केवल आँखों को नजर ना आने वाली, पुर्जों पर आई हुई अति सूक्ष्म बाधाएं देखने के लिए किसी अप्रत्यक्ष पद्धति का प्रयोग करना पड़ता है और वह है सूक्ष्मदर्शी। सूक्ष्मदर्शी से एक बार एक ही व्यक्ति देख सकता है, लेकिन प्रोफाइल प्रोजेक्टर के माध्यम से एकसाथ कई लोग वही चित्र/छाया देखते हैं और उसकी बाहरी रूपरेखा का मापन कर सकते हैं।
प्रोफाइल प्रोजेक्टरफ शब्द कभीकभार एक और प्रकार के उपकरण के लिए इस्तेमाल होता है, उसे ऑप्टिकल कम्पैरेटर कहते हैं। प्रोफाइल प्रोजेक्टर को मशैडोग्राफफ भी कहते हैं। यह उपकरण औद्योगिक उत्पादों के परीक्षण के लिए इस्तेमाल होता है।
प्रोफाइल प्रोजेक्टर में प्रकाश और छाया जैसे बहुत ही सरल, बुनियादी वैज्ञानिक धारणाओं का प्रयोग किया हुआ है। कुछ तरह के बल्ब (जैसे कि घर में इस्तेमाल होने वाला incandescent lamp) के नीचे हम अपना हाथ रखें तो हाथ की परछाई बनती है। परछाई की स्पष्टता यानि शार्पनेस, दिया और परछाई पड़ने वाले पृष्ठ के बीच की दूरी पर निर्भर रहता है। किसी भी तरह के पुर्जे का आकार/आयाम (डाइमेन्शन) जांचने का काम इस मशीन की मदद से आसानी से कर सकते हैं।
रोशनी हेतु इसमें भी प्रोजेक्शन लैंप होता है और परछाई पाने के लिए एक सतह के रूप में दूधिया कांच (मिल्की ग्लास स्क्रीन) होती है। केवल एक छोटा फर्क होता है कि दिया और परछाई के पृष्ठ के बीच, निश्चित दूरी पर, कांच का एक लेन्स लगाया होता है। अब लैंप और लेन्स के बीच, निश्चित दूरी पर, पुर्जा रखना होता है। दिया जला कर लेन्स तथा पुर्जे की दूरी के स्थान ठीक करने के बाद उस पुर्जे की परछाई की प्रतिमा कांच पर दिखाई देती है। जाहिर है कि लेन्स के कारण यह परछाई पुर्जे के आकार से बड़ी होती है।
इस व्यवस्था को समझने के लिए चित्र क्र. 1 देखें। आम तौर पर यह दिया हैलोजन का होता है। लगभग सूरज की रोशनी जितनी किंतु पीली सी बहुत तेज रोशनी यह दिये से मिलती है। रोशनी के कुछ विशिष्ट वेवलेंग्थ छोड़ कर अन्य सभी रंग इस दिये से निकलते हैं। इस खास दिये की रोशनी के इस विशेष गुण के कारण पुर्जे की बहुत ही स्पष्ट परछाई दूधिया कांच पर नजर आती है।
अब देखते हैं कि पुर्जे की जांच कैसे करते हैं। पुर्जा रखने के लिए X और Y दिशाओं में, स्क्रू की मदद से आगे पीछे सरकने वाली, एक छोटी रचना यहाँ बनाई होती है। आम तौर पर पुर्जों को जांचने हेतु तीन किस्म के नापनों का प्रयोग किया जाता है। सीधी रेखा में (लिनीअर), वृत्तीय (सर्क्युलर) एवं कोणीय (ऐंग्युलर) नाप लिए जाते हैं। कांच के पृष्ठ पर बनने वाली परछाई देखते हुए, X और Y स्क्रू घुमा कर, उसे इच्छित स्थान पर लाया जाता है। ज्यादातर यह स्थान, कांच के पृष्ठ पर एक दूसरे को ठीक केंद्र पर तथा परिशुद्ध लंबकोण में प्रतिछेद देने वाली दो रेखाएं होती हैं। इन रेखाओं का प्रतिछेद बिंदु शून्य बिंदु (रेफरन्स पॉइंट) मान कर, उस बिंदु पर पुर्जे का नापा जाने वाला हिस्सा ला कर रखा जाता है। एक बार यह स्थान निश्चित हो जाने पर, X और Y रचना से जुड़ी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में (डिजिटल रीडआउट - डी.आर.ओ.) या स्क्रू से जुड़ी रेखा पर या अंकों की गोल डिस्क पर शून्य बनाते हैं। नपाई के दूसरे बिंदु तक पहुंचने हेतु, X तथा Y स्क्रू का इस्तेमाल करते हुए पुर्जे को आगे पीछे सरकाया जाता है। लेन्स के कारण पुर्जा बड़ा दिखता है, जिससे नापते समय ज्यादा से ज्यादा परिशुद्धता पाई जाती है।
प्रोफाइल प्रोजेक्टर में कोई भी पुर्जा जांच सकते हैं। केवल धातु के नहीं बल्कि प्लास्टिक, रबर यहाँ तक कि कागज से बनी वस्तुएं भी इसमें जांच सकते हैं। लेन्स इस उपकरण की आत्मा है। स्क्रीन का आकार और लेन्स इन दो प्रधान घटकों पर प्रोफाइल प्रोजेक्टर का मूल्य निर्भर है।
कोणीय नाप लेना
अब देखते हैं कि डी.आर.ओ. इकाई इस्तेमाल किए बिना कोणीय नाप किस तरह ले सकते हैं। अपनी मानक प्रणाली से कोणीय नाप के लिए सबसे कम नाप 1’ वर्निअर पर पाया जाता है। परदा 3600 में संचलित किया जा सकता है। उस पर, परिधि तक 10 की वृद्धि में नाप के निशान होते हैं। साथ ही कांच पर लंबकोण में निशान होते हैं। परदे के दाए कोने में नॉब होता है जिसका उपयोग पूरी स्क्रीन की कांच घुमाने के लिए किया जाता है।
जैसे कि चित्र क्र. 2 में दर्शाया गया है, V खांचे के तल में रहा कोण अंशों में नापने की एक मिसाल देखते हैं।
1. सुनिश्चित करें कि परदे का अंश का स्केल शून्य पर सेट है। यदि ना हो तो नॉब की मदद से परदा घुमाए।
2. पुर्जा इस तरह रखें कि V खांचे का तल, काटने वाली रेखाओं के केंद्रबिंदु से ठीक लंबकोण में जुड़े। तथा V खांचे के तल की एक रेखा इस तरह रखें कि वह परदे की खड़ी या आड़ी रेखा से जुड़े। इस मिसाल के लिए हम V खांचे की दाई किनार परदे पर रही खड़ी रेखा से जोड़ी है और उसी के साथ त खांचे का तल लंबकोण में रही रेखाओं के मध्यबिंदु से जोड़ दिया है।
3. बुनियादी समकोण रेखा सेट करने के बाद, वही खड़ी रेखा V की दूसरी किनार से जुड़ जाने तक परदा बाएं ओर घुमाइए (चित्र क्र. 3)। यह वर्निअर मापक हमें 1फ का न्यूनतम नाप देता है। इस प्रकार हर रेखा 1फ दर्शाती है। गौर से जांचें कि वर्निअर स्केल पर रही कौनसी रेखा परदे पर रहे अंश दर्शाने वाले प्रधान स्केल को छूती है। इस मिसाल में हम कह सकते हैं कि 34फ दर्शाने वाली रेखा प्रधान स्केल को छूती है। तथा, यह भी गौर से देखें कि हमने 620 पूरे किए हैं। इस प्रकार इस क्रिया से हमने 620 34’ का संयुक्त नाप पाया है। इसलिए V के दोनों किनारों के बीच 62034’ का कोण है।
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उपेंद्र गाडगील जी अरिझोना से Bsc ऑप्टिक्स की पदवी हासिल करने के बाद 20 सालों से ऑप्टिकल इन्स्ट्रुमेंट्स के उत्पादन क्षेत्र में काम कर रहै हैं।