किसी भी निर्माण के दौरान, बनाई गई हरएक वस्तु की जांच करना आवश्यक है। जांच ना करने से रिजेक्शन की मात्रा बढ़ सकती है। डीजल पर चलने वाले ट्रक में प्राइमिंग करने के लिए एक पंप होता है। इंजन में डीजल के रास्ते में जब वायु अटक जाती है तो इस पंप की मदद से वह हटाई जाती है। यह पंप हाथ से (मैन्युअली) इस्तेमाल किया जाता है। जब प्रॉडक्शन लाइन में ये पंप बनते हैं तो हर पंप की जांच होती है। इस जांच हेतु पुणे स्थित हमारी ‘फैबेक्स इंजीनीयरिंग’ कंपनी ने ग्राहक की मांग के अनुसार ‘डीजल प्राइमिंग पंप टेस्टिंग मशीन’ बनाया। इस लेख में हम उसके बारे में जानकारी पाएंगे।
पुराना तरीका
प्राइमिंग पंप का उत्पादन करने वाली एक फैक्टरी में आमतौर पर प्रति मिनट 1 के हिसाब से हर दिन 300 से 400 तक डीजल प्राइमिंग पंप बनते हैं। यह पंप 3 से 4 किस्म के होते हैं। हर प्रकार के लिए अलग सेटअप जरूरी होता है। बनाए गए सारे पंप की जांच करना आवश्यक होता है। पहले यह जांच मैन्युअली की जाती थी। उसमें समय और मेहनत का मेल नहीं मिल पाता था। इस विधि में ऑपरेटर को प्रत्यक्ष रूप से पंप से कितना डीजल बाहर आ रहा है ये देखने के लिए 25 स्ट्रोक हाथ से लगाना जरूरी था। उसके बाद उसे सक्शन दिया जाता था। इस प्रक्रिया में काफी डीजल छलक कर बाहर गिर जाता था। ऑपरेटर इसीमें व्यस्त रहता था। यह काम प्रतिदिन जटिल होता जा रहा था। इस कारण पुनरावर्तनीयता (रिपीटॅबिलिटी) एवं निरंतर अचूकता नहीं पाई जा रही थीं।
इस पूरी विधि को 5 मिनट का समय लग रहा था।
ग्राहक की मांग
3 - 4 प्रकार के 300 - 400 पंप की जांच, प्रति मिनट एक इस दर से, निरंतर अचूकता से की जाना।
ऑपरेटर को थकान महसूस न होना।
यह जांचना अत्यंत महत्वपूर्ण था कि पंप के हेड से, 25 स्ट्रोक में, 500 मिली. डीजल +/- 30 मिली. की प्रत्याशित मात्रा में बाहर आता है या नहीं। दूसरे शब्दों में ग्राहक की प्रधान मांग थी, पंप की हर स्ट्रोक में डीजल धकेलने की क्षमता (कपैसिटी) का परीक्षण होना।
नया तरीका
हर प्रकार के पंप के लिए मशीन के खांचे में ठीक से बैठने वाला एकफिक्श्चर बनाया गया।
फिक्श्चर को इनलेट एवं आउटलेट जोड़ने के लिए न्यूमैटिक प्रबंध किया गया।
डीजल धकेलने की क्षमता नापने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फ्लो मीटर का प्रयोग किया।
एक सेन्सर लगा कर सारी वायु बाहर निकालने के बाद स्ट्रोक गिन कर उसमें से आने वाला डीजल नापना शुरु किया।
इस प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने हेतु कुछ इलेक्ट्रिक तथा न्यूमैटिक प्रणाली इस्तेमाल करते हुए अपनेआप उचित मरम्मत हो जाने का प्रबंध किया गया।
लाभ
इस पूरी विधि को न्यूमैटिक तथा स्वचालित करने से हमें एक मिनट से भी कम (52 सेकंड) प्रत्याशित आवर्तन समय (साइकिल टाइम) ठीक से मिलने लगा।
इस नई प्रक्रिया में केवल एक ऑपरेटर होता है, जिसे मैन्युअली कोई भी काम नहीं करना पड़ता है। जांच की विधि पर नजर रखने के अलावा ऑपरेटर पर कोई जिम्मेदारी नहीं है।
स्वचालित प्रक्रिया होने से मानवीय गलतियों की संभावना नहीं रहती।
फ्लो मीटर का उपयोग करने से मापन की अचूकता एवं पुनरावर्तनीयता दोनों बातें ओशस्त हो गई।
पोकोयोके प्रणाली की वजह से इस मशीन पर लाइन से आने वाले अस्वीकृत पंप अपनेआप इस स्थान पर पकड़े जाते हैं। मिसाल के तौर पर, यदि 25 स्ट्रोक में 400 मिली. डीजल ना आए तो पंप पर पंचिंग नहीं होता। इसका मतलब है कि पंप ठीक नहीं है।
इस मशीन की मदद से अलग अलग पंप की चाहे जितनी बार जांच की जा सकती है।
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प्रसन्न अक्कलकोटकरजी यांत्रिकी अभियंता हैं और उन्हें इस क्षेत्र में 25 साल से अधिक अनुभव है।