जुलाई महीने के पहले हफ्ते में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणजी ने 2019-20 का बजट प्रस्तुत किया। भारत की पहली महिला वित्तमंत्री ने पेश किए इस बजट में देश की वित्तव्यवस्था को उचित गति देने हेतु आवश्यक नीतियां दिखाई देती हैं।
निर्माण क्षेत्र के साथ मशीन टूल उद्योग के लिए भी यह बजट महत्वपूर्ण है। औद्योगिक निर्मिती क्षेत्र में मशीन टूल, उपसाधन, पकड़साधन, उपयंत्रणा (सबसिस्टम) एवं पुर्जे बनाने वाली हजारो कंपनियां सक्रिय हैं। उनमें से 90% सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एम.एस.एम.ई.) हैं। भारत की कुल राष्ट्रीय आय (जी.डी.पी.) में लघु एवं मध्यम उद्योगों का हिस्सा 8% है। साथ ही रोजगार निर्मिति में भी यह क्षेत्र अहम् योगदान देता है।
एम.एस.एम.ई. की नजर से बजट के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान
• जीएसटी पंजीकृत सभी लघु एवं मध्यम उद्योगों को 2% ङ्गइंटरेस्ट सबवेन्शनङ्घ योजना का लाभ दिलवाने हेतु 2019-20 इस वित्तीय वर्ष में 350 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है।
• 400 करोड़ रुपयों तक की कुल बिक्री होने वाली कंपनियों का समावेश 25% कॉर्पोरेट टैक्स श्रेणी में किया जाने से निवेश को प्रेरणा मिलने वाली है।
• कुछ निश्चित कच्ची सामग्री पर होने वाले सीमा कर में कटौती की जाने से स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने उठाए इस सकारात्मक कदम से एम.एस.एम.ई. क्षेत्र का विकास होगा तथा उसकी उत्पादनक्षमता बढ़ेगी।
• आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स, IoT, 3D प्रिंटिंग, वर्चुअल रिऐलिटी तथा रोबोटिक्स जैसे नवीनतम तकनीक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाएंगे। इससे उद्योग क्षेत्र से संबंधी कौशल होने वाली मानव संसाधन बड़े पैमाने पर उपलब्ध होने में मदद होगी और कुशल व्यक्तियों को रोजगार पाने के और नए मार्ग भी खुल जाएंगे।
• सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के लिए किए गए 70,000 करोड़ रुपयों के प्रावधान से उद्यमियों को सुलभता से क्रेडिट मिलना अपेक्षित है।
• स्टार्टअप उद्योगों को गए साल में हुआ घाटा अगले साल में अग्रनित करने के मामले में लागू नियम नर्म किए गए हैं।
• सरकार लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए, बिल और पेमेंट हेतु एक ङ्गपेमेंट प्लैटफॉर्मफफ बनाएगी जिससे सभी प्रकार के वित्तीय व्यवहार जल्दी हो सकेंगे और इस क्षेत्र में निवेश बढ़ जाएगा।
सुरक्षा, रेल्वे, सड़क, बिजली, सस्ते आवासों का निर्माण जैसी मूलाधारी सुविधाओं के विकास के लिए बजट में अधिक प्रावधान किए गए हैं। लगता है कि इससे निर्माण साधन एवं मशीनों की मांग बहुत बढ़ेगी। दक्षिणी राज्यों में विमान उद्योग के लिए SEZ तथा मैन्युफैक्चरिंग पार्क स्थापित किए जाने वाले हैं। फिलहाल कहा जा सकता है कि मेक इन इंडिया उपक्रम के तहत मशीन उद्योग क्षेत्र तथा कंजूमर गुड्स के साथ कुल अभियांत्रिकी और निर्माण क्षेत्र पर जोर दिया जाएगा। भविष्य में विस्तार होने वाले ऐसे क्षेत्रों की ओर देखते हुए अपेक्षा कर सकते हैं कि मशीन टूल उद्योग भी उसी गति से बढ़ेगा। सरकारी समर्थन पा कर, आने वाले दिनों में भारतीय मशीन टूल उद्योग भी बढ़ने की संभावना है। इसे वास्तव में लाने के लिए औद्योगिक क्षेत्र का उत्पादन बढ़ना जरूरी है और यह हासिल होने के लिए लघु एवं मध्यम उद्योगों से उच्च गुणवत्ता के उत्पाद बड़ी मात्रा में पेश होना आवश्यक है।
धातुकार्य पत्रिका में प्रसारित की जाने वाली सभी जानकारी लघु एवं मध्यम उद्योग में काम करने वालों को अपना उत्पादन ज्यादा से ज्यादा सटीक और बड़ी मात्रा में बनाने के लिए सहायता करती है। उत्पादन के सभी घटकों के बारे में होने वाले सुधार हम इस पत्रिका के जरिए आपके सामने ला रहै हैं। आपको यह जानकारी फायदेमंद रहती होगी एैसा हमें विश्वास है।
दीपक देवधर
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