प्रेस बार बार जैम होना

15 Jan 2020 13:10:00

मध्यम आकार की एक कंपनी में सिंगल ऐक्शन, इक्सेंट्रिक ड्रिवन, 4 पॉइंट और 4 कॉलम वाला 500 टन क्षमता का पावर प्रेस था। वाहन उद्योग के लिए जरूरी शीट मेटल के पुर्जे इस प्रेस में ‘ड्रॉ’ किए जाते थे। यह प्रेस बार बार अटक रहा था यानि जैम हो रहा था। जाहिर है कि उसके जैम होने से सभी काम रुक जाता था। काम फिर से शुरू करने के लिए हर बार टाइ रॉड ढ़ीला कर के जैम हुआ प्रेस मुक्त (रिलीज) करना जरूरी होता था। काफी बार यह समस्या आ रही थी, जिससे काम में बाधा तो आ ही रही थी, एवं अतिरिक्त समय बरबाद हो कर इस कंपनी को काफी नुकसान सहना पड़ता था। संबंधी सलाहकार से इस समस्या तथा इस पर स्थायी इलाज के बारे में पूछा गया।
 

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सलाहकार कंपनी में आए और उन्होंने प्रेस का निरीक्षण किया। प्रेस जैम होने की वजह का अंदाजा लगाने हेतु प्रेस की देखभाल करने वाले अभियंता और ऑपरेटर, दोनों को प्रेस के कार्यप्रदर्शन एवं कार्यक्षमता के बारे में कुछ प्रश्न किए गए।
 
1.प्रश्न : प्रेस ओवरलोड हो तो सुरक्षा के लिए कौनसे इलाज हैं?
उत्तर : ओवरलोड से प्रेस सुरक्षित रखने के लिए हैड्रोलिक प्रणाली है।
2.प्रश्न : प्रेस कब जैम होता है? प्रेस पर कार्यवस्तु का सेटिंग करते समय या प्रेस द्वारा उत्पादन होते समय?
उत्तर : उत्पादन के दौरान प्रेस जैम होता है।
3.प्रश्न : कुछ कार्यवस्तुओं के लिए रैम को क्रैंक स्क्रू में और नीचे लाना पड़ता है। क्या प्रेस इस स्थिति में जैम होता है या सामान्य सेटिंग पर उत्पादन करते समय?
उत्तर : सामान्य सेटिंग पर भी प्रेस जैम होता है।
4.प्रश्न : क्या कंपनी में कई बार बिजली की सप्लाइ में रुकावट आती है और क्या उसी समय प्रेस जैम होता है?
उत्तर : कंपनी में कई बार बिजली गुम होती है, लेकिन उस समय प्रेस जैम होने की समस्या नहीं आती है।
5.प्रश्न : क्लच और ब्रेक दो प्रकार के होते हैं, हैड्रोलिक और न्यूमैटिक। इसमें कौनसा प्रकार इस्तेमाल किया जाता है?
उत्तर : न्यूमैटिक।
6.प्रश्न : क्या कंप्रेसर बार बार ‘ट्रिप’ होता है?
उत्तर : जी हाँ, कंप्रेसर बार बार ‘ट्रिप’ होता है। यह रेसिप्रोकेटिंग पिस्टन प्रकार का कंप्रेसर है। 25 साल पुराना है और किसी भी कारणवश बार बार ‘ट्रिप’ होता है।
7.प्रश्न : जब कंप्रेसर ‘ट्रिप’ होता है, क्या तब जैमिंग की समस्या आती है?
उत्तर : जी हाँ। कंप्रेसर ‘ट्रिप’ होने के बाद कई बार प्रेस जैम होता है।
8.प्रश्न : प्रेस पर रहा एयर प्रेशर स्विच कितने मूल्य पर सेट किया गया है?
उत्तर : एयर प्रेशर स्विच 2.5 किग्रै/ सेमी.2 इस मूल्य पर सेट किया है। जब दबाव (प्रेशर) इस मूल्य से कम हुआ करता था, तो प्रेस उसी जगह रुकता था, लेकिन प्रेशर स्विच खराब हो जाने के बाद, पिछले कई दिनों से वह बाइपास किया हुआ है।
9.प्रश्न : जब प्रेस जैम होता है तो क्या स्ट्रोक इंडिकेटर ठीक बॉटम डेड सेंटर (बी.डी.सी.) स्थान पर रहता है?
उत्तर : पता नहीं, क्योंकि पिछले कई दिनों से स्ट्रोक इंडिकेटर काम नहीं कर रहा है।
 
विश्लेषण
 

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हम सब जानते ही हैं कि मेकैनिकल प्रेस क्रैंक/इक्सेंट्रिक यंत्रावली (मेकैनिजम) के साथ काम करता है। प्रेस की इलेक्ट्रिक मोटर से प्राप्त होने वाला वृत्ताकार संचलन (रोटरी मोशन) क्लच तथा ब्रेक युनिट में से आगे जा कर क्रैंक को स्थानांतरित (ट्रान्समिट) किया जाता है, जिससे रैम का आगे पीछे संचलन (रेसिप्रोकेटिंग मूवमेंट) होता है। रैम को क्रैंक द्वारा मिलने वाली ऊर्जा निश्चित मात्रा (फिक्स्ड्) की होती है। जब रैम बी.डी.सी. स्थान पर आता है तब मेकैनिकल प्रेस में बल (फोर्स) बढ़ा हुआ होता है, यानि उसकी टनेज क्षमता बढ़ जाती है। यह भार, बी.डी.सी. से पहले 12 से 15 मिमी. पर, प्रेस की निर्धारित (रेटेड) क्षमता के आसपास होता है। स्ट्रोक एवं क्रैंक ऐंगल में ‘सिन्यूसाइडल’ प्रकार का संबंध होता है। आलेख क्र. 1 से यह नजर आएगा कि क्रैंक ऐंगल 80° और 100° में (क्रैंक का 20° रोटेशन) रैम ने पार की हुई (ट्रैवल) खड़ी सीधी दूरी 15 सेमी. है। इसी तरह, क्रैंक ऐंगल 160° और 180° में (क्रैंक का 20° रोटेशन) रैम ने पार की हुई खड़ी सीधी दूरी 1.5 सेमी. है।
 

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यदि प्रेस 750t-cmला ऊर्जा के लिए डिजाइन किया हुआ हो तो उसे आगे दिया हुआ सूत्र लागू होता है।
 

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15 सेमी. दूरी निश्चित समय में विस्थापित करते समय निर्माण हुआ टनेज ‘T1’ = 750 / 15 = 50 T.
1.5 सेमी दूरी उतने ही समय में विस्थापित करते समय निर्माण हुआ टनेज ‘T2’ = 750/1.5 = 500 T.
 
जब संचलन की दिशा में नीचे से ऊपर इस प्रकार का बदलाव होता है तब, पल भर के लिए, पार की हुई दूरी ‘शून्य’ होती है। वहाँ पर निर्माण हुआ बल काफी ज्यादा होता है। इसीलिए, कार्यवस्तु के प्रेसिंग के दौरान प्रेस बी.डी.सी. स्थान पर कभी नहीं रोकते, उसे ज्यादातर बी.डी.सी. से पहले या बाद में 15 मिमी. की दूरी पर रोकते हैं। प्रेस के कंट्रोल सर्किट में से यह तय किया जा सकता है। प्रेस किसी वजह से रुका हो तो उसे फिर से शुरू करने के लिए विशाल मात्रा में बल जरूरी होता है। चूंकि मोटर तथा क्लच इतने बल के लिए सक्षम नहीं होते हैं, प्रेस शुरू नहीं होता है। इसी को कहते हैं प्रेस जैम होना।
 
ऊपरी प्रश्न-उत्तरों में से आठवां प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस मामले में क्लच न्यूमैटिक दबाव पर काम कर रहा था। कंप्रेसर रुकने पर दबाव भी कम हुआ करता था। इस स्थिति में जब प्रेस कार्यवस्तु को बी.डी.सी. स्थान पर प्रेस करने लगता है तब क्लच ने पूरी क्षमता के साथ ऊर्जा हस्तांतरित करना जरूरी होता है। परंतु वायु के कम दबाव के कारण वह मुमकिन नहीं हो रहा था। इसलिए क्लच स्लिप हो कर प्रेस बी.डी.सी. स्थान पर जैम हो रहा था।
 
वायु का दबाव 2.5 किग्रै./सेमी.2 से कम हो जाने पर प्रेशर स्विच द्वारा सामान्यतः बी.डी.सी. स्थान से आगे या पीछे प्रेस तुरंत रोका जाता है। किंतु यहाँ का एयर प्रेशर स्विच काम नहीं कर रहा था। प्रेशर स्विच क्रियाशील रहता है तब, जिस दबाव पर क्लच स्लिप होने लगता है, उससे पहले ही वह प्रेस बंद कर देता है। सर्किट में रहा कैम स्विच इस बात की सावधानी रखता है कि बी.डी.सी. क्षेत्र में प्रेस बंद ना हो। इससे प्रेस जैम होने से बचता है।
 
सलाहकार ने देखभाल अभियंता को नया प्रेशर स्विच ला कर जोड़ देने के लिए कहा। नया प्रेशर स्विच लगाने के बाद प्रेस जैम होने की समस्या पूरी तरह से खत्म हो गई।
 
 

Anil Gupte_1  H
अनिल अ. गुप्ते
तकनीकी सलाहकार
9767890284
anilgupte64@rediffmail.com
 
अनिल गुप्ते इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और अभियांत्रिकी क्षेत्र में लगभग 53 साल का अनुभव रखते हैं। टाटा मोटर्स में मेंटेनन्स एवं प्रोजेक्ट संबंधी प्लैंट इंजीनियरिंग में आपको दीर्घ अनुभव है। फिलहाल आप तकनीकी सलाहकार हैं।
 
 
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