प्रोटोटाईपिंग के लिए त्रिमिति मुद्रण अर्थात 3ऊ प्रिंटिंग
10 Dec 2018 15:36:39
जैसा है वैसा चित्रलेखन कर के उसे परिरक्षित करनेवाली फोटोग्राफी ने लगभग 175 साल पहले जनम लिया और अब वह दुनिया के सभी हिस्सों में पहुँच चुकी है। मुद्रण का इतिहास तो उससे भी कई सदियों से पहले से शुरू हुआ है। द्विमिति (2D) चित्रलेखन और मुद्रण का तंत्र दिनबदिन अधिकाधिक विकसित होता गया। मानव की नए तंत्र खोज निकालने की तीव्र इच्छा नित्य है और उसीमें से त्रिमिति (थ्री डाइमेन्शनल 3D) चित्रलेखन और मुद्रण का नया तंत्र उभर आया है।
त्रिमिति मुद्रण (3D प्रिंटिंग) का तंत्र कला के साथ उत्पाद के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगा ऐसा भविष्य जताया जा रहा है। इस लेख में हम इसी तंत्र के बारे में जानकारी हासिल करने वाले हैं।
साधारण मुद्रण में कागज पर स्याही यानि इंक का, वांछित आकार और स्थूलता का, तह (लेयर) दिया जाता है। मौजूदा तंत्र के जरिए कागज पर कहाँ कितनी स्याही ड़ाली जानी चाहिए यह संगणक प्रणाली द्वारा सुनिश्चित किया जाता है और हमें जो चाहिए और जैसा चाहिए वैसा मुद्रण प्राप्त हो जाता है।
त्रिमिति मुद्रण तंत्र में यही कार्य, एक के ऊपर दूसरा, इस प्रकार अनेक तह लगा के किया जाता है। इस प्रकार तैयार होने वाली प्रिंट सचमुच एक वस्तुरूप होती है। इसीलिए इसे परिवर्धन उत्पादन (ऐडिटिव्ह मैन्युफॅक्चरिंग) भी कहा जाता है।
मौजूदा उत्पाद प्रणाली में कच्ची सामग्री में से जो अंश नही चाहिए वह हटा कर अपनी मनपसंद चीज बनाई जाती है। इसलिए उसे फिलहाल घटाव उत्पादन (सब्ट्रैक्टिव मैन्युफॅक्चरिंग) के नाम से जाना जाता है। उत्पादन क्षेत्र में संपूर्ण परिवर्तन लाने वाला यह परिवर्धन उत्पादन तंत्र फिलहाल किशोर अवस्था में है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल नया उत्पाद शुरू करते वक्त जरूरी होने वाला प्रतिरूप (प्रोटोटाईप) बनाने के लिए कई जगह शुरू हो गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी लेते हैं।
1984 में चार्ल्स हल ने इसकी खोज की और 1986 में स्टिरिओ लिथोग्राफी इस नाम से इसका पेटंट हासिल किया। त्रिमिति छपाई तंत्र के दो प्रमुख प्रारूप हैं
1. FDM (फ्युजड् डिपॉजिशन मॉडलिंग)
2. SLS (सिलेक्टिव लेसर सिंटरिंग)
FDM तंत्र में अधिकांश प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है। अगर हमें तैयार होने वाली चीज की प्रत्यक्ष गुणवत्ता की परीक्षा करनी है तो यहाँ धातु का भी प्रयोग किया जा सकता है। जिस मटिरिअल का प्रयोग करना है उसकी तार पिघला कर मशीन के बेड पर छोड़ी जाती है। तार छोड़ने वाले हिस्से को इंट्रूडर कहा जाता है (चित्र क्र. 1)।
कार्य के दौरान इसका तापमान 2100 सें.-2600 सें. होता है, और बेड का तापमान 800 सें.-2500 सें. होता है। प्रयोग किया जाने वाला मटीरिअल तथा तहों की संख्या पर तापमान निर्भर होता है। इंट्रूडर का प्रोब पहले तय किए अनुसार बेड पर घूमता है। उसमें से आने वाली तार बेड पर पिघल जाती है और हमें जो अपेक्षित है वह आकार बनते जाता है।
इस प्रारूप को ‘रैपिड प्रोटोटाइपिंग’ (RepRap) नाम से भी जाना जाता है। इसमें फ्यूज धातु या फिलामेंट फ्यूज होकर, इंट्रूजन नोजल में से पिघलकर, कार्यवस्तु के तह के अनुसार प्रिंट हो जाता है। हर तह की मोटाई मॉडल के हिसाब से तय होती है। कम से कम मोटाई 0.01 मिमी. होती है। यह वस्तु के आकार के हिसाब से सेट होती है। 100 मिमी. X 100 मिमी. की चीज होगी तो तह की मोटाई 2 मिमी. हो सकती है। थ्रेड के डिजाइन के हिसाब से तह तैयार हो जाता है।
अपेक्षित आकार की जानकारी प्रिंटर को संगणक में से ’.stl’ फाईल फॉर्मैट में तैयार किए जानेवाले 3D ड्रॉइंग के माध्यम से मिल जाती है। प्रचलित CAD फॉर्मैट में तैयार किए गए ड्रॉइंग का परिवर्तन ’.stl’ फॉर्मैट में किया जा सकता है। मशीन का बेड द, ध, और न इन अक्षों में हिलता है और इंट्रूडर स्थिर होता है (चित्र क्र. 2)। इस मशीन में बेड के संचलन के लिए इलेक्ट्रॉनिक तंत्र का इस्तेमाल किया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक, असेंब्ली/डिजाईन और साफ्टवेयर यह इस यंत्रणा के तीन प्रमुख हिस्से हैं।
FDM प्रक्रिया में मटिरिअल की लगातार उपलब्ध की जानेवाली तार (फिलामेंट) पिघला के उन्हें 3D आकार दिया जाता है।
3D प्रिंटर क होता है?
3D प्रिंटर सामान्य प्रिंटर से भिन्न होता है। 3D प्रिंटर पर कोई भी चीज तीन परिमापों में प्रिंट की जाती है। एक के बाद एक तह लगा के 3ऊ मॉडेल का निर्माण किया जाता है। इसलिए इस पूरी प्रक्रिया को शीघ्र प्रतिरूपण (रैपिड प्रोटोटाइपिंग) या 3D प्रिंटिंग कहा जाता है। फिलहाल उपलब्ध प्रिंटर का रेजोल्युशन 328 X 328 X 606 DPI (X, Y, Z) से ले कर अल्ट्रा कऊ रेजोल्युशन में 656 X 656 X 800 DPI (X, Y, Z) इस श्रेणी में होता है। इसकी अचूकता 0.025 मिमी.से 0.05 मिमी. प्रति इंच होती है। 737 मिमी. X 1257 मिमी. X 1504 मिमी. तक के साईज का मॉडल बनाया जा सकता है।
शीघ्र प्रतिरूपण और 3D प्रिंटर
3D प्रिंटर यह शीघ्र प्रतिरूपण मशीन का सीधासाधा संस्करण है। उसकी कीमत कम होती है और क्षमता भी कम होती है।
पिछले अनेक सालों से शीघ्र प्रतिरूपण ऑटोमोटिव और एअरक्राफ्ट उद्योगों में प्रयोग की जाने वाली पारंपरिक कार्यपद्धती है। अक्सर 3D प्रिंटर RP (रैपिड प्रोटोटाइपिंग) मशीनों की तुलना में छोटे और संक्षिप्त होते हैं। वे कार्यालयीन इस्तेमाल के लिए आदर्श होते हैं। ये कम जगह में और कम बिजली पर कार्य करते हैं। नाइलॉन या अन्य प्लास्टिकों का प्रयोग कर के छोटी चीजों का छोटे पैमाने पर पुनरुत्पाद करने हेतु उनकी परिकल्पना की गई है। RP मशीन में बिल्ड चेंबर की एक छोर कम से कम 10 इंच चौड़ाई की होती है, तो 3D प्रिंटर में वह 8 इंच से कम होती है। फिर भी ठझ मशीन में किए जाने वाले सभी कार्य करने में 3ऊ प्रिंटर काबिल होता है। इसमें डिजाइन की परीक्षा और स्वीकृती, प्रतिरूप का उत्पादन, असमीप (रिमोट) रीती से सूचना का आदान प्रदान करना आदि का समावेश होता है।
फलस्वरूप 3D प्रिंटर इस्तेमाल के लिए आसान होते हैं और उनकी मरम्मत सस्ती होती है। आप बाजार से एक ‘डू इट युवरसेल्फ किट’ खरीद के लाएँ और खुद अपना 3D प्रिंटर बनाएँ। वह व्यावसायिक RP मशीन की तुलना में सस्ता होगा।
भारत में बना एक 3D प्रिंटर आपको रु. 50,000 तक मिल सकता है और व्यावसायिक RP मशीन की कीमत कम से कम 50,000 होती है। RP मशीन की तुलना में 3D प्रिंटर की अचूकता कम होती है। उनके सादे स्वरूप की वजह से उनमें प्रयोग किए जाने वाले मटिरिअल के विकल्प सीमित होते हैं। 3D प्रिंटिंग के लिए अनेक किस्म की मटिरिअल का प्रयोग मुनासिब होता है। मिसाल की तौर पर ए.बी.एस. प्लास्टिक, पी.एल.ए., पॉलीअमाईड (नाइलॉन), काँचसहित पॉलीअमाईड, स्टीरिओलिथोग्राफी मटिरिअल (इपॉक्सी रेझिन), चांदी, टैटेनिअम, स्टील, मोम, फोटोपॉलीमर और पॉलीकार्बोनेट।
3D डिजाइन के लिए उपलब्ध 3D ’मॉडेलिंग साफ्टवेर
अगर आप इस क्षेत्र में नया कदम रखने वाले हैं तो आगे बताए गए उपलब्ध फ्री डाउनलोड 3D मॉडलिंग साफ्टवेयर का इस्तेमाल कीजिए।
गूगल स्केचअप
कहा जाता है की गूगल स्केचअप बहुत मजेदार और मुफ्त है और वह इस्तेमाल के लिए बहुत आसान है। स्केचअप में 3D मॉडल बनाने हेतु आप को सिर्फ छोर और पृष्ठ (फेस) चित्रित करने होते हैं। इसलिए कुछ ऐसे टूल का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिन पर बहुत कम समय में निपुणता हासिल की जा सकती है।
पुश/पुल टूल का इस्तेमाल कर के आप किसी भी समतल पृष्ठ को एक्स्ट्रूड कर के उसमें से एक 3ऊ आकार बना सकते हैं। इसके सिवा यह गूगल अर्थ के साथ कार्य करता है, इसलिए आप गूगल अर्थ में से स्केल किया हुआ एरियल फोटो सीधा इम्पोर्ट कर सकते हैं, या तो स्केचअप का इस्तेमाल कर के ऐसे मॉडल बना सकते हैं जिन्हें गूगल अर्थ में देखा जा सकता है।
3 डीटिन
3 डीटिन यह सब से आसान 3D साफ्टवेयर है और उसमें आप सीधे अपने ब्राउजर में चित्र बना सकते हैं।
ब्लेंडर
ब्लेंडर यह एक मुफ्त, ओपन सोर्स, 3D कंटेंट क्रिएशन सूट है। यह सभी जी.एन.यू. जनरल पब्लिक लाइसंस के अंतर्गत प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टमों के लिए उपलब्ध है। डच ऐनिमेशन स्टुडिओ निओजिओ और नॉट अ नंबर टेक्नॉलॉजीज (NAN) इन्होंने एक इनहाउस ऐप्लिकेशन के रूप में ब्लेंडर का विकास किया था। उच्च गुणवत्ता वाले 3D साफ्टवेयर की विशेषताएँ होने वाला यह एक बहुत बढ़िया प्रोग्राम है।
ओपनस्कैड
ओपनस्कैड यह ठोस 3D कॅड चीजों के निर्माण हेतु साफ्टवेयर है। यह मुफ्त साफ्टवेयर लिनक्स/युनिक्स, एमएस विंडोज आणि मॅक ओएस एक्स के लिए उपलब्ध है। इसमें 3D मॉडलिंग के कलात्मक पहलुओं के बजाय CAD पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
टिंकरकैड
अपने 3D प्रिंटर के लिए डिजाईन बनाने के लिए टिंकरकैड यह एक नया और दृतगती विकल्प उपलब्ध है। सिर्फ तीन मूलभूत टूल के प्रयोग से हम उपयुक्त चीजों की एक विस्तृत श्रेणी बना सकते हैं। अपना प्रकल्प तैयार हो जाने पर उसकी ’ .stl’ फाईल डाऊनलोड करें और अपना 3D प्रिंटिंग शुरू करें।
CAD के ऑटोकॅड तथा प्रो इंजिनिअर यह साफ्टवेयर तथा राइनो, माया एवं सॉलिडवर्क्स आदि साफ्टवेयर पॅकेज व्यावसायिक साफ्टवेयर 3D मॉडेल के डिजाइनिंग के लिए बहुत बढ़िया हैं।
3D प्रिंटिंग का उपयोग
3D प्रिंटिंग के अनुप्रयोगों (ऐप्लिकेशन) में से सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोग चिकित्सा उद्योग में है। 3D प्रिंटिंग के जरिए सर्जन मरीज के शरीर के जिस हिस्से पर शस्त्रकर्म करना है उसकी बनावटी प्रतिकृती (मॉकअप) बना सकते हैं। 3D प्रिंटिंग के जरिए कोई भी चीज शून्य से शुरुआत कर के कुछ घंटों में पूर्णस्वरूप तैयार करना मुनासिब होता है। इसकी सहायता से डिजाइनर तथा विकसकों को फ्लैट स्क्रीन से प्रत्यक्ष चीज तक पहुँचना संभव होता है।
इन दिनों खिलौनों से लेके ऐरोस्पेस के पुर्जों तक हर चीज 3D प्रिंटर की सहायता से बनाई जाती है। 3D प्रिंटिंग का प्रयोग आभूषण, कला, वास्तुकला, फैशन डिजाइन और इंटिरियर डिजाइन में किया किया जाता है। कालेज के छात्रों के लिए तो यह मशीन बहुत काम की चीज है। पढ़ाई के दौरान उन्हें कुछ मॉडल बनानें हो तो बहुत कम खर्चे में यह मॉडल 3D प्रिंटर की सहायता से बनाए जा सकते हैं। मिसाल की तौर पर एक ड्रोन बनाना हो तो उसके विविध पुर्जों का निर्माण एवं उन्हें जोड़ना, पारंपरिक यंत्रण की तुलना में, 3D प्रिंटिंग से आसान और कम खर्चीला होता है।
0 9822479889
avadhoot.dhamdhere@gmail.com
मेजर अवधूत ढमढेरेजी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त अभियंता है। आपने आय.टी. इन्फ्रास्ट्रक्चर में काम किया है। अभी आप तकनीकी सलाहगार है।