टूटे टैप निकालने के लिए मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर

09 May 2020 17:26:00
 
 
आज हर मशीन शॉप में 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' या स्पार्क इरोजन मशीन रखने की जरूरत होती है। इसके कई कारण हैं।
 
इस मशीन की शुरुआत के बारे में जानना भी काफी मनोरंजक है। 1967 में एक कबाड़ीवाले के पास एक मशीन आई थी, जोकु छ दिन वैसी ही पड़ी रही। किसी को भी इस मशीन के बारे में जानकारी नहीं थी। दिखने में तो वह ड्रिलिंग मशीन जैसी थी पर उसमें स्पिंडल ही नहीं था। उस मशीन पर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड दिख रहे थे। कु छ लोगों को मालूम था कि मेरे पिताजी इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की काफी जानकारी रखते हैं। इसलिए वें हमारे पास आए। उस समय पिताजी को भी पता नहीं चला कि वह मशीन क्या है। लेकिन 3-4 महीनों के अध्ययन के बाद पिताजी ने मशीन शुरु तो की, लेकिन उस मशीन के उपयोग के बारे में कुछ पता नहीं था। फिर उन्होंने अमरीका में स्थित एक दोस्त को इस मशीन के फोटो भेज कर अधिक जानना चाहा। प्राप्त हुए विवरण से 'स्पार्क एक्स्ट्रैक्टिंग मशीन' यह नाम ज्ञात हुआ। मेरे पिताजी के दोस्त ने उस मशीन के बारे में एक लेख भी भेजा, जिससे मशीन के उपयोग के बारे में पता चला। तब मेरे पिताजी ने वैसी ही एक नई मशीन बनाई, जो जनवरी 1969 में कार्यान्वित हुई।
मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर 
खुद का वर्कशॉप न होने के कारण शुरु में हमने इस मशीन को हमारे घर में ही रखना उचित समझा। इस मशीन का उपयोग जॉबवर्क के लिए किया जाने लगा। टैपिंग करते समय कई बार टैप कार्यवस्तु में फंस कर टूट जाता है। ऐसे समय में वह कार्यवस्तु स्क्रैप करनी पड़ती है। तब उस टैप को निकालने के लिए इस मशीन का उपयोग शुरु किया। टाटा मोटर्स, किर्लोस्कर जैसी कंपनियां हमें कार्यवस्तुएं भेजने लगी।
 
इस दौरान हमें पता चला कि टाटा मोटर्स ने ऐसी ही एक मशीन अमरीका से मंगवाई है। तब हमने टाटा मोटर्स को इत्तला दी कि हमारे पास भारतीय बनावट की इस प्रकार की मशीन है। हमने कंपनी से अनुरोध किया कि उनकी कार्यवस्तुएं, जॉबवर्क के रूप में ,हमारे पास भेजे और यह भी सुझाया कि यह काम ठीक लगने पर कं पनी हमसे मशीन खरीद सकती है। हमारी पहली मशीन, कुछ पुर्जों पर प्रयोग करने के बाद टाटा मोटर्स ने खरीदी। इस बात का पता चलते ही बजाज ऑटो ने भी हमसे यह मशीन खरीदी। इस प्रकार 1969 में हमने दो मशीन बेच कर इस उद्यम का श्रीगणेश किया। इस मशीन के विकास के लिए 1969 में भारत सरकार ने हमें आयात विकल्प यानि 'इंपोर्ट सबस्टिट्यूशन' पुरस्कार प्रदान किया। 1971 में इसी मशीन के लिए हमें पारखे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
 
1971 से1983 के अवधी में पूरे भारत में हमने 300 मशीनें बेची। 1983 से हमने कुछ अलग प्रकार की मशीनें बनाना शुरु किया। इसी समय हमने इस मशीन का नाम 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' (चित्र क्र. 1) रखा।

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इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में हुए सुधार तथा इस मशीन की मांग को देखते हुए हमने बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरु किया। ग्राहकों की बदलती जरूरतें तथा मांगे ध्यान में रख कर इस मशीन में बदलाव किए गए। पहले ग्राहकों की सिर्फ टूटे टैप या ड्रिल निकालने की अपेक्षा होती थी, बाद में बड़े जहाजों के जंग लगे बोल्ट निकालने के लिए भी मशीन की मांग होने लगी। इससे 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर अर्थात स्पार्कोनिक्स' यह जोड़ी बन कर हमारा ब्रैंड स्थापित हुआ।
 
मशीन कैसी काम करती है ?
EDM तकनीक, रशिया में 1962- 1965 के दौरान खोजी गई। इस तकनीक के उपयोग से 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' मशीन का जन्म हुआ।
टूटा टूल निकालने हेतु, टूटे टैप तथा मशीन के इलेक्ट्रोड के बीच बिजली की चिंगारी (इलेक्ट्रिक स्पार्क) निर्माण की जाती है। इसकी उष्मा से टूटे ड्रिल/ टैप के बहुत ही छोटे टुकड़े अर्थात चूर्ण बनता है। इसलिए इस मशीन को 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' नाम दिया है।
 
इस मशीन का इस्तेमाल सहज तथा सुरक्षित है। किस टैप के लिए कौनसे इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाना चाहिए इसकी जानकारी दर्शाने वाली तालिका (तालिका क्र. 1) मशीन पर दी होती है। इस तालिका के अनुसार उचित इलेक्ट्रोड का उपयोग करने से काम अचूक होता है। जैसे कि M12 टैप के लिए 7 मिमी. का इलेक्ट्रोड और M10 टैप के लिए 6 मिमी. का इलेक्ट्रोड इस्तेमाल करना चाहिए।

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मशीन के टेबल पर कार्यवस्तु ठीक से साफ कर के रखी जाती है। जिस छिद्र से टूटा टैप निकालना हो, वह छिद्र एवं इलेक्ट्रोड को उचित सेटिंग कर के समकेंद्रीय किया जाता है। अब मशीन शुरु करने से बनी स्पार्क द्वारा टूटा टैप जला कर नष्ट किया जाता है।
इस प्रकार, जिस मशीन की खोज केवल जिज्ञासा तथा इत्तेफाक से हुई, वही आज बड़ा उद्यम बन गया है।
 
मशीन के विभिन्न उपयोग 
यह मशीन आम निर्माण से संबंधित ना होने पर भी इसकी उपयोगिता अद्वितीय है। मानिए किसी क्रैंकशाफ्ट में ड्रिल या टैप टूटा है। टूटा टूल ठीक से बाहर निकाल पाने से वह क्रैंकशाफ्ट बच सकता है। यानि एक टूटे टूल की वजह से बेकार जाने वाला, हजारो रुपयों का क्रैंकशाफ्ट बचाया जा सकता है। इस प्रकार, इस उपयुक्त मशीन में किया निवेश जल्द ही वसूल होता है।
 
कई ग्राहकों ने इस मशीन का उपयोग, कठोर तथा अधिक मोटाई वाली कार्यवस्तु में खांचा (स्लॉट) बनाने के लिए भी किया है। अर्थात, ऐसे खांचों में ज्यादा अचूकता की जरूरत नहीं थी। एक बार BHEL कंपनी के 10 मीटर उंचे बॉइलर में एक फाइल टूट कर फंस गई। तब हमारी पोर्टेबल मशीन, क्रेन की सहायता से बॉइलर में उतार कर, उसके इस्तेमाल से फाइल चूर्ण कर के बाहर निकालने में सफलता मिली। इस मशीन को किसी भी कार्यवस्तु पर बिठा कर काम कर सकते है।
 
कार्बाइड टैप का उपयोग शुरु होने के बाद टैप टूटने की मात्रा कम हुई। फिर भी इस प्रकार का टूटा टैप, आम प्रक्रिया से निकालना संभव नहीं होता था। मिसाल के तौर पर, टूटे टैप को रॉड वेल्ड कर के टैप निकालना संभव नहीं था। जहाँ भी कार्बाइड टैप का उपयोग किया जाता है, वहाँ इस मशीन का होना अनिवार्य है। जब तक ड्रिल और टैप इस्तेमाल में हैं, इस मशीन का उपयोग अपरिहार्य है।
 
पत्थरों में छिद्र करने हेतु प्रयोग किए जाने वाले रॉक ड्रिल पर (चित्र क्र. 2) कार्बाइड बटन होते हैं। कुछ समय बाद, घिसाव के कारण वें बदल कर नए बिठाए जाते हैं। ये बटन प्रेस फिट तरीके से बिठा कर ब्रेज किए होते हैं। इन्हें निकालने के लिए इस मशीन का उपयोग किया जाता है। बंगलुरु में एक कंपनी ने सिर्फ इसी काम के लिए यह मशीन खरीदी है तथा उस पर जॉबवर्क भी किया जाता है। बड़ी मशीन की तुलना में छोटी मशीन से टूल निकालने में अधिक समय लगता है।

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उपलब्ध विकल्प
फिलहाल हम 300 से 350 विभिन्न प्रकार की मशीन बनाते हैं, जिनमें 30 - 40 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' मशीन होती हैं। इनका उत्पादन कम हुआ है, जिसके तीन कारण हैं 
1. एक शॉप में एक ही मशीन पर्याप्त होती है। 
2. इस मशीन की आयु 30 साल होती है। 
3. पोर्टेबल मशीन विभिन्न जगहों पर इस्तेमाल कर सकते है। इससे कार्यवस्तु मशीन तक लाने की आवश्यकता नहीं रहती। 
हम 3 अलग अलग क्षमताओं की 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' मशीन बनाते हैं। 
1. पॉवर 03 KVA, इलेक्ट्रोड का संचलन 150 मिमी. 
2. पॉवर 10 KVA, इलेक्ट्रोड का संचलन 200 मिमी. 
3. पॉवर 20 KVA, इलेक्ट्रोड का संचलन 250 मिमी.
 
नई मशीन की कीमत लगभग 4.5 से 6.5 लाख रुपये होने से छोटेउद्यमी इसे खरीदते नहीं थे। लेकिन इस मशीन की उपयुक्तता देख कर अब वो भी मांग करने लगे हैं। कई लोग इस मशीन का उपयोग जॉबवर्क के लिए भी करते हैं। जैसे कि हार्ड प्लेट पर या नाइट्राइडिंग लेपन की हुई कार्यवस्तु पर स्क्रू के लिए छिद्र तथा काउंटर बोर करना संभव नहीं होता, उसके लिए सिर्फ इसी मशीन का विकल्प उपलब्ध है।
 
इस क्षेत्र में 6 मिमी. से 12 मिमी. रेंज की मशीन बनाने वाली करीबन 10 से 12 कंपनियां हैं, लेकिन 6 मिमी. से 40 मिमी. तक की मशीन बनानेवाले विश्वभर में 1 या 2 ही उद्योजक हैं। इसलिए इस क्षेत्र में हमें ज्यादा स्पर्धा नहीं है। फिर भी ग्राहकों की बदलती मांगों का हमेशा ध्यान रख कर हम मशीन में जरूरी बदलाव करते हैं।
 
मिसाल 
पुणे की अल्ट्रा इंजीनीयर्स में 'मेटल आर्क डिसइंटिग्रेटर' मशीन (चित्र क्र. 3) का उपयोग किया जाता है। 'अल्ट्रा' के चंद्रकांत थोरात कहते हैं "कार्यवस्तु में टैप टूटने पर वह बाहर निकालने के लिए प्रमुख रुप से इस मशीन का उपयोग (चित्र क्र. 4) किया जाता है। किसी भी प्रकार की कार्यवस्तु का नुकसान न होते हुए, टैप निकालना इस मशीन से सहज संभव होता है। इसी के साथ हमने एक पोर्टेबल मशीन भी खरीदी है। हमारे सभी प्लांट में बनने वाले पुर्जे इनमें से एक मशीन पर ठीक किए जाते हैं।"

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"प्रायः कार्यवस्तुओं की कीमत अधिक होने के कारण, उसमें एक टैप टूटने पर कार्यवस्तु फेंकना किफायती नहीं होता। उसी प्रकार नई कार्यवस्तु बनाना, समय की दृष्टी से भी उचित नहीं है। इसलिए कार्यवस्तु का किसी भी प्रकार का नुकसान ना करते हुए टैप निकालना महत्वपूर्ण होता है। 1.5" (M40) तक के टैप निकालने हेतु हम इस मशीन का उपयोग करते हैं।"
 
"कार्यवस्तु पर का, टैप टूटा हुआ छिद्र तिरछा हो तो टिल्टिंग हेड की सहायता से छिद्र तथा इलेक्ट्रोड को एक रेखा में लाया जाता है। टेबल हिला कर भी समायोजन किया जा सकता है। अर्थात, यह वास्तविक परिस्थिति अनुसार तय किया जाता है। कार्यवस्तु पर पहले किए गए थ्रेड खराब नहीं होते क्योंकि छोर का थोड़ा मटीरीयल छोड़ कर, अंदरी टूल का सारा मटीरीयल जला दिया जाता है। बडी कार्यवस्तु पर पोर्टेबल मशीन का उपयोग किया जाता है। इस हेतु इसे मैग्नेट बेस दिया होता है, जिससे मशीन कार्यवस्तु पर कस कर बैठती है। हर हप्ते करीबन 1 से 2 कार्यवस्तु इस मशीन पर काम के लिए आती हैं।"
 
 
 
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शैलेश पटवर्धन
संचालक, स्पार्कोनिक्स(इंडिया) प्रा. लि.
9822094669 
shailesh@sparkonix.com
शैलेश पटवर्धन स्पार्कोनिक्स (इंडिया) प्रा. लि. के संचालक हैं।
 
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