संपादकीय

10 Feb 2019 11:39:21

editorial
 
धातुकार्य का चौथा अंक आप के हाथों में सौंपते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है। धातुकार्य का पिछला अंक (जनवरी, 2019) हमने बंगलुरू में हुई इम्टेक्स 2019 प्रदर्शनी पर आधारित विशेष अंक के रूप में प्रकाशित किया। प्रदर्शनी में प्रस्तुत होनेवाले उत्पादों के बारे में हमने उस में जानकारी दी है। हम यह उम्मीद जताते हैं कि विशेष अंक के माध्यम से कई छोटे-बड़े उत्पादों की जानकारी प्रत्याशित पाठकों तक पहुँचकर उन्हें उससे यकीनन लाभ हुआ होगा और प्रदर्शनी देखने की योजना बनाने में इस अंक ने उनकी जरूर सहायता की होगी।
 
उत्पादकता अब केवल कंपनी स्तर की आवश्यकता नहीं रही, बल्कि राष्ट्र की वित्तीय स्थिति का निदान करने वाली एक महत्वपूर्ण बात बन गई है। उत्पादन क्षेत्र में, खास कर यंत्रण क्षेत्र में, उत्पादन बढ़ाने तथा गुणवत्ता की एवं कम से कम समय में उत्पादन की आवश्यकता, भारत में तब से अधिक स्पष्ट होने लगी जब से यहाँ विदेशी कंपनियों का प्रभाव बढ़ना शुरु हुआ, यानी कि 90 के दशक से। उस समय से भारतीय उद्योजक सी.एन.सी. मशीन को चुनने लगे। मशीनिंग सेंटर नामक बहुउद्देशीय एवं उत्पादक मशीन लगभग 1958-60 के दौरान अमरीका में बनने लगी। प्रायः 1985-90 यह में भारत में प्रसिद्ध होने लगी। टेल्को, कमिन्स जैसी कंपनियाँ 70 के दशक से ही विदेश से मशीन आयात किया करती थी। मशीनिंग सेंटर एस.एम.ई. तक पहुँचने में लगभग बीस साल गुजर गए। क्योंकि मशीन के संपूर्ण हिस्से बाहर से बनवाने (आऊटसोर्सिंग) की संकल्पना भारत में 90 के दशक से अधिक मजबूत बनने लगी। उससे पहले केवल रफिंग बाहर से करवाना और फिनिशिंग खुद की फैक्टरी में (इन हाऊस) करना अधिक लोकप्रिय था। इसलिए 90 के दशक से, उत्पादकता बढ़ाने हेतु, लघु और मध्यम आकार के उद्योग में मशीनिंग सेंटर का प्रयोग बढ़ने लगा। 1985-86 में भारतीय बनावट के एच.एम.टी. मशीनिंग सेंटर का बाजार में प्रवेश हुआ और उसके बाद चंद भारतीय कंपनियों ने मशीनिंग सेंटर का उत्पादन शुरु किया। आज लघु और मध्यम उद्योजक को भी उसकी आवश्यकता एवं महत्व महसूस होने के कारण इन मशीनों की संख्याबढ़ रही है।
 
धातुकार्य के इस अंक में हमने मशीन टूल के कुछ महत्वपूर्ण उपसाधन (ऐक्सेसरी) तथा मशीनिंग सेंटर के बारे में विवरण देने का प्रयास किया है। उपसाधन विभाग में लंबी कार्यवस्तु को आवश्यक आधार देने वाले संपूर्ण भारतीय लाईव सेंटर का तकनीकी विवरण आपके साथ साझा किया है। साथ ही, बार के रूप में रही कच्ची सामग्री पर स्वचालित तरीके से काम करने वाले बार फीडर की जानकारी प्रस्तुत की है। सी.एन.सी. विभाग में एक ही सेटअप में किसी भी आकार के पुर्जे के 5 पृष्ठों पर प्रभावशाली यंत्रण प्रक्रिया करने की असीमित संभावनाएँ निर्माण करने वाले 5 अक्षीय मशीन संबंधी विस्तार से जानकारी दी गई है। मशीन शॉप की क्षमता बढ़ाने हेतु इंडेक्सिंग टरेट का कार्यक्षम उपयोग करनेसंबंधी एक केस स्टडी आप इस अंक में पढ़ सकते हैं। वी.एम.सी. का उचित प्रयोग उदाहरण के साथ स्पष्ट करने वाला लेख आपके लिए जरूर उपयोगी होगा। प्रक्रिया सुधार विभाग में किसी फैक्टरी में की गई बेहतरी की जानकारी दी हुई है जो, उचित मशीन तथा टूल के चयन से, निर्माण का खर्चा घटाने से संबंधित है। सरफेस फिनिश इस यंत्रण विधि की महत्वपूर्ण विशेषता पर प्रभाव ड़ालने वाले विभिन्न घटकों की संसूचना देने वाला लेख भी इसी विभाग में समाविष्ट है। टूलिंग विभाग में एच.एस.एस. टूल की गहरी जानकारी देने वाला लेख एवं प्रोग्रामिंग, जिग और फिक्श्चर, फैक्टरी में छोटे सुधार की लेखमालाएँ भी आपके लिए जरूर लाभप्रद साबित होंगी।
 
हम जानना चाहते हैं कि धातुकार्य में आप क्या पढ़ना पसंद करेंगे। आप इस मुद्दे पर बिना कोई संदेह हमसे विचार साझा कर सकते हैं। हमने महाराष्ट्र में कई स्थानों पर पाठकों के साथ ‘मुक्त वार्तालाप’ गतिविधि आरंभ की है। उसी तरह आपके इलाके में भी, आपके स्थानीय उद्योजक संगठन के सहयोग से, इस प्रकार का सम्मेलन आयोजित करने की हम इच्छा करते हैं। इससे पत्रिका में पेश किए गए विषय और पाठकों के बीच की संभाव्य दूरी घटने में जरूर सहायता होगी और पत्रिका, पढ़ने वालों के प्रति और उन्मुख होगी। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में हम आपसे और बेहतर सहयोग पाएँगे।
 
 
दीपक देवधर
deepak.deodhar@udyamprakashan.in
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