वर्टिकल मिलिंग मशीन में खराबी

13 Feb 2020 10:36:00

एक कंपनी में 12 साल पहले सिंगल कॉलम सी.एन.सी. वर्टिकल मिलिंग मशीन (चित्र क्र. 1) लगाई गई। वह बहुत अच्छी चल रही थी और उसके जरिए उत्कृष्ट निर्माण भी हो रहा था। बाद में कैरेज का ऊपरी दिशा में संचलन ठीक से ना होने की खराबी इस मशीन में पैदा हुई। ड्राइव मोटर पर अतिरिक्त भार (लोड) आने के कारण वह ट्रिप हो रही थी। 
 


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इसी मासिक पत्रिका के नवंबर 2019 के अंक में प्रकाशित लेख में दिए गए निर्देशों के अनुसार रखरखाव (मेंटेनन्स) विभाग के कर्मचारियों ने मशीन की जांच की। उन्होंने पावर सप्लाइ कार्ड, ड्राइव, सर्वो मोटर, लिनियर स्केल, टैको आदि हिस्सों की जांच की। साथ ही यांत्रिकी पुर्जों में से स्नेहन प्रणाली, वेज, बॉल स्क्रू, बॉल नट तथा उनके जोड़ की भी जांच की, जिनमें उन्हें कोई भी दोष नहीं मिला। लेकिन वर्टिकल स्लाइड पर कुछ खरोंच (स्क्रैच) पाए गए और स्लाइड में कुछ हद तक घिसाव भी नजर आया। रखरखाव कर्मचारियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह मशीन 12 साल इस्तेमाल की जाने के कारण उसका तुरंत रीकंडिशनिंग करना आवश्यक है और प्रबंधन को वैसे सूचित भी कर दिया।
 
प्रबंधन ने वर्टिकल स्लाइड का ग्राइंडिंग, स्क्रैपिंग, उसका कैरेज स्लाइड से मेल यानि मैचिंग (रनिंग फिट टॉलरन्स के अंतर्गत) तथा बॉल स्क्रू, बॉल नट बदलना आदि कार्य मंजूर किए। रीकंडिशनिंग करने वाले संगठन के मुताबिक इन कामों का खर्चा दस लाख रुपये था और समयावधि छ: हफ्ते। इसलिए प्रबंधन ने इस क्षेत्र के एक अनुभवी सलाहकार की राय ली।
 
सलाहकार ने मशीन की जांच कर के रखरखाव कर्मचारियों के साथ चर्चा की। खराबी के कारण का पता लगाने के किए कर्मचारियों ने किए प्रयासों की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही इस बात की ओर भी ध्यान खींचा कि उनके द्वारा वर्टिकल कैरेज की काउंटर बैलंस भार प्रणाली की जांच नहीं की गई है। वर्टिकल मोटर पर आने वाला भार कम करने हेतु काउंटर बैलंस भार लगाया जाता है। मशीन में काउंटर बैलंस आपूर्त करने के लिए आगे दी गई विविध पद्धतियां अपनाई जाती हैं
लोहे का वजन 
हैड्रोलिक पिस्टन सिलिंडर
न्यूमैटिक पिस्टन सिलिंडर 
 
इस मशीन में वर्टिकल कैरेज को एक जंजीर जोड़ी हुई थी, जो एक स्प्रोकेट के ऊपर से गुजरती थी। उसके अन्य अंत पर एक वजन लगा हुआ था, जो कॉलम के भीतरी खोखले अवकाश में ऊपर नीचे होता था। मेंटेनन्स इंजीनीयर ने सलाहकार को बताया कि ना ही उनको काउंटर बैलंस जंजीर (चित्र क्र. 2) कभी ढ़ीली दिखाई दी थी और ना ही कॉलम के ऊपर लगाए सॉकेट से कोई आवाज सुनाई दी थी। इसलिए उनकी राय में काउंटर बैलंस प्रणाली में कोई भी दोष नहीं था। इसके बावजूद भी सलाहकार ने स्प्रोकेट बेरिंग तथा पूरी जंजीर जांचने का निर्णय लिया। इस हेतु, कैरेज को आधार देते हुए, जंजीर मुक्त कर के उसके साथ वजन भी कॉलम के बाहर निकालने को कहा।
 


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काउंटर बैलंस भार को, क्रेन की सहायता से बाहर निकाला गया। भार और जंजीर को एक दूसरे से जोड़ने वाली पिन पर बिठाई सरक्लिप टूटने की वजह से वह पिन निकल कर बाहर आई दिखाई पड़ी। यह पिन कॉलम के अंदरी पृष्ठ से रगड़ रही थी जिससे भार ऊपर नीचे होने में रुकावट आ रही थी। फलस्वरूप कैरेज के संचलन में बाधा उत्पन्न हो रही थी।
 
नई पिन बिठाई गई और इस पिन पर सरक्लिप के लिए पर्याप्त गहराई का खांचा बनाया गया। पिन पर के इस खांचे में सरक्लिप बिठा कर पूरी प्रणाली फिरसे जोड़ी गई। मशीन फिरसे शुरू की जाने पर वह सहजता से चलने लगी, रीकंडिशनिंग की कोई भी आवश्यकता नहीं पड़ी।
 
 


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अनिल अ. गुप्ते
तकनीकी सलाहकार
9767890284
anilgupte64@rediffmail.com
 
अनिल गुप्ते इलेक्ट्रिकल इंजीनीयर हैं और अभियांत्रिकी क्षेत्र में लगभग 53 सालों का अनुभव रखते हैं। टाटा मोटर्स में मेंटेनन्स एवं प्रोजेक्ट संबंधी प्लैंट इंजीनीयरिंग में आपको दीर्घ अनुभव है। फिलहाल आप तकनीकी सलाहकार हैं।
 
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