इंडस्ट्री 4.0 के युग में गेजिंग

25 Dec 2020 12:53:44

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आज उद्योग जगत् में इंडस्ट्री 4.0 इस महत्वपूर्ण संज्ञा से सभी परिचित हैं। आज यही संकल्पना हर किसी की जुबान पर होती है और आने वाले दिनों में कई जगहों पर, विशेषकर ओ.ई.एम. तथा टियर 1 श्रेणी की कंपनियों में इसका व्यापक स्तर पर प्रयोग होता नजर आएगा।

इंडस्ट्री 4.0

उत्पादन क्षेत्र में स्वचालन तथा तकनीकी जानकारी (डाटा) के आदान प्रदान को दिया गया नाम है इंडस्ट्री 4.0। इसमें साइबर फिजिकल सिस्टम, इंटरनेट ऑफ थिंग्ज (IoT), क्लाउड तथा कॉग्निटिव कंप्यूटिंग का समावेश होता है। सामान्यतया, इंडस्ट्री 4.0 का जिक्र चौथी औद्योगिक क्रांति के रूप में किया जाता है। इंडस्ट्री 4.0 के कार्यान्वयन से अपना कारखाना आधुनिक बनने की उम्मीद रहती है। इंडस्ट्री 4.0 का मूलभूत तत्व है मशीन, कार्यवस्तु तथा प्रणाली (सिस्टम) इन तीनों घटकों को एक दूसरे से जोड़ कर एक ऐसी अर्थपूर्ण शृंखला तैयार करना, जिसके द्वारा ये तीनों एक दूसरे को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित कर सके।

उत्पादन क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में इसका कार्यान्वयन कब का शुरू हो चुका है। इन कंपनियों में सबसे पहले मशीनों के एकीकरण (इंटीग्रेशन) और उत्पादनसंबंधी अन्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो एक सही कदम है। कुछ कंपनियों में गेजिंग, अर्थात मापन क्षेत्र में भी इंडस्ट्री 4.0 अपनाना शुरु किया है। इस लेख में हम इंडस्ट्री 4.0 के विषय की चर्चा, गेजिंग क्षेत्र तक ही सीमित रखेंगे। गेजिंग क्षेत्र में यह बदलाव लाने के लिए सर्वाधिक आवश्यक और महत्वपूर्ण बात है सभी क्षेत्रों में तकनीकी स्तर बेहतर बनाना।

· इसका पहला चरण है गेजिंग का डिजिटाइजेशन। जिन मापन पध्दतियों में यांत्रिकी डायल का प्रयोग होता हो, उन्हें डिजिटल पध्दति में बदलना जरूरी है।
· जहाँ संभव हो वहाँ, कम से कम अत्यावश्यक पैरामीटरों के लिए, गेजिंग प्रणाली तथा मशीन को एक दूसरे से जोड़ना जरूरी है।
· गेजिंग द्वारा प्राप्त नाप (रीडिंग) सर्वर/क्लाउड में प्रविष्ट करना।
· अगले कुछ आवर्तनों (साइकिल) में संभाव्य गलतियों/त्रुटियों का पूर्वानुमान लगाने के लिए गेजिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण करना, ताकि क्लाउड/फोन द्वारा संबंधि जिम्मेदार व्यक्तियों को आवश्यक संदेश भेजा जा सके।
· प्रविष्टियां इस तरह बनाना कि अत्यावश्यक पैरामीटर के नापों के संदर्भ में, संबंधि पुर्जों की जानकारी प्राप्त करना (ट्रेसेबिलिटी) संभव हो। इसे सिर्फ मापनशास्त्र (मेट्रॉलॉजी) तक सीमित न रखते हुए, धातुशास्त्र (मेटलर्जी) तथा अन्य गुणधर्म विषयक प्रविष्टियों तक विस्तारित करना आवश्यक होगा।
· सभी गेजिंग प्रणालियों का इनपुट एक जगह इकठ्ठा करने हेतु एक साफ्टवेयर विकसित करना, जैसे कि ऑनलाइन सी.एम.एम. अथवा शॉप फ्लोर पर मुख्य रूप से प्रक्रिया जांच के लिए प्रयुक्त कोई भी डिजिटल उपकरण।

हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर तकनीक में जैसे जैसे सुधार होंगे, उसी अनुक्रम में इन सुधारों को कार्यान्वित करना, उपभोक्ता के लिए अधिक आसान तथा किफायती होगा।

हमारे कुछ ग्राहकों ने अपने छोटे स्तर पर इसका अमल शुरू भी किया है। जिन क्षेत्रों में ये कार्यान्वयन हुआ है, उनका जिक्र यहाँ करना उचित होगा।

1. सी.एन.सी. मशीन को डिजिटल गेजिंग से जोड़ना : गेजिंग प्रणालियों को एक दूसरे से जोड़ने के कई तरीके हैं, परंतु उद्योग जगत में प्रचलित दो तरीके आगे दिए हैं। दोनों तरीकों में, रीडींग स्वतंत्र रूप से सर्वर पर दर्ज करना और डेटा संभालना संभव है।
अ. पुर्जा अस्वीकार (रिजेक्ट) होने पर, मशीन को संदेश भेज कर वह बंद की जाती है। माना कि ये बहुत ही मूलभूत स्वरूप की प्रक्रिया है, पर इससे अगले पुर्जे में संभाव्य त्रुटियां टाली जा सकती हैं। ऑपरेटर/पर्यवेक्षक, रीडिंग की मदद से सुधार कर के मशीन फिर से शुरू करते हैं।
आ. अधिक विकसित कार्यपध्दति में, पुर्जे की रीडिंग मशीन के नियंत्रक (कंट्रोलर) को भेजी जाती है। अगले पुर्जे की रीडिंग, तब तक बने पुर्जों की रीडिंग के औसत मूल्य तक ले जाने हेतु, टूल का ऑफसेट स्वचालित रूप से समायोजित किया जाता है। यह क्रिया हर पुर्जे के लिए या प्रक्रिया नियंत्रक में निर्धारित किएनुसार हर 5 में से 1 पुर्जे के लिए की जा सकती है। ऐसा करने के लिए मशीन, यांत्रिकी दृष्टि में (स्लाइड/टूल आदि) सुचारू स्थिति में होना आवश्यक है।
 
2. सभी गेजिंग प्रणालियों के लिए केंद्रीय साफ्टवेयर : चित्र क्र. 2 में उल्लिखित उपकरणों में, रीडिंग बाहर भेजने की क्षमता होती है। इसलिए ग्राहक द्वारा रीडिंग, सर्वर पर भेजे जाते हैं। निर्धारित कालावधि के बाद, जैसे कि हर घंटे/शिफ्ट/पुर्जे आदि के बाद, गेज से प्राप्त नाप सर्वर को भेजे जाते हैं। साफ्टवेयर की रचना के अनुसार, ये नाप कार्यदल के संबंधित सदस्यों द्वारा दर्ज किए जाते हैं। इस पैरामीटर के लिए उस प्रक्रिया की स्टैटिस्टिकल प्रोसेस कंट्रोल (एस.पी.सी) की विशेषताएं भी जांची जा सकती हैं।

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एक ही समय पर कई गेज के लिए इसका ऑनलाइन कार्यान्वयन संभव है। इस हेतु मल्टीगेजिंग, डिजिटल कंपैरेटर (तुलना यंत्र), सी.एम.एम. आदि सभी को, एक सर्वर के माध्यम से जोड़ा जा सकता है। साथ ही, सभी रियल टाइम डाटा एक सर्वर के माध्यम से देखा एवं संग्रहित किया जा सकता है।

पहले दिनों में, किसी भी वस्तु की निर्मिती के बाद उसके नाप ले कर वे सही होने का पता लगाने तक बहुत ज्यादा समय व्यतीत हुआ करता था। तब तक एक तो उत्पादन रोकना पड़ता था, या चालू रखने पर उसमें त्रुटियों की संभावना बनी रहती थी। इसलिए मापन प्रक्रिया तेज करने के प्रयास होते रहे और फलस्वरूप, आज उत्पादन के दौरान ही जांच कर पाने तक की छलांग हमने लगाई है। इसे रियल टाइम डाटा कहा जा सकता है। सर्वर पर डाटा नियमित रूप से संग्रहित करने पर, योग्य साफ्टवेयर द्वारा उसमें से आगे का मूल्यवर्धित (वैल्यू अैडेड) काम करना संभव होता है। जैसे कि गंभीर त्रुटियां /उत्पादन में आने वाली चुनौतियां /अन्य त्रुटियां, फर्क आदि के बारे में कार्यदल के संबंधित सदस्यों को उनके मोबाइल फोन पर सूचित किया जा सकता है।

3. मल्टिपल गेजिंग उपाय :

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जैसा कि चित्र क्र. 3 में दर्शाया है, हमें गेजिंग का एक ऐसा उपाय मिल सकता है जिससे अल्प समय में अनेक पैरामीटर नापे जा सकते हैं। चूंकि इस प्रकार के गेज संगणक प्रणाली पर आधारित होते हैं, वें सर्वर से जोड़े जा सकते हैं। इन उपायों का इस्तेमाल, अन्य उपलब्ध विकल्पों के साथ कर के हम उनसे और कई लाभ उठा सकते हैं, जो इस प्रकार है।
अ. चूंकि इसे बारकोड स्कैनर से जोड़ा जा सकता है, सभी पुर्जों के नाप उन पर चिह्नित बारकोड के अनुसार संग्रहित किए जा सकते है।
आ. विशिष्ट पैरामीटर के मापन के बाद, संबंधि नाप योग्य मर्यादा में हो तो कार्यवस्तु पर लेजर या अन्य किसी भी मार्किंग मशीन द्वारा 'जांच द्वारा प्रमाणित एवं स्वीकृत' का निशान लगाया जा सकता है। इंटरलिंकिंग द्वारा केवल 'OK' पुर्जों पर ही चिह्नांकन किया जा सकता है।
इ. ये प्रणालियां, रिसाव जांचने वाले अथवा अन्य समरूप डिजिटल मापन उपकरणों से जोड़ी जा सकती हैं, जिससे पुर्जों पर ठीक तरह से नजर रख सकते हैं।
ई. इसके बाद, पुर्जों की सभी जांचों के नतीजे परख कर, यदि वे ठीक हो तो ही उन्हे पैक किया जा सकता है। एक समय सारा डाटा उपलब्ध हो, तो उसका विभिन्न प्रकारों में उपयोग कर के उत्पादन व्यवस्था अधिकाधिक निर्दोष बनाई जा सकती है।
आधुनिक कारखानों में कई तरह के काम तथा प्रक्रियाओं का समावेश होता है। पूरा डाटा डिजिटाइज करना, इस दिशा में रखा यह पहला कदम है। इसके बाद इंडस्ट्री 4.0 के कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण चरण होंगे, वर्तमान कार्य प्रवाह का अवलोकन कर के निर्धारित समयसारणी के अनुसार उसे सुचारू रूप से चलाने, संभाव्य चुनौतियों का अनुमान लगाने आदि में मानवी प्रबंधन की मदद करना।

मापनशास्त्रीय गेजिंग व्यवस्था का मेल, उत्पादन व्यवस्था के साथ लगाने के कई फायदे हैं।
1. मापन प्रणाली एवं मशीन के तालमेल से उत्पादन में पैदा होने वाला फर्क स्वीकार्य सीमा में रखने के लिए उनका स्वतंत्र रूप से समायोजन किया जाता है। मिसाल के लिए, व्यास जैसा कोई आयाम यदि 10 ±0.001 मिमी. चाहिए हो तो, निरंतर मापन के कारण, वह आयाम थोड़ा भी बढ़ने पर मशीन में इच्छित बदलाव (उदाहरण के लिए, टूल थोड़ा अंदर सरकाना) प्रणाली द्वारा चलती मशीन में ही अपनेआप किया जाएगा। यही आयाम यदि कम हो रहा हो तो उल्टा बदलाव किया जाएगा। इससे मानवीय त्रुटियां टाल कर उत्पादनक्षमता बढ़ जाएगी और कुछ जगहों पर ऑपरेटर का हस्तक्षेप पूरी तरह टालना संभव होगा। इससे उत्पादन की गुणवत्ता तथा प्रणाली की विश्वासार्हता, दोनों बढ़ेंगे। कुल मिला कर, अधिकतम उत्पादकता के लिए स्वचालित जांच एक लचीला एवं संलग्न एकमात्र उपाय है।
2. बढ़ते स्वचालन तथा रोबोटिक्स के कारण अंतर्गत मापन व्यवस्था और स्वचालित व्यवस्था का एकत्रीकरण संभव होगा। इससे उत्पादन का आवर्तन काल कम हो कर, उसका सीधा असर शॉप फ्लोर की कार्यक्षमता पर पड़ेगा।
3. रियल टाइम में प्रक्रियाओं का निरंतर नियंत्रण करने तथा उनके विश्लेषण की क्षमताओं के आपसी मेल से, उत्पादकता में वृध्दि और उच्च कोटि की अचूकता पाना तथा विचलन की मात्रा न्यूनतम रखना संभव होता है।
4. इस शॉप फ्लोर व्यवस्था के उन्नत संस्करण का तालमेल, कार्यालय में बैठे संबंधि प्राधिकारियों के संगणकों में होने वाली विशेष इ.आर.पी. व्यवस्था के साथ करना संभव है। इससे नियोजन तथा वास्तविक उत्पादन के बीच अधिक समन्वय लाया जा सकेगा।
उपरोक्त जरूरतें पूरी करने में मापनशास्त्र/गेजिंग क्षेत्र अहम् भूमिका निभा सकता है। आने वाले कल की चुनौतियों का सामना कर सकने वाले उत्पादों के विकसन का काम, इस क्षेत्र के कई विदेशी तथा कुछ स्वदेशी उत्पादकों ने शुरू किया है। उनका वास्तविक कार्यान्वयन और उनसे होने वाले लाभ देखना दिलचस्प होगा।
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