पिन जर्नल की अंशात्मक स्थिति गिनी जाती है। पिन का अैंगल 120°±20' के बीच में होना चाहिए।
 
 
 Crankshaft - Pin Angle D
चित्र क्र. 2 : क्रैंकशाफ्ट - पिन अैंगल का रेखाचित्र
आपको जो चाहिए वह जानकारी हमारा सी.एम.एम. ऑपरेटर देगा, आप उससे चाहे जितने सवाल पूछ सकते हैं। लेकिन इस गड़बड़ का पता लगाना ही होगा। बारह बजे मेरी एक मीटिंग है, क्या मैं जा सकता हूँ?" देशपांडे बोले।
 
"सर, मैं अभी यहीं रुकता हूँ, कोई जरूरत हो तो आपके पास ही आऊंगा। लेकिन पहले मापन देख कर अभ्यास करता हूँ।" मोहन ने कहा। ऑपरेटर को आवश्यक निर्देश दे कर देशपांडे मीटिंग के लिए चले गए।
 
अगले डेढ़ घंटे तक मोहन ने उस ऑपरेटर के साथ क्रैंकशाफ्ट का मापन देखा। 20 क्रैंकशाफ्ट में से 6 फिर रिजेक्ट हो गए। इन सभी क्रैंकशाफ्ट के अैंगल में केवल एक नंबर की पिन में ही समस्या आ रही थी। वह अैंगल कभी ज्यादा, तो कभी कम दिख रहा था। मोहन ने सोचा कि कुल मिला कर एक सक्षम मशीनिंग प्रक्रिया में ऐसा होना बहुत दुर्लभ है। चार मिनटों के उस आवर्तन के बारे में भी उसे कोई संदेह नहीं था। लेकिन उसे यह समझ में आ गया कि कुल मापन में कोई तो 'मिसिंग लिंक' है और वही उसे ढूंढ़नी होगी।
 
दोपहर के डेढ़ बजे ऑपरेटर ने मोहन से कहा, "साहब दो बजे शिफ्ट बदलेगी, मुझे जाना होगा। अगली शिफ्ट का ऑपरेटर आएगा। उसकी ड्यूटी दो बजे शुरू होगी। आपको कोई परेशानी तो नहीं?"
"बिल्कुल नहीं" मोहन हंस कर बोला। अब तक दोनों की अच्छी जान पहचान हो गई थी। "मैं यहीं बैठ कर रीडिंग की जांच करता हूँ।"
 
थोड़ी ही देर में दूसरी शिफ्ट का ऑपरेटर आया। उसे पहले ऑपरेटर ने मामला बताया ही था। उसे मोहन ने तुरंत पहचान लिया। "अरे, क्या हम ट्रेनिंग सेशन में मिले थे?" मोहन ने पूछा। "जी सर, मेरा नाम है दानवे। मैं आपकी पिछले साल की आठ दिनों की ट्रेनिंग में आया था। बहुत अच्छा सिखाया था आपने। उसी वजह से मुझे पिछले महीने यह नौकरी मिली।" दानवे बातूनी और खुशमिजाज लगा। ठीक दो बजे उसने काम शुरू किया। अगले घंटे में, एक दूसरे से बातें करते करते 15 क्रैंकशाफ्ट की जांच की गई। उनमें से 3 फिर रिजेक्ट हुए। "मुझे इसमें कुछ गड़बड़ लग रही है, लेकिन अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। एक नंबर में ही समस्या क्यों आती है?" मोहन ने खुद से बात करते हुए कहा।
"सर, मुझे भी यह कुछ ठीक नहीं लग रहा है। लेकिन यहाँ दूसरा कुछ ढूंढ़ने का मतलब है साइकिल टाइम बर्बाद होना। समय बर्बाद हुआ तो ड़ांट पड़ेगी।" दानवे ने कहा।
"देखो, हम 10 मिनट तक सब शांति से देखेंगे। आज दो तीन क्रैंकशाफ्ट कम बने तो भी चलेगा, मैं सुर्वे साहब से बात करूंगा। हम एक बार फिर से ट्रायल लेते हैं।" ऐसा कहते हुए मोहन ने रिजेक्ट किया हुआ क्रैंकशाफ्ट पैलेट से निकाल कर फिरसे ट्रॉली पर चढ़ाने को कहा। वह फिर रिजेक्ट हुआ लेकिन उसकी रीडिंग पहले से अलग थी। "ऐसा क्यों हो रहा है?" मोहन ने पूछा। "रिजेक्शन नहीं होना चाहिए।"
 
 CMM_1  H x W:
चित्र क्र. 3 : ट्रॉली और सी.एम.एम. व्यवस्था
"सर, आपको एक बात बताऊं? कभी कभी मैं भी इस रिजेक्शन से ऊब जाता हूं। कभी कभी क्रैंकशाफ्ट को बाहर निकालने से पहले दो मिनट रुकता हूं और फिर से सारे रीडिंग लेता हूं। फिर वह क्रैंकशाफ्ट पास हो जाता है।" दानवे ने कहा।
"क्या!" मोहन ने आश्चर्य से पूछा। "हम अब एक नया क्रैंकशाफ्ट लगाएंगे। मैं क्रैंकशाफ्ट के साथ इस प्लास्टिक के पर्दे के पीछे झांक कर ठीक से देखता हूं। तुम साइकिल शुरू करो।"
 
"ओके सर, लेकिन जरा ध्यान रखिए। सिर में ना लग जाए।" ऐसा कहते हुए दानवे ने नई साइकिल शुरू की। क्रैंकशाफ्ट रखी हुई ट्रॉली आगे सरकाते हुए मोहन ने झुक कर, उसी तरह अपना सर आगे लाते हुए निरीक्षण किया। जब ट्रॉली आगे रबर के स्टॉपर से टकराई तो सी.एम.एम. का आर्म, प्रोब को ले कर नीचे आया। एक नंबर मेन जर्नल, एक नंबर पिन और दो नंबर मेन जर्नल, फिर से दो नंबर पिन ऐसा करते करते, हर एक स्थान पर तीन रीडिंग लेते हुए प्रोब आखिर तक गया।
"रिजल्ट?" मोहन ने गर्दन अंदर रखते हुए ही पूछा। "रिजेक्ट" दानवे ने कहा।
"फिर से केवल सी.एम.एम. रीडिंग दो और ट्रॉली को धक्का मत लगाओ।" मोहन ने बताया।
दानवे ने रीडिंग साइकिल शुरू की। "ओके" वह चिल्लाया।
"समझ आ गया!" मोहन भी अंदर से चिल्लाया। "चलिए हम लाइन की चाय पी कर इसे सेलिब्रेट करते हैं।" अबतक शॉप पर चाय आ गई थी।
***
कुछ ही समय में संचालक, सुर्वे, देशपांडे, मोहन, दानवे और अन्य लोगों की काइजेन की भाषा में 'गेंबा मीटिंग' यानि कार्यक्षेत्र पर खड़े खड़े ही मीटिंग शुरू हो गई। मोहन ने अपने सभी निरीक्षणों के बारे में बताया।
"क्रैंकशाफ्ट भारी होने और सी.एम.एम. को धक्का ना लगे इसीलिए लोडिंग के लिए हैड्रोलिक ट्रॉली बनाई गई है। यह संकल्पना अच्छी है लेकिन मुझे लगता है कि ट्रॉली की गति, अंदर जाते समय अधिक है और इसी लिए ट्रॉली का बेस आगे जा कर रबर के स्टॉपर से टकराता है। उसी पल सी.एम.एम. द्वारा मापन शुरू हो जाता है। पहले तीन रीडिंग (1 जर्नल, 1 पिन, 2 जर्नल) हर एक को 5 सेकंड ले कर पूरे होते हैं। जिस जगह ट्रॉली गोलाकार बुश से टकराती है उसी जगह पर शायद दोलन (ऑसिलेशन) निर्माण होता है और शायद वह लगभग 10-15 सेकंड में कम हो जाता है। इसी समय में एक नंबर क्रैंकपिन का रीडिंग होने के कारण उसमें प्रत्यक्ष फर्क आता है और वह हर बार अलग पाया जाने से हम चक्कर में पड़ जाते हैं। प्रोब ने अगला रीडिंग लेने तक यह सभी कंपन या दोलन लगभग नष्ट हो जाते हैं और अगले सभी पिन के अैंगल सही मिलते हैं।" उसने प्रायोगिक कर के बताया।
"मुझे लगता है कि तीन उपाय करने चाहिए। ट्रॉली की गति कम की जाए, साफ्ट रबर स्टॉपर के बजाय पॉलियूरेथिन का स्टॉपर लगा कर क्लैंप किया जाए और ट्रॉली अंदर जा कर टकराने पर लगभग आठ से दस सेकंड के विराम के बाद रीडिंग लिया जाए तो यह समस्या सुलझ सकती है।" मोहन ने बताया।
 
सभी ने संतोष व्यक्त किया। "हमने इस सेटअप पर ट्रायल के लिए अधिक समय देना चाहिए था।" संचालक ने कहा।
"सर, हम प्रोजेक्ट प्लान में मैन्युफैक्चरिंग इक्विपमेंट के लिए उचित या भरपूर समय देते हैं लेकिन क्वालिटी मेजरमेंट के संदर्भ में सबकुछ जल्दी यानि 'यस्टरडे बेसिस' पर चाहिए होता है।" देशपांडे ने सौम्य लेकिन दृढ़ शब्दों में कहा। "उसके लिए योजना में पहले से ही उचित अवधि देनी चाहिए। केवल सी.एम.एम. की ट्रायल ले कर सारी प्रोसेस तो ठीक नहीं होगी, लेकिन अगर हमने तय किए हुए ऑपरेशन साइकिल के पुनरावर्तन और सक्षमता को पूरा करने के लिए थोडा अधिक समय और सपोर्ट मिला तो ज्यादा अच्छा होगा।"
 
"ओके...ओके...मैं समझ गया हूँ आप क्या कहना चाहते हैं।" संचालक ने कहा। "सभी जांच अगले तीन दिनों में पूरी कर के लाइन शुरू कीजिए। मोहन, गुड जॉब, कीप इट अप। मैं देशमुख जी को अलग से फोन करूंगा। बाय द वे देशपांडे, आज मोहन की जरा खातिरदारी कीजिए, ठीक है ना?"
"यस सर" सुर्वे और देशपांडे ने मोहन की ओर देखते हुए एकसाथ कहा।
(तकनीकी विवरण : मोमिन ए. वाइ., अैप्लिकेशन अैड ट्रेनिंग हेड, अैक्यूरेट गेजिंग अैंड इस्ट्रूमेंट्स प्रा. लि.)
 
9764955599
अच्युत मेढेकर मेकैनिकल इंजीनीयर हैं और उत्पादन एवं क्वालिटी कंट्रोल क्षेत्र का लगभग 42 वर्षों का अनुभव रखते हैं।
@@AUTHORINFO_V1@@