वस्तु निर्माण के उद्योग में सी.एन.सी. मशीन, वाल्व असेंब्ली, मैनीफोल्ड असेंब्ली, गिअर बाक्स आदि में अनगिनत अलग अलग पुर्जों का इस्तेमाल किया जाता है। उनमें से हाउसिंग या ब्लाक जैसे कुछ पुर्जे कास्टिंग, फोर्जिंग या एस.जी. आयर्न से बनाए जाते हैं। मशीनों के ये पुर्जे मजबूत होने के साथ ही उनके पृष्ठ की फिनिशिंग उच्च श्रेणी की होने की जरूरत होती है। असेंब्ली के जो पुर्जे एक दूसरे के संपर्क में आते हैं उनको स्क्रू या नट बोल्ट से इतना कसकर जोड़ना अपेक्षित होता है कि उनमें से तेल की एक बूँद भी न टपके और न ही धूल या अन्य कचरा उनके अंदर जा पाए। इसलिए एक दूसरे के संपर्क में आने वाले पुर्जे सील किए जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर वाल्व असेंब्ली या गिअर बाक्स असेंब्ली में स्थित गिअर, हाउसिंग में तेल में निरंतर घूमते रहते हैं। लुब्रिकैशन निरंतर मिलता रहे, कम से कम आवाज हो और कुल कार्य निर्बाध चलता रहे, यही इसके उद्देश हैं। इसी वजह से एस.जी./फोर्जिंग/कास्टिंग से बनाए हुए लोहे के गिअर बाक्स के हाउसिंग से तेल की एक बूँद भी न टपकना अनिवार्य होता है। अत: जो भाग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं उनके पृष्ठ की फिनिशिंग उच्च श्रेणी की रखी जाती है। इसके लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान रखना आवश्यक होता है
1. फिक्श्चर सेटअप
2. टूल का चयन
3. यंत्रण की प्रक्रिया
1. फिक्श्चर सेटअप : पुर्जा क्लैंप में मजबूती से पकड़ा जाना चाहिए, ताकि यंत्रण के समय वह बिलकुल ना हिले। क्लैंपिंग-डीक्लैंपिंग सुलभता से और हर बार उतनी ही दृढ़ता से होना चाहिए। जिस स्थान में यंत्रण करना हो, उसके बहुत ही नजदीक क्लैंपिंग होना हितकर है। इसके कारण चैटर मार्क और कंपन (वाइब्रेशन) कम होते हैं।
2. टूल का चयन : ढाले लोहे (कास्ट आयर्न) का पुर्जा होने के कारण उसका पृष्ठ उबड़खाबड़ होता है। उसके उपर का मटिरिअल निकालने के लिए मजबूत टूल जरूरी होते हैं। इसलिए दुहरी धार के टूल का चयन सही होता है। टूल धातु में आसानी से प्रवेश कर सकने के लिए 450 या 750 ऐप्रोच कोण वाला टूल होना चाहिए। फिनिशिंग के काम के लिए तेज धार वाले और पॉजिटिव ज्यामिति के टूल चुनने चाहिए।
3. यंत्रण की प्रक्रिया : चैटरिंग मार्क के बिना चिकने पृष्ठ की जरूरत होगी तो शुरू में ही मजबूत टूल से, ज्यादा गहराई का काट ले कर, अधिक से अधिक अतिरिक्त धातु निकाल देनी चाहिए। उसके बाद सेमीफिनिशिंग कर के अंत में पूरा फिनिशिंग करना चाहिए। इससे मनचाहा फिनिश एवं समतलता मिल सकेगी। इस संदर्भ में एक उदाहरण यहाँ देखते हैं
पुर्जा : हाउसिंग
धातु : ढलाऊ लोहा (कास्ट आयर्न)
कार्य : रिब फेस मिलिंग
मशीन : वी.एम.सी.
हाउसिंग का अपेक्षित अंतिम स्वरूप
• उत्कृष्ट पृष्ठीय फिनिश
• कुल 1750 मिमी. यंत्रण की लंबाई में
150 माइक्रॉन से कम फ्लैटनेस
• यंत्रण का समय कम होना
• चैटर मार्क से मुक्त पृष्ठ
कार्य : यंत्रण के क्षेत्र के पास हाउसिंग (चित्र क्र.1 में दिखाए अनुसार) क्लैंप किया गया है।
रफिंग (मोटा काट) : रफिंग करते समय शुरू में 900 ऐप्रोच कटर का प्रयोग कर के भी इच्छित पृष्ठीय फिनिश और टूल की आयु नहीं मिलती थी। इसलिए, रफिंग के लिए, 8 कोनोंवाले इन्सर्ट सहित 450 ऐप्रोच के कटर का इस्तेमाल करने से सरकगति (फीड) में 40% वृद्धि हुई और आवर्तन काल कम हो गया। काटने की गति कम हो जाने से टूल की आयु भी बढ़ गई।
सेमीफिनिशिंग
फिनिशिंग के कार्य की पूर्वतैयारी उचित होने के लिए इस अतिरिक्त पादान को शामिल किया गया है। रफिंग के लिए इस्तेमाल किए गए टूल का ही इस्तेमाल सेमीफिनिशिंग हेतु कर के, समय और खर्चे में बचत की गई। इस समय पृष्ठ नियमित करने को अधिक महत्व दिया गया।
पहले फिनिशिंग के काम में 900 ऐप्रोच कटर इस्तेमाल करने पर, दुहरे धार वाले इन्सर्ट के कारण, चैटरिंग मार्क उभरते थे और टूल की आयु कम हो जाती थी। टूल का ओवरहैंग भी ज्यादा होता था। पुर्जे अस्वीकार होने की समस्या भी थी। इसलिए 45ॅ ऐप्रोच के 4 कोनोंवाले एकल धारवाले इन्सर्ट का इस्तेमाल कर के उसी फीड पर कार्य किया गया। टूल का ओवरहैंग कम हो गया। ज्यादा क्लिअरंस वाली पॉजिटिव इन्सर्ट ज्यामिति के प्रयोग के कारण मनपसंद पृष्ठीय फिनिश मिला।
अधिक बढ़िया फिनिशिंग पाने के लिए, जैसे कि पहले बताया गया है, 4 खाँचों वाले कटर में पॉजिटिव इन्सर्ट का इस्तेमाल किया। साथ ही, काटने की गति घटा कर सरकगति बढ़ाई क्योंकि इन्सर्ट की वाइपर छोर ज्यादा लंबी थी।
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विजेंद्र पुरोहितजी ने यांत्रिकी अभियंता की पदवी पाने के बाद ऑपरेशन मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की। आपको मशीन टूल एवं कटिंग टूल डिजाइन में 20 सालों का अनुभव है। आप ड्युराकार्ब इंडिया कंपनी में तकनीकी सहायता विभाग के प्रमुख हैं।